वार्ता:आर. डी. बर्मन
Latest comment: 11 वर्ष पहले by संजीव कुमार in topic शीघ्र हटाने पर चर्चा
शीघ्र हटाने पर चर्चा
संपादित करेंइस पृष्ठ को शीघ्र नहीं हटाया जाना चाहिये क्योंकि जब कोई व्यक्ति को पृष्ठ खोजता है तो उसके पास लाघव चिन्ह की सुविधा उप्लब्द्ध नहीं होती है। यह सुविधा तभी उप्लब्द्ध जब कोई किसी पृष्ठ का सम्पादन करे। मेरे विचार से खोज के लिए डॉट का होना अनिवार्य है। हिन्दी विकि में ऐसे कितने ही पृष्ठ हैं जिनमें लाघव चिन्ह के बजाय डॉट का इस्तेमाल किया गया है और पाठक इसका मतलब भी समझते हैं।--सोमेश त्रिपाठी वार्ता 04:53, 24 जुलाई 2013 (UTC)
- सोमेश जी, आपने बिल्कुल ठीक कहा। लाघव चिह्न सामन्य कुंजीपटल का हिस्सा नहीं होता इसलिए किसी ऐसा सदस्य/पाठक जिसे लाघव चिह्न या तो लगाना नहीं आता या इसका ज्ञान ही नहीं है वह पीरियड या डॉट के माध्यम से ही लेख को खोजेगा।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 05:14, 24 जुलाई 2013 (UTC)
- सोमेश जी, आपकी हिन्दी काफी अच्छी है और मैं आपके हिन्दी ज्ञान का सम्मान करता हूँ। लेकिन आप यहाँ एक बात भूल रहे हैं कि "आर. डी. बर्मन" लिखना ठीक नहीं है इससे अच्छा "आर डी बर्मन" लिखना रहेगा जो गलत भी नहीं है। यदि "आर डी बर्मन" नाम से पृष्ठ रहा तो जो डॉट लगाकर खोजना चाहेगा वह भी आसानी से इसे खोज पायेगा। चूँकि लाघव चिह्न की सुविधा अधिकतर कुंजीपटलों (हिन्दी टंकण विधियों) में नहीं होती लेकिन आप यहाँ यह भूल जाते हैं कि हिन्दी टंकण वाले माध्यमों में डॉट सुविधा भी नहीं होती और खोजी बिना बिन्दु के ही लिखना चाहेगा। मैंने चौपाल पर अनुप्रेषित पृष्ठ के बारे में मेरे विचार भी व्यक्त किये थे जिन पर आप दोनों (सोमेश जी एवं बिल जी) ने ही अपने विचार रखना उचित नहीं समझा। लेकिन मेरा मानना है कि अनुप्रेषित पृष्ठ होने चाहिए लेकिन गलत वर्तनी से नहीं। अब यदि "आर. डी. बर्मन" और "आर डी बर्मन" का खोज परिणाम समान होता है। तो डॉट के स्थान पर हम उस वर्तनी का उपयोग क्यों नहीं करते जिसमें डॉट भी नहीं है और सही भी है। आपके विचारों इस आशा के साथ स्वागत है कि आप मेरी बात को समझने का सकारात्मक प्रयास करेंगे। यहाँ मैं आपको यह भी बता दूँ कि अधिकतर लोगो को लाघव चिह्न का ज्ञान नहीं होता उसके जिम्मेदार वो स्वयं नहीं बल्कि हम जैसे लोग हैं जो डॉट लगाकर पृष्ठों को अनुप्रेषित करते हैं।☆★संजीव कुमार (बातें) 07:24, 24 जुलाई 2013 (UTC)
- संजीव जी, मैने चौपाल पर टिप्पणी इसलिए नहीं की थी क्योंकि इस मामले में मेरे विचार सिद्धार्थ जी से मिलते हैं, और जब उन्होंने मेरे विचारों को अपने शब्दों में कह ही दिया था तो दुबारा एक ही बात को दोहराना मुझे ठीक नहीं लगा। मैं गलत वर्तनी को अनुप्रेषित करने के पक्ष में नहीं हूँ, मेरे विचार से वे शीर्षक अनुप्रेषित होने चाहिए जो अलग-अलग वर्तनी द्वारा लिखे जा सकते हैं और वे सभी वर्तनियाँ ठीक भी हों जैसे: टोरण्टो पर टोरोंटो और टोरोन्टो अनुप्रेषित होने चाहिए क्योंकि तीनों का इस्तेमाल हिन्दी लेखन व मीडिया में होता है, इसी प्रकार बोस्टन व बॉस्टन का मामला है। मैं लेखों में लाघव चिह्न के इस्तेमाल का समर्थक हूँ, क्योंकि यही सही देवनागरी का प्रयोग है, परन्तु हिन्दी समाचारपत्र और पत्रिकाएँ डॉट के साथ भी संक्षिप्तीकरण करती हैं; अपितु ज्यादातर हिन्दी मीडिया डॉट का ही इस्तेमाल करती है, इसलिए हमें भी प्रचलन के अनुसार डॉट वाले शीर्षकों को सही लाघव चिह्न वाले शीर्षकों पर अनुप्रेषित करना चाहिए। यह मेरी व्यक्तिगत राय है, अगर समुदाय मतैक्य बनाता है कि ऐसा नहीं होना चाहिए तो मैं इस पृष्ठ को संजीव जी के नामांकन अनुसार हटा दूँगा।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता</font 07:57, 24 जुलाई 2013 (UTC)
- प्रिय संजीव जी, साधुवाद! मेरा इरादा क़तई आपको ठेस पहुँचाने का नहीं था। उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। देखिए, मैं हिन्दी विकि से जुड़ा ही इस मक़सद से था कि हमारे वह बच्चे, जो अंग्रेज़ी उतनी अच्छी तरह से पढ़-बोल नहीं पाते हैं, वह विश्व के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें। इसके सिवा मेरे मन में कोई और विचार आया ही नहीं। मुझे जो भी जानकारी लेनी होती है तो मैं enwiki से प्राप्त कर लेता हूँ। जब मैंने हिन्दी विकि में पाया कि कुछ विषय जिनके बारे में जानकारी आवश्यक है किन्तु हमारे हिन्दी विकि में वह उप्लब्द्ध नहीं है तो मैंने विचार किया कि अमुक पृष्ठ बनाने चाहिये और इसी कार्य में मैं लगा हुआ हूँ। मैं कभी-कभी अपने कार्य सम्बन्धी विषयों के लिए चौपाल में आता हूँ और सच पूछिए तो यहाँ क्या खिचड़ी पक रही है इसका मुझे तनिक भी भान नहीं और न ही मैं जानने की चेष्टा भी करता हूँ। यदि आपको ऐसा प्रतीत होता है कि हिन्दी विकि में डॉट लगाना अनुचित है तो कृपया सारे पृष्ठों, जिनमें डॉट लगाया हुआ है, को हटा दें। आपके कार्य से मुझे यह भास होता है कि शीघ्र ही आप प्रबंधक बन जायेंगे और मेरी शुभकामना आपके साथ है। पहला वोट मेरी तरफ़ से अभी जान लीजिये। लेकिन मेरा बस आपसे एक ही निवेदन है कि छोटे-छोटे मुद्दों पर आप मुझे न घसीटा करें क्योंकि उसके बाद मेरी तन्मयता टूट जाती है और फिर कई महीनों तक मैं हिन्दी विकि को योगदान नहीं दे पाता हूँ। आशा है कि आप मेरे इस मनोभाव की संवेदना को विचार में रखेंगे। आगे आपकी मर्ज़ी। धन्यवाद--सोमेश त्रिपाठी वार्ता 16:43, 24 जुलाई 2013 (UTC)
- नमस्ते सोमेश जी, आपके समर्थन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। लेकिन मेरा निकट भविष्य में प्रबंधक बनने का कोई इरादा नहीं है। चूँकि प्रबंधक को बहुत विषयों के बारे में ज्ञान होना आवश्यक है जो मेरे पास नहीं है। मैं मेरी भाषा को शालीन बनाने की कोशिश करता हूँ लेकिन वो भी अभी तक कर पाने में समर्थ नहीं हो पाया हूँ। कृपया मेरे कहे शब्दों से आहत होकर विकी पर अपना कार्य स्थगित न करें। मैं सामान्यतः उन सदस्यों के पृष्ठों को नहीं देखता हूँ जो नियमित तौर पर सम्पादन करते हैं जैसे आप। लेकिन कई बार विषय के बारे में जानकारी बढ़ाने के लिए मैं ये पृष्ठ देख लेता हूँ। इसी प्रकार मैंने ये पृष्ठ देखा। आपका हिन्दी विकी से जुड़ने का मकसद जानकर खुशी हुई क्योंकि मैं इस दौर से स्वयं गुजर चुका हूँ। मैं हिन्दी माध्यम का छात्र रहा और जब लोग विकिपीडिया पढ़ते थे तो लगता था, मैं क्या करूँ मुझे तो अंग्रेजी नहीं आती। पिछले ५ वर्षों से अंग्रेजी से झुझने के बाद अब काम चलाने लायक आने लगी है। आपकी सक्रियता को देखकर मुझे लगता है कि आपको चौपाल पर भी नियमित तौर पर ध्यान देना चाहिए। वहाँ हो सकता है कुछ लोग राजनीति कर रहे हों लेकिन अधिकतर लोग जानकारी प्राप्त करने के लिए वहाँ लिखते हैं, मैं भी जानकारी जुटाने के इच्छुक लोगो में से हूँ। अब मैं इस विषय से सम्बंधित बात लिखता हूँ।
- मैं भी पहले लाघव चिह्न के रूप में डॉट (.) का उपयोग करता था लेकिन नाम संक्षिप्त करने के लिए नहीं बल्कि कुछ खास मौकों पर जैसे पंडित को पं. लिखना। लेकिन यहाँ मेरा कहने का आशय यह है कि एक अच्छे सर्च इंजन में सर्च करते समय अनुस्वार और लाघव चिह्न ज्यादा महत्व नहीं रखते। मुझे यह प्रतीत होता है कि डॉट लगाना गलत है लेकिन सभी पृष्ठों में से मैं एक साथ यह नहीं हटा सकता। लेकिन जब भी कहीं देखता हूँ तो जरूर हटा देता हूँ, कल मैंने उन सभी पृष्ठों से जिनमें "आर. डी. बर्मन" लिखा था हटाकर "आर॰ डी॰ बर्मन" कर दिया है। अब मैं आपको बताता हूँ कि मैं लाघव चिह्न के बारे में पिछले ५ वर्षों में भूल चुका था लेकिन "यू थान्ट" नामक विषय से सम्बंधित बिल जी की एक टिप्पणी देखी तो याद आया। यदि मैं वह टिप्पणी नहीं देखता तो शायद नहीं याद आता। यदि नये सम्पादक जगह-जगह डॉट (.) देखेंगे तो वो भी अपने सम्पादनों में डॉट को ही इस्तेमाल करेंगे जो सही नहीं होगा। चूँकि हिन्दी विकिपीडिया पर ये गलतियाँ वास्तविक हिन्दी को नहीं बदल सकती लेकिन हिन्दी विकी की विश्वनीयता जरूर दांव पर लग जाती है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे, मुझे अच्छा लगेगा और कुछ सीखने को भी मिलेगा।☆★संजीव कुमार (बातें) 17:25, 24 जुलाई 2013 (UTC)
- नमस्ते बिल जी, मैं इस बात से तो नहीं नकार सकता कि हिन्दी समाचार पत्र लाघव चिह्न के स्थान पर डॉट का प्रयोग करते हैं लेकिन ध्यान रहे अधिकतर समाचार पत्र ऐसे में डॉट और लाघव चिह्न दोनों ही नहीं लगाते और वो सही भी है; यथा:
- आर डी बर्मन (bbchindi.com पर: १, २ आदि), (पत्रिका डॉट कॉम पर: १)
- आरडी बर्मन (bbchindi.com पर: १, २), (bhaskar.com १, २), (पत्रिका डॉट कॉम पर: १), (लाईव हिन्दुस्तान पर: १) इत्यादि। मेरे कहने का तात्पर्य शायद स्पष्ट हो गया होगा कि मैं "आर. डी. बर्मन" के स्थान पर "आर डी बर्मन" एवं "आरडी बर्मन" लिखने के समर्थक हूँ। कारण: वर्तनी एवं शब्द शुद्ध तथा सर्च इंजन में समान व्यवहार। (सोमेश जी एवं बिल जी की टिप्पणी का इन्तजार)☆★संजीव कुमार (बातें) 17:41, 24 जुलाई 2013 (UTC)
- प्रिय संजीव जी, आपको जो उचित लगता है कृपया करें और मुझे इस विषय से वीराम दें। जहाँ तक वर्तनी का सवाल है तो शब्द झुझ्ना नहीं होता बल्कि जूझना होता है। धन्यवाद--सोमेश त्रिपाठी वार्ता 17:46, 24 जुलाई 2013 (UTC)
- धन्यवाद सोमेश जी। "झुझना" गलती से लिखा गया, जिसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।☆★संजीव कुमार (बातें) 18:03, 24 जुलाई 2013 (UTC)
- इस पृष्ठ पर जो कुछ हुआ उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूँ और मेरे सभी विचार वापस लेते हुए इस चर्चा को यहाँ ही विराम देना चाहता हूँ।☆★संजीव कुमार (बातें) 17:12, 27 जुलाई 2013 (UTC)
- प्रिय संजीव जी, आपको जो उचित लगता है कृपया करें और मुझे इस विषय से वीराम दें। जहाँ तक वर्तनी का सवाल है तो शब्द झुझ्ना नहीं होता बल्कि जूझना होता है। धन्यवाद--सोमेश त्रिपाठी वार्ता 17:46, 24 जुलाई 2013 (UTC)
- प्रिय संजीव जी, साधुवाद! मेरा इरादा क़तई आपको ठेस पहुँचाने का नहीं था। उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। देखिए, मैं हिन्दी विकि से जुड़ा ही इस मक़सद से था कि हमारे वह बच्चे, जो अंग्रेज़ी उतनी अच्छी तरह से पढ़-बोल नहीं पाते हैं, वह विश्व के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें। इसके सिवा मेरे मन में कोई और विचार आया ही नहीं। मुझे जो भी जानकारी लेनी होती है तो मैं enwiki से प्राप्त कर लेता हूँ। जब मैंने हिन्दी विकि में पाया कि कुछ विषय जिनके बारे में जानकारी आवश्यक है किन्तु हमारे हिन्दी विकि में वह उप्लब्द्ध नहीं है तो मैंने विचार किया कि अमुक पृष्ठ बनाने चाहिये और इसी कार्य में मैं लगा हुआ हूँ। मैं कभी-कभी अपने कार्य सम्बन्धी विषयों के लिए चौपाल में आता हूँ और सच पूछिए तो यहाँ क्या खिचड़ी पक रही है इसका मुझे तनिक भी भान नहीं और न ही मैं जानने की चेष्टा भी करता हूँ। यदि आपको ऐसा प्रतीत होता है कि हिन्दी विकि में डॉट लगाना अनुचित है तो कृपया सारे पृष्ठों, जिनमें डॉट लगाया हुआ है, को हटा दें। आपके कार्य से मुझे यह भास होता है कि शीघ्र ही आप प्रबंधक बन जायेंगे और मेरी शुभकामना आपके साथ है। पहला वोट मेरी तरफ़ से अभी जान लीजिये। लेकिन मेरा बस आपसे एक ही निवेदन है कि छोटे-छोटे मुद्दों पर आप मुझे न घसीटा करें क्योंकि उसके बाद मेरी तन्मयता टूट जाती है और फिर कई महीनों तक मैं हिन्दी विकि को योगदान नहीं दे पाता हूँ। आशा है कि आप मेरे इस मनोभाव की संवेदना को विचार में रखेंगे। आगे आपकी मर्ज़ी। धन्यवाद--सोमेश त्रिपाठी वार्ता 16:43, 24 जुलाई 2013 (UTC)
- संजीव जी, मैने चौपाल पर टिप्पणी इसलिए नहीं की थी क्योंकि इस मामले में मेरे विचार सिद्धार्थ जी से मिलते हैं, और जब उन्होंने मेरे विचारों को अपने शब्दों में कह ही दिया था तो दुबारा एक ही बात को दोहराना मुझे ठीक नहीं लगा। मैं गलत वर्तनी को अनुप्रेषित करने के पक्ष में नहीं हूँ, मेरे विचार से वे शीर्षक अनुप्रेषित होने चाहिए जो अलग-अलग वर्तनी द्वारा लिखे जा सकते हैं और वे सभी वर्तनियाँ ठीक भी हों जैसे: टोरण्टो पर टोरोंटो और टोरोन्टो अनुप्रेषित होने चाहिए क्योंकि तीनों का इस्तेमाल हिन्दी लेखन व मीडिया में होता है, इसी प्रकार बोस्टन व बॉस्टन का मामला है। मैं लेखों में लाघव चिह्न के इस्तेमाल का समर्थक हूँ, क्योंकि यही सही देवनागरी का प्रयोग है, परन्तु हिन्दी समाचारपत्र और पत्रिकाएँ डॉट के साथ भी संक्षिप्तीकरण करती हैं; अपितु ज्यादातर हिन्दी मीडिया डॉट का ही इस्तेमाल करती है, इसलिए हमें भी प्रचलन के अनुसार डॉट वाले शीर्षकों को सही लाघव चिह्न वाले शीर्षकों पर अनुप्रेषित करना चाहिए। यह मेरी व्यक्तिगत राय है, अगर समुदाय मतैक्य बनाता है कि ऐसा नहीं होना चाहिए तो मैं इस पृष्ठ को संजीव जी के नामांकन अनुसार हटा दूँगा।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता</font 07:57, 24 जुलाई 2013 (UTC)
- सोमेश जी, आपकी हिन्दी काफी अच्छी है और मैं आपके हिन्दी ज्ञान का सम्मान करता हूँ। लेकिन आप यहाँ एक बात भूल रहे हैं कि "आर. डी. बर्मन" लिखना ठीक नहीं है इससे अच्छा "आर डी बर्मन" लिखना रहेगा जो गलत भी नहीं है। यदि "आर डी बर्मन" नाम से पृष्ठ रहा तो जो डॉट लगाकर खोजना चाहेगा वह भी आसानी से इसे खोज पायेगा। चूँकि लाघव चिह्न की सुविधा अधिकतर कुंजीपटलों (हिन्दी टंकण विधियों) में नहीं होती लेकिन आप यहाँ यह भूल जाते हैं कि हिन्दी टंकण वाले माध्यमों में डॉट सुविधा भी नहीं होती और खोजी बिना बिन्दु के ही लिखना चाहेगा। मैंने चौपाल पर अनुप्रेषित पृष्ठ के बारे में मेरे विचार भी व्यक्त किये थे जिन पर आप दोनों (सोमेश जी एवं बिल जी) ने ही अपने विचार रखना उचित नहीं समझा। लेकिन मेरा मानना है कि अनुप्रेषित पृष्ठ होने चाहिए लेकिन गलत वर्तनी से नहीं। अब यदि "आर. डी. बर्मन" और "आर डी बर्मन" का खोज परिणाम समान होता है। तो डॉट के स्थान पर हम उस वर्तनी का उपयोग क्यों नहीं करते जिसमें डॉट भी नहीं है और सही भी है। आपके विचारों इस आशा के साथ स्वागत है कि आप मेरी बात को समझने का सकारात्मक प्रयास करेंगे। यहाँ मैं आपको यह भी बता दूँ कि अधिकतर लोगो को लाघव चिह्न का ज्ञान नहीं होता उसके जिम्मेदार वो स्वयं नहीं बल्कि हम जैसे लोग हैं जो डॉट लगाकर पृष्ठों को अनुप्रेषित करते हैं।☆★संजीव कुमार (बातें) 07:24, 24 जुलाई 2013 (UTC)