चित्रकूट धाम

उत्तर प्रदेश राज्य का एक शहर
(चित्रकूट से अनुप्रेषित)

चित्रकूट धाम, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के चित्रकूट जिले में स्थित एक शहर है। यह उस जिले का मुख्यालय भी है। यह बुन्देलखण्ड क्षेत्र मे स्थित है और बहुत सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्विक महत्व रखता है। चित्रकूट भगवान राम की कर्म भूमि है। भगवान राम ने वनवास के 11 वर्ष चित्रकूट मे बिताये थे। चित्रकूट मन्दिरो का शहर और धार्मिक स्थल है। यह पड़ोस में ही स्थित मध्य प्रदेश के सतना ज़िले के चित्रकूट नगर से जुड़ा हुआ है।[1][2]

चित्रकूट धाम
शहर
चित्रकूट में रामघाट
चित्रकूट में रामघाट
उपनाम: कई पहाड़ियों का शहर
चित्रकूट धाम is located in उत्तर प्रदेश
चित्रकूट धाम
चित्रकूट धाम
निर्देशांक: 25°12′N 80°54′E / 25.2°N 80.9°E / 25.2; 80.9निर्देशांक: 25°12′N 80°54′E / 25.2°N 80.9°E / 25.2; 80.9
देशभारत
राज्यउत्तर प्रदेश
जिलाचित्रकूट
शासन
 • सभानगर पालिका परिषद
 • विधायकअनिल प्रधान (समाजवादी पार्टी)
 • अध्यक्षनरेंद्र गुप्ता
ऊँचाई137 मी (449 फीट)
अधिकतम ऊँचाई700 मी (2,300 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल66,426
समय मण्डलIST (यूटीसी+5:30)
पिन210205
+915198+915198
वाहन पंजीकरणUP-96
वेबसाइटhttps://chitrakoot.nic.in/
चित्रकूट में रामघाट
मंदाकिनी तीरे अनुसूया आश्रम
हनुमान धारा में स्थित मन्दिर

विवरण संपादित करें

चित्रकूट मंदाकिनी नदी के किनारे पर बसा भारत के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में से एक है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 38.2 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला शांत और सुन्दर चित्रकूट, प्रकृति और ईश्वर की अनुपम देन है। चारों ओर से विंध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरे चित्रकूट को अनेक आश्चर्यो की पहाड़ी कहा जाता है। मंदाकिनी नदी के किनार बने अनेक घाट विशेष कर रामघाट और कामतानाथ मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। अमावस्या के दिन यहाँ विशेष महत्व माना जाता है माना जाता है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के चौदह वर्षो में ग्यारह वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे। इसी स्थान पर ऋषि अत्रि और सती अनुसुइया ने ध्यान लगाया था। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनसुइया के घर जन्म लिया था। यहाँ इसी जिले से सटा हुआ एक स्थान राजापुर है जो तुलसीदासजी का जन्म स्थान है। यहीं रामचरितमानस की मूल प्रति भी रखी हुई है।

प्रमुख आकर्षण संपादित करें

कामदगिरि संपादित करें

इस पवित्र पर्वत का काफी धार्मिक महत्व है। श्रद्धालु कामदगिरि पर्वत की 5 किलोमीटर की परिक्रमा कर अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण होने की कामना करते हैं। जंगलों से घिरे इस पर्वत के तल पर अनेक मंदिर बने हुए हैं। चित्रकूट के लोकप्रिय कामतानाथ और भरत मिलाप मंदिर भी यहीं स्थित है।

रामघाट संपादित करें

राम घाट वह घाट है जहाँ प्रभु राम नित्य स्नान किया करते थे l इसी घाट पर राम भरत मिलाप मंदिर है और इसी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रतिमा भी है l मंदाकिनी नदी के तट पर बने रामघाट में अनेक धार्मिक क्रियाकलाप चलते रहते हैं। घाट में गेरूआ वस्त्र धारण किए साधु-सन्तों को भजन और कीर्तन करते देख बहुत अच्छा महसूस होता है। शाम को होने वाली यहां की आरती मन को काफी सुकून पहुँचाती है।

जानकी कुण्ड संपादित करें

रामघाट से 2 किलोमीटर की दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनार जानकी कुण्ड स्थित है। जनक पुत्री होने के कारण सीता को जानकी कहा जाता था। माना जाता है कि जानकी यहाँ स्नान करती थीं। जानकी कुण्ड के समीप ही राम जानकी रघुवीर मंदिर और संकट मोचन मंदिर है।

स्फटिक शिला संपादित करें

जानकी कुण्ड से कुछ दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनार ही यह शिला स्थित है। माना जाता है कि इस शिला पर सीता के पैरों के निशान मुद्रित हैं। कहा जाता है कि जब वह इस शिला पर खड़ी थीं तो जयंत ने काक रूप धारण कर उन्हें चोंच मारी थी। इस शिला पर राम और सीता बैठकर चित्रकूट की सुन्दरता निहारते थे।

अनसुइया अत्रि आश्रम संपादित करें

स्फटिक शिला से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर घने वनों से घिरा यह एकान्त आश्रम स्थित है। इस आश्रम में अत्रि मुनी, अनुसुइया, दत्तात्रेय और दुर्वासा मुनि की प्रतिमा स्थापित हैं।

गुप्त गोदावरी संपादित करें

नगर से 18 किलोमीटर की दूरी पर गुप्त गोदावरी स्थित हैं। यहाँ दो गुफाएँ हैं। एक गुफा चौड़ी और ऊँची है। प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण इसमें आसानी से नहीं घुसा जा सकता। गुफा के अंत में एक छोटा तालाब है जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है। दूसरी गुफा लंबी और संकरी है जिससे हमेशा पानी बहता रहता है। कहा जाता है कि इस गुफा के अंत में राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाया था।

हनुमान धारा संपादित करें

पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में हनुमान की एक विशाल मूर्ति है। मूर्ति के सामने तालाब में झरने से पानी गिरता है। कहा जाता है कि यह धारा श्रीराम ने लंका दहन से आए हनुमान के आराम के लिए बनवाई थी। पहाड़ी के शिखर पर ही 'सीता रसोई' है। यहां से चित्रकूट का सुन्दर दृष्य देखा जा सकता है।

भरतकूप संपादित करें

कहा जाता है कि भगवान राम के राज्याभिषेक के लिए भरत ने भारत की सभी नदियों से जल एकत्रित कर यहाँ रखा था। अत्रि मुनि के परामर्श पर भरत ने जल एक कूप में रख दिया था। इसी कूप को भरत कूप के नाम से जाना जाता है। भगवान राम को समर्पित यहाँ एक मंदिर भी है। जब श्री राम 14 वर्ष के लिए वनवास आए थे तब भरत को अपने माता कैकेयी के व्यवहार पर काफ़ी दुख हुआ था। वे आयोध्या वासीयों को साथ लेकर श्रीराम को मनाने चित्रकूट आए थे, साथ में भगवान राम का राज्याभिषेक करने के लिए समस्त तीर्थों का जल भी लाये थे। लेकिन भगवान राम 14 वर्ष वनवास के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ थे। इस पर भरत काफ़ी दुखी हुए और अपने साथ लाये समस्त तीर्थों के जल को वहीं के कुए में डाल दिया। केवल अपने साथ भगवान राम की खड़ाऊँ लेकर वापस चले गए। तभी से इस स्थल का नाम भरत कूप पड़ा।

आवागमन संपादित करें

वायु मार्ग

चित्रकूट का नजदीकी विमानस्थल प्रयागराज है। खजुराहो चित्रकूट से 185 किलोमीटर दूर है। चित्रकूट में भी हवाई पट्टी बनकर तैयार है लेकिन यहाँ से उड़ानें अभी शुरू नहीं हुई हैं। लखनऊ और प्रयागराज हवाई अड्डों से भी चित्रकूट पहुँचा जा सकता है। प्रयागराज और लखनऊ से बस और ट्रेनें लगातार उपलब्ध हैं।

रेल मार्ग

चित्रकूट से 8 किलोमीटर की दूर चित्रकूट निकटतम रेलवे स्टेशन है। प्रयागराज, जबलपुर,बांदा, दिल्ली, झांसी, हावड़ा, आगरा,मथुरा, लखनऊ, कानपुर,ग्वालियर, झांसी,रायपुर, कटनी, मुगलसराय,वाराणसी बांदा आदि शहरों से यहाँ के लिए रेलगाड़ियाँ चलती हैं। इसके अलावा शिवरामपुर रेलवे स्टेशन पर उतकर भी बसें और टू व्हीलर लिए जा सकते हैं। शिवरामपुर रेलवे स्टेशन की चित्रकूट से दूरी ४ किलोमीटर है।

सड़क मार्ग

चित्रकूट के लिए प्रयागराज, बांदा, झांसी, महोबा, कानपुर, छतरपुर,सतना, अयोध्या, लखनऊ, मैहर आदि शहरों से नियमित बस सेवाएँ हैं। दिल्ली से भी चित्रकूट के लिए बस सेवा उपलब्ध है। शिवरामपुर से भी बसें और टू व्हीलर उपलब्ध हैं यहाँ से चित्रकूट की दूरी ४ किलोमीटर है।

इन्हें भी देखें संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  2. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the Wayback Machine," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975