स्वर्ग (फ़िल्म)

1990 की डेविड धवन की फ़िल्म
(सर्वग से अनुप्रेषित)

स्वर्ग 1990 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन डेविड धवन ने किया है और इसमें राजेश खन्ना, गोविन्दा, माधवी और जूही चावला प्रमुख भूमिकाओं में हैं।[2] संगीत आनंद-मिलिंद द्वारा प्रदान किया गया है जबकि गीत समीर ने लिखें हैं। यह फ़िल्म कुछ हद तक मेहरबान (1967) पे आधारित है।

स्वर्ग

स्वर्ग का पोस्टर
निर्देशक डेविड धवन[1]
लेखक अनीस बज़्मी
निर्माता नन्दू जी. तोलानी
अभिनेता राजेश खन्ना,
गोविन्दा,
माधवी,
परेश रावल,
जूही चावला
संगीतकार आनंद-मिलिंद
प्रदर्शन तिथियाँ
18 मई, 1990
देश भारत
भाषा हिन्दी

स्वर्ग नाम की एक आलीशान हवेली में रहने वाले अमीर व्यापारी कुमार या साहबजी (राजेश खन्ना), अपनी पत्नी (माधवी), बहन ज्योति (जूही चावला), दो सौतेले भाई, विकी और रवि और एक भाभी के साथ रहते हैं। उनका एक वफादार सेवक कृष्णा (गोविन्दा) भी है। एक व्यावसायिक मामले को लेकर साहबजी का एक अनैतिक व्यापारी धनराज (परेश रावल) के साथ आदर्शों का टकराव होता है। प्रतिशोध में, धनराज साहबजी के धन और व्यवसायों को हड़पने के लिए साहबजी के दो भाइयों के साथ योजना बनाता है। वह साहबजी की फैक्ट्री में आग लगा देता है और आलीशान हवेली और विशाल व्यापारिक साम्राज्य पर कब्ज़ा कर लेता है। इससे साहबजी लगभग दरिद्र हो जाते हैं और उनकी पत्नी के निधन से वे तबाह हो जाते हैं।

उनके भाइयों ने अब पैसे, हवेली और उनके व्यवसाय पर कब्ज़ा कर लिया है। जब कृष्णा अपने साहबजी के लिए उनके भाइयों का सामना करता है तो साहबजी उसे ही घर से निकाल देते हैं। बाद में, उसे पता चलता है कि साहबजी ने जानबूझकर उसे भगाया है ताकि वह जीवन में कुछ बेहतर कर सके और साहबजी के दुर्भाग्य का साथी न बने। कृष्णा बंबई चला जाता है और एयरपोर्ट (सतीश कौशिक) नामक एक व्यक्ति से मिलता है और वे दोस्त बन जाते हैं। शहर में उसकी कड़ी मेहनत उसे एक लोकप्रिय फिल्म स्टार बनाती है। अब वह अपने पूर्व मालिक के पैमाने पर एक अमीर आदमी बन जाता है। वह कई वर्षों के बाद वह एक रहस्यमय लेकिन अमीर व्यापारी के रूप में अपने शहर में लौटता है। कृष्णा पहले धनराज को बर्बाद कर देता है। फिर वह साहबजी के भाइयों के खिलाफ उनके लालच का इस्तेमाल करके उनको निशाना बनाता है।

खुद को उजागर किए बिना, वह उनके साथ एक व्यापारिक सौदा करता है और बाद में उन्हें धोखा देता है। ठीक उसी तरह जैसे उन्होंने अपने बड़े भाई को धोखा दिया था। फिर कृष्णा एक मंदिर में जाता है और भगवान से प्रार्थना करता है ताकि वह जल्द ही साहबजी से मिल सके। संयोग से, वह साहबजी को उसी मंदिर में पाता है और उसे पता चलता है कि साहबजी और ज्योति दोनों दयनीय स्थिति में हैं। वह उन्हें हवेली वापस लाता है। इसके बाद साहबजी अपने भाइयों को हवेली के अंदर देखते हैं। कृष्णा और ज्योति साहबजी को उनके भाइयों को माफ करने के लिए कहते हैं। जिसे साहबजी स्पष्ट रूप से मना कर देते हैं। जिसके बाद, उनकी दिवंगत मां का चित्र ऊपर से गिर जाता है। साहबजी को अपने भाइयों की देखभाल करने के संबंध में उनसे किए गए वादे की याद आती है। इस बिंदु पर, वर्षों के वित्तीय, शारीरिक और भावनात्मक तनाव के कारण साहबजी को कार्डियक अरेस्ट होता है। वह अपने भाइयों को क्षमा कर देते हैं। वह ज्योति और कृष्णा के रिश्ते को भी मंजूरी दे देते हैं और शादी के लिए अपना आशीर्वाद देते हैं। इसके साथ ही, उनका निधन हो जाता है और वह अपनी सारी विरासत कृष्णा और ज्योति को सौंप जाते हैं।

मुख्य कलाकार

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सभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत आनंद-मिलिंद द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."कैसे कटे दिन कैसी कटी रातें"अनुराधा पौडवाल, मोहम्मद अज़ीज़6:36
2."तुम सजना के घर जाओगी"मोहम्मद अज़ीज़, अमित कुमार, अनुपमा देशपांडे5:30
3."बम बम बम बम बम्बई"अमित कुमार5:14
4."ऐ मेरे दोस्त लौट के आजा"मोहम्मद अज़ीज़5:00
5."फ़िल्मों के सारे हीरो"अमित कुमार, नितिन मुकेश6:00
  1. "'स्वर्ग' की शूटिंग के दौरान बुरे दौर से गुजर रहे थे 'काका', सेट पर आते थे लेट, सेल्फ डाउट का हो गए थे शिकार". न्यूज़ 18. 13 मई 2023. अभिगमन तिथि 7 अगस्त 2023.
  2. न्यूज़, एबीपी (30 अप्रैल 2021). "31 साल पहले चाय बेचते बेचते सुपरस्टार बन गए थे गोविंदा, आज भी सुपरहिट है उनकी हिट फिल्म का ये जबरदस्त सीन". अभिगमन तिथि 7 अगस्त 2023.

बाहरी कड़ियाँ

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