भारतीय अर्थव्यवस्था
मुद्रा | 1 रुपया (रु) = 100 पैसा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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वित्तीय वर्ष | 1 अप्रेल - 31 मार्च | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
PerCapita | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
रोजगारी दर | 10.19 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रति व्यक्ति आय | 2.698$ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
रोजगार क्षमता | 47963.2 करोड़ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
GDP | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
सकल घरेलू उत्पाद वास्तविक वृद्धि दर | 8.2% (2023-24) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
सकल घरेलू उत्पाद | 3.89 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर (2024) स्रोत: अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) | व्यवसाय द्वारा श्रमिक क्षमता (२०१९) | प्राइमरी(42.60%), सेकेण्डरी(25.12%), सेवा (32.28%) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
राज्य | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य उत्पाद | उद्यान विज्ञान, चावल, गेहूँ, तिलहन, कपास, जूट, चाय, गन्ना, आलू; पशु, भैंस, भेंड़, बकरी, मुर्गी; मत्सय | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य उद्योग | वस्त्र उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण, औषध उद्योग, रसायन, इस्पात, यातायात के उपकरण, सीमेंट, खनन, पेट्रोलियम, भारी मशीनें, साफ्टवेयर | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य व्यापार |
कच्चा तेल, मशीनें, जवाहरात, उर्वरक, रासायन, कपड़े, जवाहरात और गहने, इंजिनयरिंग के सामान, रासायन, | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
आर्थिक सहयोगी | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुद्रास्फीति दर | 3.8% | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
निर्यात(2021-2022) | 421.88 अरब डॉलर | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
आयात (2021-2022) | 612.608 अरब डॉलर | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य सहयोगी (2003) | अमेरिका 6.4%, ब्रिटेन 4.8%, बेल्जियम 5.6%, जापान,सिंगापुर 4%, रूस 4.3%, | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य सहयोगी (2001) | संराअमेरिका २०.६%, ब्रिटेन ५.३%, जापान/हांगकांग ४.८%, जर्मनी ४.४%, चीन ६.४%, | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
आर्थिक संगठन (सदस्य) | साफ्टा, आसियान और विश्व व्यापार संगठन | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
सार्वजनिक वित्त | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
आय | ८६.६९ अरब डॉलर | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
व्यय | १०१.१ अरब डॉलर | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पूँजी व्यय | १३.५ अरब डॉलर | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
वित्तीय सहायता ग्रहण (१९९८/९९) | २.९ अरब डॉलर | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
बाहरी ऋण | १०१.७ अरब डॉलर | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
ऋण | १.८१०७०१ अरब डॉलर (सकल घरेलू उत्पाद का ५९.७%) |
भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।[1] क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व में सातवें स्थान पर है, जनसंख्या में भारत का स्थान दूसरा था, किंतु वर्ष 2023 के मध्य से प्रथम स्थान पर है और केवल 2.4% क्षेत्रफल के साथ भारत विश्व की जनसंख्या के 17.76% भाग को शरण प्रदान करता है।
1991 से भारत में बहुत तेज आर्थिक प्रगति हुई है जब से उदारीकरण और आर्थिक सुधार की नीति लागू की गयी है और भारत विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरकर आया है। सुधारों से पूर्व मुख्य रूप से भारतीय उद्योगों और व्यापार पर सरकारी नियन्त्रण का बोलबाला था और सुधार लागू करने से पूर्व इसका जोरदार विरोध भी हुआ परन्तु आर्थिक सुधारों के अच्छे परिणाम सामने आने से विरोध काफी हद तक कम हुआ है। हालाँकि मूलभूत ढाँचे में तेज प्रगति न होने से एक बड़ा तबका अब भी नाखुश है और एक बड़ा हिस्सा इन सुधारों से अभी भी लाभान्वित नहीं हुआ हैं।
पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
संपादित करें2017 में भारतीय अर्थव्यवस्था मानक मूल्यों (सांकेतिक) के आधार पर विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।[2][3] अप्रैल २०१४ में जारी रिपोर्ट में वर्ष २०११ के विश्लेषण में विश्व बैंक ने "क्रयशक्ति समानता" (परचेज़िंग पावर पैरिटी) के आधार पर भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था घोषित किया। बैंक के इंटरनैशनल कंपेरिजन प्रोग्राम (आईसीपी) के 2011 राउंड में अमेरिका और चीन के बाद भारत को स्थान दिया गया है। 2005 में यह 10वें स्थान पर थी।[1] २००३-२००४ में भारत विश्व में १२वीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था थी। संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग (यूएनएसडी) के राष्ट्रीय लेखों के प्रमुख समाहार डाटाबेस, दिसम्बर 2013 के आधार पर की गई देशों की रैंकिंग के अनुसार वर्तमान मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद के अनुसार भारत की रैंकिंग 10 और प्रति व्यक्ति सकल आय के अनुसार भारत विश्व में 161वें स्थान पर है।[4]सन २००३ में प्रति व्यक्ति आय के लिहाज से विश्व बैंक के अनुसार भारत का 143 वाँ स्थान था।
इतिहास
संपादित करेंआर्थिक इतिहासकार एंगस मैडिसन के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था पहली शताब्दी से दसवीं शताब्दी तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। पहली सदी में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) दुनिया की कुल जीडीपी का 32.9% था; 1000 में यह 28.9% था; और 1700 में 24.4% लेकिन उस दौरान आर्थिक प्रगति जनसंख्या वृद्धि से जुड़ी हुई थी क्योंकि वे कोई मशीन या तकनीकी नवाचार नहीं थे।[5][6][7]
ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था का जमकर शोषण व दोहन हुआ जिसके फलस्वरूप 1947 में आज़ादी के समय में भारतीय अर्थव्यवस्था अपने सुनहरी इतिहास का एक खंडहर मात्र रह गई।
आज़ादी के बाद से भारत का झुकाव समाजवादी प्रणाली की ओर रहा। सार्वजनिक उद्योगों तथा केंद्रीय आयोजन को बढ़ावा दिया गया। बीसवीं शताब्दी में सोवियत संघ के साथ साथ भारत में भी इस प्रणाली का अंत हो गया। 1991 में भारत को भीषण आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा जिसके फलस्वरूप भारत को अपना सोना तक गिरवी रखना पड़ा। उसके बाद नरसिंह राव की सरकार ने वित्तमंत्री मनमोहन सिंह के निर्देशन में आर्थिक सुधारों की लंबी कवायद शुरु की जिसके बाद धीरे धीरे भारत विदेशी पूँजी निवेश का आकर्षण बना और संराअमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी बना। १९९१ के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था में सुदृढ़ता का दौर आरम्भ हुआ। इसके बाद से भारत ने प्रतिवर्ष लगभग 8% से अधिक की वृद्धि दर्ज की। अप्रत्याशित रूप से वर्ष २००३ में भारत ने ८.४ प्रतिशत की विकास दर प्राप्त की जो दुनिया की अर्थव्यवस्था में सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का एक संकेत समझा गया। यही नहीं 2005-06 और 2007-08 के बीच लगातार तीन वर्षों तक 9 प्रतिशत से अधिक की अभूतपूर्व विकास दर प्राप्त की। कुल मिलाकर 2004-05 से 2011-12 के दौरान भारत की वार्षिक विकास दर औसतन 8.3 प्रतिशत रही किंतु वैश्विक मंदी की मार के चलते 2012-13 और 2013-14 में 4.6 प्रतिशत की औसत पर पहुंच गई। लगातार दो वर्षों तक 5 प्रतिशत से कम की स.घ.उ. विकास दर, अंतिम बार 25 वर्ष पहले 1986-87 और 1987-88 में देखी गई थी।[8]
सकल घरेलू उत्पाद
संपादित करें2013-14 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद भारतीय रूपयों में - 113550.73 अरब रुपये था।[8]
आंकड़ा श्रेणियां | 2009-10 | 2010-11 | 2011-12 | 2012-13 | 2013-14 |
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स.घ.उ. (रु करोड़) (वर्तमान बाजार मूल्य) |
6477827 | 7784115 | 9009722 | 10113281 | 11355073 |
वृद्धि दर (%) | 15.1 | 20.2 | 15.7 | 12.2 | 12.3 |
स.घ.उ. (रु करोड़) (घटक लागत 2004-05 के मूल्य पर) |
4516071 | 4918533 | 5247530 | 5482111 | 5741791 |
वृद्धि दर (%) | 8.6 | 8.9 | 6.7 | 4.5 | 4.7 |
प्रति व्यक्ति निवल राष्ट्रीय आय (मौजूदा कीमतों पर उपादान लागत) |
46249 | 54021 | 61855 | 67839 | 4380 |
विभिन्न क्षेत्रों का योगदान
संपादित करेंकिसी समय में भारत कृषि प्रधान देश था किंतु नए आँकड़े बताते हैं कि यह देश अपनी विकास की यात्रा में काफी आगे निकल गया है तथा विकसित देशों के इतिहास को दोहराते हुए द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों का योगदान जीडीपी में बढ़ोतरी का रुझान दर्शा रहा है।[8]
आंकड़ा श्रेणियां | 1999-2000 | 2007-08 | 2012-13 | 2013-14 (अनुमान) |
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प्राथमिक क्षेत्र (कृषि और सहबद्ध) |
23.2 | 16.8 | 13.9 | 13.9 |
द्वितीयक क्षेत्र (उद्योग, खनन, विनिर्माण) |
26.8 | 28.7 | 27.3 | 26.2 |
तृतीयक क्षेत्र (सेवाएँ - व्यापार, होटल, परिवहन, संचार, वित्त बीमा आदि) |
50.00 | 54.4 | 58.8 | 59.9 |
भारत बहुत से उत्पादों के सबसे बड़े उत्पादको में से है। इनमें प्राथमिक और विनिर्मित दोनों ही आते हैं। भारत दूध का सबसे बडा उत्पादक है ओर गेंहू, चावल, चाय,चीनी, और मसालों के उत्पादन में अग्रणियों मे से एक है यह लौह अयस्क, वाक्साईट, कोयला और टाईटेनियम के समृद्ध भंडार हैं।
यहाँ प्रतिभाशाली जनशक्ति का सबसे बडा पूल है। लगभग २ करोड भारतीय विदेशों में काम कर रहे है। और वे विश्व अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं। भारत विश्व में साफ्टवेयर इंजीनियरों के सबसे बडे आपूर्ति कर्त्ताओं में से एक है और सिलिकॉन वैली में सयुंक्त राज्य अमेरिका में लगभग ३० % उद्यमी पूंजीपति भारतीय मूल के है।
भारत में सूचीबद्ध कंपनियों की संख्या अमेरिका के पश्चात दूसरे नम्बर पर है। लघु पैमाने का उद्योग क्षेत्र, जोकि प्रसार शील भारतीय उद्योग की रीड की हड्डी है, के अन्तर्गत लगभग ९५% औद्योगिक इकाईयां आती है। विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन का ४०% और निर्यात का ३६% ३२ लाख पंजीकृत लघु उद्योग इकाईयों में लगभग एक करोड ८० लाख लोगों को सीधे रोजगार प्रदान करता है।
वर्ष २००३-२००४ में भारत का कुल व्यापार १४०.८६ अरब अमरीकी डालर था जो कि सकल घरेलु उत्पाद का २५.६% है। भारत का निर्यात ६३.६२% अरब अमरीकी डालर था और आयात ७७.२४ अरब डालर। निर्यात के मुख्य घटक थे विनिर्मित सामान (७५.०३%) कृषि उत्पाद (११.६७%) तथा लौह अयस्क एवं खनिज (३.६९%)।
वर्ष २००३-२००४ में साफ्टवेयर निर्यात, प्रवासी द्वारा भेजी राशि तथा पर्यटन के फलस्वरूप बाह्य अर्जन २२.१ अरब अमेरिकी डॉलर का हो गया।
विदेशी मुद्रा भंडार
संपादित करेंजून २०२१ तक भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार 605.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो गया। अमेरिकी डॉलर की कीमत 75 रुपए के स्तर पर जा पहुँची[8]
आंकड़ा श्रेणियां | 2009-10 | 2010-11 | 2011-12 | 2012-13 | 2013-14 |
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विदेशी मुद्रा भंडार (बिलियन अमेरिकी डॉलर) |
279.1 | 304.8 | 294.4 | 292.0 | 304.2 |
औसत विनिमय दर (रु / अमेरिकी डॉलर) |
47.44 | 45.56 | 47.92 | 54.41 | 60.5 |
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
संपादित करेंवैश्विक निर्यातों और आयातों में भारत का हिस्सा वर्ष 2000 में क्रमशः 0.7 प्रतिशत और 0.8 प्रतिशत से बढ़ता हुआ वर्ष 2013 में क्रमशः 1.7 प्रतिशत और 2.5 प्रतिशत हो गया। भारत के कुल वस्तु व्यापार में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है जिसका सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सा 2000-01 के 21.8 प्रतिशत से बढ़कर 2013-14 में 44.1 प्रतिशत हो गया।[8]
भारत का वस्तु निर्यात 2013-14 में 312.6 बिलियन अमरीकी डॉलर (सीमा शुल्क आधार पर) तक जा पहुंचा। इसने 2012-13 के दौरान की 1.8 प्रतिशत के संकुचन की तुलना में 4.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।[8]
2012-13 की तुलना में 2013-14 में आयातों के मूल्य में 8.3 प्रतिशत की गिरावट हुई जिसकी वजह तेल-भिन्न आयातों में 12.8 प्रतिशत की गिरावट रही। सरकार द्वारा किए गए अनेक उपायों के कारण सोने का आयात 2011-12 के 1078 टन से कम होकर 2012-13 में 1037 टन तथा और कम होकर 2013-14 में 664 टन रह गया। मूल्य के संदर्भ में, सोने और चांदी के आयात में 2013-14 में 40.1 प्रतिशत की गिरावट हुई और वह 33.4 बिलियन अमरीकी डॉलर के स्तर पर आ गया। 2013-14 में आयातों में हुई जबरस्त गिरावट और साधारण निर्यात वृद्धि के परिणामस्वरूप भारत का व्यापार घाटा 2012-13 के 190.3 बिलियन अमरीकी डॉलर से कम होकर 137.5 बिलियन अमरीकी डॉलर के स्तर पर आ गया जिससे चालू व्यापार घाटे में कमी आई।
चालू खाता घाटा
संपादित करें2012-13 में कैड में भारी वृद्धि हुई और यह 2011-12 के 78.2 बिलियन अमरीकी डॉलर से कहीं अधिक 88.2 बिलियन अमरीकी डॉलर (स.घ.उ. का 4.7 प्रतिशत) के रिकार्ड स्तर पर जा पहुंचा। सरकार द्वारा शीघ्रतापूर्वक किए गए कई उपायों जैसे सोने के आयात पर प्रतिबंध आदि के परिणामस्वरूप, व्यापार घाटा 2012-13 के 10.5 प्रतिशत से घटकर 2013-14 में सकल घरेलू उत्पाद का 7.9 प्रतिशत रह गया।[8]
विदेशी ऋण
संपादित करेंभारत का विदेशी ऋण स्टॉक मार्चांत 2012 के 360.8 बिलियन अमरीकी डॉलर के मुकाबले मार्चांत 2013 में 404.9 बिलियन अमरीकी डॉलर था। दिसम्बर 2013 के अंत तक यह बढ़कर 426.0 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।[8] चूंकि एक बिलियन डॉलर = एक अरब डॉलर इसलिए 426 बिलियन डॉलर = 426अरब डॉलर अब चूंकि एक डाॅलर= 60 रुपये इसलिए 426 अरब डॉलर = 426*60 अरब रुपये अर्थात 25560 अरब रुपये अर्थात 25560*100 करोड़ रुपये =2556000 करोड़ रुपये =पच्चीस लाख छप्पन हजार करोड़ रुपये।
रोजगार
संपादित करेंभारत में रोजगार देने में विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिशत योगदान[9] :
क्षेत्र/वर्ष | 1999-2000 | 2004-05 | 2011-12 |
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प्राथमिक (कृषि आदि) | 59.9 | 58.5 | 48.9 |
द्वितीयक (उद्योग आदि) | 16.4 | 18.2 | 24.3 |
तृतीयक (सेवाएँ) | 23.7 | 23.3 | 26.9 |
कर प्रणाली
संपादित करेंभारत के केन्द्र सरकार द्वारा अर्जित आय[10] :
आँकड़े करोड़ रुपयों में नोट: १ करोड़ = १० मिलियन
नोट- योग में अंतर "अन्य" करों के कारण है।Head | 2009-10 | 2010-11 | 2011-12 | 2012-13 | 2013-14 |
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व्यक्तिगत आयकर | 122475 | 139069 | 164485 | 196512 | 237789 |
निगम कर | 244725 | 298688 | 322816 | 356326 | 394677 |
कुल प्रत्यक्ष कर | 367648 | 438477 | 488113 | 553705 | 633473 |
कस्टम | 83324 | 135813 | 149328 | 165346 | 172132 |
एक्साईज़ | 102991 | 137701 | 144901 | 175845 | 169469 |
सेवा कर (सर्विस टैक्स) | 58422 | 71016 | 97509 | 132601 | 154630 |
कुल अप्रत्यक्ष कर | 244737 | 344530 | 391738 | 473792 | 496231 |
कुल कर राजस्व | 624528 | 793072 | 889177 | 1036235 | 1133832 |
राजसहायता (सब्सिडी)
संपादित करेंभारत में राजसहायता प्राप्त प्रमुख मदों की सूची तथा 2013-14 के आँकड़े व 2014-15 के बजट प्रावधान इस प्रकार हैं[11]:
मद | 2014-15 (बजट प्रावधान) |
2013-14 (जुलाई 2014 के संशोधित अनुमान) |
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उर्वरक सब्सिडी | 67970.30 | 67971.50 |
खाद्य सब्सिडी | 115000.00 | 92000.00 |
पैट्रोलियम सब्सिडी | 63426.95 | 85480.00 |
ब्याज सब्सिडी | 8462.88 | 8174.85 |
अन्य सब्सिडी | 847.49 | 1889.90 |
2008-09 के बाद से केन्द्रीय राजस्व घाटे में बढ़त कराने वाले प्रधान कारणों में से एक कारण सब्सिडियों का उत्तरोत्तर बढ़ते जाना रहा है। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के अनंतिम वास्तविक आंकड़ों के अनुसार, 2013-14 में प्रधान सब्सिडियों का योग 2,47,596 करोड़ रुपए था। सब्सिडियों में तीव्र वृद्धि हुई है जो 2007-08 में स.घ.उ. के 1.42 प्रतिशत से बढ़ती हुई 2012-13 में स.घ.उ. के 2.56 प्रतिशत हो गई, 2013-14 (संशोधित अनुमान) के अनुसार यह स.घ.उ. का 2.26 प्रतिशत थी। उर्वरक सब्सिडी का अंशतः विनियंत्रण हुआ है, इसी प्रकार पेट्रोल की कीमतें विनियंत्रित कर दी गई हैं तथा डीजल की कीमतों में 50 पैसे प्रति लीटर की मासिक बढ़ोतरी करायी जा रही है।
लॉकडाउन अथर्व्यवस्था प्रभाव
संपादित करेंअप्रैल-दिसम्बर 2021 तक की अवधि में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं के हुए निर्यात के वास्तविक आंकड़ों को देखते हुए अब यह कहा जा सकता है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 65,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के पार हो जाने की प्रबल सम्भावना है। जिस गति से वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात बढ़ रहे हैं उससे अब यह माना जा रहा है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 100,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है, जो कि अपने आप में एक इतिहास रच देगा।[12]
भारतीय अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित आंकड़े
संपादित करेंनीचे दी गयी सारणी में १९८० से लेकर २०२३ तक के भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख आर्थिक संसूचक (इंडिकेटर्स) को दर्शाया गया है। जहाँ मुद्रास्फीति ५% से कम है उसे हरे रंग में दर्शाया गया है।[13] वार्षिक बेरोजगारी की दर विश्व बैंक के आकड़ों से लिया गया है, यद्यपि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष इन आंकड़ों को अविश्वसनीय मानता है।[14]
वर्ष | GDP (in Bil. US$PPP) |
GDP प्रति व्यल्ति (in US$ PPP) |
GDP (in Bil. US$nominal) |
GDP प्रति व्यक्ति (in US$ nominal) |
GDP growth (real) |
मुद्रास्फीति की दर (in Percent) |
बेरोजगारी (in Percent) |
सरकारी ऋण (in % of GDP) |
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1980 | 371.9 | 532.0 | 189.4 | 271.0 | 6.74% | 11.3% | n/a | n/a |
1981 | 431.5 | 603.2 | 196.5 | 274.7 | 6.01% | 12.7% | n/a | n/a |
1982 | 474.1 | 647.5 | 203.5 | 278.0 | 3.5% | 7.7% | n/a | n/a |
1983 | 528.6 | 705.3 | 222.0 | 296.3 | 7.3% | 12.6% | n/a | n/a |
1984 | 568.6 | 741.4 | 215.6 | 281.1 | 3.8% | 5.2% | n/a | n/a |
1985 | 617.4 | 787.1 | 237.6 | 302.9 | 5.3% | 5.56%[15] | n/a | n/a |
1986 | 659.9 | 822.8 | 252.8 | 315.2 | 4.8% | 7.8%[16] | n/a | n/a |
1987 | 703.0 | 857.7 | 283.8 | 346.2 | 4.0% | 9.1% | n/a | n/a |
1988 | 797.9 | 952.7 | 299.6 | 357.8 | 10.18% | 7.2% | n/a | n/a |
1989 | 878.5 | 1,027.0 | 301.2 | 352.2 | 5.9% | 4.6% | n/a | n/a |
1990 | 961.8 | 1,101.3 | 326.6 | 374.0 | 5.5% | 11.2% | n/a | n/a |
1991 | 1,004.8 | 1,127.4 | 274.8 | 308.4 | 1.1% | 13.5% | 5.6% | 75.3% |
1992 | 1,084.1 | 1,192.2 | 293.3 | 322.5 | 5.5% | 9.9% | 5.7% | 77.4% |
1993 | 1,162.5 | 1,253.5 | 284.2 | 306.4 | 4.8% | 7.3% | 5.7% | 77.0% |
1994 | 1,266.4 | 1,339.2 | 333.0 | 352.2 | 6.7% | 10.3% | 5.7% | 73.5% |
1995 | 1,390.8 | 1,442.9 | 366.6 | 380.3 | 7.6% | 10.0% | 5.8% | 69.7% |
1996 | 1,523.2 | 1,550.6 | 399.8 | 407.0 | 7.6% | 9.4% | 5.7% | 66.0% |
1997 | 1,612.3 | 1,610.8 | 423.2 | 422.8 | 4.1% | 6.8% | 5.6% | 67.8% |
1998 | 1,731.2 | 1,698.1 | 428.8 | 420.6 | 6.2% | 13.1% | 5.7% | 68.1% |
1999 | 1,904.2 | 1,834.4 | 466.9 | 449.8 | 8.5% | 5.7% | 5.7% | 70.0% |
2000 | 2,024.7 | 1,916.3 | 476.6 | 451.1 | 4.0% | 3.8% | 5.6% | 73.6% |
2001 | 2,172.7 | 2,021.1 | 494.0 | 459.5 | 4.9% | 4.3% | 5.6% | 78.7% |
2002 | 2,292.8 | 2,097.1 | 524.0 | 479.2 | 3.9% | 4.0% | 5.5% | 82.9% |
2003 | 2,523.8 | 2,270.6 | 618.4 | 556.3 | 7.9% | 3.9% | 5.6% | 84.4% |
2004 | 2,795.0 | 2,474.2 | 721.6 | 638.8 | 7.8% | 3.8% | 5.6% | 83.4% |
2005 | 3,150.3 | 2,745.1 | 834.2 | 726.9 | 9.3% | 4.4% | 5.6% | 81.0% |
2006 | 3,548.3 | 3,044.5 | 949.1 | 814.4 | 9.3% | 6.7% | 5.6% | 77.2% |
2007 | 4,001.4 | 3,381.8 | 1,238.7 | 1,046.9 | 10.3% | 6.2% | 5.6% | 74.1% |
2008 | 4,236.8 | 3,528.7 | 1,224.1 | 1,019.5 | 3.9% | 9.1% | 5.4% | 72.8% |
2009 | 4,625.5 | 3,798.5 | 1,365.4 | 1,121.2 | 7.9% | 12.3% | 5.5% | 71.5% |
2010 | 5,161.4 | 4,181.7 | 1,708.5 | 1,384.2 | 8.5% | 10.5% | 5.5% | 66.4% |
2011 | 5,618.4 | 4,493.7 | 1,823.1 | 1,458.1 | 6.6% | 9.5% | 5.4% | 68.6% |
2012 | 6,153.2 | 4,861.2 | 1,827.6 | 1,443.9 | 5.5% | 10.0% | 5.4% | 68.0% |
2013 | 6,477.5 | 5,057.2 | 1,856.7 | 1,449.6 | 6.4% | 9.4% | 5.4% | 67.7% |
2014 | 6,781.0 | 5,233.9 | 2,039.1 | 1,573.9 | 7.4% | 5.8% | 5.4% | 67.1% |
2015 | 7,159.8 | 5,464.9 | 2,103.6 | 1,605.6 | 8.0% | 4.9% | 5.4% | 69.0% |
2016 | 7,735.0 | 5,839.9 | 2,294.8 | 1,732.6 | 8.3% | 4.5% | 5.4% | 68.9% |
2017 | 8,276.9 | 6,112.1 | 2,702.9 | 1,958.0 | 6.8% | 3.6% | 5.4% | 69.7% |
2018 | 9,023.0 | 6,590.9 | 2,702.9 | 1,974.4 | 6.5% | 3.4% | 5.3% | 70.4% |
2019 | 9,540.4 | 6,897.8 | 2,835.6 | 2,050.2 | 4.2% | 4.8% | 5.3% | 75.0% |
2020 | 9,101.3 | 6,517.8 | 2,671.6 | 1,913.2 | -5.8% | 6.1% | 8.0% | 88.5% |
2021 | 10,370.8 | 7,355.4 | 3,150.3 | 2,234.3 | 9.1% | 5.5% | 6.0% | 83.7% |
2022 | 11,900.7 | 8,397.5 | 3,389.7 | 2,391.9 | 7.2% | 6.7% | 7.3% | 81.0% |
2023 | 13,119.6 | 9,183.4 | 3,732.2 | 2,612.5 | 6.3% | 5.5% | 8.7% | 81.9% |
2024 | 14,261.2 | 9,891.8 | 4,105.4 | 2,847.6 | 6.3% | 4.6% | n/a | 82.3% |
2025 | 15,469.1 | 10,634.6 | 4,511.8 | 3,101.8 | 6.3% | 4.1% | n/a | 82.2% |
2026 | 16,765.2 | 11,426.4 | 4,951.6 | 3,374.8 | 6.3% | 4.1% | n/a | 81.8% |
2027 | 18,155.7 | 12,270.8 | 5,427.4 | 3,668.2 | 6.3% | 4.0% | n/a | 81.2% |
2028 | 19,650.2 | 13,173.3 | 5,944.4 | 3,985.0 | 6.3% | 4.0% | n/a | 80.5% |
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ "भारत बना दुनिया की पाँचवी सबसे बड़ी इकॉनमी". नवभारत टाईम्स. 30 अप्रैल 2014. मूल से 2 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 अप्रैल 2014.
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बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- भारत के वित्त मंत्रालय का आधिकारिक जालस्थल
- ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
- भारतीय अर्थव्यवस्था (स्टेट ट्रेडिंग कारपोरेशन)
- भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बना Archived 2020-05-22 at the वेबैक मशीन (फरवरी २०२०)
- आईएचएस मार्किट का दावा: भारत 2030 तक एशिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, ब्रिटेन और जर्मनी को भी छोड़ देगा पीछे (८ जनवरी, २०२२)
- मोदी राज में अर्थव्यवस्था मजबूत: सबसे तेज रहेगी भारत की विकास दर (१४ जनवरी २०२२)
- UN ने लगाया अनुमान, सबसे तेजी से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था (मई, २०२२)
- IMF 'corrects' maths, says India to be $5-trillion economy by FY27 (२० मई, २०२२)
- २०२७ तक जापान और जर्मनी को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी बनेगा भारत (अगस्त २०२३)
- धुआंधार रफ्तार से दौड़ी इकॉनमी, तीसरी तिमाही में 8.4% ग्रोथ, धरे रह गए सारे अनुमान (मार्च २०२४)
- जब चीन-जापान परेशान, इंडियन GDP रिकॉर्डतोड़ कैसे? (मार्च, २०२४)
- वैश्विक चुनौतियों से निपटते हुए भारत के सिर पर सजा सबसे तेज अर्थव्यवस्था का ताज (दिसम्बर, २०२४)