कंप्यूटर

अंकगणित या तर्क से जुड़े काम करने के लिए डिवाइस
(कमप्यूटर से अनुप्रेषित)

कंप्यूटर या संगणक एक मशीन है जिसे अंकगणित या तर्क से जुड़े काम को अपनेआप पूरा करने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है। आधुनिक डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर प्रोग्राम के तरह जाने जानेवाले काम के सामान्य सेट कर सकते हैं। ये प्रोग्राम कंप्यूटर को तरह-तरह के कामों को करने में सक्षम बनाते हैं। कंप्यूटर सिस्टम एक नाम के लिए कंप्यूटर है जिसमें हार्डवेयर, ऑपरेटिंग सिस्टम (मुख्य सॉफ्टवेयर), और पैरीफैरल डिवाइस शामिल हैं जो ज़रूरी हैं और पूरे गणना के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। ये शब्द उन कंप्यूटरों के ग्रुप को भी इशारा कर सकता है जो लिंक किए गए हैं और एक साथ काम करते हैं, जैसे कंप्यूटर नेटवर्क या कंप्यूटर क्लस्टर।

इनपुट पैरामीटर डालता इंसान
कॉलोसस मार्क 2 कंप्यूटर
वैक्युम ट्यूब बदलता आदमी
कंप्यूटरों की कतार
वीडियो गेम कॉनसोल
समार्टफोन
कंप्यूटर के अलग-अलग युगों से कंप्यूटर डिवाइस
ऊपरी कतार: अपनेआप चलनेवाला मशीनी कैलकुलेटर (1820) (डिफ्रेंस इंजन), पहली पीढ़ी का कंप्यूटर (कॉलोसस मार्क 2 कंप्यूटर)
बिचली कतार: शुरुआती वैक्युम ट्यूब कंप्यूटर (एनिऐक), सुपरकंप्यूटर (आईबीएम सम्मिट)
निचली कतार: वीडियो गेम कॉनसोल (निनटेंडो गेमक्यूब), स्मार्टफोन (लाइफ वॉटर 2)

कई उद्योगिक और ग्राहक प्रोडक्ट कंप्यूटर का इस्तेमाल कंट्रोल सिस्टम के तरह करते है। इसमें माइक्रोवेव अवन और रिमोट कंट्रोल जैसे खास काम के लिए बने डिवाइस तो शामिल हैं ही, उद्योगिक रोबोट और कंप्यूटर से बने डिज़ाइन के कारखानों के डिवाइस भी शामिल है, और पर्सनल कंप्यूटर जैसे सामान्य काम के लिए बने डिवाइस और स्मार्टफोन जैसे मोबाइल डिवाइस भी शामिल हैं। कंप्यूटर इंटरनेट को चलाता हैं, जो अरबों कंप्यूटरों और यूज़रों को जोड़ता है।

शुरुआती कंप्यूटर सिर्फ गणना के लिए इस्तेमाल किए जाते थे। अबैकस जैसे आसान मैनुअल डिवाइसों ने प्राचीनकाल से गणना करने में लोगों की मदद की है। उद्योगिक क्रांति की शुरुआत में, कुछ मशीनी डिवाइसों को लंबे, थकाऊ कामों को अपनेआप करने के लिए बनाया गया था, जैसे कि करघे के लिए पैटर्न दिखाना। ज़्यादा जटिल इलेक्ट्रिक मशीनों ने 20वीं शताब्दी की शुरुआत में ऐनलॉग गणना में माहरत पाई। पहले डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक गणना मशीनें दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान विकसित की गई थीं। 1940 के दशक के आखिर में सैमीकंडक्टर ट्रांज़िस्टर के बनने के बाद 1950 के दशक के आखिर में सिलिकॉन-आधारित मॉसफेट (मॉस ट्रांज़िस्टर) और मोनोलिथिक इंटीग्रेटेड सर्किट चिप बने, जिससे 1970 के दशक में माइक्रोप्रोसेसर और माइक्रोकंप्यूटर क्रांति हुई। तब से कंप्यूटर की रफ्तार, ताकत, और प्रतिभा बहुत तेज़ी से बढ़ रही है, और साथ में ट्रांज़िस्टर रफ्तार तेज़ रफ्तार से बढ़ रही है (जैसा मूर नियम ने भविष्यवाणी की थी), जिससे 20वीं शताब्दी के आखिर से 21वीं की शुरुआत के दौरान डिजिटल क्रांति हुई।

इतिहासिक रूप से, एक आधुनिक कंप्यूटर में कम-से-कम एक प्रोसेसिंग हिस्सा होता है, जो आमतौर पर माइक्रोप्रोसेसर के तरह एक सीपीयू होता है, जिसके साथ किसी तरह का कंप्यूटर मेमोरी, आमतौर पर सैमीकंडक्टर मेमोरी चिप, भी होता है। प्रोसेसिंग हिस्सा अंकगणित और तर्क से जुड़े काम करता है, और सीक्विंस और कंट्रोल यूनिट रखे गए डाटा के जवाब में काम के कतार को बदल सकती है। पैरीफैरल डिवाइसों में इनपुट डिवाइस (कीबोर्ड, जॉयस्टिक, वगैरह), आउटपुट डिवाइस (मॉनिटर स्क्रीन, प्रिंटर, वगैरह), और इनपुट/आउटपुट डिवाइस जो दोनों काम करता हैं (उदाहरण के लिए, 2000-युग टचस्क्रीन) शामिल हैं। पैरीफेरल डिवाइस जानकारी को बाहरी जगह से लाने की अनुमति देते हैं और काम के नतीजे को सेव करने और वापस लाने में सक्षम बनाते हैं।

शब्द इतिहास

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एक इंसानी कंप्यूटर, माइक्रोस्कोप और कैलकुलेटर के साथ, 1952

कंप्यूटर शब्द का पहला इस्तेमाल साल 1613 में अंग्रेज लेखक रिचर्ड ब्रेथवेट की किताब "द यंग मैन ग्लीनिंग्स" में पाया गया है: मैंने टाइम्स के सबसे सही कंप्यूटर को पढ़ा है, और सबसे अच्छे अंकगणितज्ञ को, और उसने दिन को छोटे नंबर में बदल दिया। यहा कंप्यूटर से उनका मतलब एक इंसानी कंप्यूटर से है, एक ऐसा व्यक्ति जो गणना या कैलकुलेशन करता है। कंप्यूटर शब्द का ये मतलब 20वीं शताब्दी के बीच तक चला। इस युग के आखिरी में ज़्यादातर समय इंसानी कंप्यूटर के तरह औरतों को भाड़े रखा जाता था क्योंकि वो कम पैसे में काम करती थी।[1] 1943 तक, ज़्यादातर इंसानी कंप्यूटर औरते थीं।[2]

कंप्यूटर शब्द का आधुनिक मतलब, 'एक प्रोग्राम करनेलायक डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक मशीन', 1945 से है, और इसका औपचारिक इस्तेमाल, 1937 से "ट्यूरिंग मशीन" के संदर्भ में है।[3]

20वीं शताब्दी से पहले

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इशांगो हड्डी, हज़ारों साल पुराना हड्डी औज़ार

डिवाइसों का इस्तेमाल हजारों सालों से गणना में मदद के लिए किया गया है, ज़्यादातर वक्त उंगलियों के साथ एक-से-एक का संपर्क रखे। सबसे शुरुआती गिनती डिवाइस एक टैली स्टिक के तरह होना चाहिए। बाद में उर्वर अर्धचंद्र में रिकॉर्ड रखनेवाले डिवाइसों में कैल्कुली (मिट्टी के गोले, टोपी, वगैरह) शामिल थे, जो चीज़ो की संख्या बताते थे। ये चीज़ें, जो खोखले बिना पके हुए मिट्टी के कंटेनरों में रखे जाते थे, जानवर या अनाज होने चाहिए।[4] "छड़ गिनती" का इस्तेमाल इसका एक उदाहरण है।

 
चीनी सुअनपान (अबैकस पर 6,30,27,15,408 दिख रहा है)

अबैकस का इस्तेमाल शुरू में अंकगणित कामों के लिए किया गया था। रोमन अबैकस को 2400 ईसा पूर्व की शुरुआत में बेबीलोनिया में इस्तेमाल किए जानेवाले डिवाइसों से बनाया गया था। तब से, गणना बोर्ड या तालिका के कई दूसरे रूपों का आविष्कार किया गया है। एक मध्ययुग के यूरोपीय गिनती घर में, एक चेक किया हुआ कपड़ा मेज़ पर रखा जाता था, और मार्करों को कुछ नियमों के हिसाब से उस पर चारों तरफ घुमाया जाता, जिससे पैसे के रकम की गणना करने में मदद होती।[5]

 
प्राचीन यूनान का 150-100 ईसा पूर्व में बना अनथिखिथीरा मशीन दुनिया के सबसे पुराने एनलॉग कंप्यूटरों में शामिल हैं।

डेरेक जे. डी सोला प्राइस के हिसाब से, अनथिखिथीरा को सबसे पुराना ज्ञात एनलॉग कंप्यूटर माना जाता है।[6] इसे खगोल में गणना करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। ये 1901 में ग्रीक द्वीप अनथिखिथीरा के अनथिखिथीरा मलबे में खोजा गया था। ये लगभग 100 ईसा पूर्व का था। अनथिखिथीरा मशीन के जैसे जटिल डिवाइस 14वीं शताब्दी तक फिर नहीं हुए।[7]

प्राचीन और मध्ययुग में खगोलीय और नौसंचालन गणनाओं के लिए कई एनालॉग कंप्यूटरों को बनाया गया था। प्लेनिस्फीयर एक स्टार चार्ट था जिसका आविष्कार 11वीं शताब्दी की शुरुआत में अल-बिरुनी ने किया था।[8]

 
निजी अभिकलित्र (पीसी) के प्रमुख भाग

एक अभिकलित्र (संगणक) निम्नलिखित चार भागों से मिलकर बनता है : निविष्ट यंत्र , संसाधन यंत्र , निर्गम यंत्र और भंडारण यंत्र। (युक्ति को यंत्र भी कहा जता है।)

निविष्ट यंत्र(इनपुट डिवाइस)

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  • निविष्ट यंत्र या इनपुट डिवाइस उन उपकरणों को कहते हैं जिसके द्वारा निर्देशो और आंकडों को संगणक में भेजा जाता है। जैसे- कुन्जी पटल (की-बोर्ड), माउस, जॉयस्टिक, ट्रैक बाल आदि।
    1. कीबोर्ड
    2. माउस
    3. माइक्रोफ़ोन या माइक
    4. क्रमवीक्षक (स्कैन्नर), अंकीय कैमेरा
    5. टच-स्क्रीन, टच-पैड
    6. जॉयस्टिक,

केंद्रीय प्रक्रमन इकाई

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  • केंद्रीय प्रक्रमन इकाई (सीपीयू), संसाधन युक्ति या विचार युक्ति - यह अभिकलित्र की मूल संक्रियात्मक इकाई है जो आगम उपकरणों द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुरूप कार्य कर उसे निर्गत इकाई को भेजती है। इसके तीन भाग होते हैं:
    1. बही या पंजी (रजिस्टर) - सबसे पहले जिन आंकड़ों या सूचनाओं पर काम करना होता है, उन्हें अभिकलित्र स्मृति से बही में अंकित किया जाता है। अलग अलग प्रक्रियाओं के लिए अलग अलग बही होते हैं आंकिक एवं तर्क इकाई की संक्रिया के बाद सूचनाएं पुनः बही में दर्ज होती हैं और वापस स्मृती में भेजी जाती हैं।
    2. आंकिक एवं तर्क इकाई - यह इकाई बही में दर्ज सूचनाओं पर निर्देशों के अनुसार कार्य करती है तथा परिणाम को पुनः उपयुक्त बही में दर्ज कर देता है।
    3. नियन्त्रण इकाई - यह केंद्रिय प्रसाधन इकाई की सभी क्रियाओं का नियंत्रण करती है। जैसे कि स्मृति से सूचनाएं बही में वहाँ से आंकिक एवं तर्क इकाई में, वापस बही में तथा वहाँ से स्मृति में वापस जाने की प्रक्रिया पर यह इकाई नियंत्रण रखती है।

सूचना भंडारण उपकरण

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पीसी में प्रयुक्त 64MB एसडीरैम (SDRAM)
  • सूचना भंडारण उपकरण या सुरक्षण उपकरण - यह अभिकलित्र में प्रयुक्त सूचनाएं सहेजती है।
    1. अल्‍पकालिक भंडारण उपकरण - कम समय तक सूचना के भंडारण के लिये
      1. यादृच्छिक अभिगम स्‍मृति या रैम (RAM)|रैंडम एक्सैस मैमोरी (रैम)
      2. पठन स्‍मृति या रीड ओन्ली मेमोरी (रौम)
    2. दीर्घकालिक भंडारण उपकरण - लंबे समय तक सूचना के भंडारण के लिये
      1. हार्ड ड्राइव या हार्ड डिस्क
      2. हटाये जा सकने वाला भंडारण उपकरण
        1. नम्यिका (फ्लॉपी डिस्क)
        2. कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी)
        3. अंकीय वीडियो डिस्क (डीविडी)
        4. चपला स्मृति भंडारण युक्ति या फ्लैश मेमोरी स्तोरेज डिवाइस
          1. यूऍसबी फ्लैश ड्राइव या फ्लैश मेमोरी ड्राइव
          2. फ्लैश मेमोरी कार्ड या फ्लैश मेमोरी स्तिक
        5. ब्ल्यू-रे डिस्क

निर्गम यंत्र

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  • निर्गम यंत्र (आउटपुट डिवाइस)- इसमें वे सभी उपकरण शामिल हैं जिनसे प्रसाधित सूचनाएं या सामग्री मानवीय उपयोगी उत्पाद के रूप में बाहर आती हैं॥ जैसे-
    1. प्रदर्शक (मॉनिटर) - इसकी सहायता से प्रसाधित सामग्री दृश्य रूप में प्रकट होती है॥
      • स्क्रीन स्क्रीन पर चित्र य चल्चित्र प्रकट होते है। ये प्रदर्शक से जुड़ा होता है।
    2. मुद्रक- इसकी सहायता से निर्गत सामग्री को कागज़ पर मुद्रित किया जाता है। इसे अन्ग्रेजी भाषा में प्रिंटर भी कहते है।
    3. भोंपू - इसे स्पीकर भी कह्ते है, जैसा कि नाम से ही पता चलता है, ये आवाज निकालने का काम करता है। इसका उपयोग अभिकलित्र में चालू किसी भी प्रक्रिया से उत्पन्न आवाज को उपयोगकर्ता तक पहुंचाने के लिये किया जाता है।

अभिकलित्र का मुख्य कार्य दिये गये आंकड़े को जमा कर उसपर दिए गए निर्देशों के अनुरूप काम कर परिणाम देना है॥ कार्यक्षमता के आधार पर इसे निम्नलिकित श्रेणियों में बाँटा गया है- सुपर संगणक, मेनफ्रेम संगणक मिनी संगणक, एव माइक्रो संगणक आदि। सुपर संगणक इनमें सबसे बडी श्रेणी होती है, तथा माइक्रो संगणक सबसे छोटी।

  • सुपर संगणक सबसे तेज गति से कार्य करने वाले संगणक होते हैं। वह बहुत अधिक डाटा को काफी कम समय में इंफार्मेशन में बदलने में सक्षम होते हैं। इनका प्रयोग बड़े-बड़े कार्य करने में होता है, जैसे मौसम की भविष्यवाणी, डाटा माइनिंग, जटिल सिमुलेशन, मिसाइलों के डिजाइन आदि। इनमें अनेक माइक्रोप्रोसेसर [एक विशेष छोटी मशीन जो कम्प्यूटिंग के कार्य को काफी आसानी से तथा बहुत ही कम समय में कर सकने में सक्षम होती है।] लगे होते हैं। किसी जटिल गणना को कम समय में पूरा करने के लिये बहुत से प्रोसेसर एकसाथ (पैरेलेल) काम कराने पडते हैं। इसे पैरेलेल प्रोसेसिंग कहा जाता है। इसके अन्तर्गत जटिल काम को छोटे-छोटे टुकडों में इस प्रकार बाँटा जाता है कि ये छोटे-छोटे कार्य एक साथ अलग-अलग प्रोसेसरों द्वारा स्वतन्त्र रूप से किये जा सकें।
  • मेनफ्रेम संगणक, सुपर संगणक से कार्यक्षमता में छोटे परंतु फिर भी बहुत शक्तिशाली होते हैं। इन कम्प्यूटरों पर एक समय में २५६ से अधिक व्यक्ति एक साथ काम कर सकते हैं। अमरीका की आईबीएम कंपनी मेनफ्रेम कंप्युटरों को बनाने वाली सबसे बडी कंपनी है।
  • मिनी संगणक मेनप्रेम कंप्यूटरों से छोटे परन्तु माइक्रो कम्प्यूटरों से बड़े होते हैं। मिनी कंप्मियूटर की कर्यछामता और कीमत माइक्रो कंप्यूटर से अधिक होती है | मिनी कंप्यूटर की स्पीड 10 से 30 MIPS होती है |
  • माइक्रो संगणक (पर्सनल संगणक) सबसे छोटे होते हैं तथा इन्हीं को वैयक्तिक संगणक या पर्सनल संगणक भी कहा जाता है। इसका प्रथम संस्करण १९८१ में विकिसित हुआ था, जिसमे ८०८८ माइक्रोप्रोसेसर प्रयुक्त हुआ था।
  • हथेली के ऊपर रखने लायक संगणक (पाल्म्टॉप) - स्मार्टफोन, संगीत खिलाड़ी (म्यूजिक प्लयेर), वीडियो खिलाड़ी (वीडियो प्लेयर)
  • टैबलेट संगणक

अभिकलित्र जिस भाषा को समझता है उसे द्विआधारी भाषा कहते हैं। वास्तव में यह यंत्र केवल विद्युत धारा के चालू या बंद होने को ही समझता है॥ विद्युत प्रवाह होने एवं रुकने को 0 या 1 के जरिए व्यक्त किया जाता है। इसलिए इसपर कोइ काम करने के लिए इसे इस भाषा में निर्देश या सूचना देना होता है।

यंत्र भाषा

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शुरूआती दिनों में अभिकलित्र को सीधे द्विआधारी भाषा में निर्देश या सूचना दी जाती थी। यंत्र से सीधा संपर्क रहने के कारण इसे यंत्र भाषा (मशीन लैंग्वेज) भी कहा जाता था। इस तरह से निर्देश या सूचना देने की यह प्रक्रिया काफी जटिल थी।

संयोजन भाषा

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यंत्र भाषा की जटिलता को कम करने के लिए संयोजक (असेंबलर) की सहायता ली गई। यह ऐसा प्रोग्राम था जो कुछ खास शब्दों को द्विआधारी संकेतों के समूह में बदल देता था। इस भाषा में प्रत्येक प्रक्रिया के लिए एक सरल शब्द चुन लिए गए थे। इससे द्विआधारी संकेत समूह के बजाय केवल संकेत शब्द लिखकर काम हो जाता था। इस संकेतों द्वारा संयोजित तथा संयोजक की सहायता से काम करने वाली भाषा को संयोजन भाषा (असेंबली लैंग्वेज) कहा गया।

उच्च स्तरीय भाषाएँ (High Level Language)

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असेम्बली लैंग्वेज के आने से संगणक प्रोग्रामर्स को सुविधा जरूर मिली, किन्तु इसके लिए प्रोग्रामर को संगणक के हार्डवेयर तथा इसकी कार्य प्रणाली का सम्पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक होता था। अतः अब और भी सरल भाषायों का विकास किया गया, जिन्हें उच्च स्तरीय भाषा कहा गया। इनमे से कुछ प्रमुख आरंभिक भाषाए कोबोल (COBOL), बेसिक (BASIC), सी (C) थी।

1960 के दशक में, संकलक या कंपाइलर का उपयोग करने वाली उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं को आमतौर पर ऑटोकोड कहा जाता था। ऑटोकोड के उदाहरण COBOL और फोरट्रान हैं। कंप्यूटर के लिए डिज़ाइन की गई पहली उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा प्लैंकल्कल (Plankalkül) थी, जो कोनराड ज़्यूस द्वारा बनाई गई थी। हालांकि, यह उनके समय में लागू नहीं किया गया था।

उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं के बारे में एक बात ध्यान देने योग्य है कि ये भाषाएँ प्रोग्रामर को मशीन से अलग करने और अलग करने की अनुमति देती हैं। अर्थात्, असेंबली या मशीन भाषा जैसी निम्न-स्तरीय भाषाओं के विपरीत, उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग प्रोग्रामर के निर्देशों को बढ़ा सकते हैं और उनकी जानकारी के बिना पृष्ठभूमि में बहुत सारे डेटा आंदोलनों को ट्रिगर कर सकते हैं। निर्देश को निष्पादित करने की जिम्मेदारी और शक्ति प्रोग्रामर से मशीन को सौंप दी गई है।

उच्च स्तरीय भाषायों या हाई लेवल लैंग्वेजों को मशीन भाषा में परिवर्तित करने के लिए संकलक (Compiler) और व्याख्याता (Interpreter) की जरूरत पड़ती है। संकलक या कंपाइलर उच्च स्तरीय भाषा में लिखे गए प्रोग्राम को स्थायी रूप से मशीन भाषा में परिवर्तित करता है, जबकि व्याख्याता या इंटरप्रेटर एक एक पंक्ति करके परिवर्तित करता है।

  1. Evans 2018, पृ॰ 23.
  2. Smith 2013, पृ॰ 6.
  3. "computer (n.)". Online Etymology Dictionary (अंग्रेज़ी में). मूल से 16 November 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2021-08-19.
  4. Robson, Eleanor (2008). Mathematics in Ancient Iraq. पृ॰ 5. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-691-09182-2.: calculi were in use in Iraq for primitive accounting systems as early as 3200–3000 BCE, with commodity-specific counting representation systems. Balanced accounting was in use by 3000–2350 BCE, and a sexagesimal number system was in use 2350–2000 BCE.
  5. Flegg, Graham. (1989). Numbers through the ages (अंग्रेज़ी में). Houndmills, Basingstoke, Hampshire: Macmillan Education. OCLC 24660570. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-333-49130-0.
  6. The Antikythera Mechanism Research Project Archived 28 अप्रैल 2008 at the वेबैक मशीन, The Antikythera Mechanism Research Project. Retrieved 1 July 2007.
  7. Marchant, Jo (1 November 2006). "In search of lost time". Nature. 444 (7119): 534–538. PMID 17136067. S2CID 4305761. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0028-0836. डीओआइ:10.1038/444534a. बिबकोड:2006Natur.444..534M.
  8. G. Wiet, V. Elisseeff, P. Wolff, J. Naudu (1975). History of Mankind, Vol 3: The Great medieval Civilisations, p. 649. George Allen & Unwin Ltd, UNESCO.

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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