बैंक

वित्तीय संस्थान
(बैंकर से अनुप्रेषित)

बैंक उस वित्तीय संस्था को कहते हैं जो जनता से धनराशि जमा करने तथा जनता को ऋण देने का काम करता है। लोग अपनी अपनी बचत राशि को सुरक्षा की दृष्टि से अथवा ब्याज कमाने हेतु इन संस्थाओं में धनराशि जमा करते और आवश्यकतानुसार समय समय पर निकालते रहते हैं। बैंक इस प्रकार जमा से प्राप्त राशि को व्यापारियों एवं व्यवसायियों को ऋण देकर ब्याज कमाते हैं। आर्थिक आयोजन के वर्तमान युग में कृषि, उद्योग एवं व्यापार के विकास के लिए बैंक एवं बैंकिंग व्यवस्था एक अनिवार्य आवश्यकता मानी जाती है।

जर्मनी के फ्रैंकफुर्त में डश-बैंक
1970

राशि जमा रखने तथा ऋण प्रदान करने के अतिरिक्त बैंक अन्य काम भी करते हैं जैसे, सुरक्षा के लिए लोगों से उनके आभूषण आदि बहुमूल्य वस्तुएँ जमा रखना, अपने ग्राहकों के लिए उनके चेकों का संग्रहण करना, व्यापारिक बिलों की कटौती करना, एजेंसी का काम करना, गुप्त रीति से ग्राहकों की आर्थिक स्थिति की जानकारी लेना देना। अत: बैंक केवल मुद्रा का लेन देन ही नहीं करते वरन् साख का व्यवहार भी करते हैं। इसीलिए बैंक को साख का सृजनकर्ता भी कहा जाता है। बैंक देश की बिखरी और निठल्ली संपत्ति को केंद्रित करके देश में उत्पादन के कार्यों में लगाते हैं जिससे पूँजी निर्माण को प्रोत्साहन मिलता है और उत्पादन की प्रगति में सहायता मिलती है।

भारतीय बैंकिग कंपनी अधिनियम, १९४९ के अंतर्गत बैंक की परिभाषा निम्न शब्दों में दी गई हैं:

ऋण देना और विनियोग के लिए सामान्य जनता से राशि जमा करना तथा चेकों, ड्राफ्टों तथा आदेशों द्वारा माँगने पर उस राशि का भुगतान करना बैंकिंग व्यवसाय कहलाता है और इस व्यवसाय को करनेवाली संस्था बैंक कहलाती है।

एक ही बैंक के लिए व्यापार, वाणिज्य, उद्योग तथा कृषि की समुचित वित्तव्यवस्था करना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य होता है। अतएव विशिष्ट कार्यों के लिए अलग अलग बैंक स्थापित किए जाते हैं जैसे व्यापारिक बैंक, कृषि बैंक, औद्योगिक बैंक, विदेशी विनिमय बैंक तथा बचत बैंक। इन सब प्रकार के बैंकों को नियमपूर्वक चलाने तथा उनमें पारस्परिक तालमेल बनाए रखने के लिए केंद्रीय बैंक होता है जो देश भर की बैंकिंग व्यवस्था का संचालन करता है।

समय के साथ कई अन्य वित्तीय गतिविधियाँ जुड़ गईं। उदाहरण के लिए बैंक वित्तीय बाजारों में महत्वपूर्ण खिलाडी हैं और निवेश फंड जैसे वित्तीय सेवाओं की पेशकश कर रहे हैं। जापान में बैंक को आमतौर पर पार शेयर होल्डिंग इकाई (ज़ाइबत्सू) के रूप में पहचाना जाता है। फ़्रांस में अधिकांश बैंक अपने ग्राहकों को बिमा सेवा प्रदान करते हैं।

पहला आधुनिक बैंक इटली के जेनोवा में 1406 में स्थापित किया गया था, इसका नाम बैंको दि सैन जिओर्जिओ (सेंट जॉर्ज बैंक) था

ईसा से दो हजार वर्ष पहले भी राशि उधार लेने देने की प्रथा प्रचलित थी। मनुस्मृति में ब्याज के बदले राशि उधार देने का पर्याप्त संकेत मिलता है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र (ग्रंथ) से भी इस बात का पता चलता है कि प्राचीन काल में साहूकारी का नियम था परंतु ब्याज की दर एवं राशि वसूल करने के नियम आज जैसे न थे। मध्य एशिया में हुंडी का प्रयोग १२वीं शती के आसपास होने लगा जबकि विदेशी व्यापार का क्षेत्र बढ़ने लगा और एक स्थान से दूसरे स्थान पर धन या राशि (रकम) भेजने की आवश्यकता हुई। मुगल सम्राटों ने धनी महाजनों और साहूकारों को करवसूली के अधिकार सौंपे और उन्हें स्थान-स्थान पर कोषाध्यक्ष नियुक्त किया। जनसाधारण अपनी बचत राशि को इन महाजनों के पास जमा करते और जमा राशि पर महाजन ब्याज भी देते थे। आवश्यकता पड़ने पर लोग इन्हीं महाजनों से राशि उधार लेते थे जिसपर उन्हें ब्याज देना पड़ता था। इस प्रकार आधुनिक बैंकों का प्रारंभ होने के पूर्व महाजन ही बैकिंग का काम करता था, जिसके पास धन राशि जमा की जाती थी और रुपया उधार भी मिलता था।

अंगरेजों ने अपनी व्यापारिक एवं मौद्रिक आवश्यकताओं के लिए एजेंसी गृह और ज्वाइन्ट स्टाक बैंक स्थापित किए। १८वीं शताब्दी के अंत में औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप इंग्लैंड और यूरोप में व्यापार की वृद्धि हुई और वहाँ नए नए व्यापारिक केंद्र बनते गए। भारत में भी सन् १८०६ में 'बैंक ऑव कलकत्ता' स्थापित हुआ तथा इसके पश्चात् सन् १८४० तथा सन् १८४३ में क्रमश: 'बैंक ऑव बंबई' और 'बैंक ऑव मद्रास' स्थापित किए गए। ये तीन प्रेसीडेंसी बैंक विदेशी पूँजी और संचालन से चलाए गए थे और इनका काम ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापार में सहायता करना था। इसी काल में सन् १८४४ में बैंक चार्टर ऐक्ट के अनुसार इंग्लैंड में बैंक ऑव इंग्लैंड बनाया गया। अंशधारियों का बैंक भारत में सीमित देनदारी के आधार पर सबसे पहले सन् १८८१ में 'अवध कमर्शियल बैंक' बनाया गया। यद्यपि इससे पहले भी इलाहाबाद बैंक और एलायंस बैंक ऑव शिमला बन चुके थे परंतु ये दोनों बैंक विदेशी प्रबंध में थे। इसके पश्चात् व्यावसायिक बैकों की संख्या बढ़ती गई। सन् १९०६ से लेकर सन् १९१३ तक बैंकों में काफी वृद्धि हुई। भारत के प्रसिद्ध बैंक, जैसे बैंक ऑव इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑव इंडिया, बैंक ऑव बड़ौदा इसी बीच स्थापित हुए। परंतु सन् १९१३ के बाद बैंकों का संकटकाल आया जिसमें अनेक बैंक बंद करने पड़े। सन् १९१३-१७ के बीच भारत में लगभग ९० बैकों को अपना व्यवसाय बंद करना पड़ा। प्रथम महायुद्ध समाप्त होने पर बैकों की स्थिति में पुन: सुधार हुआ। सन् १९२१ में भारत के तीनों प्रेसीडेंसी बैंकों को मिलाकर इंपीरियल बैंक ऑव इंडिया बनाया गया। यह एक सरकारी बैंक था पर जनता के साथ भी लेनदेन करता था। १ अप्रैल १९३५ को भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना की गई।

द्वितीय युद्धकाल में अनेक नए नए बैंक खोले गए। भारत का युनाइटेडश् कमर्शियल बैंक इसी काल में बनाया गया। युद्ध समाप्त होने के पश्चात् बैंकिंग व्यवसाय में कुछ शिथिलता आने लगी। बैकिंग कानूनों में परिवर्तन संशोधन किए जाने लगे ताकि बैंकों के प्रबंध संचालन में कुशलता एवं मितव्ययिता आ जाए। भारत का बैंकिंग कंपनी कानून सन् १९४९ में पास किया गया। भारत में रिजर्व बैंक ऑव इंडिया तथा इंपीरियल बैंक ऑव इंडिया ( वर्तमान में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) का राष्ट्रीयकरण क्रमश: सन् १९४९ और सन् १९५५ में कर लिया गया। भारत एक प्रगतिशील देश है, चारों ओर से समग्र विकास का आह्वान हो रहा है। इस विकास की आधारशिलाएँ अनेक हैं उन्हीं में बैंकिंग भी एक है। बैंक की आवश्यकता क्यों पड़ी?

समाज में ऐसे भी लोग हैं जिनके पास आवश्यकता से अधिक धन है। जब बैंकों की कमी थी, लोग कम पढ़े लिखे थे, अपने अतिरिक्त धन को जमीन में गाड़कर, नींव में छिपाकर, सोना-चाँदी खरीद कर सुरक्षित समझते थे फिर भी वे निश्चिंत और निर्भय नहीं थे। बैंकों के प्रादुर्भाव से यही पैसा बैंकों में जमा किया जाने लगा जो राष्ट्र के अनेक विकास कार्यों, जरूरतमंद लोगों को ऋण देने आदि में व्यय किया जाने लगा और इसके बदले में जमाकर्ता को कुछ धन ब्याज के रूप में दिया जाने लगा। अर्थात् यह है कि जो धन अचल था वह चल में बदल गया।

व्यापारिक दृष्टिकोण से बैंकों की उपादेयता, महत्ता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। व्यापारी, बैंक में बड़ी-बड़ी धनराशि जमा करते हैं, निकालते हैं और व्यापार में लगाते हैं। बैंक की वर्तमान कार्य-प्रणाली से बैंक का हर ग्राहक अपने को सुरक्षित तथा भय रहित महसूस कर रहा है।

बैंक धन जमा करने, धन उधार देने वाली संस्था के रूप में कार्य करते हैं। वेतन, पेंशन का भी भुगतान बैंक के खाते के माध्यम से होने लगा। यही नहीं, शिक्षा संस्थानों की शुल्क, वृद्धावस्था पेंशन, आवास ऋण सहायता आदि का भी आहरण वितरण बैंकों के माध्यम से होने लगा है।

बैंक भी भिन्न हैं-भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इलाहाबाद बैंक, केनरा बैंक, डाकघर बैंक, ग्रामीण बैंक, जिला सहकारी बैंक, आदि कुछ प्रमुख बैंक हैं। भारतीय जीवन बीमा निगम भी एक संस्था है जहाँ धन का आहरण वितरण होता है।

उपर्युक्त के अतिरिक्त विनिमय-पत्र, बचत बैंक, ऋण-पत्र, यात्री चैकों का निर्गमन भी बैंक से होता है। आप देखेंगे कि बड़े-बड़े नगरों में एक ही बैंक की

बैंक की क्रियाओं और सेवाओं को चार वर्गों में बाँटा जा सकता है :

  • (१) जनता से राशि लेकर जमा करना,
  • (२) जनता को ऋण तथा अग्रिम धन देना,
  • (३) ग्राहको के लिए एजेंट बनकर काम करना,
  • (४) विविध सेवाएँ प्रदान करना।

राशि जमा करना

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राशि जमा करने में बैंक प्राय: तीन प्रकार के लेखे खोलते हैं : (१) चल लेखे, (२) स्थिर लेखे, (३) बचत लेखे। चल लेखे में जमा राशि बैंक को जमाकर्ता की माँग पर किसी समय भी भुगतान करनी पड़ती है। अत: इसे बैंक की 'माँग देनदारी' भी कहते हैं। स्थिर लेखों में एक निश्चित अविध के लिए राशि जमा की जाती है जो अवधि समाप्त होने से पहले नहीं निकाली जा सकती। यदि कोई जमाकर्ता स्थिर लेखे में जमा अपनी राशि को अवधि पूर्ण होने से पूर्व निकालना चाहे तो उसे राशि पर ब्याज नहीं मिलता। इस प्रकार की जमा राशि को बैंक 'काल देनदारी' कहते हैं। तीसरे प्रकार की जमा बचत लेखे में की जाती है। बचत लेखे में निर्धारित सीमा से अधिक राशि जमा नहीं की जा सकती। इस प्रकार के लेखे कम आयवाले लोगों की बचत को प्रोत्साहन देने के लिए खोले जाते हैं। कभी कभी विशेष कार्यों के लिए विशेष प्रकार के लेखे भी खोले जाते हैं। उदाहरणार्थ, विवाह के लिए धनराशि संग्रह के हेतु विवाह लेखा, शिक्षा के लिए राशि संग्रह करने के हेतु शिक्षा लेखा आदि।

बैंक द्वारा ऋण तथा अग्रिम कई रूपों में दिए जाते हैं :

  • (१) सामान्य ऋण एवं अग्रिम राशि स्वीकृत करके,
  • (२) अधिविकर्श द्वारा,
  • (३) नकद साख के रूप में,
  • (४) बिलों की कटौती करके

बैंक अपने ग्राहकों और अन्य विश्वसनीय व्यक्तियों तथा संस्थाओं को केवल व्यवसाय एवं उत्पादन संबंधी कार्यों के लिए ऋण देते हैं। ऋण देते समय बैंक Archived 2024-04-13 at the वेबैक मशीन ऋणयाचक के नाम से एक लेख खोलकर उसमें ऋणराशि जमा कर देते हैं जिसके बल पर ऋणयाचक आवश्यकतानुसार समय समय पर चेक लिखकर राशि लेता रहता है। इससे बैंक को सकल ऋणराशि एक साथ ही ऋणायाचक को दे देने की आवश्यकता नहीं होती जिससे बैंक का हानिभय कम हो जाता है। ऋण वैयक्तिक साख तथा माल की जमानत पर स्वीकृत किए जाते हैं। अधिविकर्श द्वारा ऋण देने से बैंक अपने जमाकर्ता को उसके चल तथा बचत लेखों में जमा राशि से अधिक राशि निकालने का अधिकार दे देता है। पर ऐसा अधिकार प्राप्त करने से पूर्व ग्राहक को अपने बैंक के साथ अधिविकर्श की राशि, उसकी अवधि, ब्याज की दर आदि मामलों पर निश्चित समझौता करना पड़ता है। बैंक व्यावसायिक माल की जमानत पर तथा प्रणपत्रों और साखपत्रों की साख पर भी ऋण देते हैं। माल को अपने गोदामों में रखकर या व्यापारियों के गोदामों में अपना ताला लगाकर उसकी जमानत पर ऋण दिए जाते हैं। पर इस प्रकार ऋण देने से पहले बैंक माल के वास्तविक मूल्य पर छूट लगा लेते हैं।

बिलों की कटौती द्वारा भी बैंक से ऋण प्राप्त किया जा सकता है। कोई भी मालविक्रेता अपने खरीदार के नाम विनिमय बिल लिखकर उसपर उसकी स्वीकृति प्राप्त करके किसी बैंक से उस स्वीकृत बिल की कटौती करा लेता है। कटौती करने पर बैंक अपना कमीशन काटकर बिल की शेष राशि बिलधारक को दे देता है और फिर बिल की अवधि समाप्त होने पर उसे बिल के स्वीकृतिकर्ता से पूरी राशि मिल जाती है। इस प्रकार दिया गया ऋण प्राय: अल्पकालीन होता है।

बैंक अपने ग्राहकों के लिए एजेंसी का काम भी करता है। एजेंसी संबंधी क्रियाएँ इस प्रकार हैं : ग्राहकों के लिए बिलों, चेकों तथा प्रणपत्रों की राशि वसूल तथा उनकी ओर से चुकाए जानेवाले बिलों, चेकों तथ प्रणपत्रों का भुगतान करना, किसी व्यक्ति अथवा संस्था को नियमित रूप से एक निश्चित राशि भुगताना, बीमा कंपनियों को प्रव्याजि (बीमा की किश्त) की राशि चुकाना, सरकार का ग्राहकों की ओर से आयकर चुकाना तथा उनकी ओर से मालगुजारी चुकाने की व्यवस्था करना, कंपनी के अंशों पर लाभांश तथा ऋणपत्रों पर ब्याज वसूल करना और सरकारी सिक्यूरिटियों का क्रय-विक्रय करना तथा उनके सलाहकार और प्रतिनिधि की हैसियत से काम करना।

बैंक कर्म

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बैंकिंग व्यवहार में बैंक और ग्राहक का संबंध प्राय: तीन प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है :

  • (१) लेनदार का संबंध,
  • (२) प्रधान एवं प्रतिनिधि का संबंध,
  • (३) न्यासी एवं प्रत्याशी का संबंध।

जब बैंक में ग्राहक की राशि जमा हो, जिसका भुगतान बैंक को ग्राहक के माँगने पर करना पड़े तो बैंक ग्राहक का देनदार ओर ग्राहक बैंक का लेनदार होता है। पर कभी कभी यह संबंध विपरीत भी हो जाता है। जब ग्राहक बैंक से ऋण ले अथवा अपने लेखे में जमा राशि से अधिक राशि निकाले तो बैंक ग्राहक का लेनदार और ग्राहक उसका देनदार बन जाता है। सामान्य व्यवहार में देनदार को, ऋण की अवधि बीतने पर, राशि का भुगतान लौटाना ही होता है चाहे उसकी माँग लेनदार की ओर से हो अथवा न हो। पर बैंक एक ऐसा देनदार होता है जो अपने पास जमा की हुई राशि को ग्राहक के माँगने पर ही लौटाता है, अन्यथा नहीं। पर यदि ग्राहक बैंक का देनदार हुआ तो उसे ऋण का भुगतान अवधि बीतने पर बैंक के माँगने पर व न माँगने पर भी करना होता है। बैंक द्वारा जमा रूप में लिए हुए ऋणों के साथ अन्य सामान्य ऋणों की भाँति 'काल मर्यादा नियम' लागू नहीं होता। ग्राहक के लेखे में राशि कितने ही समय तक जमा रह सकती है।

बैंक एक ही ग्राहक के विभिन्न लेखों को एकत्र मानकर अपना ऋण वसूल कर सकता है पर ग्राहक बैंक में अपने विभिन्न लेखों को एकत्र मानकर राशि भुगतान करने के लिए बैंक को विवश नहीं कर सकता।

बैंक को ग्राहक से सामान्य लेनदेन में आई हुई राशि अथवा सिक्यूरिटियों पर स्वत्व ग्रहणाधिकार प्राप्त होता है। बैंक को ग्राहक की उन सिक्यूरिटियों पर, राशि पर तथा वस्तुओं पर ग्रहणाधिकार प्राप्त होता है जो उसके पास किसी विशिष्ट उद्देश्य के हेतु न आई हों वरन् बैंकिंग लेनदेन के सामान्य क्रम में प्राप्त हुई हों। ग्रहणाधिकार के अंतर्गत आई हुई वस्तुओं को बैंक बेचकर ग्राहक द्वारा ऋण का भुगतान न होने पर, अपनी ऋणराशि वसूल कर सकता है।

जिस समय बैंक अपने ग्राहक के आदेश से उसके लेखे पर सिक्यूरिटियों का क्रय विक्रय करता है, उसके लेखे पर आयकर, भूमिकर, बीमा की प्रख्याजि का (प्रीमियम), चंदा आदि की राशि का भुगतान करता है तो उस स्थिति में बैंक ग्राहक के प्रतिनिधि के रूप में काम करता है।

जब तक ग्राहक की धरोहर बैंक के पास रखी रहती है तब तक बैंक ग्राहक का प्रन्यासी तथा ग्राहक बैंक का प्रत्याशी कहलाता है। प्रत्याशी के रूप में काम करते हुए बैंक को अपने प्रत्याशी के द्वारा जमा की हुई वस्तुओं को बड़ी सावधानी और सुरक्षा के साथ रखना आवश्यक होता है। इस सेवा के लिए बैंक ग्राहकों से कुछ शुल्क वसूल करते हैं।

बैंक मूलत: साख का लेनदेन करते हैं-साख पर जनता से उनकी अतिरेक बचत राशि जमा लेते और उस जमा राशि को अन्य ऋणयाचकों को ऋण रूप में उधार देते हैं। इस प्रकार राशि के लेनदेन के क्रम में बैंक साख का सृजन करते और साख के सृजनकर्ता कहे जाते हैं। साख की सृजनक्रिया में जमा, कटौती तथा निर्गमन ये तीन कार्य संनिहित होते हैं। जब बैंक किसी व्यक्ति या संस्था को ऋण स्वीकृत करता है तो वह सामान्यत: ऋणराशि नकद रूप में एक साथ ही नहीं देता वरन् ऋणराशि को ऋण माँगनेवाले का लेखा खोलकर उसमें जमा कर लेता है और ऋणयाचक को अधिकार दे दिया जाता है कि वह अपने आवश्यकतानुसार चेक लिखकर ऋणराशि निकालता रहे। इस प्रकार एक ओर ऋण स्वीकृत किया जाता है तो दूसरी ओर उसी ऋण की राशि से जमा बना ली जाती है। अत: ऋण जमा को जन्म देते हैं।

जब बैंक अपनी जमा राशि में से ग्राहकों को ऋण देता है तो उस समय जमा ऋण की जन्मदात्री होती है और जब बैंक ऋण स्वीकृत करने में जमा का निर्माण करते हैं, तो उस समय ऋण जमा के जन्मदाता बन जाते हैं। साख सृजन की तीसरी विधि है बैंक नोट निर्गमन द्वारा। पर यह अधिकार केवल देश के केंद्रीय बैंक को ही मिला होता है।

प्रत्येक बैंक अपनी साख सृजन नीति में स्वतंत्र होता है तो भी उसे अपनी साख निर्माण की क्षमता मर्यादित करने के लिए अपने पास रखा जानेवाला नकद कोष, केंद्रीय बैंकों के पास जमा बैंकों का कोष, बैंकों के पास जमा धात्विक कोष, ऋण याचकों की साख और देश की सामान्य आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति का ध्यान रखना पड़ता है।

जनता से धन राशि जमा कराने में बैंक दो प्रकार का दायित्व अपने ऊपर लेता है-(१) माँग देनदारी, (२) काल देनदारी। माँग देनदारी का भुगतान बैंक को जमाकर्ताओं की वैधानिक माँग होने पर किसी समय भी करना पड़ता है और काल देनदारी का भुगतान सामान्यत: निश्चित अवधि समाप्त होने पर करना होता है।

ऐसी स्थिति में बैंक अपने पास जमा कुल राशि को ऋण याचकों को उधार नहीं दे सकता क्योंकि उसे यह भय रहता है कि न मालूम कब जमाकर्ता माँग करके अपनी राशि लेने आ जाए। अत: ऋण देने से पूर्व बैंक अपने पास कोष में कुछ नकद राशि बचाकर रख लेता है जिससे समय आने पर उसमें से जमाकर्ताओं की माँग पूरी करता रहे। यह राशि बैंक का नकद कोष कहलाता है। कोई कोई बैंक नकद कोष अपने पास भी रखते हैं और केंद्रीय बैंक में भी जमा करा देते हैं ताकि आवश्यकता पड़ने पर वहाँ से राशि देकर जर्माकर्ताओं की माँग पूरी कर सकें। नकद कोष बैंक की साख बनाए रखने में सहायक होता है। नकद कोष बैंक की रक्षा की 'प्रथम पंक्ति' कहा जाता है। किसी भी समय नकद कोश की राशि निम्न परिस्थितियों पर निर्भर होती है :

(अ) वैधानिक निर्णय, (आ) जमाकर्ताओं की औसत जमाराशि, (इ) लोगों की बैंकिंग आदत तथा प्रवृत्ति, (ई) ग्राहकों की सामान्य प्रकृति, (उ) स्थानीय प्रथा एवं परिस्थितियाँ, (ऊ) मुद्रामंडी की व्यवस्था (ऋ) व्यापारिक परिस्थितियाँ अथवा (ॠ) देश में समाशोधन गृह की सुविधाएँ। उक्त परिस्थितियों के अतिरिक्त नकद कोष की मात्रा बैंक अधिकारियों के पूर्व अनुभव, उनकी दूरदर्शिता तथा उस देश की व्यापारिक स्थिति पर निर्भर होती है।

बैंक को जमाकर्ताओं से जो राशि प्राप्त होती है उसे वह दूसरों को उधार देकर ब्याज वसूल करता है। इस ब्याज की राशि में से कुछ भाग वह जमाकर्ताओं को उनकी जमा राशि पर ब्याज स्वरूप देकर शेष राशि वह अपने पास बचा लेता है। बैंक को अपनी सकल जमा राशि में से कुछ भाग नकद कोष के रूप में रखकर शेष राशि का सावधानी से विनियोग करना आवश्यक होता है।

बैंक की विनियोग नीति भिन्न भिन्न देशों में, भिन्न भिन्न अवसरों पर और विभिन्न बैंकों के साथ भिन्न भिन्न होती है। प्रत्येक बैंक के लिए अपनी विनियोग नीति निर्धारित करते समय कई बातों का विचार करना आवश्यक होता है। बैंक की राशि का विनियोग इस प्रकार हो कि आवश्यकता होने पर उसे रोकड़ राशि में बदलवाया जा सके, विनियोजित मूलधन सुरक्षित रहे, विनियोगों से संतोषजनक आय भी मिले, धनराशि का विनियोग किसी एक ही उद्योग व्यापार में न किया जाए, बैंक की राशि किसी व्यक्तिविशेष को ही ऋण के रूप में न दी जाए, जमानतों का भली भाँति निरीक्षण कर लिया जाए, जमानत, जिसपर राशि विनियोजित की जा रही है, तरल, सुरक्षित और लाभप्रद हो और यदि कभी किसी जमानत में मूल्य का ्ह्रास होने लगे तो ऋणी से तुरंत अन्य जमानत लेकर उस ्ह्रास का पूरा किया जा सके।

सामान्यत: बैंक दो प्रकार से अपनी राशि का विनियोग किया करते हैं: (१) व्यवसाय संचालन के लिए भूगृहादि, फर्नीचर आदि वस्तुएँ खरीदकर। इससे बैंक को कोई आय नहीं मिलती। (२) अल्पकालीन ऋण देकर, बिलों की कटौती करके तथा सिक्यूरिटियों का क्रय विक्रय करके। इनसे बैंक को आय होती और लाभ मिलता है। लाभ कमाने के लिए बैंक अपनी राशि का विनियोग अल्पकालीन ऋण देकर, बिलों का क्रय करके तथा उनकी कटौती करके, विनियोग पत्र तथा अन्य सिक्यूरिटियों का क्रय करके, अथवा ऋण तथा अग्रिम स्वीकार करके करते हैं। बैंक द्वारा मान्य जमानतें अचल संपति से संबद्ध अथवा वैयक्तिक हो सकती हैं।

सांपार्श्विक जमानत ऋण लेनेवाले व्यक्ति की वैयक्तिक साख के अतिरिक्त माल अथवा माल के संबंध में अधिकारपत्र के रूप में हो सकती है। इसमें सामान्यत: तीन अधिकार होते हैं-(१) स्वत्व ग्रहणाधिकार, (२) प्राधि और (३) बंधक। ग्रहणाधिकार के अंतर्गत बैंक को अधिकार होता है कि यदि ऋणी ऋण का भुगतान न करे तो वह ऋणी द्वारा रखी गई जमानत को अपने अधिकार में रख ले। बैंक को इस जमानत को बेचने का अधिकार नहीं होता और यदि वह ऐसा करना ही चाहे तो उसे न्यायालय से तत्संबंधी आज्ञा प्राप्त करना आवश्यक होता है। प्राधि में जमानत का स्वामित्व बैंक के नाम पर हस्तांतरित हो जाता है पर उस वस्तु पर अधिकार ऋणी का ही होता है। बंधक के अंतर्गत बैंक को जमानत पर ग्रहणाधिकार करने और उसे उचित सूचना देकर बेचने का भी अधिकार होता है। सांपार्श्विक जमानत में व्यावसायिक माल तथा माल संबंधी अधिकारपत्र, जीवनबीमा पत्र तथा स्टाक एक्सचेंज पर बिकनेवाली सिक्यूरिटियाँ होती हैं। सामान्यत: बैंक अचल संपत्ति की साख पर ऋण नहीं देते।

वैयक्तिक जमानत अथवा गारंटी दो प्रकार की हो सकती है : (१) विशिष्ट राशि के लिए, (२) संपूर्ण राशि के लिए। विशिष्ट गारंटी के अंतर्गत गारंटी करनेवाला व्यक्ति किसी विशिष्ट एवं निश्चित राशि की गारंटी कर देता है। संपूर्ण गारंटी के अतिरिक्त ऋण की सकल राशि की गारंटी की जाती है और उसका दायित्व सकल राशि के लिए होता है। गारंटी लिखित अथवा मौखिक दी जा सकती है। गारंटी लेते समय बैंक को गारंटी करने व्यक्ति की साख एवं आर्थिक स्थिति की भली भाँति पड़ताल कर लेना आवश्यक है जिससे भविष्य में किसी प्रकार की हानि की संभावना न रहे। बैंक की सफलता अधिकांश में उसके प्रबंधकों एवं संचालकों पर निर्भर होती है।

पारंपरिक बैंकिंग गतिविधियाँ

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बैंक जाँच या चालू लेखा Archived 2024-04-13 at the वेबैक मशीन (checking or current accounts) को संचालित करने के लिए ग्राहकों को चेक (cheque) जमा करने पर और चेक को ग्राहाकों के चालु खातों में जमा करने पर संगृहीत करते हैं बैंक ग्राहकों को तार अंतरण (telegraphic transfer), EFTPOS (EFTPOS) और एटीएम (ATM) जैसे अन्य भुगतान विधियों में भी योग्य हैं

बैंक चालु खाते में धनराशि को स्वीकार कर रुपया स्वीकार करते हैं और banknotes (banknotes) और बांड (bonds) जैसे उधार प्रतिभूति जारी कर मियादी जमा स्वीकार करते हैं बैंक अग्रिम बनाकर ग्राहकों को चाऊ खाते पर रुपया उधार देते हैं, किस्त ऋण और बाजारू उधार प्रतिभूति और उधार के अन्य प्रारूपों में उधार देते हैं

बैंक, प्रायः सब भुगतान सेवा को प्रदान करते हैं और एक बैंक खाता अधिकाँश व्यापारिओं, व्यक्तियों और सरकार द्वारा अनिवार्य मन जाता है गैर बैंक जो प्रेषण कंपनियों की तरह भुगतान सेवा प्रदान कर रही है, सामान्यतः एक बैंक खाता का पर्याप्त विकल्प माना जाता है

बैंक अधिकाँश धन घरेलु और गैर वित्तीय व्यापार से उधार लेता है और अधिकाँश धन घरेलु और गैर वित्तीय व्यापार को देता है, पर गैर बैंकिंग उधारदाता एक महत्वपूर्ण और कई मामलों में पर्याप्त विकल्प बैंक ऋण के लिए देता है और धन बाज़ार कोष, नकद प्रबंधन न्यास और अन्य गैर बैंकिंग वित्तीय न्यास और अन्य गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान कई मामलोंमे बैंक को उधार के लिए विकल्प प्रदान करते हैं

बैंक की परिभाषा हर देश के अनुरूप अलग-अलग है। अंग्रेज़ी आम कानून (English common law) के तहत, एक बैंकर एक व्यक्तिके रूप में परिभाषित है जो बैंकिंग के व्यापार को करता है, जो इस प्रकार निर्दिष्ट है[1]

  • अपने ग्राहकों के लिए चालू खातों के संचालन
  • उस पर तैयार की चेक और भुगतान
  • अपने ग्राहकों के लिए चेक का संग्रह.

अधिकाँश अंग्रेज़ी आम कानून न्यायालय में एक बिनिमय अधिनियम प्रस्ताव है जो निगोसिएबल उपकरण (negotiable instruments) चेक (cheques) समेत कानून को संहिताबध करता है और यह अधिनियम बैंकरशब्द की एक सांविधिक परिभाषा को शामिल करती है : बैंकर व्यक्तियों का एक निकाय है चाहे वे शामिल हो या नही जो बैंकिंग के व्यवसाय को करते हैं (धारा 2, व्याख्या) हालांकि यह परिभाषा परिपत्र लगता है, यह वास्तव में कार्यशील है, क्योंकि यह सुनिश्चित करती है की चेक (cheques) जैसे बैंक लेनदेन के लिए कानूनी आधार कैसे बैंक का आयोजन या विनियमितकिया जाता है पर निर्भर नहीं है

कई अंग्रेज़ी आम कानून (English common law) देशों में बैंकिंग के व्यवसाय क़ानून द्वारा परिभाषित नहीं है बल्कि सामान्य क़ानून द्वारा, परिभाषा उपरोक्त अन्य अंग्रेज़ी आम कानून क्षेत्राधिकार में बैंकिंग के व्यापार या बैंकिंग कारोबारके सविन्धिक परिभाषा हैं जब इन परिभाषा को देखते हैं तो यह ध्यान देना आवश्यक है की वे बैंकिंग के व्यापार को विधायन के उद्देश्य से परिभाषित कर रहे हैं और सामान्य में आवश्यक नही विशेष रूप से, अधिकाँश परिभासा कानून से है जिसके पास प्रवेश के प्रयोजनों के विनियमन है और बैंकों की निगरानी करते हैं वास्तविक व्यवसाय के विनियमन सेहालांकि, कई मामलों में कानूनी परिभाषा के निकट एक सामान्य कानून का दर्पण सांविधिक परिभाषाएँ के उदाहरण:

  • "बैंकिंग व्यवसाय" का मतलब चालु या जमा खाते पर प्राप्ति का व्यवसाय, ग्राहकों के या द्वारा अदा किया गया या संगृहीत चेक, ग्राहकों को अग्रिम और अधिनियम के प्रयोजनों के लिए विहित ऐसे अन्य व्यवसाय के रूप में इस प्राधिकरण के (बैंकिंग अधिनियम (सिंगापुर), धारा 2, व्याख्या)
  • "बैंकिंग व्यवसाय" दोनों निम्न में से या तो या के कारोबार का मतलब है:
  1. आम जनता के वर्तमान, जमा, बचत या अन्य इसी प्रकार के खाते की पैसे से मांग पर प्रतिदेय या [3 महीने से भी कम] के भीतर... या फोन या उस अवधि से कम के नोटिस की अवधि के साथ
  2. चेक का भुगतान या संग्रह ग्राहक द्वारा लिया याअदा किया[2]

EFTPOS (EFTPOS) आगमन के बाद से (इलेक्ट्रॉनिक राशि स्थानान्तरण Point सेल में) सीधे ऋण, सीधे डेबिट और इंटरनेट बैंकिंग, चेक एक भुगतान को औजार के रूप में अपनी प्रधानता खो दिया है। इसने सुझाव के लिए कानूनी सिद्धांतों का नेतृत्व किया है की चेक आधारित परिभाषा को वित्तीय संस्थाओं शामिल करने के लिए चौड़ी की जानी चाहिए जो ग्राहकों को चालू खातों के संचालन और भुगतान करणे के लिए और तृतीय पक्षों द्वारा भुगतान किया हो भले ही वे और जमा सक्षम चेक भुगतान नहीं है[3]

लेखांकन बैंक खातों के लिए

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बैंक विवरण विश्व के विभिन्न लेखांकन मानकों के अंतर्गत उत्पादित लेखांकन रेकौर्ड है GAAP और वहाँ IFRES के तहत खातों की दो प्रकार: डेबिट और क्रेडिट रहे हैं। ऋण खाते राजस्व, इक्विटी और देनदारी रहे हैं। डेबिट खाते आस्तियों और खर्च रहे हैं। इसका मतलब आप क्रेडिट ऋण खातों को अपनी शेष राशि को बढ़ाने के लिए और डेबिट का मतलब है आप अपनी शेष राशि को बढ़ाने के लिए[4]

इसका यह भी मतलब है की आप अपने बचत खाते में रुपया निकालते है और हर बार जमा करते हैं (और खाता सामान्यतः घाटा में है) और आप हर बार आप अपने क्रेडिट कार्ड खाता आप इससे खर्च करते हैं (और खाता सामान्यतः जमा है)

फ़िर भी यदि आप अपने बैंक विवरण को पढ़ते हैं, यह विपरीत कहेगा की - की आपने अपने खाते को जमा किया है जब आपने रुपयों को जमा किया है और आपने इसे निकालते हुए इसे निकाला है यदि आपके पास नकद आप के खाते में है तो आपके जमा शेष सकारात्मक है और यदि आप इसे overdrawn करते हैं तब यह कहेगा की आप के पास नकारात्मक या घाटा का संतुलन है

इसका कारण बैंक है आप नही, की बैंक विवरण को उत्पादित किया है आपका बचत आपकी परिसंपत्ति पर यह बैंक का दायित्व है, अतः आपका बचत खाता एक दायित्व खाता है जो एक जमा खाता है और सकारात्मक जमा शेष होना चाहिए आपका ऋण आपका दायित्व है पर बैंक की परिसंपत्ति अतः वे ऋण खाता है जिसके पास एक नकारात्मक शेष होना चाहिए

बैंक के विवरण के निचे, शेष, जमा और ऋण पर विचार किया जाता है, वे खाते के इस दृष्टिकोण से किए जाते हैं की जो परंपरागत अधिकांश लोगों को देखने के लिए उपयोग किया जाता है

व्यापक वाणिज्यिक भूमिका

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लेकिन बैंकों की वाणिज्यिक भूमिका बैंकिंगतुलना में व्यापक है और इसमे शामिल है:

आर्थिक कार्य

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बैंकों की आर्थिक कार्यों में शामिल हैं:

  1. ग्राहक के आदेश पर धन को बैंक नोट्स (banknotes) और चालु खाता चेक (cheque) या भुगतान को जारी करना बैंक पर ये दावा धन के रूप में क्योंकि माँग पर परक्राम्य और / या, कार्य कर सकते हैं और इस प्रकार सममूल्य पर मूल्यांकित और प्रभावी हस्तांतरणीय मात्र बैंक नोट्स (banknotes) के मामले में निष्पादन, या चेक की निकासी के द्वारा बैंक को अदाकर्ता से या नकद
  2. नेटिंग और भुगतान के निपटान- बैंक वसूली एजेंट और ग्राहकों के लिए भुगतान एजेंट दोनों के रूप में कार्य करता है और अन्तर - भाग बैंक और संग्रह के समाशोधन और निपटान प्रणाली, उपस्थित और भुगतान उपकरण ये बैंक को भुगतान के निपटान के लिए भण्डार के योग्य करते हैं, हालाकि आवक और बाहरी भुगतान एक दूसरे को ऑफसेट से यह भौगोलिक क्षेत्रों के बीच भुगतान प्रवाह ऑफसेट करने के लिए, योग्य करता है, भौगोलिक क्षेत्रों के बीच भुगतान के निबटारे की लागत को कम करने में सक्षम बनाता है
  3. क्रेडिट इंटर - बैंक उधार ले और वापस—वापस मध्यम पुरुषों के रूप में उनके अपने खाते में करने के लिए उधार देता है
  4. क्रेडिट गुणवत्ता में सुधार -बैंक धन को साधारण वाणिज्य और व्यक्तिगत उधारकर्ताओं (सामान्य क्रेडिट गुणवत्ता के लिए पैसे उधार दे) लेकिन उच्च गुणवत्ता उधारकर्ताओं रहे हैंयह विकास बैंक की परिसंपत्तियों के विविधीकरण से आता है और बैंक की अपनी पूंजी जो नुकसान को अवशोषित करने के लिए अपने स्वयं के दायित्वों पर चूक करने के बिना एक बफर प्रदान करता हैहालाकि, बैंक नोट्स और जमा सामान्यतः असुरक्षित हैं, यदि बैंक परेशानी महसूस करता है और परिसंपत्तियों को प्रतिभूति को धन के लिए सुरक्षा के रूप में संचालन के रूप में जारी करने की जरूरत है, यह नोट होल्डर और जमाकर्ताओं को एक आर्थिक निम्न स्थिति में
  5. परिपक्वता परिवर्तन -बैंक मांग और अल्पावधि उधार की मांग करते हैं पर लम्बी अवधी को प्रदान करते है बैंक इसे इसलिए करते हैं की वे मुद्दों के एकीकरण के (जैसे जमा और बैंक नोट्स को जारी करना) और मोचन (जैसे बैंक नोट्स और निकासी का मोचन), नकद के भण्डार को संचालित, बाजारू प्रतिभूति में निवेश नकद में परिवर्तित आवश्यकता पर करते हैं और हस्तांतरण जैसे विभिन्न स्रोतों से (जैसे थोक बाजार नकदी और प्रतिभूति बाजार) क्योंकि उनके पास एक उच् और अधिक ज्ञात जमा निति एनी उधारियों से है

बैंकिंग के कानून

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बैंकिंग कानून बैंक और ग्राहक.के बीच के रिश्ते की एक संविदात्मक विश्लेषण पर आधारित हैबैंक की परिभाषा ऊपर दी गई है और ग्राहक की परिभाषा है, कोई भी व्यक्ति जिसके साथ बैंक एक खाते को संचालित करना चाहता है

कानून के रूप में इस संबंध में अधिकारों और दायित्वों का तात्पर्य है:

  1. बैंक खाते की शेष राशि बैंक और ग्राहक के के बीच की वित्तीय स्थिति है, जब खाता में जमा है, बैंक ग्राहक के शेष का के स्वामी हैं, जब खाता अधिविकर्ष है तब ग्राहक शेष को बैंक के लिए स्वामित्व करता है
  2. बैंक ग्राहकों के चेक को ग्राहक के खाते में स्थित राशि तक अदा करने और किसी भी करार की सीमा तक ओवरड्राफ्ट को संचालित करता है
  3. बैंक ग्राहक के आदेश के बिना उसके खाते से अदायगी नही कर सकता है जैसे एक ग्राहक द्वारा आहरित एक चेक
  4. बैंक ग्राहक के खाते के एजेंट के रूप में ग्राहक के खाते में चेक जमा करने और ग्राहक के खाते में जमा की प्रक्रिया को करने के लिए व्यस्त है
  5. बैंक के पास ग्राहक के खाते को सम्मिलित करने का अधिकार है, हालाकि प्रत्येक खाता सामान क्रेडिट के सम्बन्ध का पहलु है
  6. बैंक ग्राहक के खाते में में जमा चेक का धारणाधिकार है, ग्राहक बैंक के सीमा तक आभारी है
  7. बैंक को ग्राहक के खाते का विवरण को तब तक प्रकट नही करना चाहिए जब तक ग्राहक की सहमती न हो, तब यह एक सार्वजनिक कर्तव्य है, बैंक की रुचि की आवश्यकता होती है, या कानून की बाध्यता के अंतर्गत
  8. बैंक को ग्राहक को बिना उचित सूचना दिए बिना खाते को बंद नही करना चाहिए क्योंकि कई दिनों से सामान्य व्यापार के तहत चेक बकाया हो सकते हैं

इन गर्भित अनुबंध की शर्तें ग्राहक और बैंक के बीच समझौता एक्सप्रेस के द्वारा संशोधित किया जा सकता हैइस क्षेत्राधिकार में कार्यशील स्थिति और नियम भी उपरोक्त नियम संशोधित और / या नए अधिकार दायित्वों या सीमाएँ या बना सकते हैं, बैंक-ग्राहक संबंधों के लिए प्रासंगिक बनाने के उपर्युक्त नियम और संशोधित कर सकते हैं।

प्रवेश विनियमन

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वर्तमान में अधिकाँश क्षेत्र में व्यावसायिक बैंक सरकारी सरकारी संस्थाओं द्वारा विनियमित हो रहे हैं और काम करने के लिए एक विशेष बैंक लाइसेंस की आवश्यकता होती है

आम तौर पर विनियमन के प्रयोजनों के लिए बैंकिंग के कारोबार की परिभाषा जमा की स्वीकृति को शामिल करने के लिए है भले ही वे ग्राहक के ऑर्डर को दुबारा वापस करने के लिए नहीं हैं, लेकिन खुद, के उधार पैसे, द्वारा आम तौर पर इस परिभाषा में शामिल नहीं है

अधिकांश अन्य विनियमित उद्योगों के विपरीत, नियामक आमतौर पर भी बाजार में एक भागीदार, यानी, सरकारी स्वामित्व वाली बैंक है (एक केंद्रीय बैंक) केंद्रीय बैंकों banknotes (banknotes).को आम तौर पर जारी करने के व्यापार पर एकाधिकार हैहालांकि, कुछ देशों में यह मामला नही है, जैसे यु के में वित्तीय सेवा प्राधिकरण (Financial Services Authority) बैंकों और कुछ वाणिज्यिक बैंकों को लाइसेंस देता है जैसे बैंक ऑफ स्कॉटलैंड (Bank of Scotland), अपने बैंक नोट्स (banknotes) को ब्रिटेन सरकार के केंद्रीय बैंक बैंक ऑफ इंग्लैंड (Bank of England) की प्रतियोगिता में ख़ुद जारी करता है

कुछ प्रकार की संस्था आंशिक या पूरी रूप से बैंक लाइसेंस आवश्यकताओं से मुक्त है और अलग अलग नियामकों, जैसेसमाज निर्माण (building societies) और क्रेडिट यूनियनों (credit unions) द्वारा विनियमित हैं

एक बैंक लाइसेंस के जारी करने का मामला क्षेत्राधिकार के बीच भिन्न है पर शामिल करता है :

  1. न्यूनतम पूंजी
  2. न्यूनतम पूंजी अनुपात
  3. बैंक के नियंत्रकों, मालिकों, निर्देशकों और / या वरिष्ठ अधिकारियों के लिए उपयुक्त /उचित' आवश्यकताओं
  1. बैंक के व्यापार का अनुमोदन योजना के पर्याप्त समझदारी के लिए की जा रही है

राजनीति और इतिहास

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बैंकों ने सदियों से अर्थव्यवस्था और राजनीति को प्रभावित किया है। ऐतिहासिक दृष्टि से, एक बैंक के प्राथमिक उद्देश्य ट्रेडिंग कंपनियों के लिए ऋण उपलब्ध कराने के लिए था। बैंक कारोबार सूची क्रय करने की अनुमति देता है और उन पैसो को वापस ब्याज सहित सामन के बेचने के दौरान संगृहीत करता है सदियों के लिए, बैंकिंग उद्योग केवल व्यापारों के साथ, था उपभोक्ताओं के लिए नही वाणिज्यिक उधार आज एक बहुत ही गहन गतिविधि है, बैंक ध्यान से अपने व्यापार ग्राहकों की वित्तीय स्थिति का विश्लेषण के साथ प्रत्येक लेनदेन में ऋण जोखिम का स्तर निर्धारित करता है बैंकिंग सेवाएँ व्यक्तियोंपर निदेशित व्यापक हो चुकी है इसमे बहुत छोटे लेनदेन में जोखिम झूलते रहे हैं

शब्द का मूल

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बैंकशब्द इतालवीशब्द बैंको "डेस्क / बेंच"से व्युत्पन्न होता है, जो पुनर्जागरणके दौरान Florentines बैंकरों द्वारा प्रयोग किया गया, जिन्होंने अपने लेनदेन को एक मेज़ के ऊपरएक हरे मेज़पोश द्वारा ढककर प्रयोग किया[5] हालाँकि, बैंकिंग गतिविधियों के निशान प्राचीन समय में भी रहे हैं।

वास्तव में, शब्द अपना मूल प्राचीन रोमन साम्राज्य में पाता है, जहा साहूकार macella कहे जाने वाले सलग्न बरामदे में अपने स्टाल्स लगते थे, जो bancu कहा जाने वालैक लंबा बेंच था और जिससे बैंको और बैंक शब्द बना एक पैसे बदलनेवाला के रूप में,bancu का व्यापारी ने उतना निवेश नही किया क्योंकि मात्र विदेशी मुद्रा को केवल रोम के कानूनी मुद्रा में -शाही टकसाल के.[6]

बैंकिंग चैनलों

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बैंकों को अपने बैंकिंग और अन्य सेवाओं का उपयोग करने के लिए कई अलग अलग चैनलों की पेशकश करते हैं

  • एक शाखा, बैंकिंग केंद्र या वित्तीय केन्द्र एक खुदरा केन्द्र है जहा एक बैंक या वित्तीय संस्था अपने ग्राहकों को सेवा का सामना करने के लिए एक व्यापक श्रेणी उपलब्ध कराता है
  • एटीएम (ATM) एक कम्प्यूटरीकृत दूरसंचार उपकरण है जो एक वित्तीय संस्थान के ग्राहकों को सार्वजनिक स्थान में वित्तीय लेनदेन की एक मानव क्लर्क या बैंक टेलर की आवश्यकता के बिना की एक विधि है अधिकांश बैंकों के पास अब शाखाओं से अधिक एटीएम है और एटीएम प्रयोक्ताओं की एक व्यापक श्रेणी के लिए सेवाओं की एक व्यापक श्रेणी उपलब्ध करा रहे हैंहांगकांग में उदाहरण के लिए, अधिकाँश ऐ टी एम् किसी को भी किसी के ग्राहक के खाते में राशि जमा करने के लिए नोट को भर कर और खाता नंबर दालकर सक्षम करते हैं इसके अलावा, अधिकाँश ऐ टी एम् कार्ड धारकों को अन्य बैंकों से अन्य बैंकों से अपने खाते की शेष राशि प्राप्त करने के लिए और नकद निकालने में योग्य बनता है चाहे कार्ड एक विदेशी बैंक द्वारा जारी किया गया हो
  • मेल (Mail) डाक व्यवस्था का हिस्सा है, जो स्वयं एक व्यवस्था है जबकि लिखित दस्तावेजों आमतौर लिफाफे में जड़े, अन्य विषय शामिल किए और भी छोटे पैकेज दुनिया भर के गंतव्यों के लिए दिया जाता हैयह चेक जमा करने के लिए और प्रयोग किया जा सकता है और बैंक को तृतीय पक्षों के लिए पैसे का भुगतान करने के लिए आदेश भेजने के लिए किया जा सकता है बैंक सामान्यतः ग्राहकों को आवधिक खाते का विवरण देने के लिए डाक का प्रयोग करते हैं
  • टेलीफोन बैंकिंग (Telephone banking) एक सेवा है जो अपने ग्राहकों को टेलीफोन पर लेनदेन प्रदर्शन करने की अनुमति देता है और एक वित्तीय संस्थान द्वारा प्रदान की जाती हैयह सामान्य रूप से (बिजली के लिए) जैसे प्रमुख बिल्लेर्स से बिल के लिए बिल भुगतान करता है
  • ऑनलाइन बैंकिंग (Online banking) एक शब्द का लेनदेन का भुगतान आदि का प्रदर्शन के लिए उपयोग किया जाता है। इंटरनेट पर एक बैंक, क्रेडिट यूनियन या समाज निर्माण की सुरक्षित वेबसाइट के मध्यम से

बैंकों के प्रकार

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बैंकों की गतिविधियों खुदरा बैंकिंग (retail banking) में, व्यक्तियों और छोटे व्यवसायों से सीधेनिपटने में, व्यापार बैंकिंग (business banking) मध्य तक बाजार में कारोबार करने के लिए सेवाएं प्रदान करने, कॉर्पोरेट बैंकिंग, निर्देशित बड़े व्यावसायिक संस्थाओं में निजी बैंकिंग (private banking) उच्च निवल मूल्य के लिए धन प्रबंधन सेवाएं प्रदान व्यक्तियों और परिवारों; और निवेश बैंकिंग, (investment banking) वित्तीय बाजारों (financial markets) पर संबंधित गतिविधियों के लिए विभाजित किया जा सकता हैअधिकांश बैंकों लाभ-, निजी उद्यम कर रहे हैं। हालांकि, कुछ सरकार द्वारा, स्वामित्व में हैं या गैर लाभ कर रहे हैं।

सेंट्रल बैंक (Central bank) सामान्यतह सरकार के स्वामित्व वाले बैंक हैं जो प्रायः अर्ध के -विनियामक जिम्मेदारियों को पुरा करते है जैसे वाणिज्यिक बैंकों का पर्यवेक्षण या नकद या ब्याज दर (interest rate) को नियंत्रित करना वे आमतौर पर बैंकिंग प्रणाली को तरलता प्रदान करते हैं और एक संकट की घड़ी में ऋणदाता अंतिम उपाय के (Lender of last resort) के रूप में कार्य करते हैं

खुदरा बैंकों के प्रकार

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  • वाणिज्यिक बैंक (Commercial bank): शब्द एक सामान्य बैंक के लिए एक निवेश बैंक से यह भेद करने के लिए इस्तेमाल किया।गहरे अवसाद (Great Depression) के बाद यु एस कांग्रेस ने चाहा की बैंक केवल बैंकिंग के कार्य में ही व्यस्त रहे, जबकि निवेश बैंक पूंजी बाजार (capital market) गतिविधियों तक सिमित थे तब से दोनों को अधिक समय तक अलग स्वामित्व में नही रखना है, कुछ "वाणिज्यिक बैंक"शब्द का उपयोग एक बैंक या बैंक के एक खंड के सन्दर्भ में करते हैं जो अधिकांशतः निगमों या बड़े कारोबारों में से ज्यादातर के साथ जमा और कर्जसंबंधित है
  • समुदाय बैंक (Community Bank):स्थानीय संचालित वित्तीय संस्थाओं जो कर्मचारियों को अपने ग्राहकों और भागीदारों की सेवा के लिए निर्णय बनाने के लिए सक्षम है
  • सामुदायिक विकास बैंक (Community development bank) :विनियमित बैंक जो कम सेवा वाले बाज़ार या आबादी को वित्तीय सेवाओं और ऋण प्रदान करता है
  • डाक बचत बैंक (Postal savings bank): बचत बैंकों राष्ट्रीय डाक प्रणालियों के साथ जुड़े.
  • निजी बैंक (Private bank)s: उच्च निवल मूल्य व्यक्तियों की संपत्तियों का प्रबंधन.
  • अपतटीय बैंक (Offshore bank): कम कराधान और विनियमन के क्षेत्राधिकार में केंद्रित बैंक कई विदेशी बैंकों आवश्यक रूप से निजी बैंक रहे हैं।
  • बचत बैंक (Savings bank): यूरोप में, बचत बैंक की जड़े १८ वीं 19 वीं शताब्दी में थी उनका मूल उद्देश्य जनसंख्या के सभी स्तर के लिए सुगम बचत उत्पादों को उपलब्ध कराने के लिए गया थाकुछ देशों में, बचत बैंक सार्वजनिक पहल पर बनाया गया थाजबकि अन्य जगह पर सामाजिक रूप से प्रतिबद्ध व्यक्तियों को आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण किया आजकल, यूरोपीय बचत बैंक खुदरा बैंकिंग के भुगतान पर अपना ध्यान केंद्रित रखा है : व्यक्तियों या छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों के लिए भुगतान, बचत उत्पाद, ऋण और बिमा इस खुदरा ध्यान के अलावा, वे अपने विकेन्द्रीकृत वितरण नेटवर्क के द्वारा वाणिज्यिक बैंकों से भिन्न हैं, स्थानीय और क्षेत्रीय पहुच प्रदान कर और व्यवसाय और समाज के लिए सामाजिक दृष्टि से जिम्मेदार दृष्टिकोण से प्रदान करते हैं
  • इमारत समाजों (Building societies) और Landesbank (Landesbank)s: खुदरा बैंकिंग आचरण.
  • नैतिक बैंक (Ethical bank) : वो बैंक जो सभी संचालनों में पारदर्शिता को प्राथमिकता देते हैं और केवल सामाजिक-जिम्मेदार निवेश करने पर विचार करते हैं
  • इस्लामी बैंक (Islamic bank) वह बैंक हैं जो कि इस्लामी सिद्धांतों के अनुसार चलते हैं

निवेश बैंकों के प्रकार

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दोनों संयुक्त

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  • सार्वभौमिक बैंक (Universal bank) अति सामान्य रूप से वित्तीय सेवाओं (financial services) कम्पनी के रूप में जाना गया, इन कई गतिविधियों में संलग्न हैंउदाहरण के लिए, पहला बैंक (First Bank) (एक बहुत बड़े बैंक) वाणिज्यिक और खुदरा ऋण में शामिल है, अउर इसके कर में सहायक अन्य देशों के ग्राहकों के लिए अपतटीय बैंकिंग सेवाओं की पेशकश करते हैंअन्य बड़े वित्तीय संस्थानों इसी प्रकार विविधतापूर्ण हैं और कई गतिविधियों में संलग्न हैंयूरोप और एशिया में, बड़े बैंक बहुत वर्गीकृत समूहों में हैं जो अन्य सेवाओं के अलावा बीमा भी वितरित करते हैं, इस प्रकार bancassurance (bancassurance) शब्द को बैंक में बीमा उत्पादों की बिक्री का वर्णन करने के लिए प्रयोग किया जाता हैयह शब्द "banque या बैंक" का एक संयोजन और "आश्वासन"कहता है की बैंकिंग और बीमा दोनों ही एक ही निगम इकाई द्वारा प्रदान की जाती हैं

बैंकों के अन्य प्रकार

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इस्लामी बैंकिंग

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  • इस्लामी बैंक (Islamic bank)s इस्लामी कानून (Islamic law).की अवधारणाओं का पालन करते हैं इस्लामी बैंकिंग जो इस्लामी सिद्धांत पर आधारित हैं आस पास कई अच्छी तरह से स्थापित की गई अवधारणाओं घूमती हैहलाकि ब्याज की अवधारणा इस्लाम में मना किया है। सभी बैंकिंग गतिविधियों को ब्याज से बचने चाहिए.ब्याज के बजाय, बैंक ग्राहकों तक फैली (वृद्धि) और वित्त पोषण सुविधाओं पर फीस पर लाभ अर्जित करता है

अर्थव्यवस्था में बैंकों

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वैश्विक बैंकिंग उद्योग का आकार

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सबसे बड़ा 1000 बैंकों की Worldwide आस्तियों 2006/2007 में एक रिकॉर्ड $ 74,2 ट्रिलियन तक पहुँचने में 16,3% बढ़ा है। यह पिछले वर्ष में 5.4% की वृद्धि का पालन करती है। यूरोपीय संघ बैंकों, के, ऊपर सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं . एक दशक पहले से 43% से अब 53% यूरोप के शेयर में वृद्धि ज्यादातर जापानी बैंकों की कीमत पर था जिसका हिस्सा १०% से 21% अधिक इस अवधि के दौरान आधी हो.अमेरिकी बैंकों का हिस्सा अपेक्षाकृत 14% पर स्थिर रहा.शेष से अधिकांश अन्य एशियाई और यूरोपीय देशों से था। .[7]

अमेरिका में (7540 अंत तक 2005 में से) सबसे अधिक बैंक थे अउर शाखाओं (75000) इस दुनिया में.थे अमेरिका में बैंकों की बड़ी संख्या अपने भूगोल और विनियामक संरचना का एक संकेतक, छोटा से मध्यम आकार के संस्थान इसके बैंकिंग व्यवस्था में जापान के पास 129 बैंकों और 12,000 शाखाओं था। 2004 में, जर्मनी, फ्रांस और इटली प्रत्येक के पास ३०,००० शाखाएं थी - यु के १५००० शाखाओं से दुगना[8]

दुनिया में शीर्ष दस बैंकिंग समूह के द्वारा क्रमित शेयरधारक इक्विटी (shareholder equity) ($ मी)

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२००८ के बैंक एटलस मूडी के द्वारा वाणिज्यिक बैंकों की वार्षिक रिपोर्ट और वित्तीय बयानों से संकलित किया गया[9] शेयरधारक इक्विटी एक बैंक के मूल्य का आकलन अन्य मुद्राओं के सापेक्ष एक दिया समय का बिंदु आंकड़ों में हैं अमेरिकी डॉलरs

रैंक कंपनी शेयरधारक इक्विटी ($ मी) --
1 बैंक ऑफ अमेरिका के (Bank of America) 131720 $ mln --
2 सिटी (Citigroup) 119783 $ mln --
3 JPMorgan चेस (JPMorgan Chase) 115790 $ mln --
4 एचएसबीसी (HSBC) 114928 $ mln --
5 मित्सुबिशी UFJ वित्तीय समूह (Mitsubishi UFJ Financial Group) 81.940 $ mln --
6 रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड का समूह (Royal Bank of Scotland Group) 78.730 $ mln --
7 ING समूह (ING Group) 78.088 $ mln --
8 क्रडिट Agricole (Crédit Agricole) 77.462 $ mln --
9 Wachovia निगम (Wachovia Corporation) 69.716 $ mln --
10 बीएनपी Paribas (BNP Paribas) 67.378 $ mln --

बैंक संकट

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बैंक जोखिम के कई रूपों के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं जिन्होंने कभी कभी प्रणालीगत संकट पैदा कर दिया हैजोखिम में तरलता जोखिम (liquidity risk)(वह जोखिम जो कई जमाकर्ता उपलब्ध धनराशि में निकासी से परे का अनुरोध करेंगे), ऋण जोखिम (credit risk)(वह जोखिम जिसे कोई नही चुकाने के लिए होंगे) और ब्याज दर जोखिम (interest rate risk) अन्य के बीच (वह जोखिम जो अगर ब्याज डर बढ़ने पर इसे प्राप्ति की तुलना में जमा ऋण बैंक के लिए हानिकारक हो जाएगा)

बैंकिंग संकट इतिहास भर में विकसित हुआ है जब एक या अधिक जोखिम एक पूरे के रूप में एक बैंकिंग क्षेत्र के लिए कई बार अमल में लाया गया है प्रमुख उदाहरण में अमेरिका का बचत और ऋण संकट (Savings and Loan crisis) 1980 और 1990 के दशक में[10] शामिल हैं 1990 के दशक, के दौरान जापानी बैंकिंग संकट, बैंक संचालन (bank run) जो गहरे अवसाद (Great Depression) के दौरान प्रकट हुआ और हाल के केंद्रीय बैंक नाइजीरिया, का अधिग्रहण जहां करीब २५ बैंक का अधिग्रहण किया गया

भारत सरकार द्वारा ब्याज देने की निति से गरीबों के लिए दुखभरी जिन्दगी       आदरणीय राष्ट्रिय नागरिक बन्धुओं ब्याज देने की गलत निति क्यों दुखदाई है गरीबों के लिए जानना जरुरी है भारत सरकार ने व्यापार पर आयकर टेक्स लगा रखा है जिसमे व्यापारियों को धन दोलत का दान देने को कहा गया है की आपको आय में टेक्स भरने में फायदा मिलेगा बेचारा व्यापारी 70साल से दान देकर यह परम्परा निभा रहा है इस दान के नियम से दान लेने वाले मालामाल हो रहे है व्यापारी मूल रकम बच नहीं रही है व्यापारी आपके व्यापार को वापिस मजबूत करने के लिए अपने बचे हुए कर्मचारियों का करा हुआ उत्पादन में जो दान दिया पैसा में भाग लगाकर उत्पाद का पैसा बढाना पड़ता है उदाहरण से समझना जरुरी मान लो की उत्पादन करता तेल का व्यापारी है उसने कोई दान दिया तो दान देते ही उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गयी तो दान देने से पहले उसके यहाँ 100युवा रोजगार थे व्यापारी मजबूरन 60यवा को बेरोजगार करेगा यह भारत में बेरोजगार 36%होती है हर 6महीने में विशेषकर हमारे देश को मजबूत करने वाले राजनेतिक दलों को समझना पडेगा क्योंकी जो दल केंद्र सरकार में सत्ताधिन होगा उसके खिलाफ चुनावों में 36%मत पड़ते है और 15%लोग जाते ही नहीं है अब ब्याज निति के बारे में समझना पडेगा भारत सरकार ई ब्याज निति यह की किसी भी तरह का बैंक खाता हो सबको समय अनुसार डबल कर दिया जाएगा अब यह भी समझना जरिरी है भारत में डबल रकम हो किसकी रही है दान लिया पैसा ब्याज मिलने के चलते कभी ख़त्म नहीं होगा बल्कि जिस बैंक में खाता है उस बैंक से ब्याज का ही केवल पैसा निकलते निकलते बैंक की स्थति दुसरे बाएँ खाता दारों के लिए दुखदायी होता है जैसे किसी बैंक का द्वालिया होते ही भारतीय सरकार के रिजर्व बैंक के अधीन हो जाना ही भारत की अर्थव्यवस्था बार बार मरती है देश हो क्या रहा है की अर्थव्यवस्था को जीवित करने के लिए  जनता को उत्पाद का बढाया हुआ दाम देना पडेगा चाहे कूछ भी हो जाए राजनीती में अब समझना जरुरी है दान लेता कोण है तो अपने क्षेत्र के किसी भी वकील साब,सीए साब,अकाउन्टेन्ट साब से मालुम कर सकते है अब समझना जरुरी है की भारत में मूल पैसा किसका नहीं हो रहा 1. 50 हजार से अधिक मासिक नोकरी करने वाला 2. कोई व्यापारी ख्याति प्राप्त है तो उसने ट्रस्ट बना सहारा ले रक्खा है मूल बचाने के लिए 3. शासन करता की भरकम दोलत का ब्याज बैंको से निकलना ही मूल रकम का बचना है 5. शासन में 50हजार से अधिक सरकारी कर्मचारियों का ब्याज से ही घर का खर्च चलना ही मूल रकम का बचना है 6. व्यक्तिगत पेशे से अनगिनत फ़ीस के बैंकों में जमा का ब्याज निकलवा घर खर्च में धन इस्तेमाल करना ही मूल धन का बचना है 7. करोड़ों रूपये का दान लेकर बैंको में बना हुआ ब्याज को निकालते रहना भी भारत सरकार के लिए विकास रकम बचना मुश्किल है 8. बैंको की आर्थिक हालत खराब होना ब्याज के रूप में कर्ज चुकाना ही है अब उपाय यही है की महीने के 35हजार से अधिक महीने वेतन लेने वालों की मूल रकम अर्थव्यवस्था में लगाने के लिए भारत सरकार ब्याज देना बंद करें दुसरा दान लिए हुए धन रकम पर ब्याज देना बंद करावे तीसरा दलों को जितने के लिए ब्याज बंद कारावे चौथा व्यापारिक खातों व गरीब नागरिक के खातों में ब्याज देवे तो कर्ज लेने की जरुरत नहीं तो देश में किसान देव को फंखे के लटककर मरने की जरुरत नहीं आपको ध्यान देना होगा समझना होगा की दान लेने वाले गरीबी हटा नहीं सकते जो कागजों में दान रकम लेने का समर्थन करते है तो कभी गरीबी नहीं हटा सकते देश खराब अर्थव्यवस्था इसलिए हो गयी की अंग्रेजों ने भारत पर 1862 में व्यापारियों पर आयकर लगाया वो ही कानून हमारे राज करने वालों ने मान लिया इस कानून से भारत को कभी लाभ नहीं हुआ बल्कि भारतीय संस्कृति का भी पतन की साजिस हुई            

 

बैंकिंग उद्योग के भीतर चुनौतियां

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बैंकिंग उद्योग विस्तृत और ध्यान केंद्रित नियामकों के साथ एक उच्च विनियमित उद्योग है।FDIC के साथ सभी बैंक - बीमित जमा के पास एक नियामक के रूप में FDIC है, जांच के लिए, फेडरल रिजर्व संघीय नियामक सदस्यीय राज्य बैंक के लिए प्राथमिक संघीय नियामक : मुद्रा के नियंता के कार्यालय राष्ट्रीय बैंकों के लिए संघीय नियामक;और बचत पर्यवेक्षण कार्यालय या ओ टी एस बचत के लिए प्राथमिक संघीय नियामक हैराज्य गैर सदस्य बैंक इन राज्य एजेंसियों द्वारा और साथ ही फ्दिक के द्वारा जांच किए जांच किए जाते हैं राष्ट्रीय बैंकों को एक प्राथमिक नियामक ने OCC है।

प्रत्येक नियामक एजेंसी के पास अपने नियमो और विनियमों का सेट है जिसे बैंक और thrifts पालन अवश्य करना चाहिए जो करना है

फेडरल वित्तीय संस्थाओं परीक्षा परिषद (FFIEC) 1979 में एक औपचारिक अंतरकालीन निकाय है जो वर्णित सामान सिद्धांतों, मानक और वित्तीय संस्थानों के संघीय परीक्षा के लिए रिपोर्ट रूपों से सशकत के लिए स्थापित किया गया हालाकि ऍफ़ ऍफ़ आई ई सी एजेंसियों के बीच एक व्यापक मात्रा की विनियामक निरंतरता के रूप में परिणत हुआ है, नियम और विनियम लगातार बदल रहे हैं

नियमों को बदलने के अलावा, इस उद्योग में परिवर्तन के स्थिरीकरण के लिए परिवर्तन ने फेडरल रिजर्व, FDIC, ओ टी एस और OCC के भीतर का नेतृत्व किया हैकार्यालय बंद हो गए हैं, पर्यवेक्षी क्षेत्रों में विलय है, कर्मचारी स्तर कम हो गया है और बजट में कटौती की गई है शेष नियामक एक बढे हुए बोझ और अधिक प्रति नियामक के साथ बढ़ा है जब बैंक विनियामक वातावरण में बदलाव के साथ संघर्ष करते हैं, नियामक अपने कार्य भार को प्रभावी रूप से अपने बैंकों को विनियमित करने के लिए संघर्ष करते हैं इन परिवर्तनों का प्रभाव यह है की बैंक नियामकों से मूल्यांकित कम हाथों को प्राप्त कर रही हैं, प्रत्येक संस्थान के साथ कम व्यतीत समय और अधिक समस्याओं की दरारों के माध्यम से फिसल के लिए, संभावित संयुक्त बैंक असफलता पुरे यु के में

बदलता आर्थिक परिवेश का बैंकों और कम खर्च पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है क्योंकि वे अपने ब्याज डर के विस्तार को ऋण पर कम डर पर सामना करने के लिए प्रभावी प्रबंधित करते हैं, जमा राशियों के लिए प्रतियोगिता की दर और आम बाजार में परिवर्तन और आर्थिक लचीलेपन के लिए उद्योग प्रवृत्तियोंयह बैंकों के लिए प्रभावी रूप से हाल ही में बाजार के साथ अपने आर्थिक विकास की रणनीति तय करने के लिए एक चुनौती रहा है। एक बढ़ती ब्याज दर परिवेश को वित्तीय संस्थाओं में मदद करने के लिए, लग सकता है लेकिन परिवर्तन के प्रभाव उपभोक्ताओं और व्यापारों पर पूर्वानुमान नहीं है और बैंकों के लिए चुनौती और विकसित करने के लिए प्रभावी रूप से प्रबंधित प्रसार को अपने शेयरधारकों के लिए एक वापसी उत्पन्न करने के लिए बनी हुई है।

बैंक के 'परिसंपत्ति विभागों का प्रबंधन भी आज के आर्थिक परिवेश में एक चुनौती बनी हुई है। ऋण एक बैंक की प्राथमिक परिसंपत्ति वर्ग है और जब ऋण की गुणवत्ता पर शक हो जाता हैं, एक बैंक की नींव को कोर के लिए हिल रहा है। जबकि बैंकों के लिए हमेशा एक मुद्दा, गिरावट परिसंपत्ति गुणवत्ता वित्तीय संस्थाओं के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। इसके लिए कई कारन है, जिसमे से एक ढीला रवैया है कुछ बैंक अच्छा समय की वजह से अपनाया है इसके लिए क्षमता बैंक के नियामक निरीक्षण में कमी और प्रबंधन के कुछ मामलों में गहराई से दृष्टि शामिल है समस्याओं को बिना खोजे जाने की संभावना है, जब मान्यता के बाद बैंक पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव के लिए इसके अलावा, बैंक, किसी अन्य व्यापार की तरह, लागत कम करने के लिए संघर्ष करते हैं और परिणामतः कुछ खर्चों कोसमाप्त किया है जैसे पर्याप्त कर्मचारी प्रशिक्षण कार्यक्रम

बैंक को बुढ़ापे स्वामित्व समूहों जैसे अन्य चुनौतियों में से कुछ का सामना करना पड़ता हैदेश भर में, कई बैंकों के प्रबंधन दल और निर्देशकों के बोर्ड पुराने हो रहे हैं। बैंक शेयरधारकों द्वारा चल रहे दबाव का सामना करते हैं, सार्वजनिक और निजी दोनों आय और विकास अनुमानों को प्राप्त करने के लिएनियामक बैंक पर विभिन्न जोखिम के वर्गीकरण पर दबाव बढ़ते हैं बैंकिंग भी एक अत्यंत प्रतिस्पर्धी उद्योग है। वित्तीय सेवा उद्योग में प्रतिस्पर्धा बीमा एजेंसियों, क्रेडिट यूनियनों के रूप में ऐसे खिलाड़ियों के प्रवेश द्वार के साथ, सख्त हो गया है

एक प्रतिक्रिया के रूप में, बैंक अपनी क्रियाओं को वित्तीय साधनों (financial instruments) द्वारा,वित्तीय बाजार (financial market) दलाली (brokerage) और व्यापार (trading) जैसे संचालन इस क्रिया में बड़े खिलाडी हैं

लाभप्रदता

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एक बैंक ब्याज के स्तर के बीच के अंतर में से एक लाभ उत्पन्न करता है जो यह कोष के जमा और अन्य स्रोतों के लिए अदा करता है और ब्याज का स्तर इसके क्रिया के लिए शुल्क लेता है इस अंतर करने के फैलाव निधियों की लागत और ऋण की ब्याज दर के बीच.के लिए कहा जाता हैऐतिहासिक रूप से उधार देने की गतिविधियों से लाभप्रदता चक्रीय हो गया है और है और ऋण ग्राहकों की ताकत ज़रूरत पर निर्भर है हाल के इतिहास में, निवेशकों ने एक अधिक स्थिर राजस्व धरा की मांग की है और बैंक इसलिए ने लेनदेन फीस पर अधिक जोर दिया है, प्राथमिक ऋण शुल्क पर सेवा प्रभार मुख्य रूप से ऋण फीस (अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग, विदेशी मुद्रा, बीमा, निवेश, तार स्थानान्तरण, आदि).उधार देने की गतिविधिया, फ़िर भी, अभी तक एक वाणिज्यिक बैंक को थोक आय प्रदान करते हैं

पिचले १० सालोंमे अमेरिकी बैंक मुनाफे में रहने को सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए हैं जबकि तेजी से बाजार की स्थितियों में बदलाव का जवाब हैपहला, यह भी शामिल है Gramm-Leach-Bliley अधिनियम (Gramm-Leach-Bliley Act) है, जो बैंकों को फिर से निवेश और बीमा घरों के साथ विलय करने की अनुमति देता है। बैंकिंग, निवेश और बीमा कार्य पारंपरिक बैंक को ग्राहकों की बढती "one-stop shopping"पार बिक्री उत्पाद (जिसकी बैंक आशा करते हैं, लाभ बढ़ाएगा) दूसरा, उन्होंने जोखिम आधारित मूल्य निर्धारण (risk-based pricing) के प्रयोग का विस्तार किया है, व्यापार ऋण से उपभोक्ता ऋण, जिसका मतलब उनके उच् ब्याज डर का प्रभार उन ग्राहकों के लिए जिन्हें उच्च जोखिम ऋण मन जाता है और इस प्रकार ऋण की असफलता (default) का मौका बढ़ जाती है यह कर्ज को बरबाद होने से बचाती है, बेहतर ऋण के इतिहास वालों के कर्ज को कम करती है और उचे जोखिम वाले ग्राहकों को ऋण उत्पाद का प्रस्ताव देती है जिन्हें किसी प्रकार ऋण से इनकार कर दिया है तीसरा, उन्होंने अदायगी की विधियों को बढ़ा दिया है जो सामान्य जनता और व्यापारिक पक्षों को उपलब्ध है इन उत्पादों डेबिट कार्ड, पूर्व का भुगतान किया कार्ड, स्मार्ट कार्ड और क्रेडिट कार्ड शामिल हैं। ये उत्पाद उपभोक्ताओं के लिए सुविधा से लेनदेन करने के लिए और समय के अंतर्गत-वित्तीय प्रणाली विकसित करने को आसन बनते हैं (कुछ देशों में विकाश शील वित्तीय प्रणाली के अंतर्गत, यह अभी भी नकद में सख्ती से पेश आना सामान्य है, घर खरीदने के लिए अत्तैची में नकद रखना) हालांकि, सुविधा के साथ वहाँ भी खतरा बढ़ रहा है की उपभोक्ता अपने वित्तीय संसाधनों का कुप्रबंधन करेंगे और अत्यधिक ऋण जमा वृद्धि करेंगे बैंक ब्याज भुगतान और उपभोक्ताओं को प्रभारित शुल्क ओर कंपनियों के लेनदेन के द्वारा कार्ड उत्पादों से पैसा बनाते हैं

वैश्विक वित्तीय दिग्गज कंपनी जेपी मॉर्गन चेस एक SPV अचल संपत्ति फर्म आलोक बुनियादी सुविधा, आधारित वस्त्र निर्माता और रिटेलर आलोक उद्योग की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक, ३३% हिस्से के लिए १३० करोर रुपयों का निवेश कर रही है आलोक बुनियादी सुविधा SPV, जो कि जेपी मॉर्गन का कोष प्राप्त कर रहा है, मुंबई के प्रमुख स्थान पर एक अचल संपत्ति परियोजना का विकास करेगा अलोक इन्फ्रा मुंबई के कई स्थानों पर भूमि रखती है, जिसमे से कुछ इसने पिछले एक साल में हाई प्रोफाइल लेन देन में खरीदा था आलोक बुनियादी सुविधा कुछ निजी इक्विटी खिलाड़ियों के साथ ऑफ़ लोड इक्विटी के लिए बातचीत कर रहा था एक गिरते शेयर बाजार और सुस्त अचल संपत्ति का बाज़ार देर से, फ़िर भी अचल संपत्ति फर्म आलोक इन्फ़रा और कई अन्य कंपनियों को जबरदस्ती के मूल्यांकन को नीचे लाया है

बैंकिंग उद्योग की बढ़ती लाभ के लिए मुख्य बाधा बढती नियामक बोझ, सरकारी नए नियामक और गैर पारंपरिक वित्तीय संस्थानों की बढती प्रतियोगिता है

इन्हें भी देखें

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देश विशेष जानकारी

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संस्थान के प्रकार

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नियम और अवधारणाएँ

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संबंधित सूचियां

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  1. संयुक्त उपनिवेश ट्रस्ट लिमिटेड v किर्क्वूद, 1966, अंग्रेजी न्यायालय अपील, 2 QB 431
  2. (बैंकिंग अध्यादेश, धारा 2, व्याख्या, हांगकांग) ध्यान दें कि इस मामले में परिभाषा महीने में किसी भी जमा प्रतिदेय स्वीकार शामिल करने के लिए ३ महीने से कम के लिए बढ़ाया है, अधिक से अधिक 3 महीने की अवधि के लिए एच के से $ 100 ००० से अधिक की जमा स्वीकार कंपनियां के रूप में विनियमित कर रहे हैं जमा ले जा रही कंपनियां (deposit taking companies) बल्कि बैंकों के रूप में हांगकांग में) से अधिक है
  3. न्यूजीलैंड, AL Tyree, LexisNexis 2003, पृष्ठ 70 में Tyree है बैंकिंग विधि उदा.
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से 20 फ़रवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 फ़रवरी 2009.
  5. }} -->चार्ट 7, पृष्ठ 3
  6. }} -->चार्ट 8, पृष्ठ 4
  7. http://www.euromoney.com/poll/2050/PollsAndAwards/Bank-atlas-The-worlds-largest-banks.htmlEuromoney[मृत कड़ियाँ], बैंक एटलस: इस दुनिया के सबसे बड़े बैंकों.शेयरधारक इक्विटी, 2008 तक विश्व के दस सबसे बड़े बैंकों की सूची
  8. "ज्ञान, सबसे मूल्यवान अमूर्त" द्वारा अंजू भार्गव (Anju Bhargava). RMA जर्नल, जून 2001;

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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