श्रीरंग देव राय (उर्फ श्रीरंग प्रथम) (शासनकाल 1572 – 1586 ई॰) विजयनगर साम्राज्य में अराविदु राजवंश के दूसरे राजा थे। वो पेनुकोंडा के किले से शासन करते थे। वो अपने पिता तिरुमल देव राय के उत्तराधिकारी बने। उनके राज्य पर तूर्क-फारसी मुस्लिम पड़ोसियों से लगातार हमले होते रहे।[1]

श्रीरंग प्रथम
सम्राट
विजयनगर साम्राज्य
शासनावधि1572 – 1586 ई॰
पूर्ववर्तीतिरुमल देव राय
उत्तरवर्तीवेंकट द्वितीय
राजवंशअराविदु
पितातिरुमल देव राय
मातावेंगलाम्बा
धर्महिन्दू धर्म
विजयनगर साम्राज्य
संगम राजवंश
हरिहर राय प्रथम 1336-1356
बुक्क राय प्रथम 1356-1377
हरिहर राय द्वितीय 1377-1404
विरुपाक्ष राय 1404-1405
बुक्क राय द्वितीय 1405-1406
देव राय प्रथम 1406-1422
रामचन्द्र राय 1422
वीर विजय बुक्क राय 1422-1424
देव राय द्वितीय 1424-1446
मल्लिकार्जुन राय 1446-1465
विरुपाक्ष राय द्वितीय 1465-1485
प्रौढ़ राय 1485
शाल्व राजवंश
शाल्व नृसिंह देव राय 1485-1491
थिम्म भूपाल 1491
नृसिंह राय द्वितीय 1491-1505
तुलुव राजवंश
तुलुव नरस नायक 1491-1503
वीरनृसिंह राय 1503-1509
कृष्ण देव राय 1509-1529
अच्युत देव राय 1529-1542
सदाशिव राय 1542-1570
अराविदु राजवंश
आलिया राम राय 1542-1565
तिरुमल देव राय 1565-1572
श्रीरंग प्रथम 1572-1586
वेंकट द्वितीय 1586-1614
श्रीरंग द्वितीय 1614-1614
रामदेव अरविदु 1617-1632
वेंकट तृतीय 1632-1642
श्रीरंग तृतीय 1642-1646

सन् 1576 में बीजापुर सल्तनत के तुर्क-फारसी सुलतान अली आदिल शाह प्रथम ने तीन माह तक पेनुकोंडा का घराव किया लेकिन बाद में श्रीरंग ने हमला करने वाले सुलतान को हरा दिया और बीजापुर की सेना को भागना पड़ा।[1]

सन् 1579 में गोलकोण्डा के तुर्की-फारसी सुलतान ने हमला किया एवं अहोबिलं के नरसिंह मंदिर को लूटा। सन् 1580 तक कोंडाविदु प्रांत का पतन हो गया व अहोबिलं पर श्रीरंग ने कब्जा कर लिया।

उनका सन् 1586 ई॰ में निधन हो गया जबकि उन्होंने अपना कोई उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया था। अतः उनके निधन के बाद चंद्रगिरि के शासक और श्रीरंग के छोटे भाई वेंकटपति राय उत्तराधिकारी बने।

  1. राव 1995, पृ॰ 127.

ग्रंथसूची

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  • राव, पी॰ रघुनाध (1995). History and culture of Andhra Pradesh: from the earliest times to the present day (पुनः मुद्रित संस्करण). नई दिल्ली: स्टर्लिंग पब्लिशर्स प्राइवेट लिमिटेड. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-207-1719-0.