ताप्ती नदी

भारत में नदी
(ताप्ती से अनुप्रेषित)

ताप्ती नदी, जिसे तापी नदी भी कहा जाता है, भारत के मध्य भाग में बहने वाली एक नदी है, जो नर्मदा नदी से दक्षिण में बहती है। प्रायद्वीप भारत में केवल नर्मदा, ताप्ती और मही नदी ही मुख्य नदियाँ हैं जो पूर्व से पश्चिम बहती हैं। ताप्ती नदी मध्य प्रदेश राज्य के बैतूल ज़िले के मुल्ताई से उत्पन्न होकर सतपुड़ा पर्वतप्रक्षेपों के मध्य से पश्चिम की ओर बहती हुई महाराष्ट्र के खानदेश के पठार एवं सूरत के मैदान को पार करती है और गुजरात स्थित खम्भात की खाड़ी (अरब सागर) में गिरती है। यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर लगभग 740 किलोमीटर की दूरी तक बहती है और खम्बात की खाड़ी में जाकर मिलती है। सूरत बन्दरगाह इसी नदी के मुहाने पर स्थित है। इसकी प्रधान उपनदी का नाम पूर्णा नदी है। इस नदी को सूर्यपुत्री भी कहा जाता है।[2][3]

ताप्ती नदी
તાપી નદી
तापी नदी

सूरत में ताप्ती नदी
ताप्ती नदी is located in भारत
ताप्ती नदी
स्थान
देश  भारत
राज्य मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात
भौतिक लक्षण
नदीशीर्षमुल्ताई, मध्य प्रदेश
नदीमुख खंभात की खाड़ी (अरब सागर)
 • स्थान
ड्यूमस, सूरत, गुजरात
लम्बाई 724 कि॰मी॰ (450 मील)approx.
जलसम्भर आकार 62,225 वर्ग किलोमीटर (6.6978×1011 वर्ग फुट)
प्रवाह 
 • स्थानड्यूमस बीच[1]
 • औसत489 m3/s (17,300 घन फुट/सेकंड)
 • न्यूनतम2 m3/s (71 घन फुट/सेकंड)
 • अधिकतम9,830 m3/s (347,000 घन फुट/सेकंड)
जलसम्भर लक्षण
उपनदियाँ  
 • बाएँ गिरणा नदी
 
मुल्ताई में ताप्ती का दृश्य

ताप्ती नदी का उद्गम स्थल मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में मुल्ताई नामक स्थान है। इस स्थान का मूल नाम मूलतापी है जिसका अर्थ है तापी का मूल या तापी माता। हिन्दू मान्यता अनुसार ताप्ती को सूर्य एवं उनकी एक पत्नी छाया की पुत्री माना जाता है और ये शनि की बहन है। थाईलैंड की तापी नदी का नाम भी अगस्त १९१५ में भारत की इसी ताप्ती नदी के नाम पर ही रखा गया है। महाभारत, स्कंद पुराण एवं भविष्य पुराण में ताप्ती नदी की महिमा कई स्थानों पर बतायी गई है।[3]ताप्ती नदी का विवाह संवरण नामक राजा के साथ हुुुआ था जो कि वरुण देवता के अवतार थे।

ज्वारनदीमुख

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समुद्र के समीप इसकी ३२ मील की लंबाई में ज्वारनदीमुख बनता है, किंतु छोटे जहाज इसमें चल सकते हैं। पुर्तगालियों एवं अंग्रेजों के इतिहास में इसके मुहाने पर स्थित स्वाली बंदरगाह का बड़ा महत्व है। गाद जमने के कारण अब यह बंदरगाह उजाड़ हो गया है।

नदी घाटी एवं सहायक नदियाँ

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धुले, महाराष्ट्र में मुदावाड़ में ताप्ती नदी के तट पर कपिलेश्वर मंदिर

ताप्ती नदी की घाटी का विस्तार कुल 65,145 कि.मी² में है, जो भारत के कुल क्षेत्रफ़ल का २ प्रतिशत है। यह घाटी क्षेत्र महाराष्ट्र में 51,504 कि.मी², मध्य प्रदेश में 9,804 कि.मी² एवं गुजरात में 3,837 कि.मीm² है। ये घाटी महाराष्ट्र उत्तरी एवं पूर्वी जिलों जैसे अमरावती, अकोला, बुल्ढाना, वाशिम, जलगांव, धुले, नंदुरबार एवम नासिक में फ़ैली है, साथ ही मध्य प्रदेश के बैतूल और बुरहानपुर तथा गुजरात के सूरत एवं तापी जिलों में इसका विस्तार है।इसके जलग्रहण क्षेत्र का79%गुजरात शेष मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र राज्य में पड़ता है

सहायक नदियाँ

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ताप्ती नदी की प्रधान सहायक नदियां हैं- मिन्धोला, गिरना, पन्ज़ारा, वाघूर, बोरी एवं आनेर। इनके अलाव अन्य छोटी सहायक नदियाम इस प्रकार से हैं:

  • अरुणावती नदी, शिरपुर
  • गोमती नदी, नन्दुरबार
  • वाकी नदी, धुले जिला, महाराष्ट्र
  • बुरई नदी, धुले
  • पन्ज़ारा नदी, जलगांव एवं धुले जिले
    • कान नदी, धुले
  • बोरी नदी, जलगांव
  • नेर नदी, जलगांव एवं धुले
  • गिरना नदी, नासिक, मालेगांव एवं जलगांव जिले। ये नदी ताप्ती में धुले एवं जलगांव जिलों की सीमा पर कपिलेश्वर में मिलती है।
    • तितूर नदी, जलगांव
    • मौसम नदी, मालेगांव
  • वाघूर नदी, जलगांव, औरंगाबाद
  • पूर्णा नदी, अमरावती, अकोला, बुल्धाना एवं जलगांव जिले, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश। यह ताप्ती में चांगदेव पर संगम करती है।
    • नलगंगा नदी, बुल्ढाना
    • विश्वगंगा नदी, बुल्ढाना
    • निपणी नदी, बुल्ढाना
    • मान नदी, बुल्ढाना, अकोला
      • मास नदी, बुल्ढाना
      • उतावली नदी, बुल्ढाना, अकोला
      • विश्वमित्री नदी, अकोला
      • निर्गुण नदी, वाशिम, अकोला
        • गांधारी नदी, अकोला
    • आस नदी, अकोला
    • वान नदी, बुल्ढाना, अकोला, अमरावती
    • मोरना नदी, अकोला, वाशिम
    • शाहनूर नदी, अकोला, अमरावती
      • भावखुरी नदी, अमरावती
    • कतेपूर्णा नदी, अकोला, वाशिम
    • उमा नदी, अकोला, वाशिम
    • पेन्ढी नदी, अकोला, अमरावती
    • चंद्रभागा नदी, अमरावती
      • भूलेश्वरी नदी, अमरावती
    • आर्णा नदी, अमरावती
  • गादग नदी, अमरावती
  • सिपना नदी, अमरावती
  • खापरा नदी, अमरावती
  • खांडू नदी, अमरावती
  • तिगरी नदी, अमरावती
  • सुरखी नदी, अमरावती
  • बुर्शी नदी, अमरावती
  • गन्जल नदी, बैतूल
  • अम्भोरा नदी एवं तवा नदी, बैतूल
  • नेसु नदी, सूरत जिला, गुजरात

दर्शनीय स्थल

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सारंगखेडा में ताप्ती नदी पर बना बांध और पुल

नदी[मृत कड़ियाँ] के तटवर्ती प्रमुख शहरों में आते हैं: मुल्ताई, नेपानगर, बैतूल और बुरहानपुर मध्य प्रदेश में, तथा भुसावल महाराष्ट्र्र में एवं सूरत और सोनगढ़ गुजरात में। नदी पर प्रमुख मार्ग सेतुओं में धुले के सवालदे का राष्ट्रीय राजमार्ग ५२ एवं भुसावल-खंडवा रेलमार्ग का भुसावल रेल सेतु जो मध्य रेलवे में आता है। इस नदी पर जलगांव में हथनूर बांध एवं सोनगढ़ में उकई बांध भी बने हैं। सूरत एवं कमरेज में ३ सेतु तथा राष्ट्रीय राजमार्ग ४८ पर सूरत सहित १० सेतु बने हैं जिनमें से दो निर्माणाधीन हैं। इनमें से एक गुजरात में रज्जु सेतु भी है। इनके अलावा प्रकाशा[मृत कड़ियाँ] और सारंगखेड़ा के निकट शहादा में छोटे छोटे बैराज भी बने हैं। प्रकाशा एक पवित्र हिदू तीर्थ भी है जो ताप्ती का तटवर्ती शहर है और यहां भगवान शिव का एक मन्दिर, केदारेश्वर स्थित है। यह इस क्षेत्र का प्राचीनतम स्थान है।

इनके अलावा तटवर्ती अन्य महत्त्वपूर्ण स्थानों में अमरावती जिले का मेलघाट बा घ रिज़र्व नदी के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है। यह बाघ परियोजना (प्रोजेक्ट टाइगर) के अन्तर्गत्त आता है और महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। इनके साथ ही बुरहानपुर के निकट ही ऐतिहासिक असीरगढ़ दुर्ग भी स्थित है, जिसे दक्खिन की कुंजी भी कहा जाता है। जलगांव में चांगदेव में चांगदेव महाराज का एक मन्दिर भी स्थित है।

ताप्ती के सात कुण्ड

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ताप्ती नदी के मूलस्थान मुल्तापी में एवं उसके सीमावर्ती क्षेत्र में सात कुण्ड अलग - अलग नामों से बने हुए हैं और उनके बारे में विभिन्न कहानियां प्रचलित है।[3]

सूर्यकुण्ड

यहां भगवान सूर्य ने स्वंय स्नान किया था।

ताप्ती कुण्ड

सूर्य के तेज प्रकोप से पशु पक्षी नर किन्नर देव दानव आदि की रक्षा करने हेतु ताप्ती माता की पसीने के तीन बूंंदें के रूप में आकाश धरती और फ़िर पाताल पहुंची। तवही एक बूंद इस कुण्ड में पहुंची और बहती हुई आगे नदी रूप बन गई।

धर्म कुण्ड

यहां यमराज या धर्मराज ने स्वंय स्नान किया जिस कारण से यह धर्म कुण्ड कहलाता है।

पाप कुण्ड

पाप कुण्ड में सच्चे मन से पापी व्यक्ति सूर्यपुत्री का ध्यान करके स्नान करता है तो उसके पाप यहां पर धुल जाते है।

नारद कुण्ड

यहां पर देवर्षि नारद ने श्राप रूप में हुए कोढ के रोग से मुक्ति पाई थी एवं बारह वर्षो तक मां ताप्ती की तपस्या करके उनसे वर मांगा था। उसी से उन्हें पुराण की चोरी के कारण कोढ़ के श्राप से मुक्ति मिल पाई।

शनि कुण्ड

शनिदेव अपनी बहन ताप्ती के घर पर आने पर इसी कुण्ड में स्नान करने के बाद उनसे मिलने गए थे। इस कुण्ड में स्नान करके मनुष्य को शनिदशा से लाभ मिलता है।

नागा बाबा कुण्ड ;

यह नागा सम्प्रदाय के नागा बाबाओं का कुण्ड है जिन्होने यहां के तट पर कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था। इस कुण्ड के पास सफेद जनेउ धारी शिवलिंग भी है।[4]

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  1. "Tapti Basin Station: Kathore". UNH/GRDC. अभिगमन तिथि 2013-10-01.
  2. "Tapti River". Encyclopaedia Britannica. अभिगमन तिथि 5 April 2021.
  3. "ताप्ती". मां सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति. मूल से 17 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 फ़रवरी 2015. 
  4. पंवार, रामकिशोर (१६ सितम्बर २०११). "सूर्यपुत्री मां ताप्ती नदी के तट पर मिला विश्व का एक मात्र प्राचिन दुर्लभ सफेद जनेऊधारी शिवलिंग". नवभारत टाइम्स.