लाड़ला

1994 की राज कँवर की फ़िल्म

लाड़ला 1994 की राज कँवर द्वारा निर्देशित हिन्दी भाषा की फिल्म है। फिल्म में प्रमुख भूमिकाओं को श्रीदेवी और अनिल कपूर द्वारा चित्रित किया गया है। रवीना टंडन, फरीदा ज़लाल, शक्ति कपूर, अरुणा ईरानी, आलोक नाथ, मोहनीश बहल और प्रेम चोपड़ा सहायक भूमिका निभाने वालों में शामिल हैं। शुरुआत में फिल्म में दिव्या भारती को प्रमुख महिला किरदार के लिये चुना गया था और उन्होंने अधिकांश फिल्म को पूरा भी कर दिया था। हालांकि 1993 में उनकी असामयिक मौत के कारण, किरदार को श्रीदेवी द्वारा निभाया गया।

लाड़ला

लाड़ला का पोस्टर
निर्देशक राज कँवर
पटकथा अनीस बज़मी
निर्माता नितिन मनमोहन
अभिनेता अनिल कपूर,
श्री देवी,
रवीना टंडन,
फरीदा ज़लाल,
अरुणा ईरानी,
प्रेम चोपड़ा,
परेश रावल,
मोहनीश बहल,
अनुपम खेर,
शक्ति कपूर
संगीतकार आनंद-मिलिंद
प्रदर्शन तिथियाँ
25 मार्च, 1994
देश भारत
भाषा हिन्दी

राजू (अनिल कपूर) अपनी विकलांग मां (फरीदा ज़लाल) के साथ रहता है। एक दिन राजू नौकरी के इंटरव्यू के लिये जाते वक्त एक समृद्ध कपड़ा मिल मालिक (अनुपम खेर) का जीवन बचाता है। वह उसे अपने कारखाने में नौकरी प्रदान करते हैं, जो उनकी महत्वाकांक्षी बेटी शीतल (श्रीदेवी) द्वारा संचालित है। राजू मिल में मैकेनिक के रूप में काम करता है और श्रमिकों के उचित उपचार के लिए कई बार शीतल से कहता है। वह यूनियन नेता के रूप में भी चुना जाता है, जो शीतल को पसंद नहीं आता। राजू काजल (रवीना टंडन) से मिलता है, जो कपड़ा मिल में ही काम करती है। वे प्यार में पड़ते हैं।

एक प्रतिस्पर्धी कपड़ा मिल मालिक सूर्यदेव (प्रेम चोपड़ा) शीतल को खत्म करने की कोशिश करता है। राजू उसे धक्का देकर बचाता है। यद्यपि वह उसे बचाता है, फिर भी शीतल गुस्से में उसे सभी श्रमिकों के सामने थप्पड़ मारती है। बाद में, राजू शीतल के केबिन में जाता है और उसे पांच बार थप्पड़ मारता है। बदला लेने के लिए, शीतल उससे शादी करने का प्रस्ताव देती है। जब राजू उससे इंकार कर देता है तो वह उसकी मां को विवाह से सहमत होने के लिए मजबूर करती है। राजू अपनी मां की इच्छाओं को स्वीकार करता है और काजल के लिए अपने प्यार का त्याग करने का फैसला करता है। राजू अपनी मां के आदेश पर शीतल के घर में रहना शुरू कर देता है, हालांकि वह मिल में मैकेनिक के रूप में अपना काम जारी रखता है।

धीरे-धीरे राजू शीतल को पसंद करने लगता है और उसे प्यार करना शुरू कर देता है। जब सूर्यदेव के कुछ गुंडे फिर उसे मारने की कोशिश करते हैं तो वह फिर से उसे बचाता है। हालांकि, राजू और शीतल के बीच तनाव पैदा होता है जब वह काजल को ईर्ष्या से बाहर निकालती है क्योंकि शीतल काजल को अक्सर राजू के घर जाती हुई देखती है। हालांकि काजल राजू की अकेली मां की देखभाल करने के लिए वहाँ जाती है।

श्रम के मुद्दा श्रमिकों के हड़ताल पर जाने का कारण बनता है। प्रतिस्पर्धी मिल मालिक स्थिति का लाभ उठाने की योजना बनाते हैं और मिल को आग लगाने के लिए आदमी रखते हैं। राजू, आग को रोकने के अपने प्रयास में गलती से गिरफ्तार किया जाता है। राजू की मां मामलों को दूर करने के लिए शीतल के घर जाती है, लेकिन शीतल द्वारा उन्हें अपमानित किया जाता है। वो गिर जाती है और जब राजू अपनी मां को बचाने आता है। वो शीतल को थप्पड़ मारता है और उसके साथ अपने संबंध तोड़ देता है। खुद को दोषी महसूस करती शीतल, जो वास्तव में राजू से प्यार करती है, खुद को मारने का फैसला करती है। हालांकि प्रतिद्वंद्वी मिल मालिकों का द्वारा उसका अपहरण किया जाता है और वो खुस उसे मारने का फैसला करते हैं। राजू आता है और उसे बचाता है। शीतल को अपने पति और परिवार के प्रति अपने व्यवहार के लिए पछतावा है। वह काजल को कंपनी का प्रबंध निदेशक बनाती है और काम करना बंद कर देती है। वो राजू के घर में खुशी से रहती है।

मुख्य कलाकार

संपादित करें

सभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत आनंद-मिलिंद द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."बोई बोई"विनोद राठोड़, अरुण बक्षी5:03
2."धिक ता ना ना" (डुएट)उदित नारायण, पूर्णिमा1:59
3."धिक ता ना ना" (महिला)पूर्णिमा5:50
4."लड़की है क्या रे बाबा"उदित नारायण7:51
5."मेरे गुलाम तेरा कत्ल-ए-आम" (डुएट)उदित नारायण, अलका याज्ञिक6:44
6."मेरे गुलाम तेरा कत्ल-ए-आम" (महिला)अलका याज्ञिक2:04
7."मेरी धड़कन सुनो"उदित नारायण, अलका याज्ञिक6:12
8."रब मुझे बता दे"उदित नारायण1:26
9."तेरी उँगली पकड़ के चला"उदित नारायण, ज्योत्सना हार्डिकार4:49

नामांकन और पुरस्कार

संपादित करें

श्रीदेवी और रवीना टंडन को फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार में क्रमशः सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री और सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के लिए नामांकन मिला।

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें