मेघालय पूर्वोत्तर भारत का पर्वतीय राज्य है जो प्राकृतिक सम्पदा से परिपूर्ण है। राज्य की राजधानी शिलांग है जो राज्य के लगभग बीचोंबीच स्थित है और राज्य के सबसे ऊंचे पर्वतों के बीच बसी है। राज्य के बीच खासी पर्वत सबसे विस्तृत हैं, जिनके पूर्वी ओर अपेक्षाकृत छोटे जयन्तिया पर्वत एवं पश्चिमी ओर उससे भी छोटे गारो पर्वत हैं। इन पर्वतों पर इन्हीं नाम से प्रसिद्ध जनजातियां रहती हैं। बहुत पहले विदेशी पर्यटकों को उन क्षेत्रों में प्रवेश पूर्व अनुमति लेनी होती थी, जिनसे मिल कर अब मेघालय बना है। हालांकि प्रतिबन्ध १९५५ में हटा लिए गए थे। राज्य के पर्वतों, पठारी ऊंची-नीची भूमि, कोहरे व धूंध से भरे इलाकों और नैसर्गिक दृश्यों आदि को देखते हुए मेघालय की तुलना स्कॉटलैण्ड से की जाती रही है।[1] राज्य में देश के सबसे घने प्राथमिक वन उपस्थित हैं और इस कारण से यह भारत के सबसे महत्त्वपूर्भ पारिस्थित्तिक क्षेत्रों में से एक गिना जाता रहा है। मेघालयी उपोष्णकटिबंधीय वनों में पादप एवं जीव जगत की वृहत किस्में पायी जाती है।

पूर्वोत्तर[मृत कड़ियाँ] ्की बड़ी झील, उमियम झील, शिलांग, मेघालय।

विभिन्न्न क्रीड़ाएं

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राज्य में २ राष्ट्रीय उद्यान एवं ३ वन्य जीवन अभयारण्य हैं। मेघालय में बहुत से साहसिक पर्यटन जैसे पर्वतारोहण, रॉक क्लाइम्बिंग, ट्रेकिंग, हाइकिंग, गुफा भ्रमण एवं जल-क्रीड़ा के अवसर भी प्रदान करता है। राज्य में कई ट्रेकिंग मार्ग भी उपलब्ध हैं जिनमें से कुछ में तो दुर्लभ जानवरों से भी सामना संभव होता है। उमियम झील में जल क्रीड़ा (वॉटर स्पोर्ट्स) परिसर हैं, जहां रो-बोट्स, पैडलबोट्स, सेलिंग नौकाएं, क्रूज-बोट, वॉटर स्कूटर और स्पीडबोट जैसी सुविधाएं हैं भी मिलती हैं। चेरापुंजी पूर्वोत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल में से एक है। यह राजधानी शिलांग से दक्षिण दिशा में स्थित है। एक मनोहारी प्राकृतिक अवलोकन वाले सड़क मार्ग द्वारा यह राजधानी शिलांग से जुड़ा हुआ है।

 
ऍलीफ़ैण्ट[मृत कड़ियाँ] फ़ाल्स प्रपात

चेरापुंजी के निकटस्थ ही जीवित जड़ सेतु पर्यटकों के लिये आकर्षण हैं।[2] प्रसिद्ध दोहरा जड़ीय सेतु अन्य बहुत से इस प्रकार के सेतुओं सहित पर्यटकों को स्तंभित कर देने वाला आकर्षण है। इस [प्रकार के बहुत से सेतु नोंगथाईमाई, माइन्टेंग एवं टाइनरोंग में मिल जाते हैं।[3] जड़ सेतु मिलने वाले अन्य स्थानों में मावैलनोंग के पर्यटन ग्राम के निकट रिवाई ग्राम, पायनर्सिया और विशेषकर पश्चिम जयन्तिया हिल्स जिले के रांगथाइल्लाइंग एवं मावकिरनॉट गाँव हैं, जहाम निकटवर्ती गांवों में बहुत से जड़ सेतु देखने को मिल जाते हैं।[4]

जलप्रपात एवं नदियाँ

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राज्य के प्रमुख एवं प्रसिद्ध जलप्रपातों में एलिफ़ैण्ट फ़ॉल्स, शाडथम प्रपात, वेइनिया प्रपात, बिशप प्रपात, नोहकालिकाई प्रपात, लांगशियांग प्रपात एवं स्वीट प्रपात कुछ हैं। मावसिनराम के निकट स्थित जकरेम के गर्म जल के झरने में औषधीय एवं चिकित्सकीय गुण पाये जाने की मान्यता है।

पश्चिम खासी हिल्स जिले में स्थित नोंगखनम द्वीप मेघालय का सबसे बड़ा एवं एशिया का दूसरा सबसे बड़ा नदी द्वीप है। यह नोंगस्टोइन से १४ किमी॰ दूर स्थित है। यह द्वीप किन्शी नदी के फान्लियान्ग और नाम्लियान्ग नदियों में विभाजित हो जाने से बना है। रेतीली तटरेखा वाली फान्लियान्ग नदी बहुत ही सुन्दर झील बनाती है। इसके आगे आगे जाते हुए फान्लियान्ग ्नदी एक गहरी घाटी में गिरने से पूर्व एक ६० मी॰ ऊँचे जलप्रपात से गिरती है। यह प्रपात शादथम फ़ॉल्स नाम से प्रसिद्ध है।

पवित्र वृक्ष

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मेघालय अपने पवित्र वृक्षों के लिये भी प्रसिद्ध है। ये वन, उद्यान या प्राकृतिक सम्पदा का छोटा या बड़ा भाग होते हैं, जिन्हें स्थानीय लोग कई पीढियों से किसी स्थानीय देवता को समर्पित कर उसके प्रतीक के रूप में पूजते रहे हैं। ये प्राचीन काल से मान्यता रही है और इनके अनुसार इन वृक्षों में पवित्र आत्मा का निवास होता है। ऐसे स्थान भारत पर्यन्त मिल जाएंगे और इनका अनुरक्षण एवं देखभाल स्थानीय लोग करते हौइं, तथा इनकी पत्तियों व अन्य भागों को या इनमें निवास करने वाले जीव जन्तुओं कोकिसी भी प्रकार की क्षति पहुंचाना या तोड़ना निषेध होता है। मावफ्लांग सैकरेड फ़ॉरेस्ट (मावफलांग पवित्र वन) जिसे "लॉ लिंगडोह" भी कहा जाता है, मेघालय के सैकरेड फ़ॉरेस्ट्स में से एक है। यह शिलाँग से लगभग २५ कि॰मी॰ पर स्थित है। यह एक नैसर्गिक दश्य वाला पवित्र स्थान है जहाम पवित्र रुद्राक्ष भी मिल जाते हैं।[5]

ग्रामीण क्षेत्र

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मेघालय का ग्रामीण जीवन एवं ग्राम पूर्वोत्तर की पर्वतीय जीवनशैली का दर्शन कराते हैं। ऐसा एक गांव भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित है, जिसे मावलिन्नॉंग कहते हैं। इसके बारे में पत्रिका डिस्कवर इण्डिया में विस्तृत लेख निकला था।[6] यह गांव पर्यटन के लिये जाना जाता है और यहां एक जीवित जड़ सेतु, हाइकिंग ट्रेल और चट्टान संरचनाएं हैं।

उमियम झील (ऊपर) एवं शिलाँग के निकट दृश्य।

मेघालय में बहुत से प्राकृतिक एवं कृत्रिम झीलें व सरोवर हैं। गुवाहाटी-शिलाँग राजमार्ग पर स्थित उमियम झील (जिसे बड़ापानी झील भी कहते हैं: उम=बड़ा+यम =पानी) यहां आने वाले पर्यटकों के लिये एक बड़ा आकर्षण है। मेघालय में बहुत से उद्यान भी हैं, थांगखरान्ग पार्क, ईको पार्क, बॉटैनिकल गार्डन एवं लेडी हैदरी पार्क इनमें से कुछ हैं। शिलांग से ९६ कि॰मी॰ दूर स्थित डॉकी बांग्लादेश का द्वार है। यहां से मेघालय और बांग्लादेश सीमा के कुछ सर्वोच्च पर्वतों के नैसर्गिक दृश्य दिखाई देते हैं।

बलफकरम राष्ट्रीय उद्यान अपने प्राचीन आवास और दृश्यों के साथ यहां का एक प्रमुख आकर्षण है।[7] गारो पर्वत पर स्थित नोकरेक राष्ट्रीय उद्यान में भरपूर वन्य जीवन मिलता है जिसकाअपना ही आनन्द है।[8]

मेघालय में अनुमानित ५०० प्राकृतिक चूनापत्थर एवं बलुआपत्थर की गुफाएं हैं, जो राज्य भर में फ़ैली हुई हैं। इनमें से उपमहाद्वीप की अधिकांश सबसे लम्बी और सबसे गहरी गुफाएं हैं। इनमें क्रेम लियाट प्रा सबसे लम्बी और सायन्रियांग पामियंग सबसे गहरी गुफा है। ये दोनों ही जयन्तिया पर्वत में स्थित है। बहुत से देशों जैसे यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, आयरलैंड एवं संयुक्त राज्य से ढेरों गुफा प्रेमी यहां दशकों से आते रहते हैं और इन गुफाओं में अन्वेषण करते रहते हैं।

जीवित जड़ सेतु

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मेघालय अपने जीवित जड़ सेतुओं के लिये भी प्रसिद्ध है। ये एक प्रकार के निलंबन सेतु होते हैं जिनका निर्माण रबड़ के पेड़ की जड़ों एवं मूलों को आपस में गूंथ कर आमने सामने के नदी तटों के आरपार किया जाता है। ऐसे सेतु चेरापुंजी, नोंगतलांग, कुडेंग रिम एवं कुडेंग थिम्माई गांवों में देखने को मिल जाते हैं। इस प्रकार का एक दोहरा सेतु नोंग्रियाट ग्राम में मिलता है।

 
A[मृत कड़ियाँ] double-decker living root bridge in Nongriat, Meghalaya

मेघालय में अन्य पर्यटक आकर्षण इस प्रकार से हैं:

  • जाकरेम: शिलाँग से ६४ कि॰मी॰ दूर गंधक मिश्रित गर्म जल के स्रोतों वाला स्वास्थ्य लाभाकारी एक रिज़ॉर्ट है। इसके जल में आयूष्य गुण बताये जाते हैं।
  • रानीकोर: शिलाँग से १४० कि॰मी॰ दूर यह नैसर्गिक दृश्यों की भूमि है। रानीकोर मेघालय का मछली पकड़ने का प्रसिद्धतम स्थान है जहाँ कार्प एवं मीठे जल की अन्य मछलियां प्रचुर मात्रा में मिलती हैं।
  • डॉकी: शिलाँग से ९६ कि॰मी॰ दूर यह सीमावर्ती क्षेत्र है जहाम से बांग्लादेश अवलोकन किया जा सकता है। वसंत ऋतु में यहां की उम्नगोट नदी में रंगीन नाव उत्सव भी यहां का एक आकर्षण है।
  • क्शाएद डैन थियेन प्रपात: यह सोहरा के निकट स्थित है। खासी भाषा में इसका शाब्दिक अर्थ है वह स्थान जहाँ एक कल्पित दैत्य को मार दिया गया था। इस थ्लेन नामक दैत्य को मारे जाने के कुल्हाड़ी के चिह्न आज भी जैसे के तैसे दिखाई देते हैं।
  • डियेनजियेई शिखर: शिलाँग पठार के पश्चिम में स्थित डियेंगजियेई शिखर शिलाँग पीक से मात्र २०० मी॰ ही छोटा है। इस पर्वत के शिखर पर एक बड़ा प्याले के आकार का गड्ढा है जिसे एक विलुप्त प्रागैतिहासिक ज्वालामुखी का क्रेटर बताया जाता है।
  • ड्वार्कसुइड: पथरीले व रेतीले तटों वाला एक चौड़ा सुन्दर सरोवर है जो उमरोई-भोरिम्बॉन्ग मार्ग पर चलने वाली जलधारा के निकट बना है। इसे ड्वार्कसुइड या डेविल्स डोरवे अर्थात् शैतान का द्वार भी कहा जाता है।
  • कायलांग रॉक: मैरांग से ११ कि॰मी॰ पर स्थित लाखों वर्ष पुराना एक सीधा सपाट लाल पत्थर का शिखर है। इसकी ऊँचाई सागर सतह से ५४०० फ़ीट है।
  • सैकरेड फ़ॉरेस्ट मावफ़लांग: शिलाँग से २५ कि॰मी॰ दूर स्थित मावफ़्लांग में पवित्रतम सैकरेड ग्रोव है। प्राचीन काल से संजोये व सुरक्षित रखे गये इस ग्रोव में पादप जगत की प्रचुर किस्में, शताब्दियों से जमी हुई धरण की मोटी पर्तें एवं वृक्षों पर अधिपादपों(एपिफ़ाइट्स) की भारी वृद्धि मिलती हैं। इन अधिपादपों में सूरण कुल, पाइपर्स, फ़र्न एवं ऑर्किड्स की किस्में मिलती हैं।
  1. Arnold P. Kaminsky and Roger D. Long (2011), India Today: An Encyclopedia of Life in the Republic, ISBN 978-0313374623, pp. 455-459
  2. "Living Root Bridges". Cherrapunjee (अंग्रेज़ी में). मूल से 9 जून 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-09-11.
  3. "Root Bridges of the Umiam River Basin". The Living Root Bridge Project (अंग्रेज़ी में). 2017-04-27. मूल से 8 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-09-11.
  4. "The Living-Root Bridge: The Symbol Of Benevolence". Riluk (अंग्रेज़ी में). 2016-10-10. मूल से 8 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-09-11.
  5. List of Sacred Groves in Meghalaya Archived 2015-06-02 at the वेबैक मशीन Government of Meghalaya (2011)
  6. Eco Destination Archived 2011-12-09 at the वेबैक मशीन, Department of Tourism, Government of Meghalaya
  7. Choudhury, A.U. (2008) Balpakram –Meghalaya's heritage IBA. Mistnet 10 (4): 11–13
  8. Choudhury, A.U. (2010) Nokrek national park – an IBA in Meghalaya. Mistnet 11 (1): 7–8


बाहरी कड़ियाँ

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