केसरीसिंह मूंदियाड़

भारतीय लेखक और राजनीतिज्ञ

केसरी सिंह मूंदियाड़ (जन्म 1 जून, 1927), अथवा केसरी सिंह रूपावास, एक भारतीय लेखक और राजनीतिज्ञ थे । वह स्वतंत्र पार्टी और बाद में भारतीय जनता पार्टी से संबंधित राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने 1962-67 की समायावधि में राजस्थान विधानसभा में पाली का प्रतिनिधित्व किया। वे डिंगल, राजस्थानी और अंग्रेजी के प्रतिष्ठित विद्वान थे और अपनी कविता और अनुवाद कार्य के लिए जाने जाते हैं।

केसरीसिंह मूंदियाड़

पूर्वा धिकारी मूल चंद
उत्तरा धिकारी म चंद
चुनाव-क्षेत्र पाली



जन्म 1 जून 1927
राजनीतिक दल स्वतंत्र पार्टी
अन्य राजनीतिक
संबद्धताऐं
भारतीय जनता पार्टी
संबंध देवी सिंह अखावत (पिताजी)

रामनाथजी रतनूं (नानाजी)

बच्चे प्रियव्रत सिंह
निवास रूपावास, पाली
शैक्षिक सम्बद्धता मेयो कॉलेज
व्यवसाय

व्यक्तिगत जीवन

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केसरी सिंह का जन्म 1 जून, 1927 को देवी सिंह अखावत, मूंदियाड़ और रूपावास के ठाकुर के यहाँ हुआ था। [1] उनके नाना रामनाथजी रतनूं थे, जो एक प्रसिद्ध इतिहासकार और प्रशासक थे, जिन्होंने ईडर और किशनगढ़ राज्यों में दीवान (प्रधान मंत्री) के रूप में कार्य किया था। [2] उनका एक पुत्र प्रियव्रत सिंह है। [3]

केसरी सिंह ने मेयो कॉलेज, अजमेर में अपनी शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने 1946 में स्नातक पूर्ण किया। [4] [5]

केसरीसिंह एक शौकीन पर्वतारोही और शिकारी थे, उन्हें हिमालय में लंबी पैदल यात्राएँ और वन्य जीवन का अवलोकन करना पसंद था। वे रूपावास गाँव में रहते हुए इतिहास, दर्शन, यात्रा और राजस्थानी साहित्य पर किताबें पढ़ते और डिंगल भाषा के ग्रन्थों का अनुवाद करने में समय बिताते थे। [4] [6]

केसरी सिंह राजनीति में सक्रिय थे और बाद में स्वतंत्र पार्टी में शामिल हो गए, जिसने राजकुमारों और जागीरदारों को वैचारिक रूप से कांग्रेस के विरोध में आकर्षित किया। [7] पाली पंचायत समिति क्षेत्र से केसरीसिंह रूपावास दो बार व उनके पुत्र प्रियवृतसिंह तीन बार प्रधान रहे हैं। उन्होंने पाली निर्वाचन क्षेत्र से 1962 का विधानसभा चुनाव लड़ा और 1962 से 1967 तक राजस्थान की तीसरी विधान सभा के सदस्य बने। [5] [4]

स्वतंत्र पार्टी

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केसरी सिंह स्वतंत्र पार्टी के प्रथम महासचिव थे। वे इसके पहले संसदीय बोर्ड के सदस्य थे, जिस पर वे 1964 तक बने रहे। वे कार्यकारी सदस्य और राज्य कार्यसमिति में भी शामिल थे और पार्टी के प्रमुख पदों पर आसीन रहे । [7] [8]

भारतीय जनता पार्टी

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स्वतंत्र पार्टी के बाद, केसरी सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और इसकी राजस्थान राज्य इकाई के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। [4]

केसरी सिंह ने डिंगल छंदों के अंग्रेजी अनुवाद सहित कई रचनाएँ लिखीं। उन्हें मध्ययुगीन राजस्थानी काव्य पर एक अधिकारक के रूप में स्वीकार किया गया था। [9]

एन एंथोलोजी औफ राजस्थानी पोएट्री

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इस पुस्तक में, केसरी सिंह ने ऐतिहासिक डिंगल कविताओं और छंदों का अंग्रेजी अनुवाद किया है। इस संकलन में मध्ययुगीन से लेकर वर्तमान समय तक के डिंगल कवियों की कृतियाँ का चयन हैं। [4] [10]

द हीरो औफ हल्दीघाटी

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केसरी सिंह की ' द हीरो ऑफ हल्दीघाटी ' हल्दीघाटी के युद्ध का एक विस्तृत आलोचनात्मक पुनर्निर्माण और समालोचना प्रदान करती है, जिसमें राणा प्रताप के विषय में डिंगल काव्य का अनुवाद भी शामिल हैं। [11] यह एक विद्वतापूर्ण कार्य है जो युद्ध के स्थान, नायक और घटनाओं पर विवरण प्रस्तुत करता है। [12] इसमें उनका निबंध 'द स्टोरी ऑफ द बैटल ऑफ हल्दीघाटी' शामिल है, जिसे उन्होंने 1976 में हैदी घाटी की लड़ाई की 400वीं वर्षगांठ पर लिखा था। लड़ाई का उनका वर्णन चश्मदीद गवाहों और प्रसिद्ध इतिहासकारों के कार्यों के संयोजन पर आधारित है, और उनके अपने बौद्धिक संदर्भों द्वारा आकार दिया गया है। [5]

प्रकाशित कृतियाँ

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  1. सिंह, केसरी (1999)। एन एंथोलॉजी ऑफ राजस्थानी पोएट्री इन इंग्लिश ट्रांसलेशन । साहित्य अकादमी।
  2. सिंह, केसरी (2002). महाराणा प्रताप: द हीरो ऑफ हल्दीघाटी । किताबों का खजाना।
  3. खेतासार, महेंद्रसिंह तंवर; रूपवास, केसरीसिंह (2014)। महाराणा प्रताप के प्रमुख सहयोगी राजा रामशाह तंवर ग्वालियर (हिंदी में)। महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध केंद्र। आईएसबीएन 978-93-84168-08-7 .
  4. रूपावास, केसरी सिंह। महाकवि तमसा ग्रे कृत ऐलिजी राजस्थानी ग्रन्थनगर।
  5. ब्रह्मानंद; रूपावास, केसरी सिंह (1999). " द इन्सक्रूटेबल वेज़ ऑफ़ द मर्सीफुल वन "। भारतीय साहित्य43 (2 (190)): 124–124। आईएसएसएन 0019-5804।
  6. राठौड़, पृथ्वीराज; रूपावास, केसरी सिंह (1999). " इन प्रेज ऑफ गंगा "। भारतीय साहित्य43 (2 (190)): 121–121। आईएसएसएन 0019-5804।
  7. रूपावास, केसरी सिंह (1999). " अ पोप्युलर लोक भजन: माया रो रंग बदली "। भारतीय साहित्य43 (2 (190)): 123–123। आईएसएसएन 0019-5804।
  8. अधा, ओपा; रूपावास, केसरी सिंह (1999). "" ऑल थिंग्स टू ऑल मेन थू आर्ट, ओ लॉर्ड ""। भारतीय साहित्य43 (2 (190)): 118–120। आईएसएसएन 0019-5804।
  9. रूपावास, केसरीसिंह (1987). " दो डिंगल गीत " (पीडीएफ)। जगती जोत17 (6):22- कला एवं संस्कृति, राजस्थान सरकार – माध्यम से।
  1. Rajasthan (India) (1961). Rajasthan Gazette.
  2. Paṇḍita Jhābaramalla Śarmā abhinandana grantha. Rājasthāna Mañca. 1977.
  3. Upadhyay, S.D. (2015). "रूपावास ने छठी बार दिया प्रधान". The Patrika. अभिगमन तिथि 27 January 2023.
  4. "Songs of Rajasthan". www.tribuneindia.com. The Tribune (Chandigarh). 1999. अभिगमन तिथि 2023-01-26.
  5. Singh, Kesri (2002). Maharana Pratap: The Hero of Haldighati (अंग्रेज़ी में). Books Treasure.
  6. Arha, Kaushalendra (1997). Wildlife Conservation on Western Private Lands: Improving Conservation Policies and Incentives (अंग्रेज़ी में). University of California, Berkeley. This dissertation marks the completion of the first chapter of a young boy’s resolve, two decades ago, standing beside his grandfather on an early morning hunt, to dedicate his life to wildlife conservation. I thank Kesri Singh of Mundiyar, a poet, a historian, a gentleman farmer, a hunter and my grandfather for the values, principles and the love of the wild he instilled in me. My future endeavors in conserving wildlife are dedicated to Kesri Singh of Mundiyar and the Roopawas household.
  7. Kamal, K. L. (1969). Party Politics in an Indian State: A Study of the Main Political Parties in Rajasthan (अंग्रेज़ी में). S. Chand.
  8. Erdman, H. L. (1967-11-02). The Swatantra Party and Indian Conservatism (अंग्रेज़ी में). Cambridge University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-521-04938-2.
  9. Indian Literature (अंग्रेज़ी में). Sahitya Akademi. 1999. Singh, Kesri (b.1928) Rajasthani poet, translator, editor and an acknowledged authority on medieval Rajasthani poetry.
  10. K, Abhay (2018-06-30). 100 Great Indian Poems (अंग्रेज़ी में). Bloomsbury Publishing. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-86950-94-9. Kesari Singh is a translator of Dingal (Rajasthani) poetry into English. He is the editor of An Anthology of Rajasthan Poetry. He is also a politician and belongs to Charan community.
  11. Singh, Amar; Rudolph, Susanne Hoeber (2000). Reversing the Gaze: Amar Singh's Diary, a Colonial Subject's Narrative of Imperial India (अंग्रेज़ी में). Oxford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-564752-5.
  12. "Chronicles of Valour- The Battle of Haldighati". Pragyata (अंग्रेज़ी में). 2020-03-04. अभिगमन तिथि 2023-01-26.