उदयसिंह प्रथम (? -१४७३) इन्हें कभी-कभी उदयकरण या उदाह या ऊदा के नाम से भी जाने जाते थे और ये एक मेवाड़ साम्राज्य के महाराणा (१४६८ से १४७३) थे । ये महाराणा कुम्भा के पुत्र थे। जब राणा कुंभा एकलिंगजी (भगवान शिव) की प्रार्थना कर रहे थे, उदय सिंह प्रथम ने उनकी हत्या कर दी और खुद को शासक घोषित कर दिया था। वह एक क्रूर शासक थे,1473 में उनकी मौत बिजली गिरने से हुई

उदयसिंह प्रथम
मेवाड़ के राणा
मेवाड़ के राणा
शासनावधि१४६८ से १४७३
पूर्ववर्तीमहाराणा कुम्भा
उत्तरवर्तीराणा रायमल
निधन१४७३
पितामहाराणा कुम्भा
मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश के शासक
(1326–1948 ईस्वी)
राणा हम्मीर सिंह (1326–1364)
राणा क्षेत्र सिंह (1364–1382)
राणा लखा (1382–1421)
राणा मोकल (1421–1433)
राणा कुम्भ (1433–1468)
उदयसिंह प्रथम (1468–1473)
राणा रायमल (1473–1508)
राणा सांगा (1508–1527)
रतन सिंह द्वितीय (1528–1531)
राणा विक्रमादित्य सिंह (1531–1536)
बनवीर सिंह (1536–1540)
उदयसिंह द्वितीय (1540–1572)
महाराणा प्रताप (1572–1597)
अमर सिंह प्रथम (1597–1620)
करण सिंह द्वितीय (1620–1628)
जगत सिंह प्रथम (1628–1652)
राज सिंह प्रथम (1652–1680)
जय सिंह (1680–1698)
अमर सिंह द्वितीय (1698–1710)
संग्राम सिंह द्वितीय (1710–1734)
जगत सिंह द्वितीय (1734–1751)
प्रताप सिंह द्वितीय (1751–1754)
राज सिंह द्वितीय (1754–1762)
अरी सिंह द्वितीय (1762–1772)
हम्मीर सिंह द्वितीय (1772–1778)
भीम सिंह (1778–1828)
जवान सिंह (1828–1838)
सरदार सिंह (1838–1842)
स्वरूप सिंह (1842–1861)
शम्भू सिंह (1861–1874)
उदयपुर के सज्जन सिंह (1874–1884)
फतेह सिंह (1884–1930)
भूपाल सिंह (1930–1948)
नाममात्र के शासक (महाराणा)
भूपाल सिंह (1948–1955)
भागवत सिंह (1955–1984)
महेन्द्र सिंह (1984–2024)

राजपूताना भूमि को उसके योद्धा पुत्रों की साहस और बहादुरी के रूप में जाना जाता है; उनके खून से रंगी हुई रेगिस्तान की मिट्टी जो इन महान योद्धाओं के लिए जानी जाती है और उनकी महिमा का प्रतीक है। मेवाड़ की धरती पर कई महान योद्धाओं ने जन्म लिया है और शिष्टता, वीरता और स्वतंत्रता के लिए जाने जाते थे लेकिन हर सिक्के का एक और पहलु होता है और हर युग में कुछ अजीब जरूर देखने को मिला है।[उद्धरण चाहिए]