प्रवेशद्वार:हरियाणा
हरियाणा प्रवेशद्वार
प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से हरियाणा पूरे भारत में सिर्फ गोआ एवं दिल्ली से पीछे है। हरियाणा की प्रति व्यक्ति औसत आय 29,887 रुपये/वर्ष (वर्ष 2006) है। [पूरा पढ़ें]
चयनित चित्र
चयनित लेख
स्वास्थ्य विभाग ने 14 नवंबर, 1997 को मस्तिष्क अनुसंधान के लिए समर्पित एक केन्द्र की स्थापना की हैं जिसे राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केन्द्र (एनबीआरसी) का नाम दिया गया है। यह केन्द्र तंत्रिका विज्ञान अनुसंधान के अग्रणी क्षेत्रों में कार्य करने, मौजूदा दलों की नेटवकिर्गं करने और आवश्यकतानुसार देश में इस विधा के समग्र विकास को संयोजित करने के लिए छोटे-छोटे एककों की स्थापना करने के उद्देश्य से अवसंरचनात्मक सुविधाएं प्रदान करने और समन्वित बहु-विषयक दल तैयार करने के लिए समर्पित है। नेटवकिर्गं की यह प्रणाली बाह्य केन्द्रों और क्रोड़ केन्द्र के बीच कार्मिकों के विवेकपूर्ण आदान-प्रदान के जरिए स्थानीय प्रतिभा का सृजन करेगी और उन्हें प्रोत्साहित भी करेगी। अनुसंधान के अतिरिक्त, यह केन्द्र तंत्रिका विज्ञान के बहुमुखी क्षेत्रों में व्यापक प्रशिक्षण तथा शिक्षण के लिए राष्ट्र स्तरीय आधार प्रदान करता है। पूरा पढ़ें]
चयनित जीवनी
जनवरी सन् 1891 में छोटूराम ने अपने गांव से 12 मील की दूरी पर स्थित मिडिल स्कूल झज्जर में प्राइमरी शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद झज्जर छोड़कर उन्होंने क्रिश्चियन मिशन स्कूल दिल्ली में प्रवेश लिया। लेकिन फीस और शिक्षा का खर्चा वहन करना बहुत बड़ी चुनौती थी उनके समक्ष। छोटूराम जी के अपने ही शब्दों में कि सांपला के साहूकार से जब पिता-पुत्र कर्जा लेने गए तो अपमान की चोट जो साहूकार ने मारी वो छोटूराम को एक महामानव बनाने के दिशा में एक शंखनाद था। छोटूराम के अंदर का क्रान्तिकारी युवा जाग चुका था। अब तो छोटूराम हर अन्याय के विरोध में खड़े होने का नाम हो गया था।
आगे चलके वे पंजाब राज्य के एक राजनीतिज्ञ एवं स्वतंत्रता सेनानी बने। पूरा पढ़ें]
चयनित पर्यटन स्थल
कुरुक्षेत्र हरियाणा राज्य का एक प्रमुख जिला है। यह हरियाणा के उत्तर में स्थित है तथा अम्बाला, यमुना नगर, करनाल और कैथल से घिरा हुवा है । माना जाता है कि यहीं महाभारत की लड़ाई हुई थी और भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश यहीं पर ज्योतीसर नामक स्थान पर दिया था । यह जिला बासमती चावल के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है ।
कुरुक्षेत्र का पौराणिक महत्व अधिक माना जाता है । इसका त्रग्वेद और यजुर्दवेद मे अनेक स्थानो पर वर्णन किया गया है । यहां की पौराणिक नदी सरस्वती का भी अत्यन्त महत्व है । इसके अतिरिक्त अनेक पुराणो, स्मृतियों और महर्षि वेद व्यास रचित महाभारत में इसका विस्तृत वर्णन किया गया हैं । विशेष तथ्य यह है कि कुरुक्षेत्र की पौराणीक सीमा ४८ कोस की मानी गई है जिसमें कुरुक्षेत्र के अतिरिक्त कैथल , करनाल, पानीपत और जिंद का क्षेत्र सम्मिलित हैं ।हरियाणा का खाना
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