डैबोलिम हवाइअड्डा (आईएटीए: GOI, आईसीएओ: VAGO) गोवा के डैबोलिम में स्थित है। गोवा का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा होने की वजह से इसे गोवा हवाईअड्डा[2]भी कहते है। भारतीय नौसेना के आईएनएस हंसा नामक नौसिनिक हवाइअड्डे के अन्दर एक नागरिक परिक्षेत्र में इसे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा सन्चालित किया जाता है। इसकी हवाईपट्टी कंक्रीट से बनी समतल सड़क है। इसकी संचालन प्रणाली यांत्रिक है। इसकी उड़ान पट्टी की लंबाई 11200 फी॰ है। डैबोलिम में स्थित यह गोवा का एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा है। यह वास्को डी गामा नामक शहर से ४ किमी दूर व गोवा की राजधानी पणजी से ३० किमी दूर स्थित है।
इस हवाईअड्डे के टर्मिनल का उद्घाटन २०१३ में हुआ था। २०१७-१८ में यहाँ लगभग ७७ लाख यात्रियों का आवगमन हुआ था। यहां नवम्बर से मई के बीच यूरोपीय हवाईअड्डों से कई उड़ानें चलती हैं। कुछ उड़ानें रूस से भी आती हैं।
यहाँ से सबसे ज्यादा उड़ानें मुम्बई के लिये चलती हैं।
हवाईअड्डा छोटा होने और नौसेना का अड्डा होने के नाते यहाँ अब और विस्तार सम्भव नहीं है इसलिये पास के परनेम तालुका के मोपा में एक नया हवाईअड्डा निर्मित हो रहा है जिसके २०२२ में पूरा होने की सम्भावना है। [3]
यह हवाईअड्डा लगभग 688 हेक्टेयर (1,700 एकड़) क्षेत्र में फैला हुआ है जिसके अंदर 14 हेक्टेयर (35 एकड़) का एक नागरिक परिक्षेत्र है। नागरिक परिक्षेत्र भाविप्रा द्वारा संचालित होता है। प्रतिदिन की लगभग कुल १८० उड़ानों[4] में से अधिकांश नागरिक विमान दोपहर १ बजे से रात ९ बजे तक उड़ते हैं। ऐसा नौसेना के प्रतिबंधों की वजह से होता है जो नौसैनिक विमानों के प्रशिक्षण के लिये बनाये गये हैं। सितम्बर २०१७ में भाविप्र और नौसेना ने बोइंग ७४७ विमान उतरने लायक एक पूरी लम्बाई का समानान्तर हवाईपट्टी और विमानों के पार्किंग मार्ग बनाने व खर्च साझा करने का समझौता किया।[5] जनवरी २०१८ में इस परियोजना को पर्यावरण विभाग से मंजूरी भी मिल गई। ३७१० मीटर लंबा पार्किंग मार्ग बनाने वाली यह परियोजना तीन चरणों में पूरी होगी। [4] परियोजना का पहला चरण नवम्बर २०१९ में समाप्त हुआ।[6] पूरी हो चुके पार्किंग मार्ग को दिसम्बर २०१९ में खोल दिया गया। इसकी वजह से रनवे की क्षमता १५ उडान प्रति घंटे से बढकर १८-२० उडानें प्रति घंटा हो गई। [7]
हवाईअड्डे का एकीकृत टर्मिनल देसी और विदेशी दोनों ही तरह के उड़ानों के लिये उपयोग में लाया जाता है। इसे दिसम्बर २०१३ में शुरु किया गया था। चार तलों वाले इस भवन की संरचना कलात्मक शीशों, विशाल स्टील के स्तंभों व फ्रेमरहित शीशे के आवरणों से सुसज्जित है। ३६००० वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला यह टर्मिनल सालाना ५० लाख यात्रियों के उपयोग के लिये बनाया गया है। इसके पास ८ ऐरोब्रिज हैं। टर्मिनल पर एक सामान जांचने की प्रणाली और सीवेज ट्रीटमेंट प्रणाली है। यहाँ एटीएम, रेस्तराँ, वाई-फाई, सूचना-डेस्क, शौचालय, चिकित्स्कीय सुविधाएँ और धूम्रपान क्षेत्र हैं।[8] यहां ७५ चेक-इन काउंटर, प्रस्थान के लिये २२ प्रवासी काउंटर, आगमन के लिये १८ प्रवासी काउंटर, १४ सुरक्षा जांच काउन्टर और ८ कस्टम विभाग के काउंटर हैं। चार मंजिला इस इमारत के तहखाने में बिजली सम्बन्धी कमरे और कार्गो संबन्धित कार्य होते हैं। भूतल पर चेक-इन काउंटर और प्रथम तल पर सुरक्षा जाँच बूथ हैं। दूसरे तल पर सुरक्षा जांच के बाद विमान में बैठने से पहले यात्री प्रतीक्षालयों में विश्राम कर सकते हैं।