अभिनव राज त्रिपाठी
प्रस्तावना
अभिनव राज त्रिपाठी जी इस समय आप विकिमीडिया फाउण्डेशन की परियोजना हिन्दी विकिपीडिया पर हैं। हिन्दी विकिपीडिया एक मुक्त ज्ञानकोष है, जो ज्ञान को बाँटने एवं उसका प्रसार करने में विश्वास रखने वाले दुनिया भर के योगदानकर्ताओं द्वारा लिखा जाता है। इस समय इस परियोजना में 8,11,453 पंजीकृत सदस्य हैं। हमें खुशी है कि आप भी इनमें से एक हैं। विकिपीडिया से सम्बन्धित कई प्रश्नों के उत्तर आप को अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों में मिल जायेंगे। हमें आशा है आप इस परियोजना में नियमित रूप से शामिल होकर हिन्दी भाषा में ज्ञान को संरक्षित करने में सहायक होंगें। धन्यवाद।
विकिनीतियाँ, नियम एवं सावधानियाँ
विकिपीडिया के सारे नीति-नियमों का सार इसके पाँच स्तंभों में है। इसके अलावा कुछ मुख्य ध्यान रखने हेतु बिन्दु निम्नलिखित हैं:
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विकिपीडिया में कैसे योगदान करें?
विकिपीडिया में योगदान देने के कई तरीके हैं। आप किसी भी विषय पर लेख बनाना शुरू कर सकते हैं। यदि उस विषय पर पहले से लेख बना हुआ है, तो आप उस में कुछ और जानकारी जोड़ सकते हैं। आप पूर्व बने हुए लेखों की भाषा सुधार सकते हैं। आप उसके प्रस्तुतीकरण को अधिक स्पष्ट और ज्ञानकोश के अनुरूप बना सकते हैं। आप उसमें साँचे, संदर्भ, श्रेणियाँ, चित्र आदि जोड़ सकते हैं। योगदान से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण कड़ियाँ निम्नलिखित हैं:
अन्य रोचक कड़ियाँ
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(यदि आपको किसी भी तरह की सहायता चाहिए तो विकिपीडिया:चौपाल पर चर्चा करें। आशा है कि आपको विकिपीडिया पर आनंद आएगा और आप विकिपीडिया के सक्रिय सदस्य बने रहेंगे!) |
-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 09:12, 5 मार्च 2019 (UTC)हनुमत स्तुति , मैं मधुगीत गाता चला जा रहा हूँ , ओ मांझी मुझसे अहा न बोल , प्रणय गीत , कौशाम्बी की कालिंदी , श्रेयशी , गुरु गौरवम , वृक्ष महिमा , दर्द - ए - हरूफ़ जैसे अनेक कालजयी रचनाओं के माध्यम से कांची कामकोटि पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वती जी महाराज, श्री प्रभुदत्त ब्रह्मचारी जी महाराज, स्वामी श्री करपात्री जी महाराज , पद्म भूषण महामहोपाध्याय श्री पंo गोपीनाथ कविराज , पूर्व मुख्यमंत्री पंo कमलापति त्रिपाठी, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला जी' आदि अनेक विद्वानों के प्रसंशा प्राप्त करते हुए अपने अंतिम समय तक साहित्य की सेवा करते हुए संस्कृत, हिन्दी, उर्दू के मूर्धन्य विद्वान आदरणीय आचार्य_श्री_जगतपाल_त्रिपाठी_जी ' शेष ' ( भागवत वेत्ता, गीता मनीषी , मानस मराल , व्याकरण भूषण , साहित्यरत्न , भाषाविद , संस्थापक श्री भागवत मण्डल संस्कृत विद्यालय मऊ व, पूर्व प्राचार्य ) जी को पवित्र पावन अविमुक्त क्षेत्र काशी में दिनांक 24 दिसम्बर को शिवासयुज्य प्राप्त हो गया ।