शायरी की शुरुआत उर्दू, फ़ारसी और अरबी साहित्य से हुई। हिंदी शायरी का विकास उर्दू शायरी के साथ हुआ है। उर्दू शायरी की मिठास और हिंदी शायरी की सरलता का संगम हमारे साहित्य को एक नया आयाम देता है। मिर्ज़ा ग़ालिब, मीर तकी मीर और गुलज़ार जैसे उर्दू शायरों की रचनाएं हिंदी शायरी में भी उतनी ही लोकप्रिय हैं जितनी उर्दू में।

प्रेम और विरह हिंदी शायरी के मुख्य विषय रहे हैं। प्रेम की मिठास और विरह की वेदना को शायरों ने अपनी कलम से ऐसे उकेरा है कि वह हमारे दिल को छू जाती है। प्रेम और विरह के अलावा प्रकृति, समाज, राजनीति और दर्शन भी हिंदी शायरी के महत्वपूर्ण विषय रहे हैं।

राजनैतिक शायरी ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से जनमानस को जागरूक किया और स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया। इसी प्रकार हास्य और व्यंग्य की शायरी ने समाज की कुरीतियों और बुराइयों पर प्रहार किया है।

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