प्रवेशद्वार:हिन्दू धर्म/मापन प्रणाली
ग्रह गणित विभाग में स्थित पौलिश, रोमक वासिष्ठ सौर पैतामह इन पाँच सिद्धान्तों में प्रतिपादित युग. बर्ष .अयन .ऋतु .मास .पक्ष . अहोरात्र .प्रहर .मुहूर्त .धटी .पल .प्राण .त्रुटि के अवयव आदि कालों का तथा भगण .राशि .अंश .कला .विकला का ज्ञान है । ख:चतुष्टि अरद वेदा रवि वर्षाणां चतु: युग भवति ।सन्ध्या सन्ध्यांशै: सह चत्वारि पृथक कृत आदीनि ॥ युग दश भागो गुणित:
कृतं चतुभि:त्रिभि:त्रेता । द्विगुणो द्वापरं एकेन षड्गुण:कलियुगं भवति ॥तैतालिस लाख बीस हजार सौर वर्ष ४३२०००० संध्या संध्याशों सहित चारों युग (एक महायुग) का मान है । इस के दशमांश ४३२००० को चार से गुणा करने पर संध्या संध्यांश सहित कृतयुग का मान=१७२८००० तीन से गुणा करने पर त्रेता का मान=१२९६००० दो से गुणा पर द्वापर =८६४००० व एक से गुणा पर कलियुग =४३२००० होता है ॥ मेष से मीनान्त तक सूर्य १५७७९१७८२८/४३२०००० =३६५.२५८७४८१ दिनों में भोगता है ।