पाकिस्तान में हिन्दू धर्म

पाकिस्तान में हिंदू धर्म की भूमिका और प्रभाव का अवलोकन

पाकिस्तान में हिंदु धर्म का अनुसरण करने वाले कुल जनसंख्या के लगभग 2% है। पूर्वतन जनगणना के समय पाकिस्तानी हिंदुओं को जाति (1.6%) और अनुसूचित जाति (0.25%) में विभाजित किया गया। [3][4]

पाकिस्तान में हिन्दुओं की स्थिति
कुल जनसंख्या
25 – 45 लाख (2005)[1]
1.6–1.85% पाकिस्तान की जनसंख्या का[2]
विशेष निवासक्षेत्र
मुख्य रूप से सिंध बलूचिस्तान, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में अल्पसंख्यकों के साथ
भाषाएँ
मुख्य रूप से छोटे अल्पसंख्यकों के साथ सिंधी  • पंजाबी और अंग्रेजी

पाकिस्तान Hindustan se vibhajit 14 अगस्त, 1947 मिली उसके बाद 44 लाख हिंदुओं और सिखों ने आज के भारत की ओर स्थानान्तरण किया, जबकि भारत से 4.1 करोड़ मुसलमानों ने पाकिस्तान में रहने के लिये स्थानातरण किया।[5]

1951 की जनगणना के अनुसार पश्चिमी पाकिस्तान में 1.6% हिंदू जनसंख्या थी, जबकि पूर्वी पाकिस्तान (आधुनिक बांग्लादेश) में 22.05% थी। 47वर्षों के पश्चात् 1997 में पाकिस्तान की हिन्दू जनसंख्या में वृद्धि नहीं हुई, अतः 1.6% हिन्दु थे और बांगलादेश में हिन्दू-जनसंख्या भारी गिरावट आयी और केवल 10.2% हिन्दु ही बचे।

1998 की पाकिस्तान की जनगणना में अभिलिखित है कि, 2.5 लाख हिन्दु जनसंख्या पाकिस्तान में बची है।[3] अधिकतर हिंदु पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहते हैं।[6] पाकिस्तान में दशकों से अल्पसंख्यक हिन्दु और क्रिश्चन [7] आदि उत्पीड़न सह रहे हैं। जो 2014 तक अत्यन्त गम्भीर स्तर पर पहोंच गया था। [8][9][10][11]

इतिहास-- हिंगलाज मंदिर भारत के प्रमुख या कहे की विश्व में रहने वाले हिंदुओं में एक आस्था का प्रतीक है संपादित करें

 
हिंगलाज माता मंदिर

प्राचीन युग संपादित करें

 
पेशावर, पाकिस्तान
 
सिंधु घाटी सभ्यता के स्थलों का विस्तार

स्वस्तिक का प्रतीक, योग आसन में स्थित योगी का चित्र, जो "पशुपति" के समान दिखता है इत्यादि सिंध के मोहन जोदड़ो से प्राप्त हुआ है, जो हिन्दु धर्म के अस्तित्व को प्रभावित करने के संकेत कर रहा है। सिंधु घाटी के लोगों का धार्मिक विश्वास और लोकगीत हिन्दू धर्म का एक प्रमुख अंग है, जो कि दक्षिण एशिया के इस भाग में विकसित हुआ। सिंध राज्य और उसके शासकों ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका भारतीय महाकाव्य महाभारत की कथा में निभाई है। इसके अतिरिक्त, पौराणिक कथाओं के आधार पर ये माना जाता है कि, पाकिस्तानी का महानगर लाहौर की स्थापना लव के द्वारा और कसूर महानगर की स्थापना उसके यमल (twin) भाई कुश के द्वारा हुई थी; वे दोनों रामायण के नायक श्रीराम के पुत्र थे। गांधार राज्य जो उत्तरपश्चिमी भाग में स्थित है, जो पौराणिक काल से गांधार लोग भी हिन्दू साहित्य के रामायण और महाभारत ग्रन्थों का महत्त्वपूर्ण भाग रहा है। अधिकांश पाकिस्तानी नगरों के नाम (जैसे पेशावर[12] और मुल्तान[13]) का मूल संस्कृत से जुड़ता है।

जनसांख्यिकी संपादित करें

पाकिस्तान को ब्रिटेन से स्वतन्त्रता 14 अगस्त, 1947 मिली। उसके बाद 44 लाख हिंदुओं और सिखों ने स्थानान्तरण कर लिया, जबकि भारत में से 4.1 करोड़ मुसलमानों ने पाकिस्तान में रहने के लिये स्थानातरण किया। 1998 की पाकीस्तानी जनगणना में  2.5 लाख से कम हिन्दूओं की उपस्थिति अभिलिखित (recorded) हुई। [3] अत्यधिक संख्या में हिंदु जनता पाकिस्तान के सिंध प्रांत में केन्द्रित हुई।

1951 में हिंदुओं का गठन किया 1.9% भारतीय आबादी ( पूर्वी पाकिस्तान, आधुनिक दिन बांग्लादेश) बनाया है, जो डोमिनियन पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े हिन्दू-जनसंख्या के बाद देश भारत है। [14]

1951 की जनगणना के अनुसार पश्चिमी पाकिस्तान में 1.6% हिंदू जनसंख्या थी, जबकि पूर्वी पाकिस्तान (आधुनिक बांग्लादेश) में 22.05% थी। सैतालिस वर्षों के पश्चात् 1997 में पाकिस्तान की हिन्दू जनसंख्या में वृद्धि नहीं हुई, अतः 1.6% हिन्दु थे और बांगलादेश में हिन्दू-जनसंख्या भारी गिरावट आई और केवल 10.2% हिन्दु ही बचे।  [15]  

1998 की जनगणना के अनुसार पाकिस्तान के हिंदुओं की 1.6 प्रतिशत जनसंख्या में से 6.6% हिन्दु पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहते हैं। पाकिस्तान की जनगणना में हिन्दुओं को  अलग अनुसूची जाति में भी विभक्त किया गया है, जो अन्य मुख्य हिन्दुओं के अतिरिक्त 0.25% हैं। [16]

2011 की जनगणना के अनुसार भी पाकिस्तान में हिन्दुओं की कुल जनसंख्या 1.6% अभिलिखित हुई। [17]

प्रभावित मुसलमान -- संपादित करें

लेखक, --- अभिषेक तिवारी ( फतेहपुर)

फतेहपु) र

पाकिस्तानी मुसलमान के कारण भारत के भी मुसलमान बहुत ज्यादा प्रभावित हो जाते हैं कुछ बुद्धिजीवी इंडोनेशियाा के मुसलमान की दुहाई देतेे फिरते हैं उनकोो शायद यह विदित नहीं है[18] इंडोनेशियाा के मुसलमान भी कभी हिंदूू हुआ करतेे थे कई हिंदूू राजा के इतिहास आज भीी वहां जीवित है जिहाद और अनेक प्रकार के पाखंड को हवा देकर आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ाकर भारतीय मुसलमानों को अपने देश से मोहब्बत ना करके जिहाद से मोहब्बत कराने का प्रयास करते हैं हिंदू धर्म में आपने जरूर सुना होगा किसी कार्य के समापन पर एक नारा या कसम खिलाई जाती है विश्व का कल्याण हो यह कसम भारतीय होने का सबसे बड़ा सबूत है जिस प्रकार से 70 साल से धारा 370 का मामला अटका हुआ था उसको तो भारत सरकार ने पूर्ण रूप से निष्क्रिय कर दिया लेकिन मुद्दा निष्क्रिय होने का नहीं है मुद्दा यह है धारा 370 को लोगों का देखने का नजरिया क्या है कुछ लोग इसेेेे हिंदू मुस्लिम की दृष्टि से देखते हैं कुछ लोग इसे पाकिस्तान की हार की दृष्टि से देखते हैं और कुछ लोग अपनी सरकार गिरने के डर से देखते हैं लेकिन भारत में कुछ लोग ऐसे भी रहते हैं जो पाकिस्तान की हार को अपनी हार से मिलाकर देखते हैं मेरा निभाना मुसलमानों पर नहीं है मेरा निशाना सर्व धर्म पर है इस प्रकार के अपवाद हर धर्म में पाए जाते हैं पाकिस्तान से मित्रता बुरी नहीं है पाकिस्तान की गंदीी प्रवृत्तियों से मित्रता बुरी है जैसा कि हमने हाल ही में देखा कि ईरान का सुलेमानी अमेरिकी हमले द्वारा मारा गया लेकिन इसका मातम भारत में क्यों मनाया जा रहा है क्या साबित करने का प्रयास किया जा रहा है कि हम सेकुलर हैं हां अगर हमसे सेकुलर हैं तो यह अपने भारत में क्यों नहीं आजमाते लेकिन हर आदमी अपने धर्म के साथ कट्टरता के साथ पेश होना चाहता है यह हमारे यहां की सबसे बड़ी विडंबना है चलो अब यहां से हटकर अपने असली मुद्दे पर आते हैं हमारा मुद्दा पाकिस्तानी मुसलमान की वजह से भारतीय मुसलमान का प्रभावित होना है जिस प्रकार से नागरिक संशोधन कानून हमारे देश में पूर्ण रूप से लागू हो चुकाा है लेकिन कुछ पार्टियों ने राजनीति चमकाने के कारण हिंदू और मुसलमान दोनों समुदायों में आग लगाने का काम किया है या कहें आग में घी डालने का काम किया है आग में घी का उच्चारण मैंने इसलिए किया भारतीय मुसलमान पहले से ही वर्तमान मोदी सरकार के प्रभावी रवैया के कारण शक के दायरे में है अब अगर उस मुसलमान से यह कहा जाए कि तुम्हारी नागरिकता चली जाएगी तो उसका आंदोलन करना लाजमी है

अगर यह दृश्य इसी प्रकार निरंतर विस्तृत रूप में परिवर्तित हो गया तो यह हमारे लिए किसी ग्रह युद्ध से कम नहीं होगा इसीलिए हमारे समाज में व्याप्त हो रहे बुराइयों से हमें निजात पाना होगा जैसा कि हमने पहले भी विकिपीडिया के माध्यम से अपने समाज को बताया था धर्मनिरपेक्षता के बारे में लेकिन उसमें हम लोगों तक अपनी बात बताने में या अपनी बात समझाने में असहज महसूस करने लगे एक दृश्य हमारे दिमाग में अभी भी घूम रहा है जो मैं आप लोगों के साथ साझा करना चाहता हूं अभी एक हमारे मोबाइल फोन में टिक टॉक नाम का एक एप्लीकेशन बहुत तेजी से फैल रहा है  जिस पर मैं आपसे बात करना चाहता हूं हमारे समाज में एक समय था औरत घर की इज्जत हुआ करती थी समय बदला समाज बदला धीरे-धीरे पश्चिमी सभ्यता हम पर हावी होती चली गई समय का नंगा नाच इस कदर बढ़ गया है अपने अपने जिस्म की नुमाइश की करने में लेश मात्र की शर्म नहीं बची है इस टिक टॉक की वजह से हमारे गांव के नवयुवक जो अभी इतना जागरूक नहीं हुए हैं जिनको अंग्रेजी में एक शब्द है हॉट उसका नाम कभी अपने कानों से नहीं सुना था लेकिन आज जब उसके सामने स्वयं वही चीज प्रदर्शन करने लगती है तो उसके मन में तरह-तरह के ख्याल उत्पन्नन हो जातेे हैं हमारे समाज में रेप का प्रमुख कारण कुछ इसीी तरह के मार्गों से होकर गुजरता है बाकीी आप खुद समझदार हैं ज्यादा बताने की आवश्यकता मैं नहीं समझता यह तो रही समाज की बात अब वापस अपने मुद्दे पर आते हैं जब कोई व्यक्ति किसी व्यक्तिि की जुबान से अपने धर्म अपने संप्रदाय के लिए निंदनीय बातों को सुनता है तो उसके मन में अपने आप कट्टरता के भाव उत्पन्न हो जाते हैं यही कारण कि आज हिंदू कट्टर होता जा रहा है हिंदुओं में कट्टरता हावी होती जा रही है आज के 50 साल पहले आप अनुमान लगाइए जो चीज वर्तमान में लागू है अगर यही 50 साल पहले होती तो नेहरू के बाद r.s.s. से ही प्रधानमंत्री बनते सोचने वाली बात यह है या कट्टरताा हिंदुओंंं में आई कहां से

सन 1950 के बाद हिंदू सद्भाव के साथ जीवन यापन करना चाहता था मैं सभी हिंदुओं की बात नहीं करता मैं 90% हिंदुओं की बात करता हूं भारतीय समाज सद्भाव का जीवन यापन करना चाहता था सन 50 से 2000 के बीच पाकिस्तान के साथ कई युद्ध लड़े गए जब पाकिस्तान युद्ध में पराजित हो गया तब उसने गृह युद्ध का विचार अपने मन में अपनाया और हमारे यहां के नौजवान मुसलमान जिन्हें शिक्षा दीक्षा की जरूरत थी वह इस बहकावे में आकर कुछ मुसलमान पाकिस्तान के बहकावे में आ गए लेकिन बहकावे में आने के बाद उन्होंने कट्टरता को अपनाया जब मुस्लिम कट्टरता दिखाने में एकत्रित होने लगा तो हिंदुओं में यह हिंदुओं के इतिहास में पहली बार कट्टरता नामक शब्द दिखाई पड़ा अगर यह इतिहास में पहले रहा होता तो हमारे देश में मुगल अंग्रेज शासन ना करते यह कट्टरता हिंदुओं में पाकिस्तान के हाथ मुस्लिम नवयुवकों पर आने के बाद हिंदुओं में धीरे-धीरे कट्टरता का विष व्याप्त होने लगा और आज इसी कट्टरवाद के चलते स्थिति इतनी नाजुक हो गई है कि सरकारें भी बन जाया करती हैं कट्टरता का सबसे बड़ा उदाहरण 2014 का लोकसभा चुनाव फिर दूसरी बार उससे ज्यादा प्रभावी रूप से 2019 का लोकसभा चुनाव सबसे बड़ा उदाहरण है भारत का लोकसभा चुनाव जिस प्रकार से धर्म के आधार पर लड़ा गया वह हमारे गौरव के खिलाफ था इसमें ज्यादातर राज्यों में हिंदू और मुस्लिम की एकता एवं संप्रभुता नहीं देखी गई इस चुनाव ने ही हिंदू और मुस्लिम के बीच में मनमुटाव पैदा करने का कार्य किया हमारे भारत का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ यह बात कटु सत्य है किन कारणों से हुआ किस के फैसले से हुआ इस पर अभी भी संदेश है जहां तक मेरा मानना है अगर महात्मा गांधी चाहते तो भारत का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता मैं अपनी कलम से महात्मा गांधी को पूर्ण रूप से जिम्मेदार मानता हूं नेहरू के प्रति उनका प्यार मैं आपको एक दिल की बात बताना चाहता हूं उस बात को मैंने कई जगह अप्रत्यक्ष रूप से महसूस भी किया है कहीं पंडित जवाहरलाल नेहरू के ब्लैक मेलिंग के शिकार तो नहीं थे गांधीजी नहीं तो मोहम्मद अली जिन्ना सरदार पटेल यह बड़े और दिग्गज नेता थे महात्मा गांधी ने आखिरकार नेहरू को ही प्रधानमंत्री क्यों चुना ऐसा क्या योगदान था आजादी में पंडित नेहरू का क्या कारण थे पंडित नेहरू एक धनवान व्यक्ति थे आप इसी बात से अंदाजा लगा लीजिए पहले अंग्रेजों के जमाने में किसी को जेल होती थी तो वह है आदमी ठीक तरीके से भोजन करने में भी दिक्कत महसूस करता था तो जेल के भीतर आराम फरमा के कोई डिस्कवरी ऑफ इंडिया नामक किताब कैसे लिख सकता है हमारी जानकारी के अनुसार जब पंडित नेहरू जेल से बाहर आए फिर वहां से रणनीति बनती है क्योंकि अंग्रेजों ने भारत कांग्रेस के सामने या हिंदुस्तान कीी जनता के सामने अपने हाथ फैला दिए थे अब बात आई कि प्रधानमंत्री कौन बनेगा देश का नेतृत्व कौन करेगा इस पर सर्वप्रथम दो नाम बाहर आए मोहम्मद अली जिन्ना और सरदार पटेल लेकिन कांग्रेस के कुछ सदस्य पंडित नेहरू की ओर चाटुकारिता भरी निगाहों से इशाराा करते रहे महात्मा गांधी भी इसी बहकावे में आ गए और उन्होंने पंडित नेहरू को प्रधानमंत्री पद का दावेदार एक गुप्त रूप से हुई बैठक में घोषित कर दिया जब इस बात का पता मोहम्मद अली जिन्ना को लगा उन्होंने इस बात का एतराज जताया महात्मा गांधी ने अगर घोषणा कर दी तो वह बदलने वाली तो नहीं थी अब बदले में मोहम्मद अली जिन्ना ने कुछ पाकिस्तान और बांग्लादेश यानी पूर्वी पाकिस्तान से एक गुट बनाया और उन्होंने अपनी अलग राष्ट्र की मांग कर दी महात्मा गांधी को बटवारा मंजूर नहीं था लेकिन पंडित नेहरू के कहने से महात्मा गांधी ने अपना कुछ समर्थन यानी दूध मुंहे ढंग से समर्थन जताया पेच एक और था वह नेहरू की सरकार बनाने का नेहरू की पार्टीी के भविष्य का मोहम्मद अलीी जिन्ना राखी जितनेे हिंदू हिंदुस्तान आ जाए मुस्लिम पाकिस्तान चले जाएं लेकिन यह नेहरू को मंजूर नहीं थी लेकिन क्यों मंजूर नहीं थी इसका उत्तर हम आगे देंगे जब नेहरू को मंजूर नहीं थी महात्मा गांधी ने भी मना कर दिया आंतों गत्वा एक पीस कमेटीी में इसका निर्णय हुआ जो जहां जाना चाहता हूं चला जाए जो जहां से जाना याााा आना चाहता हो आ जाए तो कुछ मुस्लिम पाकिस्तान चले गए कुछ हिंदूू हिंदुस्तान आ गए अब आप लोगों के मन में एक संदेह उत्पन्न हो रहा होगा नेहरू इस बात में कैसे राजी हो गए या यूं कहें नेहरूू जो की बात कहनाा चाहते थे वाह जिन्ना ने बैठक में कह दी जिससे नेहरू बहुत प्रभावित हुए अब जिन्ना की बात से नेहरू क्यों प्रभावित हुए या प्रश्न सबके दिमाग में उठता होगा क्योंकि जैसा कि मैंने ऊपर कहाा था नेहरूू जिन्ना की बात से क्यों सहमत नहीं थे कि मुस्लिम पाकिस्तान चलेे जाएं हिंदू भारत आ जाए वह इसलिए सहमत नहींं थे अगर सभी मुस्लिम पाकिस्तान चले जाते तो वर्तमान में कांग्रेस सरकार 70 साल तक भारत में राज नहीं कर पाती इसका तक हम आपको बताते हैं कांग्रेसका वोट बैंक सवर्ण मुस्लिम और दलित मुख्य वोट बैंक था जिसमें मुस्लिम को पूरी तरह से क्षति पहुंचाई गई मुस्लिम को केवल वोट बैंक बना कर रखा गया जिसका ना तो कोई शीर्ष नेतृत्व करने के लिए उस समुदाय के नेता को आगेे बढ़ाया गया इसका भी एक तथ्य है अगर मुस्लिम लीडर बढ़कर आगे आ जाता तो कांग्रेस के पास से मुस्लिम वोट बैंक खिसक जाता जिससे उस समय की संघर्ष कर रही पार्टी जनसंघ को अच्छा फायदाा हो जाता इसी कारण से कोई भी मुस्लिम लीडर उठकर ऊपर नहींं आने दिया रही बात संघ की आर एस एस की तो आज सत केवल हिंदुत्व को लेकर चलती है उसकी विचारधारा केवल हिंदुत्व को आगे बढ़ाना है ना कि मुस्लिम को नीचे झुकाना अगर मुस्लििम की हिंदुत्व झुकता है तो उसका विरोध जरुर करती है हमें आशा है इस बात पर आप जरूर सहमत होंगे

आशावादी व्यक्तित्व --

भारत एक आशावादी लोगों से एवं उनकी विचारधारा से ओतप्रोत देश है भारत में कई तरह के विचारधारा के लोग रहते हैं कुछ लोग आशाओं में ही लोगों का जीवन संवार देने का घोर अपराध करते हैं जब तक के उसके किए जाने वाले कार्य की पुष्टि ना हो जाए जरूरी नहीं कि उसका बीता हुआ कल अच्छा हो उसका बीता हुआ कल अच्छा नहीं होता वह भी कभी-कभी बहुत अच्छे कार्य कर जाता है भविष्य में लेकिन जिसका बीता हुआ कल अच्छा होता है वह कभी-कभी भविष्य में गंदे कृत्यों को हवा देने का काम करता है लेकिन आशा के साथ किसी को शिखर पर बिठा देना कहीं ना कहीं या खुद से भी धोखे के समान है इसी तरह आजादी के समय भारत के मुसलमान कांग्रेश के साथ आशा लेकर बैठे थे यह उनके लिए एक बहुत बड़ी भूल साबित हुई क्योंकि सन 1947 से 1980 के बीच की कांग्रेश का एजेंडा दूसरा था लेकिन 1980 के बाद सन 2015 के बीच का एजेंडा दूसरा था सन 1947 से 1980 के बीच में कांग्रेसका एजेंडा मुसलमानों से वोट लेना एवं अपने यथा उचित स्थान पर बने रहने का प्रयास किया जाता रहा है लेकिन 1980 से 2015 के बीच का एजेंडा यह काफी कुछ तंग करता हुआ निकला

उत्तर प्रदेश)





विस्थापन [19] संपादित करें

 
शीर्ष दाएं कोने में वरुण देव मंदिर के साथ दृश्यमान मनोड़ा द्वीप समुद्र तट, कराची, पाकिस्तान

हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म की जनसंख्या का पाकिस्तान में ऐतिहासिक अधःपतन देखा गया है। ये होने की पृष्ठिभूमि में कई प्रकार के कारण हैं, फिर भी पाकिस्तान के पूर्वीय सीमा क्षेत्रों में इनका विकास अविरत चल रहा है।  भी इन धर्मों के लिए जारी रखा है पनपने से परे पूर्वी सीमाओं का पाकिस्तान है। दिल्ली सल्तनत और बाद में मुगल साम्राज्य के कालखण्ड में मिशनरी सूफी संतों के कारण ये धर्म मुख्य रूप से मुस्लिम बन गये, जिनकी दरगाह पाकिस्तान और अन्य दक्षिण एशिया में हैं। मुख्य रूप से मुस्लिम जनता ने मुस्लिम लीग और पाकिस्तान आंदोलन का समर्थन किया। 1947 में स्वतंत्रता के पश्चात् पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं और सिखों ने भारत की ओर स्थानान्तरण किया। जबकि मुसलमानों ने भारत को छोड़ कर पाकिस्तान को अपना लिया। लगभग 6 लाख हिंदुओं और सिखों ने स्थानान्तरण किया, जबकि लगभग समान संख्या में मुसलमान पाकिस्तान में चले गये। कुछ हिन्दूओं को पाकिस्तान में लगता कि उनके साथ द्वितीय श्रेणी के नागरिके समान व्यवहार होता है, अतः उन्होंने भारत की ओर स्थानान्तरण कर लिया। [20]

वे पाकिस्तानी हिंदुओं, जो पाकिस्तान से भारत स्थानान्तरित हो गये, उन्होंने अपना अनुभव बताया कि, पाकिस्तानी स्कूलों में हिन्दू लड़कियों का यौन उत्पीड़न होता है। उनका कहना है कि, हिन्दू छात्रों के लिये कुरान पढना अनिवार्य कर दिया गया है और उनकी धार्मिक प्रथाओं का उपहास किया जाता है।[21] भारत सरकार योजना बना रही है कि, पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों के लिये आधार पत्र और पैन कार्ड बनाये जाये, और भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल किया जायेगा। [22]

के अनुसार 1998 पाकिस्तान जनगणना जाति के हिंदुओं का गठन के बारे में 1.6 प्रतिशत की कुल जनसंख्या का पाकिस्तान और के बारे में 6.6% सिंध प्रांत में है। पाकिस्तान की जनगणना अलग अनुसूची जाति से मुख्य शरीर के हिंदुओं की है, जो एक और 0.25% के राष्ट्रीय जनसंख्या है। [16]

उत्पीड़न संपादित करें

पाकिस्तान में तालिबान उग्रवाद के उद्भव ने और धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरुद्ध पाकिस्तान में भेदभाव ने हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों के विरुद्ध एक प्रभावशाली और उत्पीड़न के घटक में वृद्धि कर दी। [23] यह कहा जाता है कि, पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न होता है। [24][25]

 
कृष्ण मंदिर, कल्लार, पाकिस्तान
 
मंदिर के स्तूप से दिखता दृश्य, कटास, पाकिस्तान

जुलाई 2010 में, कराची में लगभग 60 अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के सदस्यों पर आक्रमण किया गया और अपने उन्हें अपने घरों से निष्कासित किये गये।एक दलित हिंदू युवा इस्लामी मस्जिद के समीप स्थित नल से पानी पी रहा था अतः ये घटना हुई थी। [26][27] जनवरी 2014 में, एक हिंदू मंदिर के द्वार पर द्वारपाली करते हुए एक पुलिसकर्मी की पेशावर में हत्या कर दी गई थी।[28] पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायलय ने सरकार से अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के मंदिरों के लिये किये गये प्रयत्नों का विवरण मांगा था - कराची क्षेत्र का सर्वोच्च न्यायलय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को धर्मस्थान के उपयोग से वंचित रखे जाने वाले केस का संश्लेषण कर रही थी। [29][30][31]

हिन्दू धर्म के लोगो को एक राष्ट्रीय हास्य कार्यक्रम में "हिन्दू कुत्ता" कहा गया और उस टिप्पणी पर कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोग ठहाके लगा कर हँस पडे़।[32] इस कृत्य की समाचार पत्रों में निन्दी भी हुई।[33] पाकिस्तान के ही हसन रजा नामक कोमेन्टेटर ने राष्ट्रिय कार्यक्रम में हिन्दुओँ को कुत्ता कहने पर ट्वीट करते हुए कहा -

"पाकिस्तान में लाखों हिन्दू रहते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि पहले से हिन्दूोँ को टेक्स्ट बुक के माध्यम से अपमानित किया जाता था और अब टि.वि चैनलों पर भी ऐसा किया जा रहा है। हिन्दू यहाँ हजारो सालो से रह रहे हैं, यहाँ जब मुस्लिम नहीं थे तभी से हिन्दू रह रहे हैं। पाकिस्तान का जन्म भी हिन्दूओं की धरती पर हुआ है। सार्वजनिक रूप से किसी भी धर्म को अपमानित करना किसी भी देश के लिये शर्मनाक है।"[34] [35]

"हिन्दू कुत्ता" नारे के सम्बन्ध में भारतीय राजदूत भी अपने को हिन्दू कुत्ता बोले जाने की बात करते हैं। [36] [37]

पाकिस्तान के अध्ययन पाठ्यक्रम के मुद्दे संपादित करें

 
प्राचीन हिंदू मंदिर के खंडहर (जोगिरन सोल्ट रेंज, पाकिस्तान)

सतत विकास नीति संस्थान (Sustainable Development Policy Institute) के रिपोर्ट अनुसार, "पाकिस्तान की विचारधारा का हठाग्रह ही भारत और हिंदुओं के विरुद्ध द्वेष का मुख्य कारण है। पाकिस्तान के अस्तित्व को पारिभाषित करने के लिये सर्वदा हिंदुओं के साथ ही उसका सम्बन्ध जोड़ा जाता है इसलिए हिंदुओं का जितना हो सके उतना नकारात्मक चित्रित करना ही चाहिये, ये पाकिस्तान की विचाराधारा के समर्थकों का कार्य है।".[38] मदरेसाओं के शिक्षकों द्वारा प्रेरित मुस्लिम विद्यार्थीओं की हिन्दु मन्दिरों पर आक्रमण की घटना शीघ्रता से बढ़ती जा रही है। [39][40]

न्याय और शांति के लिये राष्ट्रीय आयोग, (National Commission for Justice and Peace) जो पाकिस्तान स्थित एक सेवाभावी संगठन है, उसके 2005 के रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी नीति निर्माताओं ने पाकिस्तान की पाठ्यपुस्तकों का उपयोग हिन्दुओं के विरुद्ध घृणा फेलाने के लिये करने का प्रयास किया है। "निन्दापूर्ण शत्रुता का वैध सैन्य और निरंकुश शासन एक घेराबंदी मानसिकता को पोषित करता है। पाकिस्तान की पाठ्यपुस्तकों में भारत को एक शत्रुतापूर्ण प्रतिवेशी के रूप में प्रदर्शित करने का सक्रिय प्रयास किया गया है।" विवरण (report) कहता है कि, ' पाकिस्तान के इतिहास की कथा को जानबूझकर भारत से उत्पन्न होने वाले इतिहास से विपरीत और भिन्न बताने के लिये लिखा गया। सरकार के द्वारा प्रकाशित पाठ्यपुस्तकों में से छात्रों को पढाया जाता है कि, हिंदु पिछड़े और अंधविश्वासी होते हैं।' आगे रिपोर्ट में कहा गया है कि, "पाठ्यपुस्तकों में जानबूझकर घबराहट (इस्लाम के विनाश सम्बन्धित भय को) को प्रतिबिंबित किया गया है। पाकिस्तान के आज के छात्र, नागरिक और उसके नेतागण इन आंशिक सत्यों के आखेट बन रहे हैं"।  [41][42][43][44][45][46][47][48][49][50][51][52][53]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Population by religion" (PDF). मूल (PDF) से 17 जून 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 नवंबर 2016.
  2. "Area, Population, Density and Urban/Rural Proportion by Administrative Units". मूल से 22 दिसंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 नवंबर 2016.
  3. "Population by religion". मूल से 19 जुलाई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 नवंबर 2016.
  4. "Census of Pakistan". मूल से 22 दिसंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 नवंबर 2016.
  5. Boyle, Paul; Halfacre, Keith H.; Robinson, Vaughan (2014).
  6. "Mashal not alone: the plight of Pakistani Hindus" Archived 2018-11-25 at the वेबैक मशीन. 
  7. "संग्रहीत प्रति". मूल से 5 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 नवंबर 2016.
  8. https://www.sdpi.org/publications/files/MRG_Rep_Pak_ENGv2_PRESS.pdf[मृत कड़ियाँ], page - 5
  9. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 नवंबर 2016.
  10. "संग्रहीत प्रति". मूल से 5 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 नवंबर 2016.
  11. "पाकिस्तान में हिन्दू हो रहे हैं खत्म". मूल से 5 अगस्त 2018 को पुरालेखित.
  12. Kumkum Roy.
  13. Jarred Scarboro.
  14. "संग्रहीत प्रति". मूल से 27 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 नवंबर 2016.
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  16. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल (PDF) से 17 जून 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 नवंबर 2016.
  17. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल से 14 नवंबर 2018 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 7 नवंबर 2016.
  18. Tiwari, Ashu (Winters-2020). "भारत के मुसलमानों को प्रभावित करने का प्रयास". International Journal of Computer Applications. 43 (20): 6–31. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0975-8887. डीओआइ:10.5120/6217-8696. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  19. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल (PDF) से 16 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 नवंबर 2016.
  20. Sohail, Riaz (2 March 2007).
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आगे पढ़ने संपादित करें

  • "सफ़ाई की भूमि को शुद्ध: पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों द्वारा" Farahnaz Ispahani, प्रकाशक: हार्पर कोलिन्स इंडिया
  • Yaqoob खान Bangash, हमारे लुप्त हिंदुओं, एक्सप्रेस ट्रिब्यून, 13 जून 2016 है।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें