स्वागत!  नमस्कार Bundelkhand vikas dal(party) जी! आपका हिन्दी विकिपीडिया में स्वागत है।

-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 08:25, 19 जनवरी 2017 (UTC)उत्तर दें

सदस्य:Bundelkhand vikas dal(party) पृष्ठ को शीघ्र हटाने का नामांकन

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नमस्कार, आपके द्वारा बनाए पृष्ठ सदस्य:Bundelkhand vikas dal(party) को विकिपीडिया पर पृष्ठ हटाने की नीति के मापदंड व7 के अंतर्गत शीघ्र हटाने के लिये नामांकित किया गया है।

व7 • साफ़ प्रचार

इसमें वे सभी पृष्ठ आते हैं जिनमें केवल प्रचार है, चाहे वह किसी व्यक्ति-विशेष का हो, किसी समूह का, किसी प्रोडक्ट का, अथवा किसी कंपनी का। इसमें प्रचार वाले केवल वही लेख आते हैं जिन्हें ज्ञानकोष के अनुरूप बनाने के लिये शुरू से दोबारा लिखना पड़ेगा।

यदि आप इस विषय पर लेख बनाना चाहते हैं तो पहले कृपया जाँच लें कि विषय उल्लेखनीय है या नहीं। यदि आपको लगता है कि इस नीति के अनुसार विषय उल्लेखनीय है तो कृपया लेख में उपयुक्त रूप से स्रोत देकर उल्लेखनीयता स्पष्ट करें। इसके अतिरिक्त याद रखें कि विकिपीडिया पर लेख ज्ञानकोष की शैली में लिखे जाने चाहियें।

यदि यह पृष्ठ अभी हटाया नहीं गया है तो आप पृष्ठ में सुधार कर सकते हैं ताकि वह विकिपीडिया की नीतियों पर खरा उतरे। यदि आपको लगता है कि यह पृष्ठ इस मापदंड के अंतर्गत नहीं आता है तो आप पृष्ठ पर जाकर नामांकन टैग पर दिये हुए बटन पर क्लिक कर के इस नामांकन के विरोध का कारण बता सकते हैं। कृपया ध्यान रखें कि शीघ्र हटाने के नामांकन के पश्चात यदि पृष्ठ नीति अनुसार शीघ्र हटाने योग्य पाया जाता है तो उसे कभी भी हटाया जा सकता है।

त्रिकूटदास (वार्ता) 16:27, 5 मई 2018 (UTC)उत्तर दें

बुन्देलखण्ड विकास दल एक राजनीतिक दल के रूप में मूल सिद्धान्त मध्य भारत के स्थित भौगोलिक दृष्टि से विषम, प्राकृतिक सम्पदा से समृद्धि, आर्थिक एवं राजनीतिक दृष्टि से पिछड़े उपेक्षित भूभाग का सर्वांगीण विकास करने के लिए ‘‘बुन्देलखण्ड विकास दल’’ का गठन किया गया। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सर्वप्रथम बुन्देलखण्ड विकास दल को 1991 में पंजीकृत कर चुनाव आयोग, भारत सरकार ने अपनी मान्यता दी। दल ने सर्वप्रथम 1993 बुन्देलखण्ड के अस्तित्व एवं विकास के लिये विधान सभा मध्य प्रदेश से 4 सीटों तथा उत्तर प्रदेश से 2 सीटों पर चुनाव लड़ा। दल का यह भी मुख्य सिद्धान्त है कि साम्प्रदायिकता, भ्रष्टाचार व अन्य बुराईयों को दूर करना, मजदूरों को रोजगार दिलाना, बेरोजगारों को रोजगार, किसानों को सिंचाई, संसाधन व पानी, तकनीकी शिक्षा का विस्तार। बुन्देलखण्ड की खोई प्रतिष्ठा को वापस लाना, हरित क्रांति, शुद्ध पेयजल का स्थाई समाधान और मुख्य रूप से महंगाई के खिलाफ व सामाजिक शोषण रोकने के लिये क्षेत्र के समुचित विकास के लिये इस दल का गठन किया गया। धर्म निरपेक्ष, सम्प्रभुता, सम्पन्न लोकतन्त्र में दल का विश्वास है। गरीबों को आर्थिक न्याय दिलाना और अच्छे धर्म निरपेक्ष समाज को बनाकर विकास करना इसकी नीति है। बुन्देलखण्ड विकास दल का सर्वांगीण विकास और पृथक बुन्देलखण्ड राज्य का निर्माण को लेकर श्री शिव नारायण खरे (वरिष्ठ एडवोकेट) व प्रतिष्ठित समाजसेवी स्व0 धनीराम द्विवेदी व के नेतृत्व में बना। जिसमें बुन्देलखण्ड की धरती के अनेक सपूतों ने सदस्यता ग्रहण कर संघर्ष शुरू किया। जैसे रेल रोको आन्दोलन, घेराव व पदयात्रा आदि। बुन्देलखण्ड की धरती पर सर्वप्रथम चुनाव आयोग ने विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान समाजवाद, पंथनिरपेक्ष तथा लोकतंत्र के सिद्धान्तों के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा को देखते हुए भारत की प्रभुत्ता, एकता और अखण्डता को अक्षुण्य रखते हुए एवं भारतीय संविधान में शामिल राज्य निर्माण की व्यवस्था के अन्र्तगत पृथक बुन्देलखण्ड राज्य के निर्माण का उद्देश्य लिये हुए इस दल को पंजीकृत कर समस्त भारत में कार्य करने का मौका दिया। समय के साथ-साथ दल में गति धीमी हो गयी क्योंकि दल के प्रतिष्ठित नेता श्री धनीराम द्विवेदी का निधन हो गया था। दल का नेतृत्व वरिष्ठ नेता श्री शिव नारायन खरे (एडवोकेट) ने संभाला। कई वर्षों तक निरन्तर संघर्ष करते उन्होंने यह निर्णय लिया कि इसका नेतृत्व एक शक्तिशाली युवा नेता चुना जाये। आम सहमति व पार्टी पदाधिकारियों से विचार-विमर्श करने के बाद वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता श्री अरूण सिंह चन्देल को सर्वसम्मति से दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। श्री चन्देल जी के नेतृत्व में दल ने पुनः ऊॅचाईयों को छुआ और बुन्देलखण्ड के अस्तित्व व विकास की लड़ाई में दल को पूरे क्षेत्र में अग्रणी किया। श्री चन्देल जी ने दल की मजबूती के लिये समाजसेवी व वरिष्ठ पत्रकार डी0के0 सिंह को प्रस्तावित किया, समस्त कार्यकारिणी ने सर्वसम्मत से राष्ट्रीय महासचिव के रूप में चुना और श्री डी.के. सिंह ने अपनी मौजूदगी में पार्टी को मजबूती प्रदान कर विकास की दिशा में कार्य किया। वहीं पत्रकारिता पेशे में सक्रिय श्री विकास शर्मा को राष्ट्रीय महामंत्री (मीडिया) के रूप में इस क्षेत्र में कार्य करने के लिये टीम में लिया। उत्तर प्रदेश से श्री बी.के. खरे जी व मध्य प्रदेश से श्री ज्योति प्रकाश चैरसिया को प्रभारी नियुक्त कर दल की मजबूत रूपरेखा तैयार की। महिलाओं की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए डा0 शारदा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष (महिला) का कार्यभार सौंपा गया। दल ने अपनी रैलियों, प्रदर्शन व अभियान से प्रदेश सरकारों व केन्द्र सरकार को चेता दिया कि अब बुन्देलखण्ड राज्य बनकर रहेगा। दल के वरिष्ठ नेता के रूप में स्व0 दशरथ सिंह राजपूत राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करते रहे और 26.11.2018 को झाॅंसी बन्द में जोरशोर से लगे रहने के कारण उनको हार्टअटैक पड़ा और बुन्देलखण्ड पृथक राज्य बनाने की लड़ाई में शहीद हो गये। स्व0 डा0 दशरथ सिंह राजपूत को प्रथम शहीद का दर्ज दिया और सभी पार्टियों ने भी नेताजी को बुन्दलेखण्ड राज्य की लड़ाई का प्रथम शहीद माना। बुन्देलखण्ड पृथक राज्य के मुद्दे को लेकर दल ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश, राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा, राष्ट्रीय अध्यक्ष समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय अध्यक्ष बसपा, राष्ट्रीय अध्यक्ष कांगे्रस आदि को पत्र लिखकर बुन्देलखण्ड राज्य की मांग की। दल ने बुन्देलखण्ड पृथक राज्य के मुद्दे को लेकर दो बार झाॅंसी बन्द का आहवान सभी दलों व संस्थाओं के साथ किया। दल लोकसभा २०१९ में आपने प्रत्याशी उतार रहा है। @बी के वी डी कार्यालय