अर्पित पाण्डेय कौलही
प्रस्तावना
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विकिनीतियाँ, नियम एवं सावधानियाँ
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अन्य रोचक कड़ियाँ
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कौलही
संपादित करेंजब भी ग्राम सभा कौलही का नाम लिया जाता है तो एक सभ्यता का चित्र दिमाग मे बनने लगता है।उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के नौतनवा ब्लॉक के अंतर्गत एक गांव आता है कौलही।इस गाँव का इतिहास बहुत पुराना है,कहा जाता है कि श्री सुंदर नाथ पाण्डेय ने इस गांव को बसाया और उन्होंने ने ही इस गांव का नाम कौलही रखा था।जमीदारी प्रथा होने के कारण लोग आते गए और बासते गए।आज भी इस गांव के आस पास के लोग कहते है कि ग्राम सभा कौलही के जमीदार जैसे उदार और सामर्थ्यवान ब्यकित्व सम्पूर्ण भारत मे और कहीं नही है।यह गांव चर्चा में तब आया जब आजादी की लड़ाई में अपना सब कुछ लूटा देने वाले कृष्ण नारायण पाण्डेय इस आजादी के जंग में कूदे।गांधी जी के साथ 12 बार जेल में भी गए।गांव के लोग बताते है कि चर्चा में उनसे कभी कोई नही जीता चाहे चर्चा किसी भी विषय पर हो रही हो।देश आजाद होने के बाद गोरखपुर को जिला बनाया गया जिसमें कौलही भी सम्मिलित था।तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट ने उन्हें स्वतन्त्रता सेनानी पेंशन देना चाहा तो उन्होंने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि यदि इस लड़ाई में स्वयं गांधी पेंसन नही लेते तो मै क्यों लूं।साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आज के बाद कभी भी वो खादी के कुर्ते नही पहनेंगे।उन्होंने कहा जब अंग्रेज हमे लूटते थे परेशान करते थे मारते थे हम तब खादी पहनते थे परंतु अब लोग खादी पहन कर झूठ बोलते है इसलिये आज से खादी का भी परित्याग करता हूं।कहते है कि कृष्ण नारायण पाण्डेय ने अपनी सम्पूर्ण सम्पत्ति को आजादी में लगा दी और उनकी खुद की संतान के लिए कुछ नही छोड़ा।22 गांव के जमीदार के घर के लोगो को गरीबी झेलनी पड़ी परंतु उनके पुत्र भी उनकी तरह ही खुद्दार निकले कभी किसी के समक्ष हाथ नही फैलाया। यद्यपि अब समय बीत गया है कृष्ण नारायण के पोते अर्पित को जब यह कहानी पता चली तो उसने अपने जीवन मे समाजसेवा करने की कसम खाई।गांव के लोगो की उपेक्षा झेलने के बाद भी उसने समाज सेवा का कार्य जारी रखा। विवरण:- कृष्ण नारायण के चार पुत्र हुये.... प्रेम नारायण पाण्डेय इंदु नारायण पांडेय आनंद नारायण पाण्डेय सतीष चंद्र पाण्डेय उम्मीद है आगे इसी प्रकार से कौलही की चर्चाएं होती रहेंगी।
-:लेखक:- अर्पित पाण्डेय समाज सेवी अर्पित पाण्डेय कौलही (वार्ता) 13:39, 19 सितंबर 2019 (UTC)