कालपुरुष की परिकल्पना भारतीय ज्योतिष में मिलती है जिसमें समस्त राशिचक्र को मनुष्य के शरीर के समतुल्य वर्णित किया जाता है।

सारावली ग्रंथ में कहा गया है कि :

शीर्षास्यबाहुह्रदयं जठरं कटिबस्तिमेहनोरुयुगम। जानू जंघे चरणौ कालस्यागांनि राशयोअजाद्या: ॥[1]

१२ राशियां के रूप में कालपुरुष के शरीर के अवयव इस प्रकार से हैं:

  1. कैलाशनाथ उपाध्याय (२०००). जन्मांग फल विचार. मोतीलाल बनारसीदास पब्लिकेशन. पृ॰ १०७. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788120826045. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 दिसंबर 2014.