चित्रकूट धाम

उत्तर प्रदेश राज्य का एक शहर
(शिवरामपुर से अनुप्रेषित)

साँचा:India is the femous of samyak culture country))

चित्रकूट में रामघाट
मंदाकिनी तीरे अनुसूया आश्रम
हनुमान धारा में स्थित मन्दिर

चित्रकूट धाम भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के चित्रकूट जिले में स्थित एक शहर है। यह उस जिले का मुख्यालय भी है। यह बुन्देलखण्ड क्षेत्र मे स्थित है और यहां पर भी बुद्ध अवशेष मिले हैं यह भी तथागत बुद्ध की भूमि है, प्राचीन भारतीय बौद्ध अवशेष प्राप्त हुआ है, लेकिन बहुत सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्विक महत्व रखता है। चित्रकूट भगवान राम की कर्म भूमि है। भगवान राम ने वनवास के 11 वर्ष चित्रकूट मे बिताये थे। चित्रकूट मन्दिरो का शहर और धार्मिक स्थल है। यह पड़ोस में ही स्थित मध्य प्रदेश के सतना ज़िले के चित्रकूट नगर से जुड़ा हुआ है।[1][2]

चित्रकूट धाम में बुद्ध प्रतिमा स्थापित किया गया था लेकिन आज भी यह छिपा हुआ है

 
buddha is femous of India

प्रमुख आकर्षण

संपादित करें

कामदगिरि

संपादित करें

इस पवित्र पर्वत का काफी धार्मिक महत्व है। श्रद्धालु कामदगिरि पर्वत की 5 किलोमीटर की परिक्रमा कर अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण होने की कामना करते हैं। जंगलों से घिरे इस पर्वत के तल पर अनेक मंदिर बने हुए हैं। चित्रकूट के लोकप्रिय कामतानाथ और भरत मिलाप मंदिर भी यहीं स्थित है।

राम घाट वह घाट है जहाँ प्रभु राम नित्य स्नान किया करते थे l इसी घाट पर राम भरत मिलाप मंदिर है और इसी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रतिमा भी है l मंदाकिनी नदी के तट पर बने रामघाट में अनेक धार्मिक क्रियाकलाप चलते रहते हैं। घाट में गेरूआ वस्त्र धारण किए साधु-सन्तों को भजन और कीर्तन करते देख बहुत अच्छा महसूस होता है। शाम को होने वाली यहां की आरती मन को काफी सुकून पहुँचाती है।

जानकी कुण्ड

संपादित करें

रामघाट से 2 किलोमीटर की दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनार जानकी कुण्ड स्थित है। जनक पुत्री होने के कारण सीता को जानकी कहा जाता था। माना जाता है कि जानकी यहाँ स्नान करती थीं। जानकी कुण्ड के समीप ही राम जानकी रघुवीर मंदिर और संकट मोचन मंदिर है।

स्फटिक शिला

संपादित करें

जानकी कुण्ड से कुछ दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनार ही यह शिला स्थित है। माना जाता है कि इस शिला पर सीता के पैरों के निशान मुद्रित हैं। कहा जाता है कि जब वह इस शिला पर खड़ी थीं तो जयंत ने काक रूप धारण कर उन्हें चोंच मारी थी। इस शिला पर राम और सीता बैठकर चित्रकूट की सुन्दरता निहारते थे।

अनसुइया अत्रि आश्रम

संपादित करें

स्फटिक शिला से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर घने वनों से घिरा यह एकान्त आश्रम स्थित है। इस आश्रम में अत्रि मुनी, अनुसुइया, दत्तात्रेय और दुर्वासा मुनि की प्रतिमा स्थापित हैं।

गुप्त गोदावरी

संपादित करें

नगर से 18 किलोमीटर की दूरी पर गुप्त गोदावरी स्थित हैं। यहाँ दो गुफाएँ हैं। एक गुफा चौड़ी और ऊँची है। प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण इसमें आसानी से नहीं घुसा जा सकता। गुफा के अंत में एक छोटा तालाब है जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है। दूसरी गुफा लंबी और संकरी है जिससे हमेशा पानी बहता रहता है। कहा जाता है कि इस गुफा के अंत में राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाया था।

हनुमान धारा

संपादित करें

पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में हनुमान की एक विशाल मूर्ति है। मूर्ति के सामने तालाब में झरने से पानी गिरता है। कहा जाता है कि यह धारा श्रीराम ने लंका दहन से आए हनुमान के आराम के लिए बनवाई थी। पहाड़ी के शिखर पर ही 'सीता रसोई' है। यहां से चित्रकूट का सुन्दर दृष्य देखा जा सकता है। मन जाता है कि हनुमान धारा 500 से अधिक सीधी है

कहा जाता है कि भगवान राम के राज्याभिषेक के लिए भरत ने भारत की सभी नदियों से जल एकत्रित कर यहाँ रखा था। अत्रि मुनि के परामर्श पर भरत ने जल एक कूप में रख दिया था। इसी कूप को भरत कूप के नाम से जाना जाता है। भगवान राम को समर्पित यहाँ एक मंदिर भी है। जब श्री राम 14 वर्ष के लिए वनवास आए थे तब भरत को अपने माता कैकेयी के व्यवहार पर काफ़ी दुख हुआ था। वे आयोध्या वासीयों को साथ लेकर श्रीराम को मनाने चित्रकूट आए थे, साथ में भगवान राम का राज्याभिषेक करने के लिए समस्त तीर्थों का जल भी लाये थे। लेकिन भगवान राम 14 वर्ष वनवास के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ थे। इस पर भरत काफ़ी दुखी हुए और अपने साथ लाये समस्त तीर्थों के जल को वहीं के कुए में डाल दिया। केवल अपने साथ भगवान राम की खड़ाऊँ लेकर वापस चले गए। तभी से इस स्थल का नाम भरत कूप पड़ा।

वायु मार्ग

चित्रकूट का नजदीकी विमानस्थल (airport) चित्रकूट के देवांगना पहाड़ी पर स्थित है। यह उत्तर प्रदेश का पहला टेबल टॉप हवाई अड्डा का कीर्तिमान भी कायम कर चुका है और साथ ही यह बुंदेलखंड का पहला चालू हवाई अड्डा है। जो 10 मार्च 2024 से यात्रियों की सेवा में अग्रसर है यह कर्वी मुख्यालय से लगभग 7 किमी की दूरी पर है। खजुराहो चित्रकूट से 185 किलोमीटर एवं प्रयागराज (इलाहाबाद) से चित्रकूट लगभग 125 किमी दूर है। लखनऊ हवाई अड्डे से भी चित्रकूट पहुँचा जा सकता है। प्रयागराज और लखनऊ से बस और ट्रेनें लगातार उपलब्ध हैं।

रेल मार्ग

चित्रकूट से 8 किलोमीटर की दूर चित्रकूट धाम निकटतम रेलवे स्टेशन है। प्रयागराज, जबलपुर,बांदा, दिल्ली, झांसी, हावड़ा, आगरा,मथुरा, लखनऊ, कानपुर,ग्वालियर, झांसी,रायपुर, कटनी, मुगलसराय,वाराणसी बांदा आदि शहरों से यहाँ के लिए रेलगाड़ियाँ चलती हैं। इसके अलावा शिवरामपुर रेलवे स्टेशन पर उतकर भी बसें और टू व्हीलर लिए जा सकते हैं। शिवरामपुर रेलवे स्टेशन की चित्रकूट से दूरी ४ किलोमीटर है।

सड़क मार्ग

चित्रकूट के लिए प्रयागराज, बांदा, झांसी, महोबा, कानपुर, छतरपुर,सतना, अयोध्या, लखनऊ, मैहर आदि शहरों से नियमित बस सेवाएँ हैं। दिल्ली से भी चित्रकूट के लिए बस सेवा उपलब्ध है। शिवरामपुर से भी बसें और टू व्हीलर उपलब्ध हैं यहाँ से चित्रकूट की दूरी ४ किलोमीटर है।

इन्हें भी देखें

संपादित करें

== बाहरी कड़ियाँ ==

 
buddha ke avshes mile lalapur Chitrakoot me
  1. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  2. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975

.