ओजोन ह्रास या ओजोन अवक्षय (ओजोन डिप्लीशन) दो अलग लेकिन सम्बंधित प्रेक्षणों का वर्णन करता है; 1970 के दशक के बाद से पृथ्वी के समतापमंडल (stratosphere) में ओजोन की कुल मात्रा में प्रति दशक लगभग चार प्रतिशत की धीमी लेकिन स्थिर कमी आ रही है;और समान अवधि के दौरान पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर समतापमंडल की ओजोन में अधिक लेकिन मौसमी कमी आ रही है। बाद वाली घटना को सामान्यतः ओजोन छिद्र के रूप में जाना जाता है।

वैश्विक मासिक औसत कुल ओजोन राशि

इस जाने माने संताप मंडलीय ओजोन (stratospheric ozone) रिक्तीकरण के अलावा, क्षोभ मंडलीय ओजोन रिक्तीकरण की घटनाएँ (tropospheric ozone depletion events) भी पाई गई हैं, जो बसंत ऋतु के दौरान ध्रुवीय क्षेत्रों की सतह के पास होता है।

विस्तृत क्रियाविधि जिसके द्वारा ध्रुवीय ओजोन छेद, मध्य अक्षांश रिक्तीकरण से भिन्नता रखता है, लेकिन दोनों प्रवृतियों में सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है परमाणु क्लोरीन और ब्रोमीन द्वारा ओजोन का अपघटनी (catalytic) विनाश.[1] समताप मंडल में इन हेलोजन (halogen) परमाणुओं का मुख्य स्रोत है क्लोरो फ्लोरो कार्बन (chlorofluorocarbon) योगिकों का प्रकाश अपघटन (photodissociarion), ये योगिक सामान्यतः फ़्रेयोन (freon) कहलाते हैं, साथ ही ब्रोमो फ्लोरो कार्बन (bromofluorocarbon) योगिकों का प्रकाश अपघटन भी इसका कारण है जो हेलोन (halons) कहलाते हैं।

इन योगिकों का समतापमंडल में स्थानांतरण सतह पर उत्सर्जित होने के बाद होता है। सी एफ सी और हेलोन की वृद्धि होने पर ओजोन रिक्तीकरण क्रियाविधि में भी वृद्धि होती है।

सीएफसी और अन्य कारक पदार्थ सामान्यतया ओजोन-रिक्तीकरण पदार्थ (Ods) कहलाते हैं।


चूँकि ओजोन परत पराबैंगनी प्रकाशके सबसे हानिकारक UVB तरंग दैर्घ्य (270–315 nm) को पृथ्वी के वायुमंडल (Earth's atmosphere) में प्रवेश करने से रोकता है, ओजोन में कमी इसी कारण से पूरी दुनिया में एक चिंता का विषय बना हुआ है, इसलिए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (Montreal Protocol) को अपनाया गया है,


जिसके अनुसार सी एफ सी और हेलोन के उत्पादन तथा अन्य ओजोन रिक्तीकरण रसायनों जैसे कार्बन टेट्रा क्लोराइड (carbon tetrachloride) और ट्राई क्लोरो इथेन (trichloroethane) के उत्पादन पर रोक लगा दी गई है। ऐसा संदेह है कि कई प्रकार के जैविक परिणाम जैसे त्वचा कैंसर (skin cancer) में वृद्धि, पोधों की क्षति, समुद्र के प्रकाश क्षेत्र (plankton) में प्लेंक्टन (photic zone) की आबादी में कमी, ओजोन रिक्तीकरण के कारण बढ़ी हुई पराबेंगनी किरणों की वजह से हैं।

ओजोन चक्र अवलोकन

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ऑक्सीजन के तीनों अपर रूप (allotropes)ओजोन-ऑक्सीजन चक्र (ozone-oxygen cycle) में शामिल हैं:ऑक्सीजन परमाणु (O या परमाणु ऑक्सीजन), ऑक्सीजन गैस (O2 या द्वि परमाण्विक ऑक्सीजन) और ओजोन गैस (O3 या त्रि परमाण्विक ऑक्सीजन)। ओजोन का निर्माण समताप मंडल में तब होता है जब ऑक्सीजन के अणु 240 nm से छोटे तरंग दैर्घ्य के एक पराबैंगनी फोटोन को अवशोषित करके प्रकाश अपघटित (photodissociate) हो जाते हैं। यह ऑक्सीजन के दो परमाणुओं का निर्माण करता है। अब परमाण्विक ऑक्सीजन O2 के साथ संयोजित होकर O3 बनाती है। ओजोन अणु 310 और 200 nm, के बीच के यूवी प्रकाश को अवशोषित कर लेता है, जिससे ओजोन विभाजित होकर एक ऑक्सीजन परमाणु और एक O2 अणु बनाता है। अब ऑक्सीजन परमाणु ऑक्सीजन अणु के साथ संयोजित होकर फ़िर से ओजोन अणु बनाता है। यह एक सतत प्रक्रिया है जो तब ख़त्म होती है जब एक ऑक्सीजन परमाणु एक ओजोन अणु के साथ "पुनर्संयोजित " होकर दो O2 अणु बना लेता है। O + O3 → 2 O2

समतापमंडल में ओजोन की कुल मात्रा का निर्धारण प्रकाश रसायनिक उत्पादन और पुनर्संयोजन के बीच एक संतुलन के द्वारा होता है।

ओजोन को मुक्त मूलक (free radical) उत्प्रेरक की एक संख्या के द्वारा नष्ट किया जा सकता है, इसमें से सबसे महत्वपूर्ण है हाइड्रोक्सिल मूलक (hydroxyl radical) (OH•),नाइट्रिक ऑक्साइड (nitric oxide) मूलक (NO•) और परमाणु क्लोरीन (Cl) और ब्रोमीन (Br)। इन सब के प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों प्रकार के स्रोत हैं;वर्तमान समय में, OH और NO का अधिकांश भाग. समतापमंडल में इसकी प्राकृतिक उत्पत्ति होती है लेकिन मानव की क्रियाविधियों के फलस्वरूप ऑक्सीजन क्लोरीन और ब्रोमीन में नाटकीय रूप से उच्च वृद्धि हुई है।

ये तत्व कुछ विशेष स्थायी कार्बनिक योगिकों में पाए जाते हैं, विशेष रूप से क्लोरो फ्लोरो कार्बन (chlorofluorocarbon), जो अपनी कम क्रियाशीलता के कारण क्षोभमंडल में नष्ट हुए बिना समताप मंडल (stratosphere) में पहुँच जाते हैं। समताप मंडल में पहुँच जाने के बाद पराबेंग्नी किरणों की क्रिया के द्वारा क्लोरीन और ब्रोमीन के परमाणु अपने जनक योगिकों से मुक्त हो जाते हैं, उदाहरण ('h' प्लैंक का स्थिरांक (Planck's constant) है, 'v' विद्युत चुम्बकीय विकिरणकी आवृत्ति है।)

CFCl3 + hν → CFCl2 + Cl

अब क्लोरीन और ब्रोमीन के परमाणु ओजोन के अणुओं को कई अपघटनी (catalytic) चक्रों के द्वारा नष्ट कर देते हैं। इस तरह के एक चक्र के सरलतम उदाहरण में,[2] एक क्लोरीन परमाणु एक ओजोन अणु के साथ, क्रिया करता है, इसके एक ऑक्सीजन परमाणु को लेकर ClO बना लेता है और एक ऑक्सीजन अणु को मुक्त कर देता है। क्लोरीन मोनोऑक्साइड (यानी ClO) ओजोन के दूसरे अणु के साथ क्रिया करके (अर्थात O3) एक अन्य क्लोरीन परमाणु और दो ऑक्सीजन अणु बना देती है। इस गैस प्रावस्था क्रिया के लिए रासायनिक अभिक्रिया निम्नानुसार है:

Cl + O3 → ClO + O2

ClO + O3 → Cl + 2 O2

समग्र प्रभाव ओजोन की मात्रा में कमी का कारण बन जाता है। और अधिक जटिल प्रणाली की खोज की गई है, जो समताप मंडल के नीचले भाग में ओजोन के विनाश का कारण है।

एकमात्र क्लोरीन परमाणु दो साल तक ओजोन को लगातार नष्ट कर सकता है। (परिवहन के लिए समय का पैमाना नीचे क्षोभ मंडल तक जाता है) इस अभिक्रिया में हाइड्रोजन क्लोराइड (hydrogen chloride)(HCl) और क्लोरीन नाइट्रेट (chlorine nitrate) (ClONO2) जैसी प्रजातियों के निर्माण के द्वारा इसे चक्र से हटाया जा सकता है। एक परमाणु के आधार पर ओजोन को नष्ट करने में ब्रोमीन क्लोरीन की तुलना में अधिक प्रभावी है। लेकिन वर्तमान में वातावरण में कम मात्रा में ब्रोमीन है। इसके परिणामस्वरूप, समग्र ओजोन रिक्तीकरण में क्लोरीन और ब्रोमीन दोनों महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। प्रयोगशाला अध्ययन दर्शाते हैं कि फ्लोरीन और आयोडीन परमाणु समरूपी अपघटनी चक्रों में भाग लेते हैं। हालांकि, पृथ्वी के वायुमंडल में, फ्लोरीन के परमाणु तेजी से जल और मेथेन के साथ क्रिया करके प्रबल बंधन से युक्त HF (HF) बनाते हैं। जबकि आयोडीन से युक्त कार्बनिक अणु नीचले वातावरण में इतनी तेजी से क्रिया करते हैं कि वे पर्याप्त मात्राओं में समतापमंडल तक नहीं पहुँच पाते हैं। इसके अलावा, मात्र एक क्लोरीन परमाणु 100000 ओजोन अणुओं के साथ प्रतिक्रिया करने में सक्षम है। यह तथ्य तथा क्लोरो फ्लोरो कार्बन के द्वारा वायुमंडल में मुक्त क्लोरीन की वार्षिक मात्रा प्रर्दशित करती है कि सीएफसी पर्यावरण के लिए कितने खतरनाक हैं।[3]

रासायनिक ओजोन हानि की प्रक्रिया की मात्रात्मक समझ

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इन ओजोन रिक्तिकरण रसायनों में एक कुंजी अणु डाई क्लोरीन पेरोक्साइड (Cl2O2) के अपघटन पर नया अनुसंधान, ध्रुवीय ओजोन रिक्तिकरण के वर्तमान वातावरण मॉडलों की पूर्णता पर प्रश्न उठाता है। विशेष रूप से, पासादेना, कैलिफोर्निया, में नासा की जेट इंजन प्रयोगशाला में रसायनज्ञों ने 2007 में पाया कि समतापमंडल में ताप. स्पेक्ट्रम और उपस्थित विकिरण की तीव्रता ऎसी स्थिति उत्पन्न करती है जो क्लोरीन मूलक को मुक्त करने के लिए आवश्यक रासायनिक अपघटन की दर के लिए अपर्याप्त है, क्लोरीन मूलकों का यह आयतन ओजोन रिक्तिकरण के रिक्तिकरण की प्रेक्षित दरों को स्पष्ट करने के लिए जरुरी है। इसके बजाय, प्रयोगशाला परीक्षण जो समताप मंडल की परिस्थितियों को दर्शाते हैं उनके अनुसार अणु के क्षय का परिमाण उस मात्रा से कम है जो पहले सोची जाती थी।[4][5][6]

ओजोन परत रिक्तीकरण पर अवलोकन

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ओजोन में अधिकाँश स्पष्ट कमी नीचले समताप मंडल (stratosphere) में हुई है। हालाँकि, ओजोन में छेद को इन स्तरों में ओजोन की सान्द्रता में आई कमी के रूप में नहीं नापा जाता है (जो प्रारूपिक रूप से प्रति मिलियन पर कुछ भाग है) लेकिन भूमि की सतह के एक बिन्दु के ऊपर कुल कॉलम ओजोन में कमी के द्वारा इसे नापा जाता है। इसे सामान्यतया डोबसन इकाई (Dobson unit) के रूप में व्यक्त किया जाता है और संक्षेप में "DU" कहा जाता है। इस कॉलम ओजोन में अंटार्कटिक वसंत में और गरमी में आई चिह्नित कमी की तुलना 1970 के दशक के शुरूआत से की गई है इसके लिए उपकरण जैसे कुल ओजोन मानचित्रण स्पेक्ट्रोमीटर (Total Ozone Mapping Spectrometer) (TOMS) का उपयोग किया गया है।[7]

 
प्रत्येक वर्ष ओजोन छिद्र में टोम्स (TOMS) के द्वारा मापी गई ओजोन की न्यूनतम मात्रा.

अंटार्कटिका के ऊपर (दक्षिणी अर्ध गोलार्ध) वसंत ऋतु में ओजोन स्तम्भ में 70% तक कमी प्रेक्षित की गई और पहली बार 1985 में (फरमान एट अल 1985) इसकी रिपोर्ट जारी की गई जो अभी भी जारी है।[8] 1990 के दशक में सितम्बर और अक्टूबर में पूर्व ओजोन छिद्र की तुलना में 40-50% कमी आई.अंटार्कटिक की तुलना में आर्कटिक (Arctic) में कमी की मात्रा अलग अलग सालों में अलग अलग रही। सबसे बड़ी गिरावट जो 30% तक है वह सर्दियों और वसंत में आती है जब समताप मंडल ठंडा रहता है।

अभिक्रिया जो ध्रुवीय समताप मंडल के बादलों में होती है, वह ओजोन रिक्तीकरण बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाटी है।[9] समताप मंडल के बादल अंटार्कटिक वायुमंडल की अत्यधिक ठंड में अधिक सहजता से इसे बनाते हैं। इसी कारण से अंटार्कटिका में ओजोन छेद सबसे पहले बना और अधिक गहरा है। प्रारंभिक परिक्षण समताप मंडल के बादल पर ध्यान नहीं दे पाए और इन्होने एक क्रमिक वैश्विक रिक्तीकरण का अनुमान लगाया, इसीलिए अंटार्कटिक में अचानक ओजोन छिद्र हो जाना कई वैज्ञानिकों के लिए आश्चर्य की बात थी।

मध्य अक्षांशों में ओजोन छिद्र के बजाय ओजोन रिक्तिकरण पर बात करना बेहतर है। 35-60 °उत्तरी आक्षांश के लिए 1980 के मूल्यों के अनुसार गिरावट लगभग तीन प्रतिशत से कम है, 35-60 °दक्षिण के लिए लगभग 6 प्रतिशत है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में, कोई महत्वपूर्ण प्रमाण नहीं हैं।

ओजोन रिक्तीकरण समताप मंडल में और उपरी क्षोभ मंडल (tropospheric) के ताप में काफी कमी प्रेक्षित करता है।[10][11] समताप मंडल की गरमी का स्रोत है, ओजोन के द्वारा यूवी विकिरण के अवशोषण, इसलिए ओजोन में कमी ताप को कम करती है। समताप मंडल में ताप में कुछ कमी का कारण ग्रीनहाउस गैस (greenhouse gas) में वृद्धि को भी माना गया है जैसे CO2; लेकिन ओजोन रिक्तिकरण के कारण ताप में कमी अधिक प्रभावी है।

ओजोन स्तर की भविष्यवाणियां मुश्किल बनी रहती हैं।विश्व मौसम विज्ञान संगठन के वैश्विक ओजोन अनुसंधान और निगरानी परियोजना - रिपोर्ट संख्या, 44 मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्ष में है, लेकिन इसके अनुसार यूएनईपी (UNEP) 1994 के आकलन ने 1994-1997 की अवधि में ओजोन हानि को जरुरत से ज्यादा बताया।

वायुमंडल में रसायन

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इस वायुमंडल में सी एफ सी

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क्लोरो फ्लोरो कार्बन (सीएफसी (CFCs)) को थॉमस मिद्ग्ले (Thomas Midgley) के द्वारा 1920 के दशक में खोजा गया। इनका इस्तेमाल 1980 के दशक के पहलेवातानुकूलन (air conditioning)/ ठंडा करने वाली इकाइयों, में एयरोसोल स्प्रे प्रोपेलेंट (aerosol spray propellant) के रूप में होता था और नाजुक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सफाई में इसका उपयोग किया जाता था। ये कुछ रासायनिक प्रक्रियाओं के उप उत्पादों के रूप में भी प्रकट होते हैं। इन यौगिकों के लिए कभी कोई महत्वपूर्ण प्राकृतिक स्रोतों की पहचान नहीं की गई है--इनकी वातावरण मानव निर्माणों के लिए पूर्ण उपस्थिति है। जैसा कि ऊपर ओजोन चक्र अवलोकनमें बताया गया है, जब ऐसे ओजोन रिक्तिकरण रसायन समतापमंडल में पहुँचते हैं, वे यु वी प्रकाश के द्वारा अपघटित होकर क्लोरीन परमाणु मुक्त करते हैं। क्लोरीन परमाणु एक उत्प्रेरक (catalyst) की तरह कार्य करते हैं और प्रत्येक परमाणु समताप मंडल में हटा दिए जाने से पहले प्रति हजार में से दस ओजोन अणुओं को अपघटित कर देता है।CFC अणुओं की लंबी आयु को देखते हुए, सुधार में कई दशक लग जाते हैं। यह गणना की गई है कि CFC अणु को भूमि की सतह से उपरी वायुमंडल में पहुँचने में औसतन 15 साल लग जाते हैं। यह वहाँ पर लगभग एक सदी के लिए रह सकता है, इस अवधि के दोरान यह एक सौ हजार ओजोन के अणुओं को नष्ट कर सकता है।[12]

प्रेक्षणों का सत्यापन

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वैज्ञानिक ओजोन रिक्तीकरण को सीएफसी से उत्पन्न एन्थ्रोपोजेनिकहेलोजन (halogen) योगिकों की वृद्धि से सम्बंधित करते हैं। जो जटिल रसन विज्ञान के स्थानान्तरण नमूनों और उनके मानकीकरण आंकडों से सम्बंधित हैं। (जैसे SLIMCAT, CLaMS (CLaMS))। ये नमूने रासायनिक सांद्रण के उपग्रह मापन और प्रयोगशाला प्रयोगों में प्राप्त स्थिर रासायनिक अभिक्रिया दर के साथ मोसम क्षेत्रों के संयोजन के द्वारा कार्य करते हैं। ये न केवल कुंजी रासायनिक अभिक्रियाओं की पहचान करने में सक्षम हैं बल्कि उन स्थानान्तरण प्रक्रियाओं की भी पहचान करते हैं जो ओजोन के साथ संपर्क में आने पर सी एफ सी प्रकाश अपघटन (photolysis) करते हैं।

ओजोन में छिद्र और उसके कारण

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अबन तक दर्ज किया गया सबसे बड़ा अंटार्कटिक ओजोन छेद का चित्र (सितम्बर 2006) .

अंटार्कटिक ओजोन छेद अंटार्कटिक समताप मंडल का एक क्षेत्र है जिसमें हाल ही के ओजोन स्तर 1975 की तुलना में 33% तक गिर गए हैं। ओजोन के छेद, अंटार्कटिक वसंत ऋतु के दौरान, सितम्बर से दिसम्बर की शुरुआत तक, होते हैं, जैसे ही प्रबल पश्चिमी हवाएं महाद्वीप के चरों और बहने लगती हैं और एक वायुमंडलीय कंटेनर का निर्माण करती हैं। इस ध्रुवीय भंवर (polar vortex) के भीतर नीचली समताप मंडलीय ओजोन का 50% से अधिक भाग अंटार्कटिक वसंत ऋतु के दौरान नष्ट हो जाता है।[13]

जैसा की ऊपर बताया गया है कि ओजोन रिक्तिकरण का समग्र कारण है क्लोरीन युक्त स्रोत गैसों की उपस्थिति (मुख्य रूप से सीएफसी और संबंधित हेलो कार्बन) यूवी प्रकाश की उपस्थिति में, ये गैसें अपघटित होकर क्लोरीन परमाणु मुक्त करती हैं, जो ओजोन के विनाश का कारण बनते हैं। क्लोरीन-उत्प्रेरित ओजोन रिक्तिकरण गैस प्रावस्था में हो सकता है, लेकिन यह ध्रुवीय समताप मंडलीय बादल (polar stratospheric cloud)s (PSCs) की उपस्थिति में नाटकीय रूप से बढ़ जाता है।[14]

ये ध्रुवीय समताप मंडलीय बादल सर्दी में, अत्यधिक ठंड में बनते हैं। ध्रुवीय सर्दियां बहुत गहरी होती हैं, लगभग तीन माह तक सूर्य का प्रकाश नहीं देखा जा सकता है। न केवल सूर्य का प्रकाश में कमी ताप को कम करती है बल्कि ध्रुवीय भंवर (polar vortex) को जकड कर ठंडा कर देती है। ताप लगभग -80 ° सेल्सियस के नीचे रहता है, ये निम्न ताप बादलों के कण बनाते हैं, ये या तो नाइट्रिक एसिड (प्रकार I PSC) या बर्फ (Type II PSC) के बने होते हैं। दोनों प्रकार रासायनिक अभिक्रियाओं के लिए सतह उपलब्ध करते हैं, जो ओजोन के विनाश का कारण हैं।

प्रकाश रासायनिक (photochemical) क्रिया जटिल है लेकिन समझी जा सकती है। कुंजी अवलोकन यह है कि सामान्यतया, समताप मंडल में अधिकांश क्लोरीन स्थायी "भण्डार " योगिकों में रहती है, प्राथमिक रूप से हाइड्रोजन क्लोराइड (HCl) और क्लोरीन नाइट्रेट (ClONO2)। अंटार्कटिक सर्दियों और वसंत के दोरान ध्रुवीय समताप मंडलीय बादल के कणों की सतह पर अभिक्रिया इन "भण्डार " योगिकों को प्रतिक्रिया मुक्त मूलकों (Cl and ClO) में बदल देती है। बादल वायुमंडल में से NO2को भी हटा देते हैं, वे इसे नाइट्रिक अम्ल में बदल देते हैं, यह नव निर्मित ClO को ClONO2में परिवर्तित होने से रोकता है।

ओजोन रिक्तिकरण में सूर्य के प्रकाश की भूमिका के कारण अंटार्कटिक ओजोन रिक्तीकरण वसंत ऋतु के दौरान सबसे अधिक होता है। सर्दियों के दौरान, हालांकि PSCs अपनी अधिकतम मात्रा में होते हैं, ध्रुव के ऊपर रासायनिक अभिक्रिया के लिए कोई प्रकाश नहीं होता है। बसंत के मौसम के दौरान, तथापि, सूरज उदय होकर प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाओं के लिए ऊर्जा प्रदान करता है और ध्रुवीय समताप मंडल के बादलों को पिघला देता है, जिससे उसमें जकडे हुए योगिक मुक्त हो जाते हैं।

अधिकांश नष्ट हुई ओजोन नीचले समताप मंडल में होती है, इसके विपरीत सजातीय गैस चरण प्रतिक्रियाओं, के माध्यम से बहुत कम ओजोन रिक्तिकरण होता है, जो प्रारंभिक रूप से उपरी समताप मंडल में होता है।

वसंत के अंत के पास गर्मी देने वाला तापमान मध्य दिसम्बर में भंवर को तोड़ देता है। गर्म होने पर ओजोन से युक्त हवा नीचले आक्षांशों से प्रवाहित होती है, PSCs नष्ट हो जाते हैं, ओजोन रिक्तीकरण प्रक्रिया बंद हो जाती है, ओजोन छेद भर जाता है।

ओजोन परत रिक्तीकरण में रूचि

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हालाँकि अंटार्कटिक ओजोन होल का वैश्विक ओजोन को कम करने में बहुत कम प्रभाव होता है, यह प्रति दशक 4% होने का अनुमान है, छेद ने बहुत अधिक रुचि पैदा की है क्यों कि:

  • 1980 के दशक में ओजोन की परत में कमी का अनुमान साठ वर्ष की अवधि मोटे तौर पर 7% लगाया गया।
  • 1985 में अचानक पाया गया कि प्रेस में एक पर्याप्त आकर का छेद रिपोर्ट किया गया। विशेष रूप से अंटार्कटिका में तेजी से होने वाले ओजोन रिक्तीकरण को पहले से ही मापन त्रुटि माना गया है।
  • अनेक
  • जब अंटार्कटिक ओजोन छिद्र फट जाएगा तो कम ओजोन से युक्त हवा बहार निकलकर आस पास के क्षेत्रों में चली जायेगी.न्यूजीलैंड में एक माह में ओजोन स्तर में 10% तक कमी देखी गई है, जो अंटार्कटिक ओजोन होल के टूटने का कारण है।

ओजोन परत रिक्तीकरण के परिणाम

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चूँकि ओजोन परत सूर्य के UVB (UVB) को अवशोषित करती है, अतः ओजोन परत रिक्तिकरण सतह UVB के स्तर में वृद्धि कर सकता है, यह क्षति का कारण हो सकता है यह त्वचा कैंसर (skin cancer) की सम्भावना को बढाता है। यह मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का कारण था। यद्यपि समताप मंडल की ओजोन में कमी सीएफसी से सम्बंधित है, ओजोन में कमी सतही UVB में वृद्धि करेगी इस पर विश्वास करने के लिए पर्याप्त कारण हैं, ओजोन की कमी को मानव में त्वचा कैंसर के बढ़ने से सम्बंधित करने वाले प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। इस आंशिक रूप से इस कारण से है कि UVA (UVA) कई प्रकार के त्वचा कैंसर में प्रभावी है, इसका अवशोषण ओजोन के द्वारा नहीं किया जाता है, अधिकांश आबादी में जीवन शैली में परिवर्तन के लिए आँकड़ों को नियंत्रित करना असंभव है।

यू वी में वृद्धि.

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ओजोन जो पृथ्वी के वायुमंडल में एक अल्पसंख्यक घटक है, UVB विकिरण के अधिकांश अवशोषण के के लिए जिम्मेदार है।UVB विकिरण की मात्रा जो ओजोन परत में से होकर गुजरती है, परत की ढालू पथ मोटाई /घनत्व के साथ घातीय रूप से कम (decreases exponentially) हो जाती है। इस से सम्बंधित एक तथ्य यह भी है कि वायुमंडल में ओजोन में कमी सतह के पास UVB के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि के लिए जिम्मेदार होगी।

ओजोन छिद्र के कारण सतह UVB (UVB) में वृद्धि विकिरण स्थानान्तरण (radiative transfer) मॉडल गणनाओं द्वाराआंशिक रूप से बाधित की जा सकती है। लेकिन क्योंकि विश्वसनीय ऐतिहासिक (पूर्व-ओजोन-छेद) सतह यूवी डेटा में कमी के कारण इसे प्रत्यक्ष गणनाओं के द्वारा मापा नहीं जा सकता है, यद्यपि अधिक हाल ही के अवलोकन माप कार्यक्रमों (उदहारण लोडर पर, न्यूजीलेंड) के उदाहरण उपस्थित हैं।[15]

क्योंकि यह समान परबेंग्नी विकिरण है जो ओजोन परत में O2 (नियमित ऑक्सीजन) से ओजोन का निर्माण करता है, संताप मंडल की ओजोन में अपचयन नीचले स्तरों पर ओजोन के प्रकाश रासायनिक उत्पादन में वृद्धि करता है, (क्षोभ मंडल (troposphere) में) यद्यपि समग्र विश्लेषण ओजोन के स्तम्भ में फ़िर भी कमी दर्शाते हैं, क्योंकि नीचले स्तर में बनी ओजोन प्राकृतिक रूप से कम जीवन काल से युक्त होती है, इसलिए इससे पहले यह क्षतिग्रस्त ओजोन की आपूर्ति कर पाए, यह नष्ट हो जाती है।

खाली ओजोन परत से बढे हुए यूवी और सूक्ष्म तरंग विकिरण के जैव प्रभाव.

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ओजोन छिद्र के बारे में मुख्य सार्वजनिक चिंता का विषय है;मानव स्वास्थ्य पर सतह यूवी का प्रभाव. अधिकतर स्थानों में अब तक, ओजोन रिक्तीकरण कुछ ही प्रतिशत है, अधिकांश आक्षंशों में स्वास्थ्य क्षति के कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिले हैं। ओजोन होल में उच्च स्तर की कमी दुनिया भर में आम है, प्रभाव अधिक नाटकीय हो सकते हैं। अंटार्कटिका पर ओजोन होल कुछ उदाहरणों में इतना बड़ा हो गया है कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड, के दक्षिणी भागों तक पहुँच गया है, पर्यावरणवादियों के अनुसार सतही यु वी में वृद्धि महत्वपूर्ण हो सकती है।

मानव पर ओजोन परत रिक्तीकरण के प्रभाव

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UVB (UVB) (ओजोन के द्वारा अवशोषित उच्च ऊर्जा यूवी विकिरण) को त्वचा कैंसर (skin cancer) के सहयोगी करक के रूप में सामान्यतया स्वीकार किया जाता है। इसके अलावा, सतही यु वी में वृद्धि, क्षोभ मंडल की ओजोन में वृद्धि करती है, जो मानव के स्वास्थ्य के लिए जोखिम है।सतही यू वी में वृद्धि, सूर्य के प्रकाश की विटामिन डी (vitamin D) के संश्लेषण की क्षमता में वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है।[16]

विटामिन डी के कैंसर निरोधक प्रभाव ओजोन रिक्तिकरण के एक संभावित लाभदायक प्रभाव का प्रतिनिधित्व करते हैं।[1][2] स्वास्थ्य लागत के शब्दों में, बढे हुए यू वी विकिरण के संभावित लाभ बोझ को बढ़ा सकते हैं।[3]

1. आधारी और स्क्वैमस कोशिका कार्सिनोमा--मानव में त्वचा कैंसर का सबसे आम रूप, आधारी (basal) और स्क्वैमस (squamous) कोशिका कार्सिनोमा, UVB के संपर्क में रहने से सम्बंधित है। वह क्रियाविधि जिसके द्वारा यू वी बी इन कैंसरों को प्रेरित करती है, उसे अच्छी तरह से समझा जा चुका है; UVB विकिरण के अवशोषण डीएनए अणु में पिरिमीडीन क्षार से डायमर (dimer) बनते हैं, जिसके परिणामस्वरूप डीएनए की प्रतिकृति में त्रुटियां आ जाती हैं। ये कैंसर आपेक्षिक रूप से सौम्य होते हैं और कभी कभी ही घातक होते हैं, यद्यपि स्क्वैमस कोशिका कार्सिनोमा के उपचार के लिए कभी कभी व्यापक पुनर्निर्माण शल्य चिकित्सा की जरुरत होती है। जानवरों के अध्ययन के परिणामों को महामारी विज्ञान के आंकडों के साथ संयोजित करने पर वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि इसमें एक प्रतिशत की कमी आई है। समताप मंडल की ओजोन इन कैंसर की घटनाओं को 2% बढाएगी.[17]

2. घातक मेलेनोमा - त्वचा के कैंसर का अन्य रूप, घातक मेलेनोमा, कम आम है लेकिन अधिक खतरनाक है, निदान किए गए मामलों में लगभग 15% - 20% में घातक है। घातक मेलेनोमा और पराबैंगनी किरणन के बीच सम्बन्ध अभी तक ठीक प्रकार से ज्ञात नहीं है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों UVB और UVA शामिल हैं मछली पर प्रयोग दर्शाते हैं कि 90 से 95% घातक मेलेनोमा UVA और दृश्य विकिरण के कारण होते हैं।[18] जबकि ओपोसम पर किए गए प्रयोग UVB[17] की अधिक भूमिका दर्शाते हैं। इस अनिश्चितता के कारण यह अनुमान लगना मुश्किल है कि मेलानोमा की घटना पर ओजोन रिक्तीकरण का क्या प्रभाव पड़ता है। एक अध्ययन दर्शाता है कि UVB विकिरण में एक 10% की वृद्धि पुरुषों में मेलानोमा को 19% बढाती है और महिलाओं में 16% बढाती है।[19]चिलीके दक्षिणी शीर्ष पंटा एरेनास (Punta Arenas) में लोगों पर किया गया एक अध्ययन दर्शाता है कि ओजोन में कमी और UVB स्तरों में वृद्धि के साथ सात वर्षों में मेलानोमा में 56% की वृद्धि और गैर मेलानोमा त्वचा कैंसर में 46% की वृद्धि हुई। [20]

3. कोर्टिकल मोतियाबिंद - आंख का कोर्टिकल मोतियाबिंद (cataracts) और यूवी-B जोखिम के बीच सम्बन्ध को बताने वाले अध्ययन, जिसमें जोखिम का अनुमान लगाया जाता है और विभिन्न प्रकार की मोतियाबिंद अनुमान तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। यूवी-B के आंखों के संपर्क में रहने का विस्तृत अध्ययन Chesapeake Bay Watermen, में किया गया जहाँ यह पाया गया कि नेत्रों का यु वी बी के अधिक संपर्क में रहना कोर्टिकल अस्पष्टता को बढाता है।[21] पूर्व प्रभावी गोरे पुरुषों को युवी बी के संपर्क में रखने पर पाया गया कि यह कोर्टिकल अस्पष्टता के प्रमाण देता है। तथापि, बीवर डेम में आबादी आधारित एक अध्ययन के आंकडों से डबल्यू आई यह बताता है कि जोखिम पुरुषों तक ही सीमित हो सकता है। बीवर डेम अध्ययन में महिलाओं में एक्स्पोसर कम था और पुरुषों में अधिक. और कोई सम्बन्ध नहीं देखा गया।[22] इसके अलावा, अफ्रीकी अमेरिकियों में ऐसे कोई आंकडे नहीं मिले जो सूर्य के प्रकाश को मोतियाबिंद के जोखिम से जोड़ते हों.यद्यपि विभिन्न जातीय समूहों में अन्य नेत्र रोगों की व्याप्तता अलग अलग है और कोर्टिकल अस्पष्टता गोरे लोगों की तुलना में अफ्रीकी अमेरिकियों में अधिक पाई जाती है।[23][24]

4. क्षोभ मंडल में ओजोन में हुई वृद्धि --सतही यू वी में वृद्धि क्षोभ मंडल (tropospheric) में ओजोन की वृद्धि का कारण है। भू स्तर की ओजोन को सामान्यतया एक स्वास्थ्य जोखिम माना जाता है, क्योंकि अपने प्रबल ओक्सिकारी (oxidant) गुन के कारण ओजोन विषाक्त है। इस समय, भू स्तर की ओजोन मुख्य रूप से यू वी विकिरण के वाहनों से निकली गैसों के दहन (combustion) पर क्रिया के कारण उत्पन्न हुई है।

फसलों पर प्रभाव

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यू वी विकिरण में वृद्धि फसलों को प्रभावित कर सकती है। पोधों की कई आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियाँ जैसे चावल नाइट्रोजन की प्राप्ति के लिए उनकी जडों में रहने वाले नील हरित जीवाणु (cyanobacteria) पर निर्भर करती हैं। नील हरित जीवाणु परा बेंगनी प्रकाश के लिए संवेदी हैं और वे इसके बढ़ने से प्रभावित होंगे। [25]

प्लेंक्टन पर प्रभाव

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अनुसंधान प्लेंक्टन (plankton) का व्यापक रूप से विलुप्त होना दर्शाता है, 2 मिलियन वर्ष पहले संयोगवश पास के सुपर नोवा (supernova) के साथ ऐसा हुआ। जब जरुरत से अधिक यू वी किरणें पृथ्वी को पहुँचती हैं तो प्लेंक्टन के अभिविन्यास और गतिशीलता में अन्तर आ जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि उस समय ओजोन परत में बहुत अधिक कमजोरी आ जाने के कारण यह विलोपन हुआ, जब सुपर नोवा से विकिरण ने नाइट्रोजन ऑक्साइड (nitrogen oxide) का उत्पादन किया जिसने ओजोन के विनाश को उत्प्रेरित (catalyzed) किया (प्लेंक्टन विशेष रूप से यू वी प्रकाश के प्रभाव के लिए विशेष रूप से संवेदनशील हैं और समुद्री खाद्य जाल (food web) के लिए जैविक रूप से महत्वपूर्ण हैं।)। [26]

ओजोन छिद्र की प्रतिक्रिया में सार्वजनिक नीति

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सीएफसी ने ओजोन परत को किस हद तक क्षति पहुंचाई है यह ज्ञात नहीं है और दशकों तक ज्ञात नहीं होगा। लेकिन ओजोन स्तम्भ में कमी को पहले से ही चिन्हित किया जा चुका है। (जैसा ऊपर बताया गया है)

1976 की एक रिपोर्ट के बाद अमेरिका के राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (U.S. National Academy of Sciences) ने निष्कर्ष निकला कि विश्वसनीय वैज्ञानिक सबूत ओजोन रिक्तीकरण परिकल्पना को समर्थन देते हैं, कुछ देशों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और नॉर्वे, ने एयरोसोल स्प्रे के डिब्बे में सीएफसी के उपयोग को समाप्त करना शुरू कर दिया है। उस समय पर यह अधिक व्यापक विनियम नीति की दिशा में पहले कदम के रूप में माना गया था लेकिन बाद के वर्षों में, इस दिशा में प्रगति धीमी हो गई। राजनैतिक कारणों (हेलोकर्बन उद्योग का निरंतर प्रतिरोध और रीगन के प्रशासन के पहले दो वर्षों के दौरान पर्यावरण नियमन के प्रति दृष्टिकोण में एक सामान्य परिवर्तन) और वैज्ञानिक विकास (बाद की राष्ट्रीय अकादमी के मूल्यांकन जो संकेत देते हैं कि ओजोन रिक्तीकरण के परिमाण का पहला अनुमान बहुत अधिक था) के संयोजन के कारण ऐसा हुआ। यूरोपीय समुदाय ने एयरोसोल स्प्रे में सीएफसी प्रतिबंध के प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया जबकि यू एस में सीएफसी का उपयोग प्रशीतन में और सर्किट बोर्डों की सफाई में जरी रहा। अमेरिका एयरोसोल प्रतिबंध के बाद दुनिया भर में CFC उत्पादन तेजी से कलम हो गया, लेकिन 1986 तक पुनः अपने 1976 के स्तर तक लौट गया था। 1980 में, ड्यूपॉन्ट (DuPont) ने हेलोकार्बन विकल्प में अपने अनुसंधान कार्यक्रम को बंद कर दिया।

अमेरिकी सरकार का रवैया फिर से 1983, में बदलने लगा, जब विलियम Ruckelshaus (William Ruckelshaus) ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (United States Environmental Protection Agency) के प्रशासक के रूप में ऐनी एम. Burford (Anne M. Burford) का स्थान ले लिया।Ruckelshaus और उनके उत्तराधिकारी, ली थॉमस, के समय में EPA ने हेलोकार्बन नियमन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण के लिए स्थान बनाया। 1985 में, प्रमुख CFC उत्पादकों सहित 20 राष्ट्रों ने वियना कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए जिसने ओजोन रिक्तिकरण पदार्थों के अंतरराष्ट्रीय नियमों पर बातचीत के द्वारा एक रूपरेखा तैयार की। उसी वर्ष, अंटार्कटिक ओजोन छिद्र की खोज की घोषणा हुई, जिसने जनता का ध्यान अपनी और आकर्षित किया। 1987 में, 43 राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (Montreal Protocol) पर हस्ताक्षर किए। इस बीच, हेलोकर्बन उद्योग ने अपनी स्थिति स्थानांतरित की और सी एफ सी के उत्पादन को सीमित करने के लिए एक प्रोटोकॉल का समर्थन करना शुरू कर दिया। इसके कारण को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, के पूर्व अध्यक्ष डॉ॰ मुस्तफा तोल्बा के द्वारा स्पष्ट किया गया, उन्हें 30 जून, 1990 को संस्करण न्यू साइंटिस्ट (New Scientist) में उद्धृत किया गया'... रसायन उद्योग ने 1987 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का समर्थन किया क्योंकि इसने सीएफसी को बाहर करने के लिए एक विश्वव्यापी अनुसूची की स्थापना की जो लंबे समय तक पेटेंट द्वारा सुरक्षित नहीं थी। इसने कम्पनियों को नए, ज्यादा लाभदायक यौगिकों के बाजार के लिए समान अवसर प्रदान किया।"[27]

मॉन्ट्रियल में, सहभागी सीएफसी के उत्पादन को 1986 के स्तर पर फ्रीज करने के लिए सहमत हो गए और 1999 तक उत्पादन को 50% तक कम कर दिया.अंटार्कटिक के लिए वैज्ञानिक अभियानों की एक श्रृंखला के बाद, इस बात के लिए सबूत अधिक मजबूत हो गए कि ओजोन छेद वास्तव में मानव निर्मित ओर्गेनो हेलोजन्स से उत्पन्न क्लोरीन और ब्रोमीन के कारण हुआ। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल लंदन में 1990 में एक बैठक में अधिक प्रबल बना दिया गया। प्रतिभागी 2000 तक सीएफसी और हेलोंस का उपयोग बंद कर देने के लिए सहमत हो गए। (केवल बहुत "जरुरी" अत्यन्त कम उपयोग जैसे अस्थमा श्वसन यंत्र (इन्हेलर) (asthma inhaler) को छोड़ कर) 1992 की बैठक में, कोपेनहेगन में इसे बाहर कर देने की तिथी 1996.तक कर दी गई।

कुछ हद तक, सीएफसी को कम हानिकारक हाइड्रो-क्लोरो फ्लोरो कार्बन (HCFC (HCFC)s), के द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है। यद्यपि चिंताएँ HCFCs के बारे में भी हैं। कुछ अनुप्रयोगों में, हाइड्रो-फ्लोरो कार्बन (HFC (HFC)s), का उपयोग सीएफसी को प्रतिस्थापित करने के लिए किया गया है,HFCs, जिसमें कोई क्लोरीन या ब्रोमीन नहीं है, ओजोन रिक्तीकरण में योगदान नहीं देते हैं, हालांकि वे शक्तिशाली ग्रीन हाउस गैसें हैं। इन यौगिकों में सबसे अच्छा ज्ञात योगिक संभवतः HFC-134a (R-134a (R-134a)) है, जिसने संयुक्त राज्य अमेरिका में ऑटोमोबाइल एयर कंडीशनरों में CFC-12 (R-12 (R-12)) को बड़े पैमाने पर प्रतिस्थापित कर दिया है। प्रयोगशाला विश्लेषण में (एक पूर्व "आवश्यक" उपयोग) ओजोन रिक्तिकरण पदार्थों को कई अन्य विलायकों के द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है।[28]

रिचर्ड Benedick (हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 1991) के द्वारा ओजोन कूटनीति, उस बातचीत की प्रक्रिया का विस्तृत ब्यौरा देती है जो मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का समर्थक है। Pielke और Betsill सीएफसी के द्वारा ओजोन के रिक्तीकरण के उभरते विज्ञान के लिए अमेरिकी सरकार की प्रारंभिक प्रतिक्रियाओं की एक व्यापक समीक्षा उपलब्ध कराती है।

ओजोन रिक्तीकरण की वर्तमान घटनाये और भविष्य की संभावनाये

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ओजोन-रिक्तीकरण गैस रुझान

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को अपनाने और उसे प्रबल बनाने के बाद से सीएफसी के उत्सर्जन में कमी आई है, सबसे महत्वपूर्ण यौगिकों का वातावारानीय सांद्रण कम हो गया है। ये पदार्थ धीरे धीरे वातवरण से विलुप्त हो रहे हैं। 2015 तक अंटार्कटिक ओजोन होल 25 में से 1 मिलियन किमी ² द्वारा कम हो जाएगा, (न्यूमेन एट अल., 2004);अंटार्कटिक ओजोन परत की पूरी वसूली 2050 तक या उसके बाद तक भी नहीं हो पायेगी। कार्य ने बताया है कि (और सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण) एक देखने योग्य क्षतिपूर्ति 2024 तक नहीं हो पायेगी, ओजोन परत की क्षतिपूर्ति 1980 के स्तर तक 2068 तक हो पायेगी। [29]

ओजोन रिक्तीकरण रसायनों में कमी ब्रोमीन-युक्त रसायनों में कमी के द्वारा प्रभावित होती है। आंकडे बताते हैं कि वायुमंडलीय मिथाइल ब्रोमाइड (methyl bromide)(CH3Br) के लिए पर्याप्त प्राकृतिक स्रोत उपलब्ध हैं।[30]

2004 ओजोन होल का नवम्बर 2004 में अंत हो गया, प्रतिदिन अंटार्कटिक के नीचले समताप मंडल में न्यूनतम तापमान इस स्तर तक बढ़ जाता है कि यह ध्रुवीय समताप मंडल के बादलों के लिए बहुत गर्म होता है, हाल ही के अधिकांश वर्षों में 2 से 3 सप्ताह पहले.[31]

2005 की आर्कटिक सर्दियों में संम्ताप मंडल अत्यधिक ठंडा था; PSCs कई उच्च अक्षांश क्षेत्रों पर प्रचुर मात्रा में थे जब तक एक बड़ी वार्मिंग घटना नहीं हुई, यह उपरी समताप मंडल में फरवरी में शुरू हुई और मार्च में पूरे आर्कटिक समताप मंडल में फ़ैल गई। आर्कटिक क्षेत्र का आकार 2004-2005 में कुल ओजोन का बहुत कम भाग था, यह 1997 के बाद से किसी भी वर्ष में अधिक था। 2004-2005 में कुल ओजोन में बहुत कमी समताप मंडल के बहुत कम ताप का कारण बनी और मौसम की स्थितियां ओजोन के विनाश के पक्ष में थीं और समताप मंडल में ओजोन का विनाश करने वाले रसायन निरंतर उपस्थित थे।[32]

ओजोन मुद्दों पर एक 2005 आईपीसीसी (IPCC) सारांश बताता है कि प्रेक्षणों और गणनाओं के अनुसार ओजोन रिक्तीकरण की वैश्विक औसत राशि अब लगभग स्थिर हो गई है। यद्यपि साल दर साल ओजोन में काफी परिवर्तनशीलता की उम्मीद की जाती है, ध्रुवीय क्षेत्र भि९ इसमें शामिल हैं, जहाँ रिक्तिकरण सबसे अधिक है, ओजोन रिक्तिकरण पदार्थों की सांद्रता में कमी के कारण आने वाले दशकों में ओजोन परत में सुधार की आशा की जाती है। ऐसा माना जा रहा है कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की पूर्ण अनुपालना की जायेगी.[33]

2006 की आर्कटिक सर्दियों के दौरान तापमान जनवरी के अंत तक दीर्घकालिक औसत के आस पास बना रहा। बार बार न्यूनतम तापमान इतना ठंडा रहा कि यह PSCs का निर्माण करने के लिए पर्याप्त था। जनवरी के अंतिम सप्ताह में एक मुख्य वार्मिंग घटना ने तापमान को सामान्य से भी ऊपर पहुँचा दिया; यह इतना अधिक गर्म था कि PSCs के लिए पर्याप्त था। समय के साथ ताप मान गिर कर मार्च में सामान्य हो गया। मौसम PSC सीमा से ऊपर उपयुक्त हो गया।[34] प्राथमिक उपग्रह उपकरणों के द्वारा बनाये गए ओजोन नक्शे, मौसमी ओजोन निर्माण को दर्शाते हैं, यह पूरे उत्तरी गोलार्द्ध के लिए दीर्घकालिक है, हालाँकि कुछ उच्च ओजोन घटनाएँ हुई हैं।[35] मार्च 2006 के दौरान, 60 डिग्री उत्तरी अक्षांश पर आर्कटिक स्ट्रैटोस्फियर कम ओजोन क्षेत्रों से मुक्त थी, मार्च 17 19 तक केवल तीन दिन की अवधि के लिए ऐसा नहीं था, जब ग्रीनलैंड से Scandinavia तक उत्तर अटलांटिक क्षेत्र के एक भाग के ऊपर कुल ओजोन का स्तर गिर कर 300 DU से नीचे आ गया।[36]

वह क्षेत्र जहाँ कुल ओजोन स्तम्भ 220 DU से कम है (ओजोन छेद की सीमा की स्वीकृत परिभाषा)20 अगस्त (20 August)2006तक अपेक्षाकृत रूप से छोटा था। उसके बाद से यह ओजोन होल क्षेत्र तेजी से बढ़ा, सितम्बर 24 (September 24) को 29 मिलियन किमी ² के साथ चोटी पर पहुँच गया। अक्टूबर 2006 में, नासाने रिपोर्ट किया कि वर्ष के ओजोन होल ने 7 सितंबर (7 September) और 13 अक्टूबर (13 October)2006 के बीच 26 मिलियन किमी ² के दैनिक औसत के साथ एक नया क्षेत्र रिकॉर्ड बनाया;कुल ओजोन की मोटाई 8 अक्टूबर को 85 DU तक गिर गई। ओजोन रिक्तिकरण के इतिहास में 2006 में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई। रिक्तिकरण का सम्बन्ध अंटार्कटिक के ऊपर तापमान से स्थापित किया गया है, 1979 में यह व्यापक रिकॉर्ड की शुरुआत पर न्यूनतम तक पहुँच गया था।[37][38]

अंटार्कटिक ओजोन होल दशकों के लिए जारी रहने की उम्मीद है। नीचले वायुमंडल में अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन की सांद्रता 2020 तक 5% -10% बढ़ जायेगी और 2060-2075 तक पूर्व 1980 के स्तर तक पहुँच जायेगी, 10-25 साल बाद उस स्तर पर पहुँच जायेगी जिसकी भविष्यवाणी पूर्व आकलन में की जा चुकी है। ऐसा ओजोन रिक्तिकारी पदार्थों की वायुमंडलीय सांद्रता के संशोधित अनुमानों के कारण है - और विकासशील राष्ट्रों में, भविष्य के उपयोग की भविष्यवाणी की वजह से है। एक अन्य कारक जो ओजोन रिक्तीकरण को बढाता है, वह है हवा पैटर्न बदलने के कारण समताप मंडल के ऊपर नाइट्रोजन आक्साइड की कमी.[39]

शोध का इतिहास

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मूलभूत भौतिक और रासायनिक प्रक्रिया जिसके द्वारा पृथ्वी के समताप मंडल में ओजोन परत का निर्माण होता है, उसकी खोज Sydney Chapman (Sydney Chapman) के द्वारा 1930 में में की गई। इसकी चर्चा लेख ओजोन-ऑक्सीजन चक्र (Ozone-oxygen cycle) में संक्षेप में की गई है, लघु तरंग दैर्घ्य के यूवी विकिरण एक आक्सीजन अणु (O2) को दो ऑक्सीजन परमाणुओं (O) में विभाजित कर देते हैं, जो अब एनी ऑक्सीजन अणुओं के साथ संयोजित हो कर ओजोन बनता है। ओजोन हट जाती है जब एक ऑक्सीजन परमाणु और एक ओजोन अणु "पुनः संयोजित " होकर दो ऑक्सीजन अणु बनाते हैं।O + O3 → 2O2। 1950 के दशक में, डेविड Bates और Marcel Nicolet ने इस बात के प्रमाण दिए कि विशेष हाइड्रोक्सिल (OH) और नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) में विभिन्न मुक्त मूलक इस पुनर संयोजन अभिक्रिया को उत्प्रेरित कर सकते हैं। और ओजोन की समग्र मात्रा में कमी लाते हैं। ये मुक्त मूलक समताप मंडल में उपस्थित माने जाते थे और इसलिए इन्हे प्राकृतिक संतुलन का एक हिस्सा माना जाता था; ऐसा माना गया कि उनकी अनुपस्थिति में ओजोन परत की मोटाई वर्तमान अवस्था से दो गुनी होती.

1970 में प्रो पॉल Crutzen (Paul Crutzen) ने बताया कि धरती की सतह से मिटटी के जीवाणुओं के द्वारा उत्पन्न होने वाली लम्बी आयु की गैस नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) समताप मंडल में नाइट्रिक ऑक्साइड की मात्रा को प्रभावित करती है। क्रुतजन ने दर्शाया कि नाइट्रस ऑक्साइड इतनी लंबे समय तक जीवित रहती है कि यह आसानी से समताप मंडल तक पहुँच जाती है, जहाँ यह NO में परिवर्तित हो जाती है। क्रुतजन ने नोट किया कि उर्वरकों (fertilizers) के उपयोग के बढ़ने से प्राकृतिक पृष्ठभूमि में नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन अधिक होता है, जो अंततः समताप मंडल में NO की मात्रा को बढाता है। इस प्रकार मानव गतिविधि समताप मंडल की ओजोन परत को प्रभावित करती है। अगले वर्षों में क्रुतजन और हेरोल्ड जॉनसन ने (स्वतंत्र रूप से) बताया कि NO उत्सर्जन नीचले समताप मंडल में उड़ने वाले सुपरसोनिक (supersonic)विमान से होता है, यह भी ओजोन रिक्तिकरण का कारण हो सकता है।

रौलेंड -मोलिना परिकल्पना

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1974 में इर्विन में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र के प्रोफेसर फ्रैंक Sherwood Rowland (Frank Sherwood Rowland) और उनके सहयोगी मारियो जे मोलिना (Mario J. Molina) ने बताया कि लम्बी आयु तक रहने वाले कार्बनिक हेलोजन योगिक जैसे CFC (CFC) उसी प्रकार से व्यव्हार करते हैं जैसे कि क्रुतजन ने नाइट्रस ऑक्साइड के मामले में बताया। James Lovelock (James Lovelock) (जिन्हें मुख्यतया गाया परिकल्पना (Gaia hypothesis) के निर्माता के रूप में जाना जाता है।) ने दक्षिण अटलांटिक में एक यात्रा के दौरान 1971 में खोजा कि 1930 में अपने आविष्कार के बाद से लगभग सभी CFC यौगिक आज भी वातावरण में उपस्थित हैं। मोलिना और Rowland ने निष्कर्ष निकाला है कि N2O, की तरह सीएफसी समताप मंडल में पहुँच कर यूवी प्रकाश द्वारा अपघटित होकर क्लोरीन परमाणु मुक्त करेंगे। (एक साल पहले, रिचर्ड Stolarski और Ralph Cicerone (Ralph Cicerone) ने मिशिगन विश्वविद्यालय में दर्शाया कि ओजोन के विनाश को उत्प्रेरित करने में क्लोरीन, नाइट्रिक ऑक्साइड की तुलना में अधिक प्रभावी है। इसी तरह के निष्कर्ष माइकल McElroy और स्टीवन Wofsy द्वारा हार्वर्ड विश्वविद्यालय में दिए गए। न केवल समूह ने यह माना कि सी एफ सी समताप मंडल की क्लोरीन के प्रबल स्रोत थे, इसके बजाय वे स्पेस शटल से उत्सर्जित होने वाली HCl के सम्भव प्रभावों की भी जांच कर रहे थे, जो बहुत ही कम हैं।

रोलेंड- मोलिना परिकल्पना पर एयरोसोल और हेलोकार्बन (halocarbon) उद्योगों के प्रतिनिधियों के द्वारा प्रबल विवाद उत्पन्न किए गए। बोर्ड के अध्यक्ष DuPont (DuPont) ने कहा की ओजोन रिक्तिकरण सिद्धांत "एक विज्ञान की कथा है।.. बिल्कुल बकवास है".[27] प्रेसिजन वाल्व निगम के अध्यक्ष रॉबर्ट Abplanalp (Robert Abplanalp)(पहली व्यावहारिक एयरोसोल स्प्रे वाल्व के आविष्कारक) ने यू सी इर्विन (UC Irvine) के कुलाधिपति को Rowland के सार्वजनिक बयानों (Roan, p 56.) की शिकायत के बारे में लिखा.इसके बावजूद, Rowland और मोलिना द्वारा दिए गए अधिकांश मूल मान्यताओं को प्रयोगशाला मापन के द्वारा पुष्टि दी गई और समताप मंडल में प्रत्यक्ष प्रेक्षणों के द्वारा इन्हे प्रमाणित किया गया। स्रोत गैसों का सांद्रण (CFC और संबंधित यौगिकों) और क्लोरीन रिज़रवायर प्रजातियों (एचसीएल और ClONO2) का पूरे समताप मंडल में मापन किया गया और इससे यह प्रर्दशित हुआ कि सीएफसी वास्तव में समताप मंडल की क्लोरीन का मुख्य स्रोत थे और लगभग सभी उत्पन्न सी एफ सी अंततः समताप मंडल में पहुँच जाते हैं। जेम्स एंडरसन जी और सहयोगीयों के द्वारा समताप मंडल में क्लोरीन मोनोऑक्साइड (ClO) के मापन से इसे और अधिक बल मिला। क्लोरीन मोनोऑक्साइड क्लोरीन की ओजोन के साथ क्रिया के द्वारा उत्पन्न होती है- इसके प्रेक्षणों ने प्रदर्शित किया कि क्लोरीन मूलक न केवल समताप मंडल में उपस्थित थे, बल्कि वास्तव में ओजोन के विनाश की क्रिया में शामिल थे।McElroy और Wofsy ने Rowland और मोलिना के काम को आगे बढाया और प्रदर्शित किया कि क्लोरीन परमाणु की तुलना में ब्रोमीन परमाणु ओजोन विनाश के लिए अधिक प्रभावी उत्प्रेरक हैं, उन्होंने तर्क दिया कि ब्रोमीन युक्त कार्बनिक योगिक जो हेलोन (halon) कहलाते हैं, अग्नि शामक में उनका व्यापक उपयोग किया जाता है, वे समताप मंडल की ब्रोमीन के मुख्य स्रोत थे। 1976 में अमेरिका की राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसने यह निष्कर्ष निकला कि ओजोन रिक्तिकरण परिकल्पना को वैज्ञानिक प्रमाणों का प्रबल समर्थन मिला है। वैज्ञानिकों ने यह गणना की कि यदि सी एफ सी का उत्पादन दस प्रतिशत की जारी दर के साथ 1990 तक बढ़ता रहे और फ़िर स्थिर हो जाए तो सी एफ सी 1995 तक ओजोन की 5 से 7%हानि कर चुकी होगी और 2050 तक 30 से 50% हानि कर चुकी होगी। इसकी प्रतिक्रिया में संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और नॉर्वे, ने एयरोसोल स्प्रे के डिब्बे में सीएफसी के उपयोग पर 1978 में रोक लगा दी। हालांकि, राष्ट्रीय अकादमी द्वारा 1979 और 1984 के बीच अनुसंधान के द्वारा जारी की गई रिपोर्टों में, यह प्रदर्शित होता है कि वैश्विक ओजोन हानि के प्रारंभिक अनुमान बहुत अधिक थे।

Crutzen, मोलिना और Rowland को समताप मंडल में ओजोन पर कार्य करने के लिए 1995 में रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

ओजोन छिद्र

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ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण (British Antarctic Survey) वैज्ञानिकों फरमान, गर्दिनेर और शंक्लिन के द्वारा अंटार्कटिक "ओजोन छिद्र की खोज" वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक आघात थी। (इसकी घोषणा एक समाचार पत्र में प्रकृति (Nature) में मई १९८५ में की गई।) क्योंकि ध्रुवीय ओजोन में प्रेक्षित कमी प्रत्याशा से बहुत अधिक थी। दक्षिण ध्रुव (south pole) के चारों और ओजोन की भारी कमी का प्रदर्शन करने वाले उपग्रह मापन उसी समय पर उपलब्ध हो रहे थे। हालांकि, इन्हें प्रारम्भ में डाटा गुणवत्ता नियंत्रण एल्गोरिदम के द्वारा अनुचित मानते हुए अस्वीकृत कर दिया गया (इन्हें त्रुटियों के रूप में हटा दिया गया क्योंकि मतराएँ अप्रत्याशित रूप से बहुत कम थीं); ओजोन छेद को केवल उपग्रह आंकडों में पता लगाया गया जब कच्चे आंकडों को स्वस्थानी प्रेक्षणों में ओजोन रिक्तिकरण के प्रमाणों के लिए पुनः जांचा गया। जब सॉफ्टवेयर झंडे के बिना लौटा तो ओजोन छेद को पीछे 1976 में देखा गया था।[40]

सुसान सुलैमान (Susan Solomon), जो राष्ट्रीय समुद्रीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) में एक वायुमंडलीय रसायनज्ञ हैं, उन्होंने बताया कि ठंडे अंटार्कटिक समताप मंडल में ध्रुवीय समताप मंडल के बादल (polar stratospheric cloud) पर रासायनिक अभिक्रिया के कारण क्लोरीन की मात्रा में एक विशाल है, यद्यपि स्थानीय और मौसमी वृद्धि होती है जो ओजोन को नष्ट करती है। अंटार्कटिका में ध्रुवीय समताप मंडलीय बदल केवल तभी बनते हैं, जब तापमान -80 डिग्री Cतक कम हो जाता है और बसंत की प्रारंभिक स्थितियां होती हैं। ऐसी स्थितियों में, बादल के बर्फ के क्रिस्टल निष्क्रिय क्लोरीन योगिकों के सक्रीय क्लोरीन योगिकों में परिवर्तन हेतु उपयुक्त सतह उपलब्ध करते हैं जो ओजोन को आसानी से नष्ट कर सकते हैं।

इसके अलावा अंटार्कटिका के ऊपर बने हुए ध्रुवीय भंवर बहुत तंग होते हैं और अभिक्रिया जो बादल के क्रिस्टल की सतह पर होती है, वायुमंडल में होने वाली अभिक्रिया से बहुत अलग होती है। इन स्थितियों ने अंटार्कटिका में ओजोन छेद का निर्माण किया है। इस परिकल्पना को पहले प्रयोगशाला मापन के द्वारा और फ़िर प्रत्यक्ष मापन के द्वारा निर्णायक रूप से सुनिश्चित किया गया। यह मापन भू स्तर से और फ़िर ऊंचाई से किया गया, इस मापन में अंटार्कटिक समताप मंडल में क्लोरीन मोनोऑक्साइड (ClO) की उच्च सांद्रता को मापा गया।

वैकल्पिक परिकल्पना, जो यू वि विकिरण में भिन्नता के लिए ओजोन छेद को स्पष्ट करती है और वायुमंडलीय परिसंचरण पैटर्न में परिवर्तन को स्पष्ट करती है, इस पर जांच की गई और इसे अस्थिर बताया गया।

इस बीच, भू आधारित डोबसन स्पेक्ट्रो-फोटो-मीटर के विश्वव्यापी नेटवर्क से ओजोन के मापन का विश्लेषण किया गया इससे यह निष्कर्ष निकला कि ओजोन परत वास्तव में उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के बाहर सभी अक्षांश पर नष्ट हो रही थी। इन प्रवृत्तियों की उपग्रह माप के द्वारा पुष्टि की गई। एक परिणाम के रूप में, मुख्य हेलोकार्बन उत्पादक राष्ट्रों ने, सीएफसी और हेलोन और सम्बंधित योगिकों के उत्पादन पर रोक लगा दी, यह प्रक्रिया 1996 में पूरी हुई।

1981 के बाद से संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme) ने ओजोन रिक्तीकरण के वैज्ञानिक मूल्यांकन (scientific assessment of ozone depletion) पर रिपोर्टों की एक श्रृंखला जारी की। सबसे हाल ही के प्रेक्षण 2007 से हैं जहाँ उपग्रह मापन ने दर्शाया कि ओजोन परत का छेद ठीक हो रहा है और अब यह एक दशक में सबसे छोटा रह गया है।[4]

ओजोन विज्ञान और नीति के सम्बन्ध में विवाद

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ओजोन रिक्तीकरण को वैज्ञानिक समुदाय में अधिक गंभीर विवाद के रूप में नहीं लिया जाता है।[41] वायुमंडलीय भौतिकविदों और दवा विक्रेताओं के बीक एक आम सहमति है कि वैज्ञानिक समझ उस स्तर तक पहुँच गई है जहाँ CFC उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए उठाये गए कदम उचित हैं, यद्यपि नीति निर्माताओं के लिए फैसला अंततः एक ही होता है।

इस सहमति के बावजूद, ओजोन रिक्तीकरण के पीछे का विज्ञान जटिल बना हुआ है और जो लोग इस पर बल देने के विरुद्ध हैं, कुछ अनिश्चितताओं की और इशारा करते हैं। उदाहरण के लिए यद्यपि यू वी बी के बढे हुए स्तर ने मेलानोमा के जोखिम को बढ़ा दिया है, सांख्यिकीय आंकडों के लिए यह स्थापित करना मुश्किल है कि ओजोन रिक्तिकरण और मेलानोमा की दर में वृद्धि के बीच सम्बन्ध है। यद्यपि मेलानोमा में 1970-1990 के दौरान काफी वृद्धि हुई है, ओजोन रिक्तिकरण प्रभाव को जीवन शैली के कारकों में परिवर्तन के प्रभाव से पृथक करना मुश्किल है। (उदाहरण हवाई यात्रा की दरों में वृद्धि)

ओजोन रिक्तीकरण और ग्लोबल वार्मिंग

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यद्यपि वे अक्सर मास मीडिया (mass media) में अन्तर सम्बंधित किए जाते हैं, ग्लोबल वार्मिंग और ओजोन रिक्तिकरण के बीच सम्बन्ध प्रबल नहीं है। संपर्क के चार क्षेत्र हैं:

  • समान CO2 विकिरण बल जो सतह के नजदीक ग्लोबल वार्मिंग उत्पन्न करते हैं, उनसे आशा की जाती है कि वे समताप मंडल (stratosphere) को ठंडा कर देंगे। आशा है कि तापमान में यह कमी ध्रुवीय ओजोन (o3) रिक्तीकरण में वृद्धि और ओजोन छिद्र की आवृत्ति का कारण होगी।
 
विभिन्न ग्रीनहाउस गैसों (greenhouse gas) और अन्य स्रोतोंसे विकिरण प्रबलता (Radiative forcing)
  • इसके विपरीत, ओजोन रिक्तिकरण जलवायु तंत्र के एक विकिरण प्रबल प्रणाली का प्रतिनिधित्व करता है। यहाँ दो विरोधी प्रभाव हैं; ओजोन में कमी के कारण समताप मंडल कम सौर विकिरणों को अवशोषित कर पाता है, इस प्रकार से जब क्षोभ मंडल (troposphere) गर्म होता है तब समताप मंडल ठंडा हो जाता है; परिणामी ठंडा समताप मंडल कम लम्बी-तरंग विकिरणों को नीचे की और उत्सर्जित करता है, इस प्रकार क्षोभ मंडल ठंडा हो जाता है। कुल मिलाकर, तापमान में कमी प्रभावी होती है; आईपीसीसी का निष्कर्ष है कि " प्रेक्षित समताप मंडल की O3 पिछले दो दशकों से नष्ट हो रही है, यह सतह के समताप मंडल तंत्र के ऋणात्मक बलों का कारण है, "[42] इसका मान प्रति वर्ग मीटर−0.15 ± 0.10 वाट (watt) है।[43]
  • ओजोन रिक्तिकरण के रसायन भी ग्रीन हाउस गैसें हैं। इन रसायनों की सांद्रता में वृद्धि से 0.34 ± 0.03 W/m²मान के विकिरण बल उत्पन्न हुए हैं। जो उन कुल विकिरण बलों के 14% हैं, जो मिश्रित ग्रीन हाउस गेसों की सांद्रता वृद्धि के कारण हैं।[43]
  • प्रक्रिया की दीर्घकालिक मॉडलिंग, इसका मापन, अध्ययन, सिद्धांतों के डिजाइन और दोनों दस्तावेजों की जांच, को व्यापक स्वीकृति मिलती है और अंततः यह प्रभावी प्रतिमान बन जाते हैं। ओजोन के विनाश के बारे में कई सिद्धांत, 1980 के दशक में दिए गए, 1990 के दशक के अंत में प्रकाशित हुए और वर्तमान में इन्हें सिद्ध किया जा रहा है। नासा के गोडार्ड, डॉ॰ ड्रयू स्किन्दल और डॉ॰ पॉल न्युमैन ने 1990 के दशक के अंत में एक सिद्धांत दिया, इसके लिए SGI ओरिजिन 2000 (SGI Origin 2000) सुपरकंप्यूटर का उपयोग किया, इसके अनुसार ओजोन विनाश ने लगभग 78 प्रतिशत ओजोन को नष्ट कर दिया। इस मोडल के अगले परिष्करण ने 89% ओजोन के विनाश के बारे में बताया, लेकिन यह कहा कि 75 साल से 150 सालों के बीच ओजोन छेद में सुधार होगा। (इस मॉडल का एक महत्वपूर्ण भाग यह है कि जीवाश्म ईंधन की कमी के कारण समताप मंडल की उड़ान में कमी आ गई है।)

ओजोन रिक्तीकरण के बारे में भ्रांतियां

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ओजोन रिक्तिकरण के बारे में कम या अधिक गलतफहमीईन को यहाँ संक्षिप्त में बताया गया है; अधिक विस्तृत वर्णन ओजोन-रिक्तीकरण अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न में पाया जा सकता है।

सीएफसी "इतने भारी" होते हैं कि ये समताप मंडल तक नहीं पहुँच पते हैं।

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कई बार ऐसा कहा जाता है कि चूँकि सी एफ सी अणु नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से अधिक भारी होते हैं, वे पर्याप्त मात्र में समताप मंडल तक नहीं पहुँच पाते हैं।[45] लेकिन वायुमंडलीय गैसों को वजन के द्वारा पृथक नहीं किया जा सकता है; वायु के बल इतने प्रबल होते हैं कि ये गेसों को पूरी तरह से मिश्रित कर देते हैं। सी एफ सी हवा से भारी होते हैं, लेकिन, आर्गन, क्रिप्टन और लंबे जीवनकाल युक्त अन्य भारी गैसों की तरह ही ये टर्बोस्फेयर (turbosphere) में सामान रूप से वितरित होते हैं और वायुमंडल के उपरी भाग में पहुँच जाते हैं।[46]

मानव निर्मित क्लोरीन प्राकृतिक स्रोतों की तुलना में महत्वपूर्ण नहीं है।

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अक्सस्र महसूस की जाने वाली आपत्तियां हैं, कि सामान्यतया यह माना जाता है कि क्षोभ मंडल की क्लोरीन के प्राकृतिक स्रोत (ज्वालामुखी, समुद्री स्प्रे, आदि), मानव निर्मित स्रोतों से परिमाण में चार से पाँच गुना अधिक हैं।जबकि कड़वी सच्चाई यह है कि क्षोभ मंडल की क्लोरीन अप्रासंगिक है, केवल समताप मंडल की क्लोरीन ही ओजोन रिक्तिकरण का कारण है। समुद्र स्प्रे से उत्पन्न क्लोरीन घुलनशील है और इस प्रकार समताप मंडल में पहुँचने से पहले ही वर्षा के जल में घुल जाती है। इसके विपरीत सी एफ सी अघुलनशील हैं और इनका जीवन काल अधिक होता है, इसी वजह से ये समताप मंडल में पहुँच पाते हैं। यहाँ तक कि नीचले वायुमंडल में सी एफ सी के रूप में अधिक क्लोरीन उपस्थित है और सम्बंधित हेलोएल्केन (haloalkane) भी उपस्थित हैं, इसकी तुलना में लवण के स्प्रे से उत्पन्न होने वाले HCl में क्लोरीन की मात्रा कम है। समताप मंडल में हेलोकार्बन अधिक प्रभावी हो जाते हैं।[47] इनमें से केवल एक ही हेलोकार्बन, मिथाइल क्लोराइड मुख्य प्राकृतिक स्रोत है, यह समताप मंडल में 20 प्रतिशत क्लोरीन के लिए उत्तरदायी है; शेष 80 प्रतिशत मानव निर्मित यौगिकों से आती हैं।

बहुत बड़ी ज्वालामुखी विस्फोट सीधे समताप मंडल में HClको छोड़ सकते हैं। लेकिन प्रत्यक्ष मापन[48] दर्शाते हैं कि सी एफ सी की क्लोरीन की तुलना में इनका योगदान कम है। इसी तरह का एक गलत दावा है कि रॉस द्वीप, अंटार्कटिका पर माउंट एरेबेस के ज्वालामुखी से घुलनशील हलोजन यौगिक अंटार्कटिक ओजोन छेद के लिए प्रमुख रूप से योगदान दे रहे हैं।

एक ओजोन छिद्र को सबसे पहले 1956 में देखा गया।

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जी एम बी डोबसन (G.M.B. Dobson)(Exploring the Atmosphere, दूसरा संस्करण, ओक्स्फोर्ड,1968) के अनुसार बसंत ऋतु ओजोन स्तर ख़त्म हुए, हैली Bay (Halley Bay) का पहला मापन किया गया, उन्हें यह जान कर आश्चर्य हुआ कि ये ~320 DU थे, बसंत के स्तर से लगभग 150 DU कम, यह आर्कटिक में ~450 DUथा। हालाँकि ये सामान्य जलवायवीय मान के पूर्व ओजोन छेद थे। डोबसन के अनुसार आधार रेखा जिससे ओजोन छेद को मापा जाता है: वास्तविक ओजोन छेद का मान 150–100 DU की रेंज में है।

डोबसन ने आर्कटिक और अंटार्कटिक के बीच जो फर्क देखा वह था, समय. आर्कटिक वसंत के दौरान ओजोन स्तर बिना रुकावट के बढ़ा, अप्रैल में उच्चतम हो गया, जबकि अंटार्कटिक में यह बसंत ऋतु के प्रारंभिक समय के दौरान स्थिर रहा, नवम्बर में अचानक बढ़ा, जब ध्रुवीय भंवर टूट गया।

अंटार्कटिक ओजोन होल में देखा गया व्यवहार पूरी तरह से भिन्न है। स्थिर रहने के बजाय, प्रारंभिक बसंत ऋतु के ओजोन स्तर अपनी पहले से निम्न सरदी वाली मात्रा से अचानक पचास प्रतिशत तक गिर गए। और दिसम्बर तक सामान्य मात्राएँ नहीं आयीं। [49]

यदि सिद्धांत सही था, ओजोन छेद को सी एफ सी के स्रोत से ऊपर होना चाहिए.

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सीएफसी क्षोभ मंडल (troposphere) और समताप मंडल (stratosphere) में ठीक प्रकार से मिश्रित होते हैं। अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन छेद का कारण यह नहीं है कि वहाँ अधिक सीएफसी हैं लेकिन कम तापमान ध्रुवीय समताप मंडल के बादलों का निर्माण करते हैं।[50] ग्लोब के अन्य भागों के ऊपर उपस्थित महत्वपूर्ण, गंभीर "छेदों", की असंगत खोजें की गई हैं।[41]

"ओजोन छिद्र" ओजोन परत में एक छिद्र है।

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जब "ओजोन होल" बनता है, निश्चित रूप से नीचले समताप मंडल में ओजोन का विनाश होता है। उपरी समताप मंडल कम प्रभावित होता है, यद्यपि महाद्वीप के ऊपर ओजोन की कुल मात्रा में पचास प्रतिशत या अधिक की कमी आई है। ओजोन छेद पूरी परत में एक समान रूप से नहीं होता है; दूसरी शब्दों में यह परत का एक समान रूप से पतला होने की प्रक्रिया नहीं है। यह एक "छेद"है जैसे "भूमि में एक छेद हो", एक गड्ढा, इसका अर्थ "विंड शील्ड में एक छेद" से नहीं लगाया जा सकता है।

विश्व ओजोन दिवस

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1994 में, संयुक्त राष्ट्र सामान्य सभा (United Nations General Assembly)16 सितंबर (September 16) को "विश्व ओजोन दिवस" घोषित किया और 1987 में बने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (Montreal Protocol) पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हो गया।

यह भी देखिए

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अतकनीकी पुस्तकें

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  • Dotto, Lydia and Schiff, Harold (1978)। ओजोन युद्ध.डबलडे ISBN 0-385-12927-0
  • रोन, शेरोन (1990)। ओजोन संकट, अचानक हुए एक ग्लोबल आपातकाल का 15 सालों में विकास.विले ISBN 0-471-52823-4
  • Cagin, Seth and Dray, Phillip (1993)। पृथ्वी और आकाश के बीच: सीएफसी ने कैसे हमारी दुनिया को बदल डाला और ओजोन परत को खतरे में दाल दिया। Pantheon.ISBN 0-679-42052-5

सार्वजनिक नीति के मुद्दों पर पुस्तकें

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  • बेनेडिक, रिचर्ड ई. (1991)। ओजोन कूटनीति.हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस.ISBN 0-674-65001-8 (राजदूत बेनेडिक उन बैठकों में प्रमुख अमेरिकी वार्ताकार था जिनमें मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को बनाया गया। )
  • Litfin, Karen T. (1994)। ओजोन डिसकोर्सेस कोलंबिया विश्वविद्यालय प्रेस.ISBN 0-231-08137-5

बाहरी सम्बन्ध

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  1. समताप मंडलीय ओजोन: एक इलेक्ट्रॉनिक पाठ्यपुस्तक, अध्याय 5, धारा 4.2.8, [5] Archived 2009-03-04 at the वेबैक मशीन
  2. "क्लोरो फ्लोरो कार्बन के द्वारा समताप मंडल की ओजोन का रिक्तिकरण-पृथ्वी का विश्वकोश". मूल से 9 सितंबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 फ़रवरी 2009.
  3. "प्रकृति". मूल से 8 मार्च 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 फ़रवरी 2009.
  4. क्लोरीन पेरोक्साइड, ClOOCl का पराबैंगनी अवशोषण स्पेक्ट्रम Archived 2008-10-05 at the वेबैक मशीन Archived 2008-10-05 at the वेबैक मशीन
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