हरिहर क्षेत्र
बिहार की राजधानी पटना से पाँच किलोमीटर उत्तर सारण में गंगा और गंडक के संगम पर स्थित 'सोनपुर' नामक कस्बे को ही प्राचीन काल में हरिहरक्षेत्र कहते थे। देश के चार धर्म महाक्षेत्रों में से एक हरिहरक्षेत्र है।[1][2] ऋषियों और मुनियों ने इसे प्रयाग और गया से भी श्रेष्ठ तीर्थ माना है। ऐसा कहा जाता है कि इस संगम की धारा में स्नान करने से हजारों वर्ष के पाप कट जाते हैं। कर्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहाँ एक विशाल मेला लगता है जो मवेशियों के लिए एशिया का सबसे बड़ा मेला समझा जाता है।[3] यहाँ हाथी, घोड़े, गाय, बैल एवं चिड़ियों आदि के अतिरिक्त सभी प्रकार के आधुनिक सामान, कंबल दरियाँ, नाना प्रकार के खिलौने और लकड़ी के सामान बिकने को आते हैं। सोनपुर मेला लगभग एक मास तक चलता है।[4] इस मेले के संबंध में अनेक किंवदंतियाँ प्रचलित हैं।[5]
हरिहरनाथ मंदिर
संपादित करेंहिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इंद्रद्युम्न नामक एक राजा ,अगस्त्य मुनि के शाप से हाथी बन गए थे और हुहु नामक गंधर्व देवल मुनि के शाप से मगरमच्छ। कालांतरण में गज(हाथी) और मगरमच्छ के बीच सोनपुर में गंगा और गंडक के संगम पर युद्ध हुआ था।[6] इसी के पास कोनहराघाट में पौराणिक कथा के अनुसार गज और ग्राह(मगरमच्छ) का वर्षों चलने वाला युद्ध हुआ था। बाद में भगवान विष्णु की सहायता से गज की विजय हुई थी।[7][8] एक अन्य किंवदंती के अनुसार जय और विजय दो भाई थे। जय शिव के तथा विजय विष्णु के भक्त थे। इन दोनों में झगड़ा हो गया था। तथा दोनों गज और ग्राह बन गए। बाद में दोनों में मित्रता हो गई वहाँ शिव और विष्णु दोनों के मंदिर साथ साथ बने जिससे इसका नाम हरिहरक्षेत्र पड़ा। कुछ लोगों के अनुसार प्राचीन काल में यहाँ ऋषियों और साधुओं का एक विशाल सम्मेलन हुआ तथा शैव और वैष्णव के बीच गंभीर वादविवाद खड़ा हो किंतु बाद में दोनों में सुलह हो गई और शिव तथा विष्णु दोनों की मूर्तियों की एक ही मंदिर में स्थापना की गई, उसी को स्मृति में यहाँ कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मेला आयोजित किया जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार धनुष यज्ञ में अयोध्या से बक्सर होते हुए जनकपुर जाते वक्त भगवान राम ने गंगा एवं गंडक नदी के तट पर अपने अाराध्य भगवान शंकर की मंदिर की स्थापना की थी तथा इस मंदिर में पूजा अर्चना के बाद सीता स्वयंवर में शिव के धनूष को तोड़कर सीता जी का वरन किया था।[9]
बाबा हरिहरनाथ पुस्तक के लेखक उदय प्रताप सिंह के अनुसार 1757 के पहले हरिहरनाथ मंदिर इमारती लकडिय़ों और काले पत्थरों के कलात्मक शिला खंडों से बना था। इनपर हरि और हर के चित्र और स्तुतियां उकेरी गई थीं। उस दरम्यान इस मंदिर का पुनर्निर्माण मीर कासिम के नायब सूबेदार राजा रामनारायण सिंह ने कराया था। वह नयागांव, सारण (बिहार) के रहने वाले थे। इसके बाद 1860 में में टेकारी की महारानी ने मंदिर परिसर में एक धर्मशाला का निर्माण कराया। 1871 में मंदिर परिसर की शेष तीन ओसारे का निर्माण नेपाल के महाराणा जंगबहादुर ने कराया था। 1934 के भूकंप में मंदिर परिसर का भवन, ओसारा तथा परकोटा क्षतिग्रस्त हो गया। इसके बाद बिड़ला परिवार ने इसका पुनर्निर्माण कराया। अंग्रेजी लेखक हैरी एबोट ने हरिहर नाथ मंदिर का भ्रमण कर अपनी डायरी में इसके महत्त्व पर प्रकाश डाला था। 1871 में अंग्रेज लेखक मिंडेन विल्सन ने सोनपुर मेले का वर्णन अपनी डायरी में किया है।
सोनपुर मेला
संपादित करेंइस मेले का आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से बड़ा महत्त्व है। हरिहर क्षेत्र 2017 सोनपुर मेला 32 दिनों का होगा।[10] सोनपुर मेले के प्रति विदेशी पर्यटकों में भी खास आकर्षण देखा जाता है।[11][12] जर्मनी, अमेरिका, फ्रांस एवं अन्य विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए स्विस कॉटेजों का निर्माण किया जाता है।[13] सोनपुर मेले का उदघाटन इस बार 2 नवंबर को तथा समापन 3 दिसंबर को किया जाएगा।[14] मेला में नौका दौड़, दंगल, वाटर सर्फिंग, वाटर के¨नग सहित विभिन्न प्रकार के खेल व प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "हाजीपुर में पहले लगता था हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला". मूल से 23 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जुलाई 2017.
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद);|archivedate=
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद) - ↑ "श्रावन माह को ले आस्था एवं भक्ति का केंद्र बना हरिहरक्षेत्र". मूल से 23 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जुलाई 2017.
- ↑ "उत्तर वैदिक काल से शुरू हुआ था सोनपुर मेला". मूल से 26 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 मार्च 2017.
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद) - ↑ "बिहार में विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेले का आगाज, यहां से कभी अंग्रेजों ने खरीदे थे लाखों घोड़े". मूल से 14 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 नवंबर 2018.
- ↑ "तस्वीरेंः हरिहर क्षेत्र का सोनपुर मेला". मूल से 25 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मार्च 2017.
- ↑ "बिहार में सोनपुर मेले की धूम". मूल से 23 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अगस्त 2017.
- ↑ "यहां हुई थी 'गज' और 'ग्राह' की लड़ाई, भगवान विष्णु को करना पड़ा था हस्तक्षेप". मूल से 22 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 अप्रैल 2017.
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद);|archivedate=
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद) - ↑ "भगवान विष्णु व शिव की क्रीड़ास्थली है हरिहर क्षेत्र - See more at: http://www.jagran.com/bihar/patna-city-11748243.html#sthash.TzKYLFgN.dpuf". मूल से 25 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मार्च 2017.
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में बाहरी कड़ी (मदद) - ↑ "सोनपुर मेला- एक पौराणिक वैदिक युगीन मेला". मूल से 24 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 नवंबर 2018.
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद) - ↑ "इस बार 32 दिनों का होगा हरिहर क्षेत्र मेला". मूल से 25 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अगस्त 2017.
- ↑ "Rustic touch of Sonepur Mela attracts foreigners". मूल से 31 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2017.
- ↑ "Through foreign eyes, Sonepur fares better Visitors say state's cattle mela mirrors real India more than Pushkar fair does". मूल से 25 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2017.
- ↑ "सोनपुर मेला 4 नवंबर से, कॉटेज बुकिंग शुरू". मूल से 2 मार्च 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2017.
- ↑ "इस बार 32 दिनों का होगा हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला". मूल से 25 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अगस्त 2017.
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