महेन्द्रनाथ मंदिर , सिवान , बिहार
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बिहार राज्य के सीवान जिला से लगभग 35 किमी दूर सिसवन प्रखण्ड के अतिप्रसिद्ध मेंहदार गांव में स्थित भगवान शिव के प्राचीन [1] महेंद्रनाथ मन्दिर का निर्माण नेपाल नरेश महेंद्रवीर विक्रम सहदेव सत्रहवीं शताब्दी में करवाया था और इसका नाम महेंद्रनाथ रखा था। ऐसी मान्यता है कि मेंहदार के शिवलिंग पर जलाभिषेक करने पर नि:संतानों को संतान व चर्म रोगियों को चर्म रोग रोग से निजात मिल जाती है ।
महेन्द्रनाथ मंदिर , सिवान , बिहार | |
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नाम: | महेंद्र नाथ मंदिर (मेहदार धाम) |
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स्थान: | मेहदार, सिवान (बिहार) |
देवता: | भगवान् शिव |
स्थापना व कथा
संपादित करेंऐसी मान्यता है कि ऐतिहासिक व पौराणिक महत्त्व के धनी बाबा [2] महेन्द्रनाथ मंदिर के इस प्राचीन शिवालय स्थित शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से सारी मनोकमानएं पूरी होती है। नि:संतानों को संतान तथा [3] चर्मरोगियों को भी उसकी बीमारी से निजात मिल जाती है । कहा जाता है कि लगभग ५०० वर्ष पूर्व नेपाल नरेश महेंद्रवीर विक्रम सहदेव को कुष्ठरोग हो गया था । वह अपने कुष्ठरोग का इलाज़ कराने वाराणसी जा रहे थे और अपनी वाराणसी यात्रा के दौरान घने जंगल में विश्राम करने हेतु एक पीपल के वृक्ष के निचे रूके। विश्राम करने से पहले हाथ मुंह धोने के लिए पानी की तलाश रहे थे। काफी तलाशने के बाद उन्हें एक छोटे गड्ढे में पानी मिला। राजा विवश हो उसी से हाथ मुंह धोने लगे। जैसे ही गड्ढे का पानी कुष्ठरोग से ग्रस्त हाथ पर पड़ा, हाथ का घाव व कुष्ठरोग गायब हो गया । उसके बाद राजा ने उसी पानी से स्नान कर लिया और उनका कुष्ठरोग समाप्त हो गया। विश्राम करते हुए राजा वही सो गए और उन्हें स्वप्न में भगवान शिव आये और वहाँ ( पीपल के वृक्ष के नीचे ) होने के संकेत दिए। फिर राजा शिवलिंग को ढूंढने के लिए लिए उस स्थान पर मिट्टी खुदवाया और उन्हें उस स्थान पर शिवलिंग मिला ।
पीपल के वृक्ष के निचे से शिवलिंग को निकालकर राजा ने शिवलिंग को अपने राज्य में ले जाने की योजना बनाई तो उसी रात भगवान शिव जी ने राजा को पुन: स्वप्न में आकर कहा कि तुम शिवलिंग की स्थापना इसी स्थान पर करो और मन्दिर का निर्माण करवाओ। बाद में स्वप्न में आए शिव जी के मार्गदर्शन अनुसार राजा ने वहीं 552 बीघा में पोखरा खोदवाया और शिव मन्दिर का निर्माण करवाया जो आगे चलकर [4] मेंहदार शिवमंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। बड़े पोखरा (सरोवर) की खुदाई में राजा ने एक भी कुदाल का प्रयोग नहीं करवाया और उसकी खुदाई हल और बैल से करवाया। यह मन्दिर बिहार का लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। मेंहदार में [5] महेंद्रनाथ बाबा के दर्शन पूजन के लिए गोपालगंज, छपरा, मोतिहारी, बेतिया, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, वैशाली, गया, आरा, कोलकाता, झारखण्ड व उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त नेपाल से भी लोग आते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर , पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और मुख्यमंत्री नितीश कुमार भी मनोकामना पूर्ति के लिए यहां मत्था टेक चुके हैं और रुद्राभिषेक कर चुके हैं। यहां से लोगों की अपार आस्था जुड़ी हुई है। महाशिवरात्रि व श्रावण मास में यहां वैद्यनाथ धाम जैसा दृश्य रहता है ।
मन्दिर के मुख्य आकर्षण
संपादित करेंमन्दिर में छोटे-बड़े आकार की सैकड़ो की संख्या में घंटियां बहुत नीचे से ऊपर तक टंगी है । हर-हर महादेव के उद्घोष और घंट- शंख की ध्वनि से मन्दिर परिसर से लेकर सड़कों पर भगवान शिव की महिमा गूंजती रहती है। दशहरा के पर्व में 10 दिनों तक अखंड भजन , संकीर्तन का पाठ होता है। इसके अलावा सावन में [6] महाशिवरात्रि पर [7] लाखों भक्त जलाभिषेक करते हैं। सालों भर पर्यटक का आना जाना लगा रहता है। भगवान गणेश की एक प्रतिमा भी परिसर में रखा गया है। उत्तर में मां पार्वती की एक छोटा सा मन्दिर भी है। हनुमान जी की एक अलग मन्दिर है, जबकि गर्भगृह के दक्षिण में भगवान राम, सीता का मंदिर है। काल भैरव, बटूक भैरव और महादेव की मूर्तियां मंदिर परिसर के दक्षिण में है। मंदिर परिसर से 300 मीटर की दूरी पर भगवान विश्वकर्मा का एक मंदिर है। मंदिर के उत्तर में एक तालाब है जिसे कमलदाह सरोवर के रूप में जाना जाता है जो 551 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है। इस सरोवर से भक्तगण भगवान शिव को जलाभिषेक करने के लिए जल ले जाते हैं और सरोवर की परिक्रमा भी करते है । इस सरोवर में नवंबर में कमल खिलते है और बहुत सारे प्रवासी पक्षी यहां आते हैं जो मार्च तक रहते है। महाशिवरात्रि पर यहां लाखों भक्त आते हैं। उत्सव पूरे दिन चलता रहता है और भगवान शिव व मां पार्वती की एक विशेष विवाह समारोह आयोजित होता है। इस दौरान शिव बारात मुख्य आकर्षण होता है।
मंदिर में विशेष
संपादित करेंऐतिहासिक [8] बाबा महेन्द्रनाथ के मंदिर में पूरे श्रावण मास, शारदीय नवरात्रि, प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को शिवभक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। सावन महीने में प्रत्येक सोमवारी को शिवभक्तों की आस्था देखते ही बनती है। भोलेनाथ के श्रृंगार को देखने के लिए मंदिर में श्रद्धालु और पर्यटक खास तौर पर आते हैं। यहां शिवलिंग का शहद ,चन्दन,बेलपत्र और फूल से विशेष श्रृंगार किया जाता है। पहले शहद से शिवलिंग का मालिश करने के बाद चंदन का लेप लगाया जाता है। उसी लेप का शिवलिंग पर हाथों से डिजाइन बनाया जाता है। राम और ऊं लिखा बेलपत्र, धतूरा और फूलों से भगवान शिव का शृंगार होता है
मंदिर परिसर के उत्तर में दिशा में कमलदाह सरोवर , परिसर में और आस पास अनेको मंदिर, हवन , भजन कीर्तन, चारो तरफ हरा भरा और शांत वातावरण , परिसर के आस पास उछल कूद करते बंदरो का झुण्ड,सरोवर किनारे देशी व प्रवासी पक्षियों का झुण्ड धार्मिक और मनोहर दृश्य एक अलग अनुभव देते है। परिसर में अनेको छोटे और बड़े घंटियों से भरा हुआ हुआ अलग भवन जिसमे लोग अपने मनोकामना पूरी होने पे घंटिया बांधते है विशेष आकर्षण है। बाबा महेन्द्रनाथ के भक्तगण यहाँ खड़े होकर अपनी तस्वीर लेते है। शादी विवाह के मुहूर्त वाले दिनो में अनेको वर- वधू पक्ष के परिजन आकर एक दूसरे से मिलते है तथा अनेको जोड़े बाबा महेन्द्रनाथ मंदिर में अपने परिजनों की उपस्थति में परिणय सूत्र में बंधते है । हज़ारो की संख्या में नवविवाहित जोड़ा और उनके परिजन बाबा महेन्द्रनाथ का आशीर्वाद लेने आते है। बच्चो के मुंडन समेत भजन- कीर्तन के लिए भी लोग समूह में दूर दूर से आते है । पूजा - अर्चना करने के बाद मंदिर परिसर के आस पास अनेको दुकानें है जहा बच्चो के खिलौने महिलाओ के लिए शृंगार की वस्तुए समेत गृह सज्जा ,पूजा -पाठ से सम्बंधित हर तरह की सामग्री खरीदने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। अनेको मिठाई और जलपान की दुकानें है जहा श्रद्धालु जलाभिषेक करने के बाद उचित दर पर उपलब्ध जलपान कर सकते है जिनमे मुख्य रूप से यहाँ की जलेबी मिठाई बहुत मशहूर है ।
सुविधाएं
संपादित करेंवैसे श्रद्धालु जो दूर के क्षेत्रो , जिलों या राज्यों से जलाभिषेक , विवाह , मुंडन या किसी भी तरह के धार्मिक कार्य के लिए आते है उनके लिए नि:शुल्क या बहुत ही मामूली दर पर धर्मशाला, विवाह भवन व अतिथिशाला उपलब्ध है ।
कैसे पहुंचे
संपादित करेंरेल और सड़क मार्ग द्वारा आसानी से मेहदार धाम पहुंचा जा सकता है। सिवान या छपरा से नजदीकी रेलवे स्टेशन महेंद्रनाथ हाल्ट है। यहां से शेयरिंग आटो या रिज़र्व ऑटो से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है । बस या निजी वाहन से भी सड़क मार्ग द्वारा पंहुचा जा सकता है । रेल मार्ग से आने वाले श्रद्धालु जिनकी ट्रेन का ठहराव महेंद्र नाथ हाल्ट स्टेशन पर नहीं हो वो विकल्प के तौर अपनी सुविधानुसार एकमा ,चैनवा या दरौंधा रेलवे स्टेश चुन सकते है। हवाई मार्ग से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए नजदीकी एयरपोर्ट जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट पटना (110 किलोमीटर लगभग) और महायोगी गोरखनाथ एयरपोर्ट, गोरखपुर (160 किलोमीटर लगभग) है ।
नजदीकी दर्शनीय स्थल
संपादित करेंगोपालगंज , बिहार - थावे भवानी मन्दिर - 60 किलोमीटर लगभग
पटना , बिहार - 110 किलोमीटर लगभग
वैशाली , बिहार - 112 किलोमीटर लगभग
राजगीर , बिहार - 190 किलोमीटर लगभग
बोधगया , बिहार - 195 किलोमीटर लगभग
नालंदा , बिहार - 198 किलोमीटर लगभग
कुशीनगर , उत्तर प्रदेश - 135 किलोमीटर लगभग
गोरखपुर , उत्तर प्रदेश - 160 किलोमीटर लगभग
अयोध्या , उत्तर प्रदेश - 205 किलोमीटर लगभग
वाराणसी , उत्तर प्रदेश - 250 किलोमीटर लगभग
इलाहाबाद ,उत्तर प्रदेश - 350 किलोमीटर लगभग
सन्दर्भ व बाहरी कड़िया
संपादित करेंhttps://web.archive.org/web/20180320171039/https://www.jagran.com/bihar/siwan-9435857.html
http://www.touristlocation.com/mahendra-nath-temple/[मृत कड़ियाँ]
https://www.youtube.com/watch?v=_jCFDNWoac4
https://web.archive.org/web/20180320170146/http://www.deshvani.in/news/bihar/2968.html
https://web.archive.org/web/20180323155240/http://www.shrinaradmedia.com/?p=9295