DHANUK SAMAJ
प्रस्तावना
DHANUK SAMAJ जी इस समय आप विकिमीडिया फाउण्डेशन की परियोजना हिन्दी विकिपीडिया पर हैं। हिन्दी विकिपीडिया एक मुक्त ज्ञानकोष है, जो ज्ञान को बाँटने एवं उसका प्रसार करने में विश्वास रखने वाले दुनिया भर के योगदानकर्ताओं द्वारा लिखा जाता है। इस समय इस परियोजना में 8,35,438 पंजीकृत सदस्य हैं। हमें खुशी है कि आप भी इनमें से एक हैं। विकिपीडिया से सम्बन्धित कई प्रश्नों के उत्तर आप को अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों में मिल जायेंगे। हमें आशा है आप इस परियोजना में नियमित रूप से शामिल होकर हिन्दी भाषा में ज्ञान को संरक्षित करने में सहायक होंगें। धन्यवाद।
विकिनीतियाँ, नियम एवं सावधानियाँ
विकिपीडिया के सारे नीति-नियमों का सार इसके पाँच स्तंभों में है। इसके अलावा कुछ मुख्य ध्यान रखने हेतु बिन्दु निम्नलिखित हैं:
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विकिपीडिया में कैसे योगदान करें?
विकिपीडिया में योगदान देने के कई तरीके हैं। आप किसी भी विषय पर लेख बनाना शुरू कर सकते हैं। यदि उस विषय पर पहले से लेख बना हुआ है, तो आप उस में कुछ और जानकारी जोड़ सकते हैं। आप पूर्व बने हुए लेखों की भाषा सुधार सकते हैं। आप उसके प्रस्तुतीकरण को अधिक स्पष्ट और ज्ञानकोश के अनुरूप बना सकते हैं। आप उसमें साँचे, संदर्भ, श्रेणियाँ, चित्र आदि जोड़ सकते हैं। योगदान से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण कड़ियाँ निम्नलिखित हैं:
अन्य रोचक कड़ियाँ
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(यदि आपको किसी भी तरह की सहायता चाहिए तो विकिपीडिया:चौपाल पर चर्चा करें। आशा है कि आपको विकिपीडिया पर आनंद आएगा और आप विकिपीडिया के सक्रिय सदस्य बने रहेंगे!) |
-- [[धानका एवं धानुक एक ही है हमें यह बात ज्ञात होनी चाहिये कि धानका जाती एक क्षत्रीय जाती है और इस जाती को धानका इसलिए कहा गया है क्योंकि धानका का अर्थ होता है धनुष चलाने वाला हमें इस बात का बोध होना आवश्यक है कि धानका के पूर्वज (सन,1132 से लेकर 1854)तक राजवंश जैसे मेवाड़ के राजा उदय सिंह2 एवं उनके पूर्व राणा कुम्भा ,राणा सांगा, जैसे महान राजपूत राजाओं की सहायता की है हमारे पूर्वजो ने धानका नाम अपितु इसी कारण वश पड़ा है क्योंकि धानका राजपूतो के साथ युद्धभूमि में साथ में लड़ा है और अकबर जैसे मुग़ल बादशाह को भी मुह तोड़ जवाब दिया था । धानका जाती मैं कई और जाती जो उसे उपजाति भी कही जाती थी जिसे आज के युग में मीणा और तात्री भी कहा जाता है धानका को आदिवासी जाती भी कही जाती है क्योंकि धानका जाती जंगल मे अपना जीवन व्यापन करते थे और इनके लिए सिर्फ जंगल ही सब कुछ होता था क्योंकि जंगल से ही इनका जीवन चलता था धानका का उल्लेख मेवाड़ की रियासत में हुआ है जहाँ मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप सिंह जी की सहायता धानका भील समुदाय ने जी जान से दिया था धानका के समुदाय में एक राणा हुआ करते थे जिनका नाम राणा खैता ,राणा पुंजा जैसे महान धानका के राणा जिन्होंने अकबर को हराने के लिए अपने प्राण न्यौच्छावर कर दिए थे मेवाड़ के लिए धानका समुदाय में भी जो राजा हुआ करते थे उन्हें राणा से संबोधित किया जाता है और आज भी उनके वंश राणा संबोधित करते है धानका समुदाय एवं भील समुदाय धीरे धीरे राजस्थान के कई जिलों में फ़ैल गए । और आज धानका समाज , धनिक ,धानुक, एवं कई जगह तो धानका समुदाय को बर्घी राजपूत एवं धाकरे राजपूत के नाम से जाना जाता है। क्योंकि धानका समुदाय के राणा भी राजपूत ही कहलाय लेकिन आज राजपूत समाज धानका समाज अलग है लेकिन एक है
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