कहा जाता है कि भारत-तिब्बत संबंधों की शुरुआत छठी शताब्दी ई० में तब हुई जब बौद्ध धर्म भारत से प्रसरित होकर तिब्बत पहुँचा। 1959 में तिब्बती विद्रोह के असफल होने के बाद दलाई लामा बचकर भारत आ गये।[1] तब से ही निर्वासित तिब्बतियों को भारत में शरण दी गई है और भारत सरकार ने उन्हें देश के 10 राज्यों में 45 आवासीय बस्तियों में ठहराया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2011 में लगभग डेढ़ लाख तिब्बती शरणार्थी थे जिनकी संख्या घटकर 2018 में 85 हजार रह गयी। बहुत से तिब्बती अब भारत छोड़कर तिब्बत तथा अन्य देशों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका या जर्मनी जा रहे हैं। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के तुरन्त बाद भारत सरकार ने तिब्बत को एक स्वतंत्र देश माना था। [2] किन्तु हाल ही में इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए तिब्बत को चीन का हिस्सा माना गया है। [3]

क्ये गोम्पा : भारत के हिमाचल प्रदेश की स्पीति घाटी में स्थित एक तिब्बती बौद्ध मठ है।
तेनजिन त्सुन्दुए 2005 में बंगलौर में चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के होटल के कमरे के सामने विरोध प्रदर्शन करते हुए।
सिक्किम के लाचुंग मठ में गुम्पा नृत्य

बुटन रिनचेन ड्रब (बुस्टोन) जैसे विद्वानों ने सुझाव दिया है कि तिब्बती लोग रूपति के वंशज हैं जो महाभारत युद्ध के कौरव सेना का सेनापति था। [4] अन्य विद्वान भारत से तिब्बत में बौद्ध धर्म के प्रसार को पहला महत्वपूर्ण संपर्क मानते हैं जो कि सोंगत्सेन गम्पो और त्रिसोंग-देत्सेन जैसे तिब्बती राजाओं के प्रयासों के कारण सम्भव हुआ। [5] १३वें दलाई लामा, थुबतेन ग्यात्सो ने 1910 में भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया था। [6] आजकल तिब्बती तीर्थयात्री गया, सारनाथ और सांची जैसे स्थानों पर जाते हैं जो बुद्ध के जीवन से जुड़े हैं। [7]

तिब्बत और चीन ने (वांग शुआन-त्सो) ७वीं शताब्दी में एक शत्रु राजा को दण्डित करने के लिए भारत के उत्तरी भाग पर आक्रमण किया। बाद में तिब्बती सम्राट ने एक शास्त्रार्थ आयोजित किया था जिसमें भारतीय बौद्धों की चीनी बौद्धों के विरुद्ध विजय हुई जिसके परिणामस्वरूप तिब्बत ने भारतीय बौद्ध धर्म को अपना लिया। 'विखंडन के युग' में भारतीय नियमित रूप से तिब्बत का दौरा करते थे और धार्मिक तीर्थयात्रा की आड़ में तिब्बत में प्रचुर मात्रा में सोने की खोज करते थे। [8] १३वीं शताब्दी भारत की दिल्ली सल्तनत ने तिब्बत पर विनाशकारी आक्रमण किया। बाद में, मुगलों ने लद्दाख पर अपना प्रभाव कम करके उसे तिब्बत को सौंप दिया ।

ब्रिटिश काल (1767-1947) में

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  1. फ़ज़ल, रेहान (31 March 2022). "चीन से बचने के लिए 13 दिन की यात्रा के बाद ऐसे भारत आए थे दलाई लामा". BBC News हिंदी. अभिगमन तिथि 17 August 2024.
  2. Mehrotra 2000, पृ॰ 7.
  3. India Recognizes Tibet As Part Of China, Arab News, 25 June 2003.
  4. Mehrotra 2000, पृ॰ 1.
  5. Mehrotra 2000, पृ॰ 2.
  6. Mehrotra 2000, पृ॰ 14.
  7. Mehrotra 2000, पृ॰ 8.
  8. Sam., Van Schaik (2014). Tibet : a History. Yale University Press. OCLC 956654568. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-300-17217-1.

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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