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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 13:24, 27 सितंबर 2023 (UTC)उत्तर दें

छप्पनिया राठौडो का इतिहास

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*हुकूम जय रघुनाथ जी की।🙏*

*छप्पनिया राठौड़ परिवार के गौरव*-छप्पनिया राठौड़ो की कुलदेवी- माँ नागणेची जी की।

*छप्पनिया राठौड़ो की आराध्य या इष्ट देवी-माँ चामुंडाजी।

*छप्पनिया राठौड़ो के मूल पुरूष-राव सोनिंग जी।

*छप्पनिया राठौड़ो के पितृ  पुरूष-राव कान्हडदेवजी।

*छप्पनिया राठौड़ो का प्रथम रावला-जूनी भीण्डर।

*छप्पनिया राठौड़ो की स्वतंत्र राजधानी-सलुम्बर।

*छप्पनिया राठौड़ो के महाराणा कुम्भा-राव कान्हदेव राठौड़।

*छप्पनिया राठौड़ो की गंगा-गोमती नदी।

*छप्पनिया राठौड़ो के इष्ट देव-रखेश्वर महादेव (जयसमंद अभ्यारण्य मे)

*छप्पनिया राठौड़ो के प्रतापी महापुरुष-रावत रामसिंह जी  द्वितीय (झाडोल)

*छप्पनिया राठौड़ो के लोक देवता -वीरवर कल्लाजी राठौड़, वीरवर रामा राठौड़ ,वीरवर रायभाणजी राठौड़।

*छप्पनिया राठौड़ो की सती माता -सारंगदेवोत जी व चुण्डावत जी (सेलिंग तालाब की पाल)

*छप्पनिया राठौड़ो  की द्वारका-त्रिविक्रम रणछोड़ राय मन्दिर

(सुरखण्ड का खेडा)

*छप्पनिया राठौड़ो  के महाराणा प्रताप-रावराजा सिंहा जी राठौड़ (सलुम्बर)

*छप्पनिया राठौड़ो के प्रारम्भिक शहीद-राव कान्हडदेवजी  व राव करमसी जी भीण्डर (चित्तौड़ का प्रथम साका 1303ई)

*छप्पनिया राठौड़ो का वतन -छप्पन प्रदेश।

*छप्पनिया राठौड़ो के जनहित योद्धा-राव अभयसिंह जी बम्बोरा (जिन्होंने बडौदा के चौरासीमलक की हत्या करके स्त्री चरित्रहनन कर्ता को नरक पहुंचाया)

*छप्पनिया राठौड़ो का पाटवी ठिकाना-सल्लाडा।

*छप्पनिया राठौड़ो का अन्तिम राजवी ठिकाना-कन्तोडा (मेवाड़)

*छप्पनिया राठौड़ो के मीणीजाया भाई-कलासुआ आदिवासी।

*छप्पनिया राठौड़ो की सबसे बडी उप शाखा (जनसंख्या)-कोल्हावत (70%)

*छप्पनिया राठौड़ो के कुलगुरु बडवाजी-रायकी से।

*छप्पनिया राठौड़ो के बुद्धिमान यौद्धा-बलतो वैजनिया(बलवंतसिह वैजनिया)

*छप्पनिया राठौड़ो की पितृशाखा-सोनिंगसिंघोत राठौड़।

*छप्पनिया राठौड़ो की वर्तमान  स्थिति के लिए जिम्मेदार व्यक्ति-महाराणा उदयसिंह व महाराणा प्रताप।

छप्पनिया राठौडो द्वारा स्थापित

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==== सलुम्बर नगर======

13वी शताब्दी मे मारवाड़ पाली से कन्नौज के महाराजा जयचंद के पौत्र व सेतराम जी के पुत्र राव सिहाजी  के  द्वितीय पुत्र राव  सोनंग जी राठौड़  ने ईडर पर अधिकार करके सिंहासनारूढ हूऐ।

1273 ई•  मे वैधनाथ महादेव मंदिर सलुम्बर के वीर स्मृति शिलालेख के आधार पर यह प्रमाणित होता है कि राव सोनंग जी के जीते जी उनके पुत्रो ने भीण्डर ठिकाना  स्थापित करके शासन प्रारम्भ किया।

सोनंग जी के द्वितीय पुत्र राव आसलजी भीण्डर के रावराजा बने।

इन्ही  से छप्पन प्रदेश के राजवी होने से इन्हे छप्पनिया राठौड़ कहा गया।

इस परिवार ने भीण्डर पर आठ पीढी शासन किया।

इनका राज भीण्डर, बम्बोरा ,कुराबड धरियावद, सोलंज, राठडी, आमलवां

वेडावल, वैण,मेवल,चावण्ड, सलुम्बर, सेमारी ,झाडौल, खेराड, टोकर ,करजी बलुआ,सल्लाडा, बडावली, मल्लाडा, बामनिया, कन्तोडा, पहाडी, चन्दाजी का गुडा पर रहा।

      सलुम्बर नगर की स्थापना राव सिंहा जी ने अपने दादाजी राव शल्यूजी या सालूजी राठौड़ के नाम पर की।पहले यहा भील दस्यु सोनारा धाडा डकैती डालता था।भीण्डर जाने वाला मार्ग असुरक्षित था।एक बार दोनो पक्षों मे ठन गयी।परन्तु राठौड़ो ने उसे परास्त करके हत्या कर दी।राठौड़ शासको ने  यहाँ

सोनारिया पहाड़ की चोटी पर माँ नागणेची जी की स्थापना की।जिन्हे  कालान्तर मे सोनारिया पहाड़ वाली माता के रूप मे सोनार माता कहा जाता है।(छप्पनिया राठौड़ो के बडवाजी की पौथी मे उल्लेख है)

    सेरिंग तालाब बनवाया  व पाल दरवाजा के अन्दर भगवान  द्वारिकाधीश का विशाल मन्दिर  बनवाया। जो आज भी विद्यमान है।

राव सिंहा जी ने तालाब के किनारे  महल (रावला) बनवाये।नगर के चारों ओर शहरकोट बना कर चार दरवाजो का निर्माण करवाया।

राठौड़ शासको के महल आज भी खण्डितावस्था मे विद्यमान  है।

सेरिंग तालाब मे भई गांव की तरफ से नाला गिरता है।सेरिंग का अधिशेष पानी सरणी नदी मे चला जाता है।

राठौड़  शासको ने तालाब के पानी से साइफन विधि से  दरबार की कचहरी के सामने फव्वारा बनवाया था ।जिसे चूंडावत अतिक्रमण कारी ठिकानेदारो ने  हटा दिया।

तालाब के रूण मे राठौड़ो की बावडी व बनजारा की बावडी स्थित है।विल दरवाजा के बाहर राठौड़ शासक परिवार की तीन छतरिया स्थित है जिसमे एक खण्डित हो गयी है।

     1574ई•मे बेगू रावत किशनदास चूंडावत व कानोड रावत नेतसिह  ने बनवीर को महाराणा न मानने वाले राव सिंहा जी सलुम्बरिया पर धोखे से हमला करके हत्या कर राजसत्ता हडप ली।

इस प्रकार 1273ई•से 1574ई•तक सलुम्बर पर छप्पनिया राठौड़ वशं का शासन रहा।

बेदख़ल होने के बाद कुछ भाई वागड चले गये

2401:4900:7EF8:BE44:B701:F4A5:F619:8315 (वार्ता) 12:02, 15 नवम्बर 2024 (UTC)उत्तर दें