श्रेणी:समाजशास्त्र
प्रश्न : भारतीय अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक उपक्रमों की भूमिका ?
Question : Describe the role of Public enterprises in Indian economy.
उत्तर : भारतीय अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक उपक्रमों के महत्व का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षों के अंतर्गत किया जा सकता है –
I. राष्ट्रीय उद्देश्यों की उपलब्धि में सहायक (Helpful in achieving the National Objective) : भारतीय सार्वजानिक क्षेत्र सार्वजनिक उद्देश्यों की उपलब्धि में सहायक प्रमाणित हुआ है | अर्थव्यवस्था के अनेक क्षेत्रों जैसे – परिवहन , संचार , सिंचाई , व्यापार , वित्त एवं सार्वजनिक भवन निर्माण में यह सहायक सिद्ध हुआ है | सार्वजनिक विनियोग के आधारभूत उद्योगों पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है | इसके अलावा उत्पादन के कई क्षेत्रों में तो सार्वजनिक क्षेत्र में एकाधिकार भी प्राप्त कर लिया है |
II. पूंजी निर्माण (Capital Formation): भारत के सार्वजनिक क्षेत्रों में पूंजी – निर्माण के कार्य को गति दी है | सार्वजनिक क्षेत्र में विनियोग की मात्रा का क्रमिक विस्तार इस बात का साक्षी है |
III. सालाना बिक्री ( Annual Turnover): हमारे देश में सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री में कई गुना अधिक वृद्धि हुई है |
IV. निर्यात एवं विदेशी मुद्रा (Export & Foreign Money): भारतीय सार्वजनिक क्षेत्रों द्वारा अर्जित विदेशी मुद्रा की मात्रा एवं निर्यात की मात्रा में भी वृद्धि हो रही है |
V. रोजगार एवं श्रम कल्याण (Employment & Labor Welfare) : भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र एक बड़े जनसमूह को रोजगार प्रदान कर रहा है | इसके अतिरिक्त यह क्षेत्र अपने कर्मचारियों को आवास , स्वास्थ्य , शिक्षा , प्रशिक्षण तथा लाभांश इत्यादि की सुविधाएँ प्रदान कर रहा है |
VI. सार्वजनिक कोषों में योगदान (Distribution in Public Exchequer es) : हमारे सार्वजनिक क्षेत्रों में लाभार्जन के लिए मूल्यनीति को अपनाया है तथा वे प्रतिवर्ष सार्वजनिक कोषों में योगदान देते हैं |
VII. आधारभूत ,भारी एवं अपरिव्यय सुविधा संबंधी उद्योगों में सार्वजनिक क्षेत्र अधिक उपयुक्त सिद्ध होते हैं |
VIII. सार्वजनिक क्षेत्र के व्यवसाय आर्थिक विषमताओं को कम करने में कई प्रकार से योगदान देता है | जैसे पिछड़े क्षेत्रों में इसकी स्थापना से रोजगार के अवसर में वृद्धि होती है |
IX. आत्मनिर्भरता को प्राप्त करने में सहयोग : सार्वजनिक उपक्रमों का प्रमुख योगदान आत्मनिर्भरता को प्राप्त करने में सहयोग | भारतीय इस्पात उद्योग के विभिन्न उपकरणों व संयंत्रों के निर्माण में भारत एक सीमा तक आत्मनिर्भर हो गया है |
इस प्रकार भारत की अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक क्षेत्र का विस्तार नियोजन विकास के साथ प्रारंभ हुआ है |
उपश्रेणियाँ
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औ
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- वर्जना (2 पृ)
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- सामाजिक न्याय और अधिकारिता (1 पृ)
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