महेश गर्ग (जन्म 5 दिसंबर 1966)। वे भारतीय रेलवे में उच्च प्रशासनिक अधिकारी हैं तथा एक स्थापित हिंदी कवि और लेखक हैं। हिन्दी साहित्य में इन्हे 'बेधड़क' के नाम से भी जाना जाता है।[1]

महेश गर्ग बेधड़क
जन्म 5 दिसम्बर 1966 (1966-12-05) (आयु 57)
आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
शिक्षा की जगह माधव प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, ग्वालियर
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली
पेशा कवि, साहित्यकार, अभियन्ता
कार्यकाल 1986–present

संक्षिप्त जीवनी संपादित करें

महेश गर्ग 'बेधड़क' का जन्म भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में हुआ था।

इन्होंने माधव इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी एंड साइंस, ग्वालियर से वर्ष 1986 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बैचेलर ऑफ इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त की। तत्पश्चात इन्होंने आईआईटी दिल्ली से मास्टर ऑफ टेक्नॉलजी की उपाधि प्राप्त की।[2] वे भारतीय रेल सेवा के 1987 बैच के अधिकारी हैं तथा उनके पास रेगुलेटेड डिस्चार्ज कोच टॉयलेट सिस्टम का डिजाइन पेटेंट है। उन्हें रेल मंत्रालय द्वारा 2005 में अतिविशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रदान किया जा चुका है।

हिन्दी कविता के लिए इन्हें वर्ष 2014 का मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार और वर्ष 2018 का प्रतिष्ठित काका हाथरसी हास्य रत्न सम्मान प्रदान किया गया। इनकी पुस्तक 'ठहाका एक्सप्रेस' डायमंड बुक्स द्वारा, 'बर्फ़ियां व्यंग्य की' तथा 'रंग हंसी के' प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हैं। इन्होंने सब टीवी पर 'वाह वाह' कार्यक्रम समेत दर्जनों टीवी चैनलों पर अपनी प्रस्तुति दी है।[3] इन्होंने देश के सभी प्रमुख राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों जैसे गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के कवि सम्मेलन, आगरा के ताज महोत्सव, गाजियाबाद के अट्टहास कवि सम्मेलन इत्यादि में हिस्सा लिया है। बेधड़क पूरे देश में अपने धारदार हास्य व्यंग्य के लिए जाने जाते हैं। इनके हास्य व्यंग्य के उद्धरण के लिए देखिए उनकी दो छोटी व्यंग्य कवितायें :

" फ्रंट रो में एक नेता चल रहे थे साथ-साथ
झकझकाती ड्रेस उनकी देखकर मैंने कहा
तीन पीढ़ी से यही पोशाक, कोई खास बात?
वो जरा से मुस्कराए—
कवि से कोई क्या छुपाए?
आजकल इसके बिना पहचान नहीं है
अस्ल बात—इसमें गिरेबान नहीं है! "


" सर ऊपर चांदी उगी, याददाश्त कमज़ोर
पीठ धनुष जैसी हुई, खिंची उम्र की डोर
खिंची उम्र की डोर, दांत ले रहे हिलोरें
छू-मंतर मुस्कान, लगे ज्यों खींस निपोरें
नज़र हुई कमज़ोर देखते नज़र गड़ाए
बीवी कहती- हाय ! अभी से तुम सठियाए। "

फिल्मोग्राफी संपादित करें

टेलीविजन संपादित करें

साल शीर्षक भूमिका
2005 वाह वाह (सब टीवी) स्वयं
2021 डीडी कला संगम (प्रकरण-17) [4] स्वयं
2022 वाह भाई वाह [5] स्वयं

पुरस्कार एवं सम्मान संपादित करें

प्रकाशित कृतियाँ संपादित करें

क्र.सं. शीर्षक लेखक प्रकाशक वर्ष शैली पृष्ठों की संख्या आई.एस.बी.एन.
1 ठहाका एक्स्प्रेस [7] महेश गर्ग बेधड़क डायमंड बुक्स 2015 कविताएं एवं ग़ज़लें 112p 9789351655855
2 बर्फियाँ व्यंग्य की [8] महेश गर्ग बेधड़क प्रभात प्रकाशन जनवरी 2021 हास्य व्यंग्य 128p 9789390378319
3 रंग हँसी के [9] महेश गर्ग बेधड़क प्रभात प्रकाशन अगस्त 2023 हास्य एवं व्यंग्य 144p 9789390372690

संदर्भ संपादित करें

  1. "Mahesh Garg Bedhadak Profile". Kavigram.
  2. Alumni Association, IIT Delhi. "IIT Delhi AGM 2022".
  3. Bedhadak, Mahesh Garg. "10th Edition of International Hindi and Urdu Poetry Festival Jashn-e-Adab held in Delhi".
  4. गर्ग, महेश. "दूरदर्शन पर साक्षात्कार". YouTube.
  5. Waah Bhai Waah, EP 11. "Hasya Kavi Sammelan".
  6. Samman, Kaka Hathrasi. "हास्य कवि महेश गर्ग बेधड़क को मिला हास्य रत्न सम्मान".
  7. ठहाका, एक्स्प्रेस. "डायमंड बुक्स पब्लिकैशन".
  8. बर्फियाँ, व्यंग्य की. "प्रभात प्रकाशन".
  9. रंग, हँसी के. "प्रभात प्रकासन".

बाहरी लिंक संपादित करें