वार्ता:भोजेश्वर मन्दिर
यह पृष्ठ भोजेश्वर मन्दिर लेख के सुधार पर चर्चा करने के लिए वार्ता पन्ना है। यदि आप अपने संदेश पर जल्दी सबका ध्यान चाहते हैं, तो यहाँ संदेश लिखने के बाद चौपाल पर भी सूचना छोड़ दें। | ||
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लेखन संबंधी नीतियाँ
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- निम्नलिखित निर्वाचित लेख नामांकन का पुरालेख है। कृपया इसमें बदलाव ना करें। अगर आप को इस नामांकन संबंधित कोई टिप्पणी करनी है तो अपनी टिप्पणी लेख के वार्ता पृष्ठ या विकिपीडिया वार्ता:निर्वाचित लेख उम्मीदवार पर छोड़ें। अब इस अनुभाग में किसी भी प्रकार का कोई सम्पादन नहीं होना चाहिए।
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अनुक्रम
भोजपुर मन्दिर | सुधार/आलोचनाएं | |||
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भोजपुर मन्दिर लेख लगभग तैयार है। सदस्यों से निवेदन है कि कृपया दृष्टिपात कर आलोचना व्यक्त करें। यथासंभव सुधार सुझाएं, जिन्हें सम्पन्न कर लेख निर्वाचन को अग्रसर होवे। अभी अपनी ओर से तैया ही किया है, सन्दर्भ, वर्तनी, भाषा, चित्र, सांचे, श्रेणियाँ, आदि जो सूझीं लगा दी हैं। फिर भी स्वयं की कृति में दोष नहीं दिख पाते, अतः निवेदन है कि कृपया आलोचना करें, वार्ता:भोजपुर मन्दिर आपकी प्रतीक्षा में है।--आशीष भटनागरवार्ता 12:45, 7 फ़रवरी 2017 (UTC)उत्तर दें |
सन्दर्भ
संपादित करेंवर्तमान में सन्दर्भ जोड़ने के लिए साँंचा साइट वेब इत्यादि का प्रयोग होता है। लेख में सन्दर्भ पुरानी पद्धति के अनुसार दिये गये हैं। कुछ सन्दर्भ साँचे के साथ भी दिये गये है। सन्दर्भ क्रमांक ४३ और दूसरे सन्दर्भ जो अंग्रेजी में हैं उस में भाषा का उल्लेख होना चाहिए जो नहीं है।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 12:57, 7 फ़रवरी 2017 (UTC)उत्तर दें
- ऐसा कुछ नहीं है कि वर्तमान में सांचा:साइट वेब ही प्रयोग होता है, या पूर्व में यह प्रयोग नहीं होता था। काफ़ी पहले से साइट वेब सांचा बना हुआ है, व हम काफ़ी पहले भि उसे प्रयोग किया करते थे। जब उस सांचे में भरने लायक पर्याप्त जानकारी उपलब्ध हो, व आपके पास पर्याप्त समय भी हो, तो आप उस सांचे का प्रयोग करें, अन्यथा सीधे भी सन्दर्भ भी डाल सकते हैं। कई बार तो सीधे ही सन्दर्भ डाल दिया करते हैं, व साइट वेब से जैसा दिखाई देता है, पूर्ण विराम लगा-लगा कर अन्य फ़ील्ड्स भी ऐसे ही लिख दीजिए- जिससे दिखने में आपको सांचे वाला ही प्रभाव दिखे।
- लगभग सभी अंग्रेज़ी सन्दर्भों में भाषा का उल्लेख कर दिया है। कुछ अन्य अंग्रेज़ी सन्दर्भों के समर्थन में हिन्दी सन्दर्भ भी जोड़ दिये गए हैं।आशीष भटनागरवार्ता 15:15, 7 फ़रवरी 2017 (UTC)उत्तर दें
- कृपया असंगत या जो पुष्टि नहीं करते ऐसे सन्दर्भ हटाएँ। इसके बाद वाक्य एवम वर्ण विन्यास पर ध्यान दिया जाना चाहिए। -- ए० एल० मिश्र (वार्ता) 13:37, 7 फ़रवरी 2017 (UTC)उत्तर दें
- सन्दर्भ १ में युट्यूब की कड़ी है। युट्यूब पर कोई कुछ भी वीडियो बनाकर अपलोड कर सकता है अत: वीडियो की कड़ी सन्दर्भ के रुप में ब्लोग की तरह ही मान्य नहीं होती। बाहरी कड़ियाँ में जोड़ सकते है।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 14:52, 7 फ़रवरी 2017 (UTC)उत्तर दें
- सन्दर्भ#१ में जो वीडियो है उसे भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा अपलोड किया है। अतः इसे विश्वसनीय माना जा सकता है, क्योंकि से विभाग भारत सरकार का एक प्रतिष्ठित विभाग है। इसके अलावा अन्य किसी भी वीडियो का उल्लेख नहीं किया है सन्दर्भों में।आशीष भटनागरवार्ता 15:18, 7 फ़रवरी 2017 (UTC)उत्तर दें
- सन्दर्भ १ में युट्यूब की कड़ी है। युट्यूब पर कोई कुछ भी वीडियो बनाकर अपलोड कर सकता है अत: वीडियो की कड़ी सन्दर्भ के रुप में ब्लोग की तरह ही मान्य नहीं होती। बाहरी कड़ियाँ में जोड़ सकते है।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 14:52, 7 फ़रवरी 2017 (UTC)उत्तर दें
- लेख में मन्दिर और मंदिर दो प्रकार की वर्तनी का प्रयोग हुआ है।
- वर्तनी सुधार किया गया। अब कोई मंदिर शब्द नहीं है।आशीष भटनागरवार्ता 23:28, 19 फ़रवरी 2017 (UTC)उत्तर दें
- नीचे लगे साँचो में लाल कड़ियाँ की भरमार हैं।
- यथासंभव सांचों में लाल रंग सुधार किया गया। आशीष भटनागरवार्ता 23:28, 19 फ़रवरी 2017 (UTC)उत्तर दें
- लेख की भूमिका ( intro, प्रारंभिक पाठ) थोड़ी सी छोटी है, इसे विस्तार करने की आवश्यक्ता है; लेख में समाहित सभी बिंदुओ का सार आ जाना चाहिए।--106.76.65.122 (वार्ता) 16:47, 19 फ़रवरी 2017 (UTC)उत्तर दें
- लेख की भूमिका में यथासंभव वृद्धि की गयी है। शब्द संख्या २४० से बढ़ाकर ३४० हो गयी है एवं सभी अनुभागों का सार भी डालने का प्रयास किया है।आशीष भटनागरवार्ता 06:09, 20 फ़रवरी 2017 (UTC)उत्तर दें
- अभी भी एक छोटी सी बात लेखमें ई (ईस्वीसन) इत्यादि लघु शब्दों के प्रयोग में फुलस्टॉप के बदले ॰ लाघव चिह्न का प्रयोग होना चाहिए। इसके बाद शायद मेरे खयाल से तो लेख निर्वाचित लेख बनने योग्य बन गया है। आपके अथाक परिश्रम के लिए साधुवाद।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 10:04, 20 फ़रवरी 2017 (UTC)उत्तर दें
भोजेश्वर मन्दिर मध्य प्रदेश की राजधानी, भोपाल से लगभग ३० किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर नामक गांव में बना एक मन्दिर है। यह मन्दिर बेतवा नदी के तट पर विन्ध्य पर्वतमालाओं के मध्य एक पहाड़ी पर स्थित है [1] जहाँ निकटवर्त्ती क्षेत्र में कभी तीन बांध तथा एक सरोवर भी हुआ करते थे।[2] मन्दिर का निर्माण एवं इसके शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध परमार राजा भोज (१०१० ई.- १०५३ ई.) ने करवायी थी। इसी कारण से इसे उनके नाम पर ही भोजपुर मन्दिर या भोजेश्वर मन्दिर भी कहा जाता है।[3][4] इसे उत्तर भारत का सोमनाथ भी कहा जाता है।[3] [5] [6] [7] इन पार्श्ववर्ती शिलालेखों से ११वीं शताब्दी के हिन्दू मन्दिर निर्माण की स्थापत्य कला का ज्ञान होता होता है। निकट की ही चट्टानों पर उकेरी गयी मन्दिर परिसर की भावी योजना के अनुसार यहाँ एक वृहत मन्दिर परिसर बनाने की योजना थी, जिसके सफ़लतापूर्वक सम्पन्न हो जाने पर ये मन्दिर परिसर भारत के सबसे बड़े मन्दिरों में से एक होता। पूरे परिसर को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व का स्मारक चिह्नित किया गया है व इसका पुनरुद्धार कार्य भी किया है।[8] बाहर लगे शिलालेख अनुसार इसे भारत के मन्दिरों में बने सबसे ऊँचे एवं विशालतम शिवलिंग की संज्ञा दी गयी है, [9] तथा यहाँ का प्रवेशद्वार भी किसी हिन्दू इमारत के दरवाजों में सबसे बड़ा है। कहते हैं यहाँ मूल मन्दिर की स्थापना पाँडवों ने की थी। [10][6] मन्दिर के निकट ही इस मन्दिर को समर्पित एक पुरातत्त्व संग्रहालय भी बना है। शिवरात्रि के अवसर पर राज्य सरकार द्वारा यहां प्रतिवर्ष भोजपुर उत्सव का आयोजन किया जाता है।
टिप्पणी
संपादित करें- कुछ टिप्पणीयाँ इस प्रकार है:-
- प्रथम तो निर्वाचित लेख की भूमिका में सन्दर्भ नहीं जोड़े जाते हैं क्योंकि ये भाग लेख का सार मात्र होता है और आगे लेख में विस्तार से लिखकर सन्दर्भ जोड़ने होते हैं।
- भूमिका में जो स्पष्ट रुप से तथ्यात्मक सामग्री हैं उन्हें हटाकर सार मात्र लिखा जायें। ज्यादातर सामग्री तथ्यात्मक ही हैं और ये बढ़ने के बाद पूरा लेख पढ़ने की आवश्यक्ता ही नही लगती।
- पृष्ठ के सभी भागों का सार आ जाना चाहिए किन्तु सीधे ही तथ्य लिखने के बदले सार प्राकार की शब्दावली के साथ वाक्य प्रयोग करना चाहिए।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 11:43, 27 फ़रवरी 2017 (UTC)उत्तर दें
सन्दर्भ
संपादित करेंकृपया सन्दर्भ संख्या १ की त्रुटि पर ध्यान न दें, यह मुख्य लेख में सन्दर्भ अन्य सन्दर्भ उपलब्ध होने पर स्वतः ही हट जायेगी।आशीष भटनागरवार्ता 09:54, 22 फ़रवरी 2017 (UTC)उत्तर दें
- ↑ सन्दर्भ त्रुटि:
<ref>
का गलत प्रयोग;अनमोल
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ "राजा भोज का भोजपुर". मल्हार. वर्ल्ड प्रेस.
- ↑ अ आ भोजपुर|इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र
- ↑ रायसेन कृषि उपज मंडी समिति|भोजपुर
- ↑ सावन का पहला सोमवार, कीजिए...|पत्रिका|भोपाल|०३-०८-२०१५|अभिगमन तिथि: ०१-०२-२०१७
- ↑ अ आ भोजेश्वर नाथ का अनोखा है यह मन्दिर । हिन्दीरसायन।अभिगमन तिथि:६-०२-२०१७
- ↑ भोजेश्वर मन्दिर:मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के जालस्थल पर|अभिगमन तिथि: ०२ फ़रवरी, २०१७
- ↑ तेज न्यूज़।एक ही पत्थर पर बना विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग
- ↑ भोजेश्वर मन्दिर के बाहर लगा भा.पुरा.सर्वे.वि. का मन्दिर सूचना पट्ट, जिसमें मन्दिर के बारे में महत्त्वपूर्ण तथ्य लिखे हैं। विकिमीडिया कॉमन्स पर
- ↑ शिवजी का ऐसा मन्दिर, जिसका निर्माण सुबह होने के कारण रह गया अधूरा। समाचार-इण्डिया।१६-०९-२०१४।अभिगमन तिथि:६-०२-२०१७
लेख की वर्तमान भूमिका में से सभी सन्दर्भ हटाये व लेख में तथ्यों के विवरण के साथ संलग्न किये।आशीष भटनागरवार्ता 20:17, 27 फ़रवरी 2017 (UTC)उत्तर दें
@आशीष भटनागर: सरसरी नज़र से देखा तो ऊपर से जो खामियां दिखीं:-
- कन्वर्ट सांचा इंग्लिश में यूनिट दिखा रहा है।
- इकाइयाँ सुधार दी गयी हैं। अब सभी फ़ीट या मीटर हिन्दी में ही दिख रही हैं। (आ.भ)
- सन्दर्भ न० 21, 42, व 48 में लुआ त्रुटि है।
- लुआ त्रुटि अब दृश्य नहीं है।(आ.भ.)
- सन्दर्भ ग्रन्थ सूची में पहली अंग्रेजी किताब का टाइटल इंग्लिश में दूसरे का हिंदी में और तीसरे का इंग्लिश में हैं एक सामान करें।
- सन्दर्भ ग्रन्थ सूची एक समान हो गयी है। (आ.भ)
- बाकी कुछ सुधार होंगे तो देख के बताऊंगा। --- चक्रपाणी वार्ता 12:42, 1 मार्च 2017 (UTC)उत्तर दें
- बिन्दु २ व ३ का सुधार कर दिया है।आशीष भटनागरवार्ता 05:44, 3 मार्च 2017 (UTC)उत्तर दें
- @चक्रपाणी: जी! सभी बिन्दुओं पर सुधार कर दिया गया है। त्रुटियों के लिये अपना बहुमूल्य समय देने का अपार धन्यवाद। आगे भि सहायता व ध्यानाकर्षण का स्वागत व अपेक्षित है। और कोई सुधार हो तो भी अवश्य एवं कड़ी आलोचना के साथ दृष्टिपात करके बतायें। सधन्यवाद:आशीष भटनागरवार्ता 06:03, 3 मार्च 2017 (UTC)उत्तर दें
कॉमा हटाये। कुछ नई टिप्पणियाँ -
- लेख का नाम पहले शब्द में बोल्ड किया जाता है। लेख का नाम अलग है और पहला शब्द ही अलग है। लेख का शीर्षक और ज्ञानसंदूक में लिखा नाम भी अलग है। अब कौन सा नाम अधिक महत्वपूर्ण है ये कैसे जाना जाए? जो भी नाम सर्वसम्मत हो लेख के शीर्षक, प्रथमाक्षर, और ज्ञानसंदूक में एक ही नाम होना चाहिए। ज्ञानसन्दूक में अन्य नाम में भी दोनों ही नाम आ रहे हैं।
- लेख का नाम सुधारा गया।
- बांध थे, तुड़वा दिए...यह बात भूमिका के मुक्त प्रवाह को अवरुद्ध कर रही प्रतीत हो रही है।
- इसी वार्त्ता पृष्ठ पर नयी भूमिका देखें। इसमें ऐसा वाक्य नहीं है।
- पुरा.विभाग - डॉट का इस्तेमाल नहीं होना चाहिये, लाघव चिह्न का होना चाहिए। बल्कि मेरी व्यक्तिगत राय में वह भी भूमिका में बुरा ही लगेगा, थकान का अहसास शुरुआत में ही।
- इसी वार्त्ता पृष्ठ पर नयी भूमिका देखें। इसमें ऐसा वाक्य नहीं है।
- मन्दिर का प्रवेशद्वार भी किसी हिन्दू इमारत के दरवाजों में सबसे बड़ा है।- या तो लिखिए सबसे बड़ा, या लिखिए किसी भी इमारत से बड़ा- bigger than any /or/ biggest of all
- सुधारा गया। असल में पहले शिवलिंग बड़ा बताया गया, फिर द्वार को, अतएव भी का प्रयोग किया गया था, फिर भी अभी हटा दिया गया है।
- क्योंकि मन्दिर का निर्माण कभी पूर्ण नहीं पाया,=?
- क्योंकि हटाया गया।
- यहां का नाम भोजपुर, राजा भोज के नाम से= जहाँ तक मेरा ज्ञान है कॉमा दो से अधिक विकल्पों की स्थिति में लगना चाहिए
- वैसे अर्धविराम को दो वाक्यांशों को पृथक करने हेतु भी प्रयोग किया जाता है, आवश्यक नहीं कि केवल विकल्प ही हों तभी प्रयोग किया जाये। फिर भी हटा दिया गया है।
- मान्यताओं=टाइपो
- समझ नहीं आया??
- प्रो.किरीट मनकोडी=लाघव चिह्न चाहिए
- पहले मुझे लाघव का युनिकोड नहीं पता था। अब लगा दिया है।
- करवाया था। (देखें भोजशाला) एक जैन = मुझे पता नहीं कि ये ठीक है या नहीं, लेकिन देखें भोजशाला पिछले वाक्य से जुड़ा होने की बजाय अगले वाक्य से जुड़ता नजर आ रहा है।
- सुधारा गया।
- मेरुतुङग- दो बार विकिलिंक
- हटा दिया है।
- मेरुतुङ्ग रचित प्रबन्धचिन्तामणि के अनुसार, जब राजा भोज एक बार श्रीमाल गये, तब उन्होंने कवि माघ को भोजस्वामिन नामक मन्दिर के बारे में बताया था, जिसका वे निर्माण करवाने वाले थे। = क्या दो बार कॉमा व्याकरण के हिसाब से ठीक है?
- सुधार किया।
- राजा भोज ने ३ पत्थर एवं बालू के बने बांधों = बस, मात्र ३ पत्थर?
- अब अधिक पत्थर लगा दिये हैं। - अर्थात सुधा किया गया।
- इनमें से पहला बांध, बेतवा नदी पर बना था= कॉमा की आवश्यकता नहीं
- हटा दिया।
- उस घाटी में तीन ओर से घेरे हुए पहाड़ियों द्वारा तथा चौथी ओर से स्वयं बांध द्वारा जल रुका रहता था। = पता नहीं कोई गलती है या नहीं, लेकिन पढ़ने में अजीब लग रहा है।
- वाक्य सुधारा।
- रखाता था =?
- वर्तनी सुधार किया।
- था, तथा = कॉमा और तथा में से एक चुनें
- वर्तनी सुधारी।
- इस प्रसिद्ध स्थल पर दो वार्षिक मेलों का आयोजन भी होता है । मकर संक्रांति एवं महाशिवरात्रि के समय। = क्या इन्हें मिलाकर ेक ही वाक्य नहीं बनाना चाहिए?
- एक वाक्य बना दिया।
- राजधानी भोपाल = राजधानी शब्द यहाँ अनावश्यक लग रहा है
- राजधानी हटा दी।
- मिलते हैं, जिनमें से= कॉमा अनावश्यक
- कॉमा हटाये।
- छत, आदि। = कॉमा अनावश्यक
- छत से पूर्व कई विकल्प हैं, जिन्हें अर्ध-विराम से पृथक किया गया है, एवं आगे भी आदि एक विकल्प रूप ही होता है अतः उसे भी अर्ध-विराम से ही पृथक किया जाता है। इसीलिये यहां कॉमा प्रयोग सही है।
- क्रियाकर्म संबन्धी कार्यों से संबन्धित रहा होगा, जैसा प्रायः श्मशान घाट आदि के निकटवर्त्ती आज भी देखे जा सकते हैं।= वाक्य स्पष्ट नहीं, कॉमा अनावश्यक
- वाक्यांशों को पृथक करने हेतु अर्ध-विराम का प्रयोग किया है, क्योंकि ये बड़ा एवं जटिल (कॉम्प्लेक्स) वाक्य है।
- देवा की शोध की, आगे = शोधकर्ता का नाम बदल गया है। अंग्रेजी व्याकरण की तरह कॉमा का प्रयोग करके कटे कटे वाक्य लिखे हैं, जबकि इन्हें सीधा स्पष्ट लिखा जा सकता है। उदाहरण के लिए इस वाक्य को इस प्रकार और सरल रूप में लिखा जा सकता है - देव की शोध की पुष्टि मधुसूदन ढाकी द्वारा आगे खोजे गये कुछ मध्यकालीन वास्तुसम्बन्धी पाठ्य से भी होती है। वाक्य विखंडन की अंग्रेजी व्याकरण की इस परंपरा का सम्पूर्ण लेख में पुनः विवेचना की जानी चाहिए।
- सुधार किया।
- स्वर्गारोहण-प्रसाद = प्रसाद या प्रासाद?
- वर्तनी सुधार।
- इतिहासविद के.के.मुहम्मद= हलन्त्, लाघव चिह्न
- वर्तनी सुधार।
- परित्यक्त साइट=तत्सम के साथ अंग्रेजी शब्द
- सुधार किया।
- इसके अलावा मन्दिर के ऊपरी भाग निर्माण हेतु पत्थर के भारी शिल्प भागों को खदान से ऊपर तक ले जाने के लिये बनी बहुत बड़ी ढलान भी मिली है।= में शब्द अनुपस्थित
- इसमें में की नहीं हाँ के का प्रयोग बेहतर लगा।
- पुरातात्त्विक सर्वेक्षण विभाग ने इन्हें २०वीं शताब्दी में अपने भण्डार गृह पहुंचा दिया= क्या इस कार्य में उन्हें १०० साल के आसपास का समय लगा? २०वीं शताब्दी ?
- पुरा.वि. को १०० वर्ष नहीं लगे, बल्कि बहुत सा सामान मन्दिर निर्माण रुक जाने के कारण उसी स्थान पर ऐसे ही पड़ा रह गया या छोड़ दिया गया था, जिसे कालान्तर में २०वीं शताब्दी में पुरा.वि. ने जब यहाम का कार्यभार एवं देखरेख कार्य संभाला, तब उसे अपने भण्डार गृह पहुंचा दिया।
- मन्दिर निर्माण की स्थापत्य योजना का विवरण खदान भाग के निकटस्थ पत्थरों पर उकेरा गया है।= यह पैरा काफी पहले आ जाना चाहिये था, कम से कम इस अनुभाग में इसे प्रारमभ में ही रख दिया जाए तो flow अच्छा रहेगा।
- अच्छा सुझाव है - किन्तु ये उपशीर्षक निर्माण का परित्याग के अधीन लिखा है, जिसमें वे कारण खोजे व बताये गए हैं, जिनके कारण संभवतः निर्माण कार्य छोड़ दिया गया होगा। तब आगे चलकर ये भी बताया गया है कि इस मन्दिर की और बड़ी योजना भी थी जो इस परित्याग के कारण पूरी नहीं हो पायी, अन्यथा ये भारत का सबसे बड़ा मन्दिर होता।
- ये चिह्न शिल्पकारों या उनके परिवार के लोगों के कार्य राशि के अनुमान या आकलन हेतु बनाये जाते थे, जिन्हें इमारत को अंतिम रूप देते समय मिटा दिये जाते होंगे = थे या होंगे में से किसी एकॉक का प्रयोग दोनो जगह हो।
- सुधार सम्पन्न।
- जिन्हें मिटा दिया जाता था, या जो मिटा दिए जाते होंगे।
- सुधार सम्पन्न।
- वर्ष १९५० तक, इस इमारत की संरचना काफ़ी कमजोर हो चली थी।= कमज़ोर (नुक़्ता), कॉमा अनावश्यक(आगे इस कमी का ज़िक्र नहीं करुंगा, कृपया पूरे लेख में इसे देख लें),
- सुधार सम्पन्न।
- ऐसा निरंतर वर्षा जल रिसाव, उसके कारण आयी सीलन= वर्षा के बाद कॉमा आना चाहिए, आयी सही है या आई?
- सम्पन्न।
- १९५१ में यह स्थल प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम १९०४ के तहत भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण विभाग को संरक्षण हेवं पुनरोद्धार हेतु सौंप दिया गया।= लेख में ही बाहरी कड़ी?, पुनरोद्धार की वर्तनी सही करें।
- सम्पन्न।
- १९९० के आरम्भिक दशक में, सर्वेक्षण विभाग ने मन्दिर के चबूतरे एवं गर्भगृह की सीढ़ियों के मरम्मत कार्य किये एवं हटाये हुए पत्थरों को पुनर्स्थापन किया। = कॉमा अनावश्यक, या तो लिखें का पुनर्स्थापन किया या को पुनर्स्थापित किया।
- सम्पन्न।
- भित्ति को भी पुनरुद्धार के तहत मरम्मत किया।= पहली बात - भित्ती की मरम्मत की या भित्ती को ठीक किया। दूसरी बात- एक ही वाक्य में एकाधिक शैली न हो अन्यथा निर्वाचित लेख तो ना हो पाएगा। या तो संपूर्ण वाक्य में हिन्दुस्तानी शैली हो, या तत्सम। जो भी आपका चयन हो। पुनरुद्धार का भी उर्दू शब्द खोजें या तहत की जगह अंतर्गत लिखें। कृपया इस फीडबैक के लिये पूरे लेख का अवलोकन कर लें।
- सम्पन्न।
- इस विस्तृत चबूतरे पर ही .... की योजना रही होगी, = पुनरुद्धार के अनुभाग में इतिहास चला आया है। कृपया ठीक करें।
- सम्पन्न।
- विभाग की के के मुहम्मद के अधीनस्थ टीम = लाघव चिह्न लगाएँ, विभाग की एक टीम ने कखग के नेतृत्व में
- सम्पन्न।
- पुनः प्रारम्भ = शायद यहाँ आरम्भ होना चाहिए, पुनः और प्रारम्भ एक साथ असंगत लग रहे हैं।
- सम्पन्न।
- देश पर्यन्त मूल संरचना से मेल खाते पाषाण की खोज के = मूल संरचना से मेल खाते पाषाण की देश पर्यन्त खोज के
- सम्पन्न।
- ये १२ टन भार का .. स्तंभ .....बनाया गया। इसके लिये ... शिला को ... लाया गया। इसके बाद ... क्रेन मशीन ...।= पहले दो वाक्यों का क्रम बदलें। पहले शिला लाई गई, फिर स्तंभ बना, फिर क्रेन की दिक्कत।
- सम्पन्न।
- टीम को ... क्रेन मशीन उपलब्ध न हो पायी, जिसके अभाव में उन्होंने चरखियों एवं लीवरों की एक शृंखला के सहायता से कार्य को पूर्ण किया= लीवर के स्थान पर उत्तोलक शब्द पर विचार करें, टीम एकवचन है अतः उन्होंने शब्द प्रयोग नहीं होना चाहिए। के सहायता = की सहायता।
- सम्पन्न।
- मन्दिर के छत के खुले भाग को भी एक नये मूल संरचना से मेल खाते हुए वास्तु घटक से बदला।= की छत। मूल संरचना से मेल खाते हुए एक नये वास्तु घटक
- सम्पन्न।
- ये घटक ....अनावश्यक भार भी नहीं डालता है।= ३ वाक्य जोड़ने के लिए एवं/तथा का दो जगह उपयोग।
- सम्पन्न।
- लम्भी=लम्बी
- सम्पन्न।
- उन्होंने मन्दिर की उत्तरी, दक्षिणी एवं पश्चिमी बाहरी दीवारों के अंशों को भी नये शिल्पाकृति पाषाणों के द्वारा बदल दिया गया है।= या तो उन्होंने शब्द हटाएँ या गया है।
- सम्पन्न।
- स्थापत्य शैली= फ़ी और मी में लाघव चिह्न लगाएँ। पाँच अलग पैराग्राफ बनाने का कोई औचित्य नहीं लग रहा। दूसरी पंक्ति में चबूतरे पर क्या खड़ा है?
- अनुच्छेद जोड़े व लाघव संपन्न।
- स्थापत्य शैली= खाली हैडिंग???
- हटायी। उसे किसी विशेष उद्देश्य से जोड़ा था, किन्तु अब सम्पादन पूर्ण होने के बाद आवश्यकता नहीं है।
- किरीट मनकोड़ी की वर्तनी सब जगह एक सी करें।
- संपन्न।
- सबसे पहले गुम्बदीय छत वाली इमारत= सबसे पहली
- सम्पन्न।
- इस मन्दिर का दरवाजा भी किसी अन्य हिंदू इमारत के दरवाजों की तुलना में सबसे बड़ा है। यह द्वार... = दरवाजा या द्वार, कोई एक चुनें। इतनी जल्दी हिंदी से उर्दू या उर्दू से हिंदी में छलाँग न मारें।
- सम्पन्न।
- छत चार ३९.९६ फ़ी.(१२.१८ मी) ऊंचे अष्टकोणीय स्तंभों पर टिकी हुई है= छत ३९.९६ फ़ी.(१२.१८ मी) ऊंचे चार अष्टकोणीय स्तंभों पर टिकी हुई है
- सम्पन्न।
- पिलास्टरों= ये मेरा व्यक्तिगत कमेंट है- कृपया लिंक दें, मुझे ज्ञान नहीं कि ये क्या चीज है।
- पिलास्टर लेख सम्पन्न।
- निकटस्थ स्थल= उपर वर्णित इतिहास का अलग संस्करण
- ऐसा आपको प्रतीत हो रहा है, किन्तु अधिकतर स्थल भिन्न हैं, मात्र एक को छोड़कर। ये इतने नहीं हैं कि बिन्दुवार लिखे जा सकें या उप-शीर्षक बनाये जाएं, अतः एक अनुच्छेद से ही काम चलाया है।
- संग्रहालय = मी में लाघव चिह्न लगाएँ, एक वाक्य में दो बार तथा का उपयोग, भोज में मात्रा में कुछ समस्या है
- सम्पन्न।
- शृद्धालुओं= श्रद्धालुओं
- सम्पन्न।
- राजधानी भोपाल जो भोजपुर से 28 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है, वहां का राजा भोज विमानक्षेत्र यहाँ के लिये निकटतम हवाई अड्डा है। = वाक्य को सरल किया जा सकता है
- सरलीकरण सम्पन्न।
- संदर्भ= एक ही संदर्भ अलग अलग नाम से कई बार प्रयोग हुआ है। ठीक करें।
- श्रेणी = विकिडेटा पर अनुपलब्ध निर्देशांक - क्या इसे ठीक किया जा सकता है?
- उपाय खोज रहा हूं, मिलते ही कार्य पूर्ण होगा। तब तक कृपया अनदेखा करें।
- देखिये शायद ठीक हो गया, क्योंकि मैंने इसकी प्रविष्टि विकिडेटा में कर दी है।
- उपाय खोज रहा हूं, मिलते ही कार्य पूर्ण होगा। तब तक कृपया अनदेखा करें।
- श्रेणी = भोपालगढ़ के गाँव????
- श्रेणी हटाई।
- श्रेणी = अनुरक्षित स्मारक से संबंधित श्रेणी लगाना उचित होगा।
- श्रेणी लगायी।
--अनामदास 09:25, 14 अप्रैल 2017 (UTC)उत्तर दें
- सर्वप्रथम इतनी लम्बी विवेचना, समीक्षा, आदि के लिये भूरि-भूरि प्रशंसा एवं धन्यवाद। इसके बाद कहूंगा कि अभी क्रमांक-२८ तक के सुधार ही कर पाया हूं। आगे भी प्रयासरत हूं।आशीष भटनागरवार्ता 17:54, 15 अप्रैल 2017 (UTC)उत्तर दें
- सुधार क्रमांक ४५ तक सम्पन्न हुए।आशीष भटनागरवार्ता 21:08, 16 अप्रैल 2017 (UTC)उत्तर दें
- @Anamdas: जी,
- लगभग सभी सुधार यथासंभव संपन्न हुए। एक प्रमुख कार्य शेष है: लेख का मुख्य परिचय अनुच्छेद कौन सा रखा जाये? - मूल, जो लेख में जुड़ा है, या नया छोटा व सुधारा हुआ अनुच्छेद जो इसी वार्त्ता पृष्ठ पर ऊपर दिया है। कृपया राय दें। वैसे इस छोटे अनुच्छेद में आपके दिये सुधार भी लागू हैं।आशीष भटनागरवार्ता 16:37, 17 अप्रैल 2017 (UTC)उत्तर दें
- @आशीष भटनागर::
समय की भारी कमी और इस कार्य की बारीकी और विशालता के कारण देरी हुई। उपरोक्त समीक्षा व उसके पश्चात् किए गए सुधार के बाद अधिक कुछ बचा नहीं। जो कुछ थोड़ा बहुत मुझे नज़र आया मैंने और समीक्षा की बजाय स्वयं ही ठीक करना उचित समझा। यदि कोई नया सदस्य होता तो शायद समीक्षा का नया दौर शुरु होता लेकिन आप तो समझदार हैं ही। कृपया एक बार इतिहास का अवलोकन करके मेरे द्वारा किए गए परिवर्तन भी देख लें, यदि आपको स्वीकार हों तो ठीक है अन्यथा कोई मुझसे त्रुटि हुई हो या आपको असहमति हो तो चर्चा कर के सहमति बना लें। इस सबके बाद अब एक ही महती कार्य बचा है-निर्वाचित लेख परख की आवश्यकताओं में लिखा है कि विकिपीडिया:विवादास्पद वर्तनियाँ की कसौटी पर एक बार लेख को स्वयं परख लें और यदि आवश्यकता हो तो उचित परिवर्तन करें। कृपया यह दोनों कार्य सम्पूर्ण करके यहाँ बताएँ, तत्पश्चात् मेरी तुच्छबुद्धि अनुसार मेरी ओर से यह लेख निर्वाचित घोषित है। --अनामदास 07:44, 26 जून 2017 (UTC)उत्तर दें
- @Anamdas: जी, अब जब आपका समर्थन है तो एक तो आप निर्वाचित लेख परख पर समीक्षा उपरांत समर्थन दे दीजिए, दूसरे संजीव जी को भी कह दीजिये, कि वे भी देख लें। उनके बाद इसे निर्वाचित घोषित कर संभव हो तो जुलाई से लगा दिया जाये।आशीष भटनागरवार्ता 23:24, 27 जून 2017 (UTC)उत्तर दें
- एक शब्द सुधार कमज़ोर को वापस कमजोर किया है। मेरे विचार से कमजोर ही सही होता है, आवश्यक नहीं की उर्दू के शब्दों में ज के स्थान पर ज़ ही लगाया जाये, बहुत से शब्द ज से ही बने होते हैं वरन कुछ तो दोनों से बनते हैं, जैसे जज़्बा। फिर भि यदि मैं गलत होऊं तो सुधार कर दीजियेगा। धन्यवाद।आशीष भटनागरवार्ता 23:27, 27 जून 2017 (UTC)उत्तर दें
- @Anamdas: जी, अब जब आपका समर्थन है तो एक तो आप निर्वाचित लेख परख पर समीक्षा उपरांत समर्थन दे दीजिए, दूसरे संजीव जी को भी कह दीजिये, कि वे भी देख लें। उनके बाद इसे निर्वाचित घोषित कर संभव हो तो जुलाई से लगा दिया जाये।आशीष भटनागरवार्ता 23:24, 27 जून 2017 (UTC)उत्तर दें
Y पूर्ण हुआ- लेख निर्वाचित घोषित किया गया। --अनामदास 09:46, 29 सितंबर 2017 (UTC)उत्तर दें
- ऊपर की चर्चा एक पुरालेख के तौर पर परिरक्षित की गई है। इसमें कोई बदलाव ना करें। इसमें अब कोई संपादन नहीं होना चाहिए।
1 .इस मंदिर के विषय में कहा जाता है की ये मध्य भारत में सबसे बड़ी शंकर भगवान की पिंडी है। 2. इस मंदिर के बारे में ये भी कहा जाता है की महाभारत कल में कुंती बिना किसी सीढ़ी या किसी सहारे के शंकर भगवान की पिंडी पर जल चढ़ाती थी इससे ये अनुमान लगाया जा सकता है की उस काल में लोगों की ऊंचाई कितनी अधिक होती थी VIJAY DHEEMAR (वार्ता) 11:52, 21 अक्टूबर 2017 (UTC)उत्तर दें
इस कड़ी के अनुसार लेख में बहुविकल्पी कड़ियाँ हैं अर्थात् लेख के सम्पादनकर्त्ताओं और समीक्षकों ने इसकी अनदेखी की है, इसमें सुधार आवश्यक है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 04:18, 21 जनवरी 2018 (UTC)उत्तर दें
- लेख के निर्वाचन पूर्व बहुत ही लम्बा समय समीक्षा हेतु मिला था, जिसमें कई लोगों ने समीक्षा एवं सुधार किये हैं। तब महोदय स्वयं प्रबन्धक पद पर ही आसीन थे। ये भूल-सुधार उस समय कर दिया या बता दिया होता तो कहीं बेहतर होता। अब किसी की आलोचना करने का और इस सन्देश का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। अब भी सुधार की आवश्यकता लग रही हो तो उसे यहां लिखने से बेहतर होता कि स्वयं ही सुधार देते। समय पर न लिये गए कदम बाद में कई बार अनावश्यक हो जाते हैं। फिर भी आलोचना हेतु धन्यवाद। - सुधार कर दिया है।--आशीष भटनागरवार्ता 00:54, 9 जून 2018 (UTC)उत्तर दें