प्रवेशद्वार:जम्मू और कश्मीर

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जम्मू और कश्मीर प्रवेशद्वार

जम्मू और कश्मीर भारत का सबसे उत्तरी राज्य है । पाकिस्तान ने इसके उत्तरी इलाका ("शिमाली इलाका") और तथाकथित "आज़ाद कश्मीर" हिस्सों पर; और चीन ने अकस्ाई चिन के हिस्से पर कब्ज़ा किया हुआ है (भारत इन कब्ज़ों को ग़ैरक़ानूनी मानता है ) । पाकिस्तान भारतीय जम्मू और कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र मनता है । राज्य की राजभाषा उर्दू है ।

भारतीय जम्मू और कश्मीर के तीन मुख्य अंचल हैं : जम्मू (हिन्दू बहुल), कश्मीर (मुस्लिम बहुल) और लद्दाख़ (बौद्ध बहुल)। ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर है और शीतकालीन राजधानी जम्मू-तवी । कश्मीर प्रदेश को दुनिया का स्वर्ग माना गया है । अधिकांश राज्य हिमालय पर्वत से ढका हुआ है । मुख्य नदियाँ हैं सिन्धु, झेलम और चेनाब । यहाँ कई ख़ूबसूरत झील हैं : डल, वुलर और नागिनपूरा पढ़ें]

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चयनित लेख

अमरनाथ हिन्दुओ का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह कश्मीर राज्य के शहर श्रीनगर के उत्तर-पूर्व में १३५ सहस्त्रमीटर दूर समुद्रतल से १३,६०० पद की ऊंचाई पर स्थित है। अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्यों कि यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। यहां की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। आषाढ़पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखो लोग यहां आते है। गुफा की परिधि अंदाजन डेढ़ सौ फुट होगी। भीतर का स्थान कमोबेश चालीस फुट में फैला है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूंदे जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूंदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर-दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही हिमखंड हैं।
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चयनित चित्र


लद्धाख के ज़ास्कर क्षेत्र के निवासी स्त्री एवं पुरुष, अपनी पारंपरिक वेशभूषा में।
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चयनित जीवनी

चित्र:Lalleshwari.jpg
लल्लेश्वरी या लल्ला (1320-1392) के नाम से जाने जानेवाली चौदवहीं सदी की एक भक्त कवियित्री थी जो कश्मीर की शैव भक्ति परंपरा और कश्मीरी भाषा की एक अनमोल कड़ी थीं। लल्ला का जन्म श्रीनगर से दक्षिणपूर्व मे स्थित एक छोटे से गाँव में हुआ था। वैवाहिक जीवन सु:खमय न होने की वजह से लल्ला ने घर त्याग दिया था और छब्बीस साल की उम्र में गुरु सिद्ध श्रीकंठ से दीक्षा ली।

कश्मीरी संस्कृति और कश्मीर के लोगों के धार्मिक और सामाजिक विश्वासों के निर्माण में लल्लेश्वरी का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।

फूल चन्द्रा द्वारा लल्लेश्वरी के कुछ वाख का अनुवाद इस प्रकार से है:

प्रेम की ओखली में हृदय कूटा
प्रकृति पवित्र की पवन से।
जलायी भूनी स्वयं चूसी
शंकर पाया उसी से।।

[पूरा पढ़ें]

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चयनित पर्यटन स्थल

गुलमर्ग जम्‍मू और कश्‍मीर का एक खूबसूरत हिल स्‍टेशन है। इसकी सुंदरता के कारण इसे धरती का स्‍वर्ग भी कहा जाता है। यह देश के प्रमुख पर्यटक स्‍थलों में से एक हैं। फूलों के प्रदेश के नाम से मशहूर यह स्‍थान बारामूला जिले में स्थित है। यहां के हरे भरे ढलान सैलानियों को अपनी ओर खींचते हैं। समुद्र तल से 2730 मी. की ऊंचाई पर बसे गुलमर्ग में सर्दी के मौसम के दौरान यहां बड़ी संख्‍या में पर्यटक आते हैं।

गुलमर्ग की स्‍थापना अंग्रेजों ने 1927 में अपने शासनकाल के दौरान की थी। गुलमर्ग का असली नाम गौरीमर्ग था जो यहां के चरवाहों ने इसे दिया था। 16वीं शताब्‍दी में सुल्‍तान युसुफ शाह ने इसका नाम गुलमर्ग रखा। आज यह सिर्फ पहाड़ों का शहर नहीं है, बल्कि यहां विश्‍व का सबसे बड़ा गोल्‍फ कोर्स और देश का प्रमुख स्‍की रिजॉर्ट है।

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जम्मू और कश्मीर का खाना

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श्रेणियां

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नाज़िया हसन
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