सीवान

बिहार में शहर, भारत
(सिवान जिला से अनुप्रेषित)

सीवान(𑂮𑂲𑂫𑂰𑂢) या सिवान(𑂮𑂱𑂫𑂰𑂢) भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त में सारण प्रमंडल के अंतर्गत एक शहर है। यह सीवान ज़िले का मुख्यालय है, जो बिहार के पश्चिमोत्तरी छोर पर उत्तर प्रदेश का सीमावर्ती ज़िला है। सिवान दाहा नदी के किनारे बसा है। इसके उत्तर तथा पूर्व में क्रमश: बिहार का गोपालगंज तथा सारण जिला तथा दक्षिण एवं पश्चिम में क्रमश: उत्तर प्रदेश का देवरिया और बलिया जिला है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा॰ राजेन्द्र प्रसाद तथा कई अग्रणी स्वतंत्रता सेनानियों की जन्मभूमि एवं कर्मस्थली के लिए सिवान को जाना जाता है।

सीवान/𑂮𑂱𑂫𑂰𑂢
—  शहर  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य बिहार
पुलिस अधीक्षक Sri Shailesh Kumar Sinha, IPS
जिलाधिकारी Mr. Mukul Kumar Gupta, IAS
जनसंख्या
घनत्व
2,714,349 (2001 के अनुसार )
• 1,223/किमी2 (3,168/मील2)
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)
2,219 km² (857 sq mi)
• 64 मीटर (210 फी॰)
आधिकारिक जालस्थल: [http://[4] [5]]

निर्देशांक: 26°12′N 84°24′E / 26.2°N 84.4°E / 26.2; 84.4

सिवान का क्षेत्र सारण जिले के अंतर्गत आता था।‌ छठी शताब्दी से लेकर वर्तमान समय तक लगातार समस्त सारण क्षेत्र पर बघोचिया भूमिहार राजवंश का शासन कायम है। शासन के सभी राज्यों के नामों में बघोच साम्राज्य जिसका केन्द्र उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में था, कल्याणपुर राज्य जो मुगल शासनकाल तक कायम था, हुस्सेपुर राज्य जिसके 99 वें शासक राजा फतेह बहादुर शाही ने बक्सर युद्ध के बाद अंग्रेजों को कर देने से मना कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप अंग्रेजों और राजा फतेह बहादुर शाही के बीच युद्ध हुआ और राजा फतेह बहादुर शाही की हार हो गई। इस हार के बाद हुस्सेपुर राज्य का पतन हो गया और हथुआ राज्य जिसे हुस्सेपुर राज्य के राजा फतेह बहादुर शाही के चचेरे भाई बसंत शाही ने स्थापित किया था, जिसके अंतर्गत सारण का क्षेत्र आता था। हुस्सेपुर राज्य से निर्वासित होने के बाद राजा फतेह बहादुर शाही ने सन् १७६७ ईस्वी में उत्तर प्रदेश में एक नए राज्य " तमकुही राज्य" की स्थापना किया जो अभी तक कायम है। महाराजगंज जो सिवान जिले का एक अनुमण्डल है, इसकी स्थापना हथुआ महाराज ने सन् १८३६ इस्वी में किया था। को “अली बक्स” जो इस क्षेत्र के जागीरदारों के पूर्वजों में से एक , के नाम के कारण “अलीगंज सावन’ के नाम से भी जाना जाता है। सिवान के नामकरण के बारे में एक और कहानी भी है भोजपुरी भाषा में, ‘सिवान’ शब्द ‘किसी स्थान की सीमा’ को दर्शाता है। यह नेपाल की दक्षिणी सीमा का निर्माण करता है, इसलिए नाम। जो कुछ भी असली कारण है, सिवान के इतिहास के इतिहास में बहुत महत्व है, न कि सिर्फ आधुनिक इतिहास बल्कि प्राचीन इतिहास भी।

इसके साथ की सीवान का राजनैतिक हलचल में काफ़ी सक्रिय रहा। मसलन मोहम्मद शाहबुद्दीन, वामपंथ छात्र कॉमरेड चंद्रशेखर प्रसाद वगैरा सीवान 90s से 20s दशक में बीच राजनीति हलचल अपनी चरम सीमा पर थी।यही से सन 1925 से स्वतंत्रता संघर्ष अपने चरम पर पहुंच रहा था ,सन 1925-30 मे जब मैरवा ट्रेन की पटरियों को उखाड़ा गया, उस समय आक्रोशित लोगों का नेतृत्व मैरवाँ के उपाध्याछापर निवासी 90 वर्षीय पं॰ पूजाराम उपाध्याय कर रहे थे। जो रियासतकालीन जमीनदार थे।इस आंदोलन मे उनके साथ एक सुव्यवस्थित मंडली थी, जिसमें लोगों को सूचना पहुचाने एवं एकत्रित करने की जिम्मेदारी उनके भाई पं॰राजाराम उपाध्याय की थी।गुप्तरूप से सूचनाएं रात में लोगों के घर जा के बताई जाती थी।जिसके लिए नवयुवक रात को लोगों के दरवाजे पर घूम-घूम बताते थे।इसका संचालन विन्ध्यवासिनी सिंह, हीरानाथ उपाध्याय, बैजनाथ प्रसाद करते थे।

सिवान का नामकरण मध्यकाल में यहाँ के राजा 'शिव मान' के नाम पर हुआ है। पिछले दो हजार वर्षों से बिहार के सम्पूर्ण भोजपुरी भाषी क्षेत्र समेत यहां के क्षेत्र पर बघोचिया भूमिहार राजवंश का शासन कायम है। जिला के एक सामंत अली बक्श के नाम पर इसे अलीगंज भी पुकारा जाता था।

पाँचवी सदी ईसापूर्व में सिवान की भूमि कोसल महाजनपद का अंग था। कोसल राज्य के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में सर्पिका (साईं) नदी, पुरब में गंडक नदी तथा पश्चिम में पांचाल प्रदेश था। इसके अंतर्गत आज के उत्तर प्रदेश का फैजाबाद, गोंडा, बस्ती, गोरखपुर तथा देवरिया जिला के अतिरिक्त बिहार का सारन क्षेत्र (सारन, सिवान एवं गोपालगंज) आता है। आठवीं सदी में यहाँ बनारस के शासकों का आधिपत्य था। १५ वीं सदी में सिकन्दर लोदी ने यहाँ अपना आधिपत्य स्थापित किया। बाबर ने अपने बिहार अभियान के समय सिसवन के नजदीक घाघरा नदी पार की थी। बाद में यह मुगल शासन का हिस्सा हो गया। अकबर के शासनकाल पर लिखे गए आईना-ए-अकबरी के विवरण अनुसार कर संग्रह के लिए बनाए गए ६ सरकारों में सारन वित्तीय क्षेत्र एक था और इसके अंतर्गत वर्तमान बिहार के हिस्से आते थे। १७वीं सदी में व्यापार के उद्देश्य से यहाँ डच आए लेकिन बक्सर युद्ध में विजय के बाद सन १७६५ में अंग्रेजों को यहाँ का दिवानी अधिकार मिल गया। १८२९ में जब पटना को प्रमंडल बनाया गया तब सारन और चंपारण को एक जिला बनाकर साथ रखा गया। १९०८ में तिरहुत प्रमंडल बनने पर सारन को इसके साथ कर इसके अंतर्गत गोपालगंज, सिवान तथा सारण ज़िला ज़िलाअनुमंडल बनाए गए। १८५७ की क्रांति से लेकर आजादी मिलने तक सिवान के निर्भीक और जुझारु लोगों ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ी। १९२० में असहयोग आन्दोलन के समय सिवान के ब्रज किशोर प्रसाद ने पर्दा प्रथा के विरोध में आन्दोलन चलाया था। १९३७ से १९३८ के बीच हिन्दी के मूर्धन्य विद्वान राहुल सांकृत्यायन ने किसान आन्दोलन की नींव सिवान में रखी थी। स्वतंत्रता की लड़ाई में यहाँ के मजहरुल हक़, राजेन्द्र प्रसाद, महेन्द्र प्रसाद,रामदास पाण्डेय फूलेना प्रसाद जैसे महान सेनानियों नें समूचे देश में बिहार का नाम ऊँचा किया है। स्वतंत्रता पश्चात १९८१ में सारन को प्रमंडल का दर्जा मिला। जून १९७० में बिहार में त्रिवेदी एवार्ड लागू होने पर सिवान के क्षेत्रों में परिवर्तन किए गए। सन 1885 में घाघरा नदी के बहाव स्थिति के अनुसार लगभग 13000 एकड़ भूमि उत्तर प्रदेश को स्थानान्तरित कर दिया गया जबकि 6600 एकड़ जमीन सिवान को मिला। १९७२ में सिवान को जिला (मंडल) बना दिया गया।सावधान जिले का एक मुख्य प्रखंड गोरयाकोठी है जो केंद्रीय असेम्बली को हिन्दी में संबोधित करने वाले कर्म योगी नारायण बाबु का गृह नगर है ।इस प्रखंड में आने वाले प्रमुख गांव खुलासा,जामो मझवलिया और गोरयाकोठी हैं ।

सिवान ज़िले के कुछ सबसे प्रसिद्ध गाँवों में से अमलोरी गाँव है। कंधवारा गांव है जो रामाजी चौधरी के नाम से भी जाना जाता है रामा जी चौधरी वह आदमी है 90 के दशक के पहले सिवान में इस आदमी की तूती बोलती थी रामा जी चौधरी तिन साथी हुआ करते थे रामा हेमंत पाल हेमंत और पाल का मर्डर हो गया तो चौधरी ने भी अपराधिक दुनिया से दूरी बना ली कंधवारा का प्राचीन नाम तूफानगंज भी था यह गांव पंडितो की सबसे ज्यादा आबादी वाला गांव है। बाबा अंबिका पांडे मठिया के सुप्रसिद्ध व्यक्ति हुए है, जो अपने कृत्यों के लिए विख्यात रहे है । मैरवा के उपाध्यायछापर के पूजाराम उपाध्याय व राजाराम उपाध्याय के नेतृत्व मे सन 1925 मे मैरवा मे रेल की पटरियों को उखाड़ दिया गया।

सिवान जिला उत्तरी गंगा के मैदान में स्थित एक समतल भू-भाग है। जिले का विस्तार 25053' से 260 23' उत्तरी अक्षांस तथा 840 1' से 840 47' पूर्वी देशांतर के बीच है। नदियों के द्वारा जमा की गयी मिट्टियों की गहराई ५००० फीट तक है। मैदानी भाग का ढाल उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर है। निचले मैदान में जलजमाव का कई क्षेत्र है जो चौर कहलाता है। यहाँ से कई छोटी नदी या 'सोता' भी निकलते हैं। मुख्य नदी घाघरा है जिसके किनारे दरारा निर्मित हुआ है। इस खास भौगोलिक बनावट में बालू की मोटी परत पर मृत्रिका और सिल्ट की पतली परत पायी जाती है। सिवान की मिट्टी खादर (नयी जलोढ) एवं बांगर (पुरानी जलोढ) के बीच की है। खादर मिट्टी को यहाँ दोमट तथा बांगर को बलसुंदरी कहा जाता है। बलसुंदरी मिट्टी में कंकर की मात्रा पायी जाती है। कई जगहों पर गंधकयुक्त मिट्टी मिलती है जहाँ से कभी साल्टपीटर निकाला जाता था। अंग्रेजी शासन में यह एक उद्योग हुआ करता था लेकिन अब यह गायब हो चुका है।[1]

  • नदियाँ: गंडकी एवं घाघरा यहाँ की प्रमुख नदी है। घाघरा नदी जिले की दक्षिणी सीमा पर बहने वाली सदावाही नदी है। इसके अलावे झरही, दाहा, धमती, सिआही, निकारी और सोना जैसी छोटी नदियाँ भी है। झरही औ‍र दाहा घाघरा की सहायक है जबकि गंडकी और धमती गंडक में जा मिलती है।

MP Board 12th Blueprint 2023 Archived 2022-12-09 at the वेबैक मशीन Bihar Board 12th Model Paper 2023 Archived 2022-12-09 at the वेबैक मशीन MP Board 10th Blueprint 2023 Archived 2022-12-09 at the वेबैक मशीन

जलवायु

सिवान में उत्तर प्रदेश औ‍र पश्चिम बंगाल के बीच की जलवायु पायी जाती है। मार्च से मई के बीच यहाँ चलने वाली पछुआ पवनों के चलते मौसम शुष्क होता है लेकिन कई बार शाम में चलनेवाली पुरवाई हवा आर्द्रता ले आती है जिससे उत्तर प्रदेश से चलने वाली धूलभरी आँधी को विराम लग जाता है। गर्मियों में तापमान ४० डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है और लू का चलना इन दिनों आम है। जाड़ों का मौसम सुहावना होता है किंतु कई बार शीत लहर का प्रकोप कष्टदायी हो जाता है। जुलाई-अगस्त में होनेवाली मॉनसूनी वर्षा के अलावा पश्चिमी अवदाब से जाड़े में भी बारिस का होना सामान्य बात है। औसत वार्षिक वर्षा १२० सेंटीमीटर होती है।

प्रशासनिक विभाजनः
  • अनुमंडल- सिवान एवं महाराजगंज
  • प्रखंड- मैरवा, पचरुखी, रघुनाथपुर, आन्दर, गुथनी, महारजगंज, दरौली, सिसवन, दरौंदा, हुसैनगंज, भगवानपुर, हाट, गोरियाकोठी, बरहरिया, हबीबपुर, बसंतपुर, लकरी, नबीगंज, जिरादेई, नौतन, हसनपुर, जमालपुर

इन इलाकों में लंबे समय से भूमिहार, अहीर व राजपूत जाती का दब दबा रहा है। । युद्ध में हिंदू पक्ष की ही जीत हुई थी पर विश्वनाथ राय इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए थे । हिंदुओ में आपसी फूट का फायदा हमेसा से आक्रमणकारी उठाते रहे है । अगर अन्य हिंदु राजाओं ने विश्वनाथ राय की मदद की होती तो इतिहास आज कुछ और होता ।

कृषि एवं उद्योग

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यहाँ की फसलों में धान, गेहूँ, ईख (गन्ना), मक्का, अरहर आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा इस जिले में कुछ जगहों पर फूलों और सब्जियों की भी खेती रोजगारपरक कृषि के तौर पर की जाती है। कृषि आधारित इस जिले में कुटीर उद्योगों के अलावा गन्ना मिल्स, प्लास्टिक फैक्ट्री, सूत फैक्ट्रियाँ आदि काफी संख्या में थी, जिनमें से अब अधिकांश बंद है। गन्ना मिल बंद है।इस जिले में प्रमुख रूप से तम्बाकू और परवल की खेती व्यवसायिक खेती के रूप में होती है ।इसमें खुलासा गांव मत्स्य पालन के लिये क्षेत्र में विख्यात है ।

जनजीवन एवं संस्कृति

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सिवान जिले का अधिकांश जनजीवन कृषि केंद्रित/आधारित है। इसके अलावा यह पूरे पूर्वांचल में अरब देशों की रोजगार के लिए पलायन करने वाले मजदूरों की संख्या में भी संभवतः अव्वल स्थान पर है। अरब देशों से परिजनों द्वारा भेजे गए पैसों से यहाँ के जन-जीवन अपने आर्थिक स्थितियों में जीता है। सिवान में 20वी सदी के मध्य तक भोजपुरी भाषा की लिपी "कैथी(𑂍𑂶𑂟𑂲)" आधिकारिक कार्यो में भी प्रचलन में थी। परन्तु सरकार द्वारा हिंदी के प्रचार प्रसार व तुष्टिकरण के चलते यह लिपि मृत हो गई।

महत्वपूर्ण व्यक्ति
  • डा॰ राजेन्द्र प्रसाद- महात्मा गाँधी के सहयोगी, स्वतंत्रता सेनानी एवं भारत के प्रथम राष्ट्रपति
  • मौलाना मजहरूल हक़- महात्मा गाँधी के सहयोगी, स्वतंत्रता सेनानी एवं हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक, सदाकत आश्रम तथा बिहार विद्यापीठ के संस्थापक
  • खुदा बक्श खान- पांडुलिपि संग्रहकर्ता एवं खुदा बक्श लाईब्रेरी के संस्थापक
  • फुलेना प्रसाद- स्वतंत्रता सेनानी
  • ब्रज किशोर प्रसाद- स्वतंत्रता सेनानी एवं पर्दा-प्रथा विरोध आन्दोलन के जन्मदाता
  • उमाकान्त सिंह- ९ अगस्त १९४२ को बिहार सचिवालय के सामने शहीद हुए क्रांतिकारियों में एक
  • दारोगा प्रसाद राय- बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री
  • प्रभावती देवी: 1971-1972 में छात्र आंदोलन के अगुवा रह चुके डा॰ जय प्रकाश नारायण की पत्नी
  • रामदास पांडेय - भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक सेनानी एवम जमींदार थे । राजेन्द्र प्रसाद के मित्र थे । इन्होंने अंग्रेज अफसर (दरोगा) को अपने गांव बेलवार में सरेआम थप्पड़ जड़ दिया। जिसके वजह से कुछ समय के लिए यह गांव अंग्रेजी व्यवस्था से मुक्त हो गयी थी । इन्होंने आजादी के बाद कोई भी लाभ का पद नहीं लिया । इनका नाम रघुनाथपुर प्रखंड के सामने पत्थर पे उल्लेखित है ।
  • पैगाम अफाकी- मशहूर उर्दू साहित्यकार, मकान, माफिया, दरिंदा जैसी किताबों के रचयिता
  • नटवर लाल- सिवान के दरौली प्रखंड में बरई बंगरा गाँव में जन्मे मशहूर ठग

शैक्षणिक संस्थान

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  • " प्राथमिक विद्यालय":- प्राथमिक विद्यालय जमालपुर
  • "राजकीय उत्क्रमित
  • प्राथमिक विद्यालय,महम्मदपुर,आन्दर
  • "उच्च विद्यालय निखती कलां
  • "उच्च विद्यालय राजपुर
  • माध्यमिक विद्यालय- माध्यमिक विद्यालय जमालपुर
  • उच्च विद्यालय- उच्च विद्यालय अान्दर सिवान
  • डिग्री महाविद्यालय:- डी ए वी कॉलेज, जेड ए इस्लामिया कॉलेज, दारोगा प्रसाद राय कॉलेज, राजेन्द्र कॉलेज, वी एम इंटर कॉलेज, प्रभावती देवी बालिका महाविद्यालय
  • व्यवसायिक शिक्षा:- इंजिनियरिंग कॉलेज, आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेजअ,आई टी आई कालेज

पर्यटन स्थल

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  • दोन स्तूप (दरौली): दरौली प्रखंड के दोन गाँव में यह एक महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल है। दरौली नाम मुगल शासक शाहजहाँ के बेटे दारा शिकोह के नाम पर पड़ा है। ऐसी मान्यता है कि दोन में भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार हुआ था। हिंदू लोग यह मानते हैं कि यहाँ किले का अवशेष महाभारत काल का है, जिसे गुरु द्रोणाचार्य ने बनवाया था। उपलब्ध साक्ष्यों को देखने से इस मान्यता को बल नहीं मिलता। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वर्णन में इस स्थान पर एक पुराना स्तूप होने का जिक्र किया है। स्तूप के अवशेष स्थल पर तारा मंदिर बना है, जिसमें नवीं सदी में बनी एक मूर्ति स्थापित है।
  • अमरपुर: दरौली से ३ किलोमीटर पश्चिम में घाघरा नदी के तट पर स्थित इस गाँव में मुगल शाहजहाँ के शासनकाल (1626-1658) में यहाँ के नायब अमरसिंह द्वारा एक मस्जिद का निर्माण शुरू कराया गया, जो अधूरा रहा। लाल पत्थरों से बनी अधूरी मस्जिद को यहाँ देखा जा सकता है।
  • मैरवा धाम: मैरवा प्रखंड में हरि बाबा का स्थान के नाम से प्रचलित झरही नदी के किनारे इस स्थान पर कार्तिक और चैत्र महीने में मेला लगता है। यह ब्रह्म स्थान एक संत की समाधि पर स्थित है। इस स्थान पर डाक बंग्ला के सामने बने चननिया डीह (ऊँची भूमि) पर एक अहिरनी औरत के आश्रम को पूजा जाता है।
  • महेन्द्रनाथ मंदिर ,मेंहदार: सिसवन प्रखंड में स्थित मेंहदार गाँव के बावन बीघे में बने पोखर के किनारे शिव एवं विश्वकर्मा भगवान का मंदिर बना है। स्थानीय लोगों में इस पोखर को पवित्र माना जाता है। यहाँ शिवरात्रि एवं विश्वकर्मा पूजा (१७ सितंबर) को भारी भीड़ जुटती है।
  • लकड़ी दरगाह: पटना के मुस्लिम संत शाह अर्जन के दरगाह पर रब्बी-उस-सानी के ११ वें दिन होनेवाले उर्स पर भाड़ी मेला लगता है। इस दरगाह पर लकड़ी का बहुत अच्छी कासीदगरी की गयी है। कहा जाता है कि इस स्थान की शांति के चलते शाह अर्जन बस गए थे और उन्होंने ४० दिनों तक यहाँ चिल्ला किया था।
  • हसनपुरा: हुसैनीगंज प्रखंड के इस गाँव में अरब से आए चिश्ती सिलसिले के एक मुस्लिम संत मख्दूम सैय्यद हसन चिश्ती आकर बस गए थे। यहाँ उन्होंने खानकाह भी स्थापित किया था।
  • भिखाबांध: महाराजगंज प्रखंड में इस जगह पर एक विशाल पेड़ के नीचे भैया-बहिनी का मंदिर बना है। कहा जाता है कि १४ वीं सदी में मुगल सेना से लड़ाई में दोनों भाई बहन मारे गए थे।
  • जिरादेई: सिवान शहर से 13 किमी पश्चिम में देशरत्न डा राजेन्द्र प्रसाद का जन्म स्थान
  • फरीदपुर: बिहार रत्न मौलाना मजहरूल हक़ का जन्म स्थान
  • सोहगरा: शिव भगवान का मंदिर है। जहा जाने के लिए गुठनी चौराहा से तेनुआ मोड़ और गाँव नैनिजोर होते हुए सोहगरा मंदिर जाया जाता है। यहाँ शिवरात्रि और सावन में भारी भीड़ जुटती है।
  • हड़सरः यह दुरौधा रेलवे स्टेशन से दो किलोमीटर अन्दर है। यहां काली मां का मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि जो देवी थावे मंदिर में है वह अपने भक्त रहसू भगत की पुकार पर कलकत्ते से चली और कलकत्ता से थावे जाते समय इनका यही अंतिम पडाव था। अब यहां कोई मंदिर नहीं है, पर आस्था गहरी है।
  • पतार:- राम जी बाबा का मन्दिर है जहाँ पर किसी भी आदमी को सर्प काटता है, तो यहाँ पर आने से सही हो जाता है। ऐसी मान्यता भी है और सच्चाई भी। इसी गाँव में श्री विश्वनाथ पाण्डेय जी के सुपुत्र प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य मुरारी पाण्डेय जी की जान्मस्थली है।
  • नरहन:- यह सिवान जिला मुख्यालय से ३० किमी० दक्षिण में अवस्थित है। यह हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। कार्तिक पूर्णिमा एवं मकर सक्रान्ति के दिन यहाँ मेले का आयोजन होता है, जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और सरयु नदी के पवित्र जल में स्नान करते हैं। यहाँ आश्विन पूर्णिमा के दिन दुर्गा पूजा के बाद एक भव्य जुलूस का आयोजन होता है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। कुछ प्रसिद्ध स्थलों में श्री नाथ जी का महाराज मंदिर, माँ भगवती मंदिर, राम जानकी मंदिर, मां काली मंदिर एवं ठाकुर जी मंदिर है, जो इस गाँव को चारो ओर से घेरे हुए हैं।
  • ""डोभियाँ "":- " यह सीवान जीला के मैरवा दरौली के मुख्य सड़क पर स्थित है।बाबा धर्मागत बरमभ जी का भव्य मंदिर है।यहाँ बहुत दूर-दूर से भक्त आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। सोमवार अौर शुक्रवार को भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। मान्यता है कि बाबा आज भी जीवित है जिन्हें गाँव के लोगों ने बहुत बार देखा भी है। डोभियाँ गाँव बहुत संपन्न है और यह सब बाबा की कृपा से है। मिथिलेश सिहं।
  • कंधवारा :- मुक्ति धाम मशान माई विदेशी बाबा घाट प्राचीन काल में या जगह जंगलों से घिरा था जिसे कबीर मठ कंधवारा के नाम से भी जाना जाता है

यातायात व्यवस्था

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सड़क मार्गः

सिवान जिले से वर्तमान में दो राष्ट्रीय राजमार्ग तथा दो राजकीय राजमार्ग गुजरती हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 85 छपरा से सिवान होते हुए गोपालगंज जाती है। छपरा से शुरू होनेवाली राष्ट्रीय राजमार्ग 101 जिले को मुहम्मदपुर को जोड़ती है। सिवान जिले में राजकीय राजमार्ग संख्या 47, 73 एवं 89 की कुल लंबाई 125 किलोमीटर है।[2] सार्वजनिक यातायात मुख्यतः निजी बसों, ऑटोरिक्शा और निजी वाहनों पर आश्रित है। गोपालगंज, छपरा तथा पटना से यहाँ आने के लिए सड़क मार्ग सबसे उपयुक्‍त है। सिवान जिले की महत्वपूर्ण सड़कों में सिवान-मैरवा-गुठनी (३१·५ किलोमीटर), सिवान-छपरा (६५ किलोमीटर), सिवान-सरफरा (३५ किलोमीटर), सिवान-रघुनाथपुर (२७ किलोमीटर), सिवान-सिसवां (३७ किलोमीटर), सिवान-महाराजगंज (१९ किलोमीटर), सिवान-बादली (१७ किलोमीटर), सिवान-मीरगंज (१६ किलोमीटर), भंटापोखर-जिरादेई (५ किलोमीटर), मैरवा- दरौली (१८ किलोमीटर), मैरवा-पुनक (८ किलोमीटर) तथा दरौली, रघुनाथपुर होते हुए गुठनी- छपरा (४५ किलोमीटर) शामिल है।[3]

रेल मार्गः

दिल्ली-हाजीपुर-गुवाहाटी रेलमार्ग पर सिवान एक महत्वपूर्ण जंक्शन है। यह पूर्व मध्य रेलवे के सोनपुर मंडल में पड़ता है। जिले में ४५ किलोमीटर लंबी रेलमार्ग मैरवां, जिरादेई, पचरूखी, दरौंधा होकर गुजरती है। दरौंधा से महाराजगंज के बीच एक लूप-लाईन भी मौजूद है, जिसका विस्तार मसरख तक प्रस्तावित है। सिवान से दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, अमृतसर, कोलकाता और गुवाहाटी जैसे महत्वपूर्ण शहरों के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।

वायुमार्गः

नजदीकी हवाई अड्डा राज्य की राजधानी पटना में है। जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र से दिल्‍ली, कोलकाता, राँची आदि शहरों के लिए इंडियन, स्पाइस जेट, किंगफिशर, जेटलाइट, इंडिगो आदि विमानसेवाएँ उपलब्ध हैं। सिवान से छपरा पहुँचकर राष्ट्रीय राजमार्ग 19 द्वारा १४० किलोमीटर दूर पटना हवाई अड्डा जाया जाता है।

  1. [1] Archived 2009-06-06 at the वेबैक मशीन सिवान का भूगोल
  2. [2] Archived 2009-09-13 at the वेबैक मशीन बिहार में राजकीय राजमार्ग का विवरण
  3. [3] Archived 2009-08-10 at the वेबैक मशीन सिवान में यातायात की सुविधा

बाहरी कड़ियाँ

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