ईशुदान गढ़वी
ईशुदान गढ़वी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और गुजरात से आम आदमी पार्टी ( आप ) के वरिष्ठ नेता हैं। वर्तमान में, गढ़वी आम आदमी पार्टी-गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष हैं और इसकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं।[1][2] पूर्व में एक मीडिया पेशेवर के रूप में काम करते हुए, वह एक टीवी पत्रकार और वीटीवी न्यूज के संपादक के साथ-साथ वीटीवी गुजराती में अपने लोकप्रिय समाचार शो महामंथन के एंकर के रूप में जाने जाते थे। [1] सक्रिय राजनीति में शामिल होने के बाद से, ईशुदान गुजरात में 'आम आदमी पार्टी' के लोकप्रिय नेता बनकर उभरे [2] [3] [4] और 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चुने गए हैं। [5] [6]
ईशुदान गढ़वी | |
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पदस्थ | |
कार्यालय ग्रहण 4 January 2023 | |
पदस्थ | |
कार्यालय ग्रहण 4 November 2022 | |
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कार्यालय ग्रहण June 2021 | |
जन्म | 10 जनवरी 1982 पीपलिया , गुजरात, भारत |
नागरिकता | भारतीय |
राजनीतिक दल | आम आदमी पार्टी |
शैक्षिक सम्बद्धता | गुजरात विद्यापीठ (पत्रकारिता और जनसंचार में स्नातकोत्तर) |
व्यवसाय | राजनीतिज्ञ • पत्रकार • संपादक • न्यूज़-एंकर |
धर्म | हिन्दू |
जालस्थल | ट्विटर पर ईशुदान गढ़वी |
प्रारंभिक जीवन और परिवार
संपादित करेंईशुदान का जन्म 10 जनवरी 1982 को गुजरात के देवभूमि द्वारका जिले के जामखंभालिया कस्बे के पास पिपलिया गांव में हुआ था। उनके पिता खेराजभाई गढ़वी हैं, जो पेशे से किसान हैं। [7] परिवार कामेही माताजी, नागबाई माताजी और अंबाजी सहित देवीयों और कुलदेवी की पूजा करता है। अपनी दादी के कहने पर, ईशुदान उन्हें नित्य रामायण और महाभारत के 2 अध्याय सुनाते थे। उनके पिता का उन पर सबसे अधिक प्रभाव था जिन्होंने ईशुदान की शिक्षा पर जोर दिया। ईशुदान के शुरुआती करियर के दौरान, उनके पिता भी शोध व रिपोर्ट के समय उनके साथ जाते थे। खेराजभाई गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे और 15 अप्रैल 2014 को उनका निधन हो गया।[8]
शिक्षा
संपादित करेंईशुदान गढ़वी ने जामनगर से स्नातक की डिग्री 2003 में पूरी की। तब तक, उन्होंने पत्रकारिता में अपना करियर बनाने का निर्णय कर लिया था।[9] उन्होने 2005 में गुजरात विद्यापीठ से पत्रकारिता और जनसंचार में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। [7]
करियर
संपादित करेंपत्रकारिता में अपने करियर की आरंभिक समय में, गढ़वी ने दूरदर्शन के लोकप्रिय शो 'योजना' में काम करते थे। 2007 से 2011 तक, ईशुदान ने 'ईटीवी गुजराती' से पोरबंदर में एक ऑन-फील्ड पत्रकार रहे। बाद में, उन्होंने अपने न्यूज शो में गुजरात के डांग और कपराड़ा तालुकाओं में अवैध वनों की कटाई के 150 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया, जिसके बाद गुजरात सरकार को कार्यवाही करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस घटना ने गढ़वी को एक निडर पत्रकार के रूप में प्रसिद्धि दिलाई । [10] वे वापी, पोरबंदर, जामनगर, अहमदाबाद और गांधीनगर सहित गुजरात के विभिन्न स्थानों में कार्यरत रहे।[11]
महामंथन
संपादित करेंईशुदान 2015 में गुजराती मीडिया में सबसे कम उम्र के चैनल हेड के रूप में वीटीवी गुजराती में शामिल हुए। 2021 तक, अगले 5 वर्षों के लिए, ईशुदान ने राज्य के प्रसिद्ध वीटीवी गुजराती चैनल पर 'महामंथन' नामक एक लोकप्रिय प्राइम टाइम टीवी शो की मेजबानी की। [12] इस कार्यक्रम में ईशुदान न केवल स्टूडियो में बैठे पैनलिस्टों के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते, बल्कि एक 'फोन-इन' भी, जिसमें वह जनता के साथ उन मुद्दों पर चर्चा करते और उनके विचार प्राप्त करते। यह शो गुजरात में बहुत लोकप्रिय हुआ, खासकर ग्रामीण इलाकों में। किसान अपने बड़े और छोटे मुद्दों के लिए उनसे मदद मांगते थे और बदले में, ईशुदान अपने शो में इन पर गहराई से प्रकाश डालते थे। [13] दर्शकों की बढ़ती संख्या और लोकप्रियता को देखते हुए शो की अवधि एक से डेढ़ घंटे तक बढ़ानी पड़ी।[14]
गढ़वी किसानों की समस्याओं को लेकर आक्रामक रहते थे। पशुपालकों की सरकार के खिलाफ हड़ताल में गढ़वी ने इसकी पूरी रूपरेखा तैयार की।[15] उन्होंने किसानों, बेरोजगारी, शिक्षा, महिलाओं, व्यापारियों, मजदूरों और श्रमिकों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया।[16][17] उनकी छवि एक 'जनवादी पत्रकार' या 'खेड़ूत नो पत्रकार' (ग्रामीण जनता के पत्रकार) की है। गढ़वी को सत्ता में बैठे लोगों, पूर्व मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों सहित राजनीतिक नेताओं के साथ अपने साक्षात्कार में कठिन सवाल करने के लिए जाना जाता है, चाहे वो किसी भी पार्टी के हो। पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान सक्रिय पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के लिए राज्य में गढ़वी को उनकी आवाज के रूप में देखा गया।[18]
ईशुदान हर रविवार को एक शो करते थे जिसे वो "संस्कृति की रक्षा के प्रयास" के रूप में वर्णित करते हैं। हर रविवार, वह 'भगवान हनुमान का इतिहास', कर्म के सिद्धांत, या 'वृद्धाश्रम' जैसे विविध सांस्कृतिक विषयों पर एपिसोड करते थे। वह इन प्रसंगों में संतों और महंतों को भी आमंत्रित करते थे।[14]
कोविड महामारी
संपादित करेंगुजरात में कोविड महामारी का विनाशकारी प्रभाव पड़ा और इससे स्वयं गढ़वी को भी प्रभावित किया। अपनी संक्रमित मां की देखभाल करते हुए, गढ़वी ने राज्य की मशीनरी को जर्जर अवस्था में पाया। अस्पतालों के बाहर मरीजों की लंबी कतारों से अफरा-तफरी मच गई।[9] गढ़वी स्वयं भी घर में मां की देखभाल करते हुए संक्रमित हो गए थे। सौभाग्य से, दोनों बच गए। हालांकि, अपने अनुभव को बताते हुए कहते हैं, कि कई अन्य इतने भाग्यशाली नहीं थे।[14]
महामारी के दौरान, उन्हें राज्य के शहरी और ग्रामीण हिस्सों से आईसीयू बेड और ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए मदद मांगने वाले लोगों के फोन आते थे। उन्होंने एक बार एक महिला को अस्पताल के बाहर अपने बेटे के शव को पकड़े रोते हुए देखा, जिसने सरकारी एम्बुलेंस द्वारा नहीं लाए जाने के कारण उसे प्रवेश की अनुमति नहीं दी थी, जबकि वे निजी वाहन से आए थे। इसका कारण सरकार की नीति थी। गढ़वी ने उस अधिकारी का पता लगाया जो एम्बुलेंस नियम के पीछे था, और उसका मोबाइल नंबर सार्वजनिक कर दिया। "अधिकारी के मोबाइल पर 10,000 कॉल आए। उसे राहत के लिए उच्च न्यायालय जाना पड़ा। इस घटना के बाद से मैं सोचने लगा कि मुझे पत्रकारिता से परे कुछ करना है।"[14]
राजनीति
संपादित करेंजून 2021 में, अहमदाबाद में आप के राज्य मुख्यालय के उद्घाटन पर, ईशुदान गढ़वी अरविंद केजरीवाल की उपस्थिती में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने गढ़वी के आप में शामिल होने को "गुजरात में गंदगी को साफ करने के लिए अपने पत्रकारिता के अहम करियर को त्याग देने को एक बड़ा बलिदान" कहा। उन्होंने कहा, “गढ़वी ने 'आप' के लिए एक शानदार करियर छोड़ा है। . . आप सिस्टम के बाहर से बदलाव ला सकते हैं, लेकिन इसकी एक सीमा है। इसलिए, गढ़वी ने सिस्टम में शामिल होने और स्वयं गंदगी को साफ करने का फैसला किया। ” [19]
सूरत के सर्किट हाउस में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए ईशुदान ने कहा,
वे कहते हैं, 'मैं लोगों की सेवा करने के लिए मीडिया से जुड़ा और गुजरात के लोगों ने मुझे पसंद किया। मैंने पाया कि मीडिया उद्योग में रहकर मैं केवल कुछ लोगों की सेवा कर सकता हूं, इसलिए मैंने यह उद्योग छोड़ दिया और राजनीति में शामिल हो गया ताकि मैं बड़ी संख्या में लोगों के काम आ सकूं।" [20]
राज्य में गढ़वी की लोकप्रिय छवि के कारण उनके 'आप' में शामिल होने को समर्थन हासिल करने के लिए एक बड़ा राजनीतिक कदम देखा गया। आप गुजरात के चुनाव प्रभारी गुलाब सिंह यादव ने टिप्पणी की, "ईशुदान गढ़वी को शामिल हुए एक सप्ताह भी नहीं हुआ है और हमें पार्टी में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करने वाले लोगों के लाखों फोन आए हैं।" [21] इसके तुरंत बाद, केजरीवाल ने 2022 में गुजरात की सभी 182 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए AAP के फैसले की घोषणा की। [12]
4 नवंबर 2022 को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा उन्हें 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए 'आप' के मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में घोषित किया गया है। [5] [6]
राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव
संपादित करेंहाल ही में जून 2022 में, गुजरात में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले, AAP पार्टी ने अपनी गुजरात इकाई को भंग कर दिया और एक नए संगठनात्मक ढांचे के साथ इसे फिर से जीवंत कर दिया, जिसे गुजरात में पार्टी के एक लोकप्रिय चेहरे गढ़वी को राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया । [10] [22] [23] [24]
मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी
संपादित करें4 नवंबर 2022 को, गुजरात चुनावों में ईशुदान गढ़वी को आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में घोषित किया गया। यह निर्णय पार्टी द्वारा एसएमएस, व्हाट्सएप, वॉयस मैसेज और ईमेल के माध्यम से एकत्र किए गए जनमत सर्वेक्षणों पर आधारित था। पार्टी को कुल 16,48,500 मत मिले, जिनमें से 73 प्रतिशत गढ़वी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे।[16]
यह पूछे जाने पर कि चुनाव जीतने पर उनके सबसे पहले निर्णय क्या होंगे, गढ़वी ने जवाब दिया कि पहला कदम किसानों के लिए कर्ज माफी, उचित मूल्य की गारंटी, निर्बाध बिजली आपूर्ति और सिंचाई की सुविधा होगी। दूसरे, वे दिल्ली और पंजाब की तर्ज पर भ्रष्टाचार विरोधी हेल्पलाइन स्थापित करेंगे। तीसरे चरण के रूप में, उन्होंने घोषणा की कि हर महीने 300 यूनिट तक सभी के लिए मुफ्त बिजली प्रदान कि जाएगी।[25]
आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष
संपादित करें4 जनवरी 2023 को बड़े फेरबदल के परिणामस्वरूप, गढ़वी को गुजरात में आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया।[3]
राजनीतिक विवाद
संपादित करेंगुजरात 'आप' के अन्य नेताओं के साथ सूरत की अपनी पहली यात्रा के दौरान,
उन्होंने कहा, 'यह सच है कि गुजरात में किसी तीसरे राजनीतिक दल के लिए कोई जगह नहीं है। 2022 के चुनावों में, कांग्रेस तीसरे स्थान पर आ जाएगी, जबकि भाजपा के लिए 'आप' एक मजबूत दावेदार के रूप में उभरेगी, जिसने राज्य में दो दशकों से अधिक समय तक शासन किया है। ” [26]
जूनागढ़ में अपनी 'जन संवाद यात्रा' के दौरान, ईशुदान गढ़वी के काफिले पर हमला किया गया था जो कथित तौर पर ' भाजपा के गुंडों' माना गया है। उस समय, दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने गुजरात के सीएम विजय रूपाणी से बात कर इस घटना को लेकर एफआईआर दर्ज करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की । उन्होंने ट्वीट किया, 'अगर गुजरात में ईशुदान और महेश भाई जैसे लोगों पर खुलेआम हमला हो रहा है तो गुजरात में कोई सुरक्षित नहीं है। [27] [28] [29]
गढ़वी ने अपने "जन आशीर्वाद" अभियान की आलोचना करते हुए भाजपा पर हमला किया और इसे उन लोगों की स्मृति का अपमान बताया, जो कोरोना महामारी की पहली और दूसरी लहर में मारे गए थे। गढ़वी ने याद दिलाया कि जब 'आप' ने जनसंवेदना कार्यक्रम आयोजित किया और डेटा एकत्र करने और राज्य सरकार की लापरवाही को उजागर करने के लिए गुजरात के हर जिले और गांव का दौरा किया, तो भाजपा ने "बेशर्मी के साथ" अपने जन आशीर्वाद यात्रा अभियान की घोषणा की। [30]
कोरोनोवायरस महामारी के दौरान भाजपा सरकार की अयोग्यता की आलोचना करते हुए, गढ़वी ने कहा,
“ बीजेपी पिछले ढाई दशकों से गुजरात में सत्ता में है … गुजरात में लाखों लोग ऑक्सीजन, दवाओं, अस्पताल के बिस्तरों की कमी और सरकारी एम्बुलेंस के बिना अस्पतालों में प्रवेश नहीं दिया जाने जैसी पॉलिसी खामियों के कारण कोविड से मारे गए। लेकिन तब सरकार ने आंकड़े छिपा दिये …. उस समय जब लोग दवा और ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए दर-दर भटक रहे थे, इनमें से किसी भी भाजपा नेताओं ने उनके फोन उठाना तो दूर, या तो अपने मोबाइल बंद कर दिये या अभद्र भाषा में जवाब दे फोन काट दिये।" [30]
सितंबर 2021 में, ईशुदान गढ़वी ने एक प्रेस वार्ता में भाजपा द्वारा सूरत शहर में रामदेव पीर मंदिर के विध्वंस की निंदा की और गुजरात के मुख्यमंत्री से माफी की मांग की।
“आज, गुजरात के हिंदू समाज को चोट लगी है और हमने पुजारीयों को विध्वंस अभियान के दौरान रोते हुए देखा है। आपने मंदिर ढहाने से पहले पुजारियों या हिंदू समुदाय के नेताओं से पूछने की जहमत नहीं उठाई। जब विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने विरोध करने की कोशिश की, तो आपने पुलिस बल का इस्तेमाल करके, उन्हें हिरासत में लेने और गिरफ्तारी की धमकी से डराया। यहां तक कि अंग्रेजों ने भी मंदिरों को छूने की हिम्मत नहीं की और महमूद गजनवी भी इस हद तक नहीं झुका होगा। फिर गुजरात में बीजेपी ऐसा कैसे कर पाई? हमारे पूर्वजों ने मंदिरों के लिए अपना जान दी है” गढ़वी ने कहा। [31]
दिसंबर 2021 में, ईशुदान गढ़वी के नेतृत्व में सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ताओं व अन्य शीर्ष नेताओं के साथ गांधीनगर में सत्तारूढ़ भाजपा पार्टी के मुख्यालय पर धावा बोल दिया और भर्ती परीक्षा में प्रश्न-पत्र लीक मामले पर कार्यवाही की मांग की। [32] विरोध के बाद गढ़वी समेत आप के 93 नेताओं को 11 दिन हिरासत में रखा गया। [33]
परिवर्तन यात्रा
संपादित करेंमई 2022 में, 'आप' नेताओं ने गुजरात की राजनीति में बदलाव लाने के उद्देश्य से एक ' परिवर्तन यात्रा ' की योजना बनाई और इस प्रक्रिया में मतदाताओं और नागरिकों के साथ बातचीत की और राज्य के चार करोड़ मतदाताओं तक अपना संदेश फैलाया। पार्टी ने गुजरात के पांच स्थानों से 'परिवर्तन यात्रा' आरंभ की। [34] [35] [36]
आप नेताओं ईशुदान गढ़वी ने द्वारका और कैलाश गढ़वी और राज करपड़ा ने अब्दसा-कच्छ से नेतृत्व किया; सागर रबारी और भीमा चौधरी ने सिद्धपुर (उत्तर गुजरात) से ; और मनोज सोराठिया, राम धड़क और राकेश हिरपरा ने दक्षिण गुजरात के दांडी से यात्रा का नेतृत्व किया। [34] [35] [36]
ईशुदान गढ़वी के अनुसार:
“हम सभी 182 विधानसभा क्षेत्रों में बैठकें करेंगे। हम लोगों के बीच जाकर उनकी कठिनाइयों को जानेंगे और उनके सवालों को सुनेंगे और उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे। हम 10 लाख लोगों की राय लेने के लिए भी वोट करेंगे... हम महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर लोगों के साथ बहस और चर्चा करेंगे।" [35]
किसान मुद्दे
संपादित करेंईशुदान के अनुसार, भाजपा सरकार ने आगामी चुनावों में हारने के डर से ही 3 कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया था। [37] ईशुदान ने गुजरात में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने वाले कानून की मांग की। [38]
ईशुदान ने आरोप लगाया कि प्रदेश में यूरिया की बड़े पैमाने पर कालाबाजारी हो रही है, जहां किसानों के लिए सब्सिडी वाले यूरिया उर्वरक को बड़ी फैक्ट्रियों को ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। उन्होंने बीज बेचने वाले दलालों पर, सरकार के समर्थन से, रु. 6 पर उपलब्ध यूरिया को रु. 77 पर बेचने का भी आरोप लगाया। [39] [40]
चुनाव अभियान
संपादित करें11 सितंबर 2022 को अहमदाबाद पुलिस ने 'आप' के डेटा प्रबंधन कार्यालय पर छापा मारा। 'आप' ने कहा कि गुजरात में आप को मिले 'अत्यधिक समर्थन' से सत्तारूढ़ पार्टी 'बेहद बौखला गई' है। कई छापे मारे गए हैं जिसमें 'आप' नेताओं को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के तहत एजेंसियों द्वारा निशाना बनाया गया है। [41] [42]
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर भ्रष्टाचार से लड़ने के नाम पर 'आप' को कुचलने की कोशिश करने का आरोप लगाया क्योंकि उन्हें चुनाव में हार का डर था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार आप नेताओं को भ्रष्टाचार के झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश कर रही है क्योंकि भाजपा गुजरात में आप की बढ़ती लोकप्रियता को पचा नहीं पा रही है। उन्होंने कहा कि गुजरात में 'आप' के बढ़ते प्रभाव ने भाजपा को झकझोर कर रख दिया है और "प्रधानमंत्री के सलाहकार हिरेन जोशी ने कई टीवी चैनलों के मालिकों और उनके संपादकों को गुजरात में 'आप' पार्टी को कवरेज नहीं देने की चेतावनी दी है और उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी है।" [43]
'आप' के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव ईशुदान गढ़वी ने कहा कि भाजपा टीवी मीडिया को धमकाकर 'आप' प्रवक्ता को बहस से रोक रही है। गढ़वी ने कहा कि वडोदरा में केजरीवाल की आगामी रैली को रोकने के लिए भाजपा ने 13 स्थानों के मालिकों को धमकाया और उन्हें 'आप' के चुनावी कार्यक्रम रद्द करने के लिए मजबूर किया। केजरीवाल ने कहा कि विपक्षी दलों को चुनावी कार्यक्रम आयोजित करने से रोकना सत्तारूढ़ दल भाजपा के लिए गलत है। [44] [45]
अक्टूबर 2022 में, ईशुदान ने द्वारका जिले से 'बस, हवे परिवर्तन जोईये' (बस, अब हमें एक बदलाव की जरूरत है) अभियान शुरू किया जो 20 नवंबर तक चलेगा।[46]
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- इसुदान गढ़वी - Blogspot
- इसुदान गढ़वी - वनइंडिया प्रोफाइल Archived 2022-11-05 at the वेबैक मशीन
संदर्भ
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