शिवलिंग

हिंदू भगवान शिव का प्रतिमाविहीन चिह्न
(लिंगम से अनुप्रेषित)

शिवलिंग (अर्थात प्रतीक, निशान या चिह्न) इसे लिंगा, पार्थिव-लिंग, लिंगम् या शिवा लिंगम् भी कहते हैं। यह हिंदू भगवान शिव का प्रतिमाविहीन चिह्न है। यह प्राकृतिक रूप से स्वयम्भू व अधिकतर शिव मंदिरों में स्थापित होता है।[1][2] शिवलिंग को सामान्यतः गोलाकार मूर्तितल पर खड़ा दिखाया जाता है, जिसे[3] पीठम् या पीठ कहते हैं।[4][5][6] लिंगायत मत के अनुयायी 'इष्टलिंग' नामक शिवलिंग पहनते हैं।[7][8]

त्रिपुण्ड्र तिलक से सजा हुआ शिवलिंग 

विभिन्न हिंदू परंपराओं में शिवलिंग की परिभाषा

संपादित करें
 
शिवलिंग की यह व्याख्या शैव सम्प्रदाय की प्रमुख परम्परा - शैव सिद्धांत के अनुसार है। शिवलिंग का ऊपरला हिस्सा परशिव और निचला हिस्सा यानी पीठम् पराशक्ति को दर्शाता है। पराशक्ति एवं परशिव भगवान शिव की दो परिपूर्णताएँ हैं।

शैव संप्रदाय; हिंदू धर्म की 4 प्रमुख संप्रदायों (वैष्णव, शैव, शाक्त, स्मार्त)में से एक है। शैव सिद्धांत जो शैव संप्रदाय की प्रमुख परम्पराओं में से एक है उसमें भगवान शिव की 3 परिपूर्णताएँ: परशिव, पराशक्ति और परमेश्वर बताई गई हैं।[9] शिवलिंग का ऊपरी अंडाकार भाग परशिव का प्रतिनिधित्व करता है व निचला हिस्सा यानी पीठम् पराशक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। परशिव परिपूर्णता में भगवान शिव मानव समझ और समस्त विशेषताओं से परे एक परम् वास्तविकता है। इस परिपूर्णता में भगवान शिव निराकार, शाश्वत और असीम है। पराशक्ति परिपूर्णता में भगवान शिव सर्वव्यापी, शुद्ध चेतना, शक्ति और मौलिक पदार्थ के रूप में मौजूद है। पराशक्ति परिपूर्णता में भगवान शिव का आकार है परन्तु परशिव परिपूर्णता में वे निराकार हैं।[10][11][12][13]

सामान्यतः पत्थर, धातु व चिकनी मिट्टी से बना स्तम्भाकार या अंडाकार(अंडे के आकार का) शिवलिंग भगवान शिव की निराकार सर्वव्यापी वास्तविकता को दर्शाता है। भगवान शिव का प्रतीक शिवलिंग - सर्वशक्तिमान निराकार प्रभु की याद दिलाता है।[14] शैव हिन्दू सम्प्रदाय के मंदिरों में शिवलिंग कोमल व बेलनाकार होता है। यह सामान्यतः मंदिर के केंद्र यानी गर्भगृह में शक्ति का प्रतिनिधित्व करते गोलाकार पीठम् पर खड़ा दिखाया जाता है।[15] भारतीय समाज में पारंपरिक रूप से शिवलिंग को भगवान शिव की ऊर्जा का रूप भी माना जाता है।[16]

उत्पत्ति

संपादित करें

सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई के दौरान कालीबंगा और अन्य खुदाई के स्थलों पर मिले पकी मिट्टी के शिवलिंगों से प्रारंभिक शिवलिंग पूजन के सबूत मिले हैं। सबूत यह दर्शाते हैं कि शिवलिंग की पूजा 3500 ईसा पूर्व से 2300 ईसा पूर्व भी होती थी।[17][18]

 मानवविज्ञानी क्रिस्टोफर जॉन फुलर ने लिखा है कि हालांकि अधिकांश मुर्तियाँ मानवरूपी मिली हैं परन्तु शिवलिंग एक महत्वपूर्ण अपवाद है। [19] कुछ का मानना है कि शिवलिंग-पूजा स्वदेशी भारतीय धर्म की एक विशेषता थी।[20]

अथर्ववेद के स्तोत्र में एक स्तम्भ की प्रशंसा की गई है, संभवतः इसी से शिवलिंग की पूजा शुरू हुई हो। अथर्ववेद के स्तोत्र में अनादि और अनंत स्तंभ का विवरण दिया गया है और यह कहा गया है कि वह साक्षात् ब्रह्म है (यहाँ भगवान ब्रह्मा की बात नहीं हो रही है)। स्तम्भ की जगह शिवलिंग ने ले ली है।[21][22] लिङ्ग पुराण में अथर्ववेद के इस स्तोत्र का कहानियों द्वारा विस्तार किया गया है जिसके द्वारा स्तम्भ एवं भगवान शिव की महिमा का गुणगान किया गया है। 

शिव पुराण में शिवलिंग की उत्पत्ति का वर्णन अग्नि स्तंभ के रूप में किया गया है जो अनादि व अनंत है और जो समस्त कारणों का कारण है।[23] लिंगोद्भव कथा में परमेश्वर शिव ने स्वयं को अनादि व अनंत अग्नि स्तंभ के रूप में ला कर भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु को अपना ऊपरला व निचला भाग ढूंढने के लिए कहा और उनकी श्रेष्ठता तब साबित हुई जब वे दोनों अग्नि स्तंभ का ऊपरला व निचला भाग ढूंढ नहीं सके।[24] शिवलिंग के ब्रह्मांडीय स्तंभ की व्याख्या का समर्थन लिङ्ग पुराण भी करता है।[25] लिङ्ग पुराण के अनुसार शिवलिंग निराकार ब्रह्मांड वाहक है - अंडाकार पत्थर ब्रह्मांड का प्रतीक है और पीठम् ब्रह्मांड को पोषण व सहारा देने वाली सर्वोच्च शक्ति है।[26] इसी तरह की व्याख्या स्कन्द पुराण में भी है, इसमें यह कहा गया है "अनंत आकाश (वह महान शून्य जिसमें समस्त ब्रह्मांड वसा है) शिवलिंग है और पृथ्वी उसका आधार है। समय के अंत में, समस्त ब्रह्मांड और समस्त देवता व इश्वर शिवलिंग में विलीन हो जाएँगें।" [27] महाभारत में द्वापर युग के अंत में भगवान शिव ने अपने भक्तों से कहा कि आने वाले कलियुग में वह किसी विशेष रूप में प्रकट नहीं होगें परन्तु इसके बजाय वह निराकार और सर्वव्यापी रहेंगे। [उद्धरण चाहिए]

 अथर्ववेद के इन निम्न श्लोकों में स्तंभ का उल्लेख हुआ है:

  • यस्य त्रयसि्ंत्रशद् देवा अग्डे. सर्वे समाहिताः । स्कम्भं तं ब्रूहि कतमः सि्वदेव सः ।। अथर्ववेद कांड 10 सूक्त 7 श्लोक 13

अर्थार्त: कौन मुझे स्तम्भ के बारे में बता सकता है। जिसके देह में सभी तैंतीस इश्वर विराजमान हैं?[28][29]

  • स्कम्भो दाधार द्यावापृथिवी उभे इमे स्कम्भो दाधारोर्वन्तरिक्षम् । स्कम्भो दाधार प्रदिशः षडुर्वीः स्कम्भ इदं विश्वं भुवनमा विवेश ।। अथर्ववेद कांड 10 सूक्त 7 श्लोक 35

अर्थार्त: स्तंभ ने स्वर्ग, धरती और धरती के वातावरण को थाम रखा है। स्तंभ ने 6 दिशाओं को थाम रखा है और यह स्तंभ संपूर्ण ब्रह्मांड में फैला हुआ है।[30]

जलहरी क्या है

संपादित करें

शिवलिङ्ग की मूर्ति के चारों ओर एक नाली सी बनी होती हैं, इसे जलहरी कहते हैं। यह जलहरी वास्तव में क्या है, यह बहुत कम लोग जानते हैं,[1]

        - शिव पु० कोटि रुद्र संहिता अ० १२


शिवलिङ्ग शिव की निराकार पूजा है ॥ २७ ॥

                   -महा० अनु० पर्व अ० १४


ऐतिहासिक काल

संपादित करें
 
उत्तरी पाकिस्तान में स्थित कटासराज मन्दिर में स्थापित शिवलिंग।
 
जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में भगवान शिव को शिवलिंग के साथ भित्तिचित्र कला में दर्शाया गया है।

शैव सिद्धांत - शैव सम्प्रदाय की प्रमुख उप-संप्रदाय है और एक समय पर भारत उप-महाद्वीप के बाहर (कंबोडिया तक) सबसे प्रभावशाली हिंदू सम्प्रदाय थी। शैव सिद्धांत के अनुसार उपासक को शिवलिंग की स्थापना करनी चाहिए क्यों कि यह सबसे आदर्श अधःस्तर है। [31]

गुडिमल्लन, आंध्र प्रदेश में दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व पुराने शिवलिंग की पूजा की जाती है। इस शिवलिंग पर भगवान शिव की प्रतिमा तराशी गई है। [32]

शिवलिंग का शास्त्रों में उल्लेख

संपादित करें
  • रुद्रो लिङ्गमुमा पीठं तस्मै तस्यै नमो नमः । सर्वदेवात्मकं रुद्रं नमस्कुर्यात्पृथक्पृथक् ॥ रूद्रहृदयोपनिषद श्लोक 23

अर्थ: रुद्र अर्थ व उमा शब्द है। दोनों को साष्टांग प्रणाम है। रुद्र शिवलिंग व उमा पीठम् है। दोनों को साष्टांग प्रणाम है।[33][34][35]

  • पिण्डब्रह्माण्डयोरैक्यं लिङ्गसूत्रात्मनोरपि । स्वापाव्याकृतयोरैक्यं स्वप्रकाशचिदात्मनोः ॥योगकुण्डलिनी उपनिषद् 1.81

अर्थ: संपूर्ण संसार और सूक्ष्म जगत एक है और उसी प्रकार शिवलिंग और सूत्रात्मन्, तत्त्व और रूप, चिदात्मा और आत्म-दीप्तिमान प्रकाश भी एक है।[36][37]

  • निधनपतयेनमः । निधनपतान्तिकाय नमः । ऊर्ध्वाय नमः । ऊर्ध्वलिङ्गाय नमः । हिरण्याय नमः । हिरण्यलिङ्गाय नमः । सुवर्णाय नमः ।सुवर्णलिङ्गाय नमः । दिव्याय नमः । दिव्यलिङ्गाय नमः । भवाय नमः। भवलिङ्गाय नमः । शर्वाय नमः । शर्वलिङ्गाय नमः । शिवाय नमः । शिवलिङ्गाय नमः । ज्वलाय नमः । ज्वललिङ्गाय नमः । आत्माय नमः । आत्मलिङ्गाय नमः । परमाय नमः । परमलिङ्गाय नमः ॥ महानारायण उपनिषद् 16.1

अर्थ: नमस्कारों के साथ समाप्त होने वाले इन बाईस नामों से शिवलिंग सभी के लिए पवित्र बनता है - शिवलिंग सोमा और सूर्य का प्रतिनिधि है और हाथ में पकड़ें पवित्र सूत्रों को दोहराने से सभी शुद्ध होते हैं। [38][39][40]

  • तांश्चतुर्धा संपूज्य तथा ब्रह्माणमेव विष्णुमेव रुद्रमेव विभक्तांस्त्रीनेवाविभक्तांस्त्रीनेव लिङ्गरूपनेव च संपूज्योपहारैश्चतुर्धाथ लिङ्गात्संहृत्य ॥ नृसिंह तापनीय उपनिषद् अध्याय 3

अर्थ: इस प्रकार आनंद अमृत के साथ चार ब्रह्मा (देवता, गुरु, मंत्र और आत्मा), विष्णु, रुद्र पहले अलग-अलग और फिर प्रसाद के साथ शिवलिंग के रूप में एकजुट पूजे जाते हैं।[41][42][43]

  • तत्र द्वादशादित्या एकादश रुद्रा अष्टौ वसवः सप्त मुनयो ब्रह्मा नारदश्च पञ्च विनायका वीरेश्वरो रुद्रेश्वरोऽम्बिकेश्वरो गणेश्वरो नीलकण्ठेश्वरो विश्वेश्वरो गोपालेश्वरो भद्रेश्वर इत्यष्टावन्यानि लिङ्गानि चतुर्विंशतिर्भवन्ति ॥ गोपाला तापानी उपनिषद् श्लोक 41 

अर्थ: बारह आदित्य , ग्यारह रुद्र, आठ वसु, सात ऋषि, ब्रह्मा, नारद, पांच विनायक, वीरेश्वर, रुद्रेश्वर, अंबिकेश्वर, गणेश्वर, नीलकण्ठेश्वर, विश्वेश्वर, गोपालेश्वर, भद्रेश्वर और 24 अन्य शिवलिंगों का यहाँ पर बास है। [44][45][46]

  • तन्मध्ये प्रोच्यते योनिः कामाख्या सिद्धवन्दिता । योनिमध्ये स्थितं लिङ्गं पश्चिमाभिमुखं तथा ॥ ध्यानबिन्दु उपनिषद् श्लोक 45

अर्थ: चेतना जो प्रकृति (उदाहरण: शरीर, कार, भोजन...) में होकर भी जो उससे निर्लिप्त नहीं है वह आत्मा या शिव है। वह यह जानने वाला वेदों का ज्ञाता है। [47][48][49]

  • मात्रालिङ्गपदं त्यक्त्वा शब्दव्यञ्जनवर्जितम् । अस्वरेण मकारेण पदं सूक्ष्मं च गच्छति ॥अमृतबिन्दु उपनिषद् श्लोक 4

अर्थ: मंत्र, लिंग और पाद को छोड़कर, वह स्वाद (उच्चारण) के बिना पाद 'म' के माध्यम से स्वर या व्यंजनों के बिना सूक्ष्म पाद (सीट या शब्द) प्राप्त करता है।.[50][51][52]

  1. जीव शिवलिंग है; यह प्रकाश देने वाली रोशनी है न कि इंद्रियों को भ्रमित करने वाली। तिरुमंत्रम् 1823
  2. उसका रूप अरचित शिवलिंग और दिव्य सदाशिव है। तिरुमंत्रम् 1750
  • लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम्,[54] ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्[55][56][57] और मार्ग सहाय लिङ्ग स्थुथि[58][59] में शिवलिंग की प्रशंसा की गई है और इनमें भगवान शिव से शिवलिंग के रूप में आशीर्वाद माँगा गया है।  
  • शिवलिंग की पूजा से उत्पन्ना हुआ पुण्य त्याग, तपस्या, चढ़ावे व तीर्थ यात्रा से उत्पन्ना हुए पुण्य से हजार गुणा अधिक है। कारणा आगम 9. MT, 66[60]

शैव आगम में कहा गया है कि "कोई भी इस महान परमेश्वर शिव की पूजा मिट्टी, रेत, गाय के गोबर, लकड़ी, पीतल या काले ग्रेनाइट पत्थर से बने शिवलिंग द्वारा सकता है। लेकिन शुद्धतम शिवलिंग स्फटिक (स्फटिक शिवलिंग) से बना होता है, यह पत्थर मनुष्य द्वारा तराशा नहीं जाता है परन्तु प्राकृति द्वारा बनाया गया है। स्फटिक सैकड़ों, हजारों या लाखों वर्षों में अणुओं के इकट्ठा होने पर बनता है। इसका बनना असीम रूप से धीरे धीरे विकसित होने वाले जीवित शरीर की तरह है। प्रकृति की इस तरह की सृष्टि स्वयं ही पूजने योग्य चमत्कार है।"[61][62] हिंदू ग्रंथ स्फटिक को शिवलिंग के लिए उच्चतम प्रदार्थ मानते हैं। [63]

शैव सम्प्रदाय के कारणा आगम के छठवें श्लोक में कहा गया है कि "एक अस्थायी शिवलिंग 12 अलग-अलग सामग्री: रेत, चावल, पकाए भोजन, नदी की मिट्टी, गाय के गोबर, मक्खन, रूद्राक्ष बीज, राख, चंदन, दूब घास, फूलों की माला या शीरा द्वारा बनाया जा सकता है।"[64][65]

मानव निर्मित शिवलिंग

संपादित करें

पन्ना शिवलिंग; पन्ने नामक हरे रंग के कीमती रत्न से बनाया जाता है।

पारद शिवलिंग; जमे हुए ठोस पारे द्वारा बनाया जाता है।[66]

स्फटिक शिवलिंग; रंगहीन या सफेद खनिज (स्फटिक) से बनाया जाता है।

 
अमरनाथ गुफा में शिवलिंग।

प्राकृतिक रूप से मिलने वाले शिवलिंग

संपादित करें

पश्चिमी हिमालय में अमरनाथ नामक गुफा में प्रत्येक शीत ऋतु में गुफा के तल पर पानी टपकाने से बर्फ का शिवलिंग सृजित होता है। यह तीर्थयात्रियों में बहुत लोकप्रिय है।

कदावुल मंदिर में 320 किलोग्राम, 3 फुट उच्चा स्वयंभू स्फटिक शिवलिंग स्थापित है। भविष्य में इस स्फटिक शिवलिंग को ईराइवन मंदिर में स्थापित किया जाएगा। यह सबसे बड़ा ज्ञात स्वयंभू स्फटिक शिवलिंग है।[67][68] हिंदू ग्रंथ स्फटिक को शिवलिंग के लिए उच्चतम प्रदार्थ मानता है। [69]

शिवलिंग 6,543 मीटर (21,467 फीट) उच्चा, उत्तराखंड (हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र) में स्थित पहाड़ है। यह गंगोत्री हिमानी के पास पिरामिड के रूप में उभरता दिखता है। गंगोत्री हिमानी से गोमुख की हिंदू तीर्थयात्रा करते समय यह विशेष कोणों से शिवलिंग जैसा दिखता है। 

आंध्र प्रदेश की बोरा गुफाओं में भी प्राकृतिक स्वयंभू शिवलिंग मौजूद हैं। [70]

बाणलिंग नर्मदा नदी के बिस्तर पर पाए जाते हैं।[71][72]

छत्तीसगढ़ का भूतेश्वर शिवलिंग एक प्राकृतिक चट्टान है जिसकी प्रत्येक बीतते वर्ष के साथ ऊंचाई बढ़ रही है।[73][74] अरुणाचल प्रदेश का सिद्धेश्वर नाथ मंदिर का शिवलिंग सबसे उच्चा प्राकृतिक शिवलिंग माना जाता है।[75][76][77]

नक्काशी किए हुए शिवलिंग

संपादित करें

मुखलिंगा पर भगवान शिव के एक या अधिक चेहरों की नक्काशी की गई हुई होती है। इन पर आम तौर से एक, चार या पांच चेहरों की नक्काशी की गई होती है।[78][79]

लिंगोद्भव शिवलिंग पर लिंगोद्भव कथा की नक्काशी गई है। इस कथा में विष्णु और ब्रह्मा अग्नि-स्तम्भ रूपी भगवान शिव का छोर खोजने की चेष्टा करते हैं।[80][81]

चित्रशाला

संपादित करें

<gallery> चित्र:Nepalese stone linga SF Asian Art Museum.JPG|नेपाल में 10वीं शताब्दी का चारमुखी शिवलिंग (मुखलिंगम्) चित्र:Mukhalinga.JPG|गुप्ता युग का एक मुखी मुखलिंगम् चित्र:Pashupatinath Mandsaur.jpg|मंदसौर, मध्य प्रदेश के पशुपतिनाथ मन्दिर में आठ-मुखी मुखलिंगम् चित्र:Lingodbhava Shiva.jpg|लिंगोद्भव कथा में परमेश्वर शिव ने स्वयं को अनादि व अनंत अग्नि स्तंभ के रूप में ला कर भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु को अपना ऊपरला व निचला भाग ढूंढने के लिए कहा और उनकी श्रेष्ठता तब साबित हुई जब वे दोनों अग्नि स्तंभ का ऊपरला व निचला भाग ढूंढ नहीं सके। चित्र:Lingothbhavar.jpg|दारासुरम के एरावतेश्वर मंदिर में 10वीं शताब्दी ईसा पूर्व का लिंगोद्भव शिवलिंग चित्र:British Museum - Shiva as Lingodbhava Murti.JPG|ब्रिटिश संग्रहालय में लिंगोद्भव शिवलिंग </gallery वाराणसी का ज्ञानवापी शिवलिंग जो कई वर्षो से विश्वेश्वर नाम से बाब की नगरी मे स्वयं प्रकट हुआ

यह भी देखें

संपादित करें

शिव

शैव सिद्धांत

शैव संप्रदाय

  1. Johnson, W.J. (2009). A dictionary of Hinduism (1st संस्करण). Oxford: Oxford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780191726705. मूल से 18 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 January 2016. नामालूम प्राचल |subscription= की उपेक्षा की गयी (मदद)(subscription or UK public library membership Archived 2019-10-17 at the वेबैक मशीन required)
  2. Fowler, Jeaneane (1997). Hinduism : beliefs and practices. Brighton [u.a.]: Sussex Acad. Press. पपृ॰ 42–43. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781898723608. मूल से 22 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  3. Balfour, Edward "Cyclopaedia of India and of Eastern and Southern Asia" Vol. 3 pg. 482
  4. Dancing with Siva. USA. 1999. search:- "pīṭha: पीठ". आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780945497943. मूल से 12 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  5. "Official website of elloracaves". elloracaves. मूल से 22 जुलाई 2019 को पुरालेखित.
  6. "Jyotir Linga Shiva Temples". sacredsites. मूल से 13 अप्रैल 2004 को पुरालेखित.
  7. "Lingayats wearing Lingam". मूल से 24 जून 2018 को पुरालेखित.
  8. "lingayatism". मूल से 24 जून 2018 को पुरालेखित.
  9. sivaya subramuniyaswami (2001). Dancing with Siva. USA: Himalayan Academy. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0945497970.
  10. sivaya subramuniyaswami (2001). Dancing with Siva. USA: Himalayan Academy. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0945497970.
  11. sivaya subramuniyaswami (2001). Dancing with Siva. USA: Himalayan Academy. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0945497970.
  12. sivaya subramuniyaswami (2001). Dancing with Siva. USA: Himalayan Academy. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0945497970.
  13. "Dictionary of Dancing with Siva". Search for the 'Paraśiva: परशिव' and 'Parāśakti: पराशक्ति'. मूल से 12 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  14. Das, Subhamoy. "What is Shiva Linga?". About.com. मूल से 9 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 February 2017.
  15. "lingam". Encyclopædia Britannica. 2010. मूल से 4 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  16. Sivananda (1996). Lord Siva and His Worship. Worship of Siva Linga: The Divine Life Trust Society. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7052-025-8. मूल से 18 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 फ़रवरी 2018.
  17. Tanga, Surbhi Gupta (August 2016). "Call for an International Museum & Research Center for Harrapan Civilization, at Rakhigarhi" (PDF). INTACH Haryana newsletter. Haryana State Chapter of INTACH: 33–34. मूल (PDF) से 19 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  18. Lipner, Julius J. (2017). Hindu Images and Their Worship with Special Reference to Vaisnavism: A Philosophical-theological Inquiry (अंग्रेज़ी में). London ; New York: Routledge, Taylor & Francis Group. पृ॰ 39. OCLC 985345208. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781351967822. मूल से 27 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  19. The Camphor Flame: Popular Hinduism and society in India, pg. 58 Archived 2019-06-27 at the वेबैक मशीन at Books.Google.com
  20. Singh, Nagendra Kr. (1997). Encyclopaedia of Hinduism (1st संस्करण). New Delhi: Centre for International Religious Studies. पृ॰ 1567. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788174881687. मूल से 1 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  21. Harding, Elizabeth U. (1998). "God, the Father". Kali: The Black Goddess of Dakshineswar. Motilal Banarsidass. पपृ॰ 156–157. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-208-1450-9.
  22. Vivekananda, Swami. "The Paris Congress of the History of Religions". The Complete Works of Swami Vivekananda. Vol.4.
  23. Chaturvedi. Shiv Purana (2006 संस्करण). Diamond Pocket Books. पृ॰ 11. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7182-721-3. मूल से 27 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  24. Blurton, T. R. (1992). "Stone statue of Shiva as Lingodbhava". Extract from Hindu art (London, The British Museum Press). British Museum site. मूल से 6 जुलाई 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 July 2010.
  25. "The linga Purana". astrojyoti. मूल से 15 अप्रैल 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 April 2012. . It was almost as if the linga had emerged to settle Brahma and Vishnu’s dispute. The linga rose way up into the sky and it seemed to have no beginning or end.
  26. Sivananda, Swami (1996). "Worship of Siva Linga". Lord Siva and His Worship. The Divine Life Trust Society. मूल से 18 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 फ़रवरी 2018.
  27. "Reading the Vedic Literature in Sanskrit". is1.mum.edu. मूल से 3 March 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 June 2017.
  28. "Atharva veda, Skambha verse 13 english". www.sacred-texts.com/. मूल से 21 जून 2018 को पुरालेखित.
  29. "Atharva veda, Skambha, verse 13, Sanskrit". onlineved. मूल से 15 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  30. "Atharvaveda, Skambha verse 35". Onlineved.com. मूल से 15 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  31. Dominic Goodall, Nibedita Rout, R. Sathyanarayanan, S.A.S. Sarma, T. Ganesan and S. Sambandhasivacarya, The Pañcāvaraṇastava of Aghoraśivācārya: A twelfth-century South Indian prescription for the visualisation of Sadāśiva and his retinue, Pondicherry, French Institute of Pondicherry and École française d'Extrême-Orient, 2005, p.12.
  32. Elgood, Heather (2000). Hinduism and the Religious Arts. London: Cassell. पृ॰ 47. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-8264-9865-6. मूल से 27 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  33. "Translation of Rudrahridya". मूल से 13 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  34. "The unassailable glory of Bhuvaneshwara – the SKAMBHA". महापाशुपतास्त्र. 13 सित॰ 2015. मूल से 20 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  35. "Sanskrit verses Rudrahridaya" (PDF). page 2. मूल (PDF) से 13 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  36. "Translation of Yoga kundalini". verse 81. मूल से 13 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  37. "Sanskrit verse of Yoga kundalini Upanishad". मूल से 13 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  38. "translation of Maha Narayana upniahad".[मृत कड़ियाँ]
  39. "Maha-Narayanopanishad - A Scripture Which Glorifies Lord Shiva - PART II". महापाशुपतास्त्र. 31 जुल॰ 2011. मूल से 25 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  40. "Sanskrit verse of Maha Vishnu Upanishad" (PDF). Page 17. मूल (PDF) से 17 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  41. "nrisimha-tapaniya sanskrit". मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  42. "nrisimha-tapaniya english translation". मूल से 27 सितंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  43. "/nrisimha-tapaniya english". मूल से 10 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  44. "gopala-tapaniya sanskrit". मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित.
  45. "gopala-tapaniya english". मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित.
  46. "gopala-tapaniya english translation". मूल से 1 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित.
  47. "dhyana-bindu sanskrit". मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित.
  48. "dhyana-bindu english translation". मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित.
  49. "dhyana-bindu english transalation". मूल से 27 सितंबर 2012 को पुरालेखित.
  50. "amrita-nada sanskrit". मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित.
  51. "amrita-nada english". मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित.
  52. "mritanada english translation". मूल से 27 सितंबर 2012 को पुरालेखित.
  53. "Tirumantiram" (PDF). page 422 and 407 respectively. मूल (PDF) से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  54. "Lingashtakam - A Prayer To Sivalingam". www.saivism.net. मूल से 22 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जुलाई 2019.
  55. "Shiva Dwadasha Jyotirlinga Stotram". मूल से 31 अगस्त 2018 को पुरालेखित.
  56. "Shiva Dwadasha Jyotirlinga Stotram with meaning". मूल से 15 जून 2018 को पुरालेखित.
  57. "Jyotir Linga Stotram". मूल से 29 सितंबर 2012 को पुरालेखित.
  58. "Marga Sahaya Linga Sthuthi". मूल से 9 जुलाई 2010 को पुरालेखित.
  59. "Marga sahaya linga Sthuthi" (PDF). मूल (PDF) से 15 जून 2018 को पुरालेखित.
  60. "Karana Agama". मूल से 5 अप्रैल 2018 को पुरालेखित.
  61. "A Clear Crystal Vision: The Story of Iraivan's Lingam". himalayanacademy. मूल से 15 अगस्त 2018 को पुरालेखित.
  62. "Gurudeva Siva Vision Day". himalayanacademy. मूल से 28 जून 2018 को पुरालेखित.
  63. "rare crystal lingam". मूल से 28 जून 2018 को पुरालेखित.
  64. "Shiva Lingam Meaning". मूल से 23 अगस्त 2018 को पुरालेखित.
  65. "Making of Lingam". मूल से 10 जुलाई 2018 को पुरालेखित.
  66. "Importance of Parad Shivling in Our Life!". Speakingtree. मूल से 26 जुलाई 2018 को पुरालेखित.
  67. under the section "GENERAL INTRODUCTION". "Kadavul Hindu Temple". Himalayanacademy. मूल से 28 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  68. "Kauai's Hindu Monastery: Iraivan Temple". www.himalayanacademy.com. मूल से 28 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  69. "Rare Crystal Siva Lingam Arrives At Hawaii Temple". hinduismtoday. मूल से 28 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  70. "BORRA CAVES". Arakuvalleytourism. section = LEGEND. मूल से 25 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  71. "Banalingam". divine-energytools.com. मूल से 30 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  72. "srie - Shivalinga - banalingha | Banalinga in Gem Stones | Banalinga in Precious Stones". www.srie.in. मूल से 21 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  73. "Bhuteshwar Shivling". news.yahoo.com. मूल से 30 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  74. "Unbelievable! This Shivling in Chhattisgarh grows every year". Zee News. 18 दिस॰ 2015. मूल से 27 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जुलाई 2019. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  75. "shiva linga ziro". मूल से 30 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  76. "Ziro Lingam".[मृत कड़ियाँ]
  77. "Shivalinga in Kardo Hills in Arunachal Pradesh - Famous Pilgrimage Site". www.tourmyindia.com. मूल से 30 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  78. Andrew David Hardy; Mauro Cucarzi; Patrizia Zolese (2009). Champa and the Archaeology of Mỹ Sơn (Vietnam). पृ॰ NUS Press. pp. 138, 159. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-9971-69-451-7. मूल से 30 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  79. Pratapaditya Pal. Art of Nepal: A Catalogue of the Los Angeles County Museum of Art Collection. University of California Press. पृ॰ 109. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-520-05407-3. मूल से 30 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  80. "Lingodbhava - Origin of Shiva Linga worship". www.templenet.com. मूल से 18 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018.
  81. "ARUNACHALA GRACE: Lingodbhava". 10 जुल॰ 2006. मूल से 1 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2018. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)