सदस्य:Sadarangani nikita/भारतीय संस्कृति
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भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है जो लगभग ५,००० हजार वर्ष पुरानी है। विश्व की पहली और महान संस्कृति के रूप में भारतीय संस्कृति को माना जाता हैं। "विविधता में एकता" का कथन यहाँ पर आम है। भारत एक विविधतापूर्ण देश है जहाँ विभिन्न धर्मो के लोग अपनी संस्कृति और परंपरा के साथ शांतिपूर्ण तरीके से एक साथ रहते हैं। विभिन्न धर्मो के लोगों की अपनी भाषा, खाने की आदत, रीति- रिवाज़ आदि अलग हैं। भारत की राष्ट्रता भाषा हिंन्दी है हलाँकि विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदशों में लगभग २२ आधिकारिक भाषा और ४०० दूसरी भाषाएँ रोज बोली जाती हैं। देश के कुछ मुख्य धर्म हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख,ईसाई,जैन और आदी हैं। आमतोर पर यहाँ के लोग विशभूषा, सामाजिक मान्यताओं, प्रथा और खाने की आदतों में भिन्न होते हैं।
अपने धर्म के अनुसार लोग मान्यताओं, रीति-रिवाज़ और परंपरा को मानते हैं। विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों सहित हम कुछ राष्ट्रीय उत्सवों को एकसाथ मनाते हैं जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गाँधी जयंती आदि। भारत अपने विभिन्न संस्कृतिक नृत्यों जेैसे शास्त्रीय ( भरत नाट्यम), कथक,कथक कली, कुच्ची पुडी॒ ) और अपने क्षेत्रों के लोक नृत्यों के अनुसार बहुत प्रसिद है। पंजाबी भाँगड़ा करते हैं, गुजराती गरबा करते हैं, रजिस्थान गुमड करते हैं, आसामी बिहू करते हैं जबकि महाराष्ट्र के लोग लाँवणी का आन्नद लेते है।
भारत के लोग में इंसानियत,उदारता, एकता, धर्मनिपेृक्षता, मजबूत सामाजिक संबध और दूसरे अच्छे गुण हैं। भारतीय हमेशा अपने दयालु और सौम्या व्यावहार के लिये जाने जाते हैं। हमारी राष्ट्रीय संस्कृति हमेशा हमें अच्छा व्यावहार करना, बड़ों की इज्ज़त करना, मजबूर लोगों की मदद करना और जरूरत मदं लोगों की मदद करना सिखाती हैं। धार्मिक संस्कृति है कि हम वर्त रखे, पूजा करें, सूर्य नमस्कार करें, परिवार के बड़ो सदस्यों का पैर छुएँ, रोज ध्यान और योग करें तथा भूखे और अश्रम लोगों को अन्न- जल दें। हमारे राष्ट्रीय की ये महान संस्कृति हैं कि हम बहुत ख़ुशी के साथ अपने घर आये मेहमानों की सेवा करते है क्योंकि मेहमान भगवान का रूप होता है इसी वजह से भारत में " अतिथि देवो भव" का कथन बेहद प्रसिद है। हमारी संस्कृति की मूल जड़ इंसानियत और आधत्मिक्था कार्य हैं।
मेरा अहम विषय
केरल की कला एवं संस्कृति
संपादित करेंकेरल की संस्कृति वास्तव में 'भारतीय संस्कृति' का अभिन्न हिस्सा है। भारतीय उपमादीृप की तरह केरल की संस्कृति भी एक पुरातन इतिहास है जो अपने आप में महत्वपूर्ण होने का दावा करता है। केरल की संस्कृति जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मनुष्य की आत्मा की सर्वोच्च उपलब्धियों को गले लगती है। कुल मिला कर यह धर्म और दर्शन भाषा और साहित्य, कला और शिक्षा आर्थिक और सामाजिक संगठन के क्षेत्र में लोगों की उपलब्धियों को प्रतिनिधित्व करती है।
त्यौहार
संपादित करेंकेरल में अनेक रंगारग त्यौहार मनाए जाते है। इनमें से अधिकतर त्यौहार धार्मिक है जो हिन्दू पुराणों में प्रेरित है।
ओणम- केरल का विशिष्ट त्यौहार है जो फसल कटाई के मोसम में मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि- त्यौहार का परिवार नदी के तट पर मनाया जाता है।
सबरीमाला के अय्यप्पा मंदिर- में मकर्विलकु भी आयोजित होता है।
वलमकली- या नौका दौड़ केरल का अपने ढ़ग अनोखा आयोजन है।
त्रिसूर- के वड़क्कुमनाथ मंदिर में हर वर्ष अप्रैल में पूरम मनाया जाता है, जिसमे सजे धजे हाथियो की भव्य शोभायात्रा निकलती है।
कला
संपादित करेंकेरल की कला और सांस्कृतिक परम्पराऍ कई शताब्दी पुरानी है। केरल की सांस्कृतिक जीवन में लोक कलाओ, अनुष्ठान कलाओ और मंदिर कलाओ से लेकर आधुनिक कलारूपो तक की भूमिका महत्वपूर्ण हैं। मंदिर कलाएँ जैसे : कथकली, कृष्णनाटम, कावड़ियाटृम, कूड़ियाटृम आदि। इनमे मोहिनीअट्टम जेैसे नृत्य भी आता है।
अनुष्टान कलाएं:
पूरक्कलि,तेय्यम,कलियटटू, मुड़ियटटू आदि।
पर्यटन
संपादित करेंकेरल प्रांत पर्यटको के बेहद लोकप्रिय है। इसे ईश्वर का अपना घर नाम से पुकारा जाता है।
प्रमुख दर्शानिए स्थल है : कोवलम, कोल्लम,मुन्नार, परियार, कोटृयम आदि।
भाषा
संपादित करेंकेरल की भाषा मलयालम है जो द्रविड परिवार की भाषाओ में एक है। तमिल संस्कृत दोनों भाषाओ के साथ मलयालम का गहरा सबंध है।
भोजन
संपादित करेंकेरलियो का प्रमुख भोजन चावल है। मलयाली साग सब्जियाँ मछली, मास अड़े आदि से मिलाकर चावल खाना पसन्द करते है। यहाँ ऐसे पकवान प्रिय है जो भाप में पकाये जाते है या फिर तेल में तले जाते है।
प्रसिद व्यजन: पुटू, अप्पम, डोसा संबर, चटनी के साथ, केरल झीगाकरी, मटन करी, मीन, उबला हुआ कप्पा आदि।
लगभग सभी व्यजनो में खुरचे हुए नारियल के तेल का उपयोग किया जाता है।
निष्कर्ष
संपादित करेंभारत अनेक धर्मो, सम्प्रदायों, मतों और पृथक आस्थाओं एवं विश्रासों का महादेश है, तथापि इसका सासंस्कृतिक समुच्चय और अनेकता में एकता का स्वरूप संसार के अन्य देशों के लिए विस्मय का विषय रहा है।