अशोक चक्र (पदक)
अशोक चक्र भारत का शांति के समय दिया जाने वाला सबसे ऊँचा वीरता पदक है। यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है। अशोक चक्र राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है।
अशोक चक्र | |
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अशोक चक्र और इसका रिबन - भारत का सर्वोच्च शांति कालीन सैनिक सम्मान | |
भारत द्वारा पुरस्कृत | |
देश | भारत |
प्रकार | शौर्य पदक |
पात्रता | सेना, नौसेना, वायुसेना अथवा रिज़र्व बल, टेरिटोरियल सेना, अथवा विधि दवारा सथापित किसी भी सशस्त्र बल के पुरुष अथवा महिला सैनिक व अधिकारी।[1] |
देने का कारण | "सबसे विशिष्ट बहादुरी या वीरता या आत्म-बलिदान के साहसी या पूर्व-प्रख्यात कार्य (दुश्मन के सम्मुख नही)।"[1] |
स्थति | वर्तमान में प्रदत्त |
पश्च-नामिक | AC |
आंकड़े | |
स्थापना | 04 जनवरी 1952 |
प्रथम प्रदत्त | 26 जनवरी 1952 |
अंतिम प्रदत्त | 2018 |
कुल प्राप्तकर्ता | 90 |
मरणोपरांत पुरस्कार |
58 |
सुभिन्न प्राप्तकर्ता |
83 |
अग्रता-क्रम | |
अगला (उच्चतर) | परम वीर चक्र [2] |
अगला (निम्नतर) | कीर्ति चक्र |
पदक
संपादित करेंअशोक चक्र पदक गोलाकार, दोनों तरफ रिमों के साथ १.३८ इंच (३५.०५२ मिलीमीटर) का व्यास और स्वर्ण-कलई का होता है। इसके अग्रभाग पर तथा केन्द्र में अशोक चक्र की प्रतिकृति उत्कीर्ण होती है जिसके चारों ओर कमल-माला है। इसके पश्चभाग पर हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में “अशोक चक्र” शब्द उत्कीर्ण होते हैं। "[3]
फीता
संपादित करेंअशोक चक्र का फीता नारंगी खड़ी लाइन द्वारा दो बराबर भागों में विभाजित हरे रंग का होता है।
बार
संपादित करेंयदि कोई चक्र प्राप्तकर्ता ऐसी वीरता का कार्य पुनः करता है जो उसे चक्र प्राप्त करने के लिए पुनः पात्र बनाता है तो फीते को जोड़े जाने के लिए ऐसे और वीरता के कार्य की पहचान बार द्वारा की जाती है जिसके द्वारा चक्र संलग्न हो जाता है और प्रत्येक ऐसे तदनन्तर वीरतापूर्ण कार्य के लिए एक अतिरिक्त बार शामिल किया जाता है। ऐसे प्रत्येक बार के लिए लघुचित्र में चक्र की एक प्रतिकृति, इसे अकेले पहनते समय फीते के साथ शामिल की जाती है।
अशोक चक्र पदक का इतिहास
संपादित करेंअशोक चक्र पदक सम्मान सेना के जवान, आम नागरिक को जीवित या मरणोपरांत दिया जाता है। १९४७ में स्वतंत्रता के बाद से अब तक ९० लोगों को अशोक चक्र सम्मान दिए गए हैं। इस सम्मान की स्थापना ४ जनवरी १९५२ को हुई थी । प्रारम्भ में इसका नाम ‘अशोक चक्र, वर्ग-1’ था। सन् १९६७ में इस सम्मान से वर्ग की अनिवार्यता को हटा दिया गया और इसके समकक्ष तीन सम्मान घोषित किए गए। इनका नामकरण क्रमश ‘अशोक चक्र’, ‘कीर्ति चक्र’ और ‘शौर्य चक्र’ किया गया। १ फरवरी १९९९ से केंद्र सरकार ने अशोक चक्र के लिए १४०० रुपए का मासिक भत्ता निर्धारित किया है।
अशोक चक्र प्राप्तकर्ता
संपादित करेंपुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की सूची, वर्षवार
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
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- ↑ अ आ "अशोक चक्र". Honours & Awards. भारतीय सेना.
- ↑ Precedence Of Medals
- ↑ "पुरस्कार के बारे में". मूल से 29 मार्च 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 सितंबर 2019.