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-- [[धानका एवं धानुक एक ही है हमें यह बात ज्ञात होनी चाहिये कि धानका जाती एक क्षत्रीय जाती है और इस जाती को धानका इसलिए कहा गया है क्योंकि धानका का अर्थ होता है धनुष चलाने वाला हमें इस बात का बोध होना आवश्यक है कि धानका के पूर्वज (सन,1132 से लेकर 1854)तक राजवंश जैसे मेवाड़ के राजा उदय सिंह2 एवं उनके पूर्व राणा कुम्भा ,राणा सांगा, जैसे महान राजपूत राजाओं की सहायता की है हमारे पूर्वजो ने धानका नाम अपितु इसी कारण वश पड़ा है क्योंकि धानका राजपूतो के साथ युद्धभूमि में साथ में लड़ा है और अकबर जैसे मुग़ल बादशाह को भी मुह तोड़ जवाब दिया था । धानका जाती मैं कई और जाती जो उसे उपजाति भी कही जाती थी जिसे आज के युग में मीणा और तात्री भी कहा जाता है धानका को आदिवासी जाती भी कही जाती है क्योंकि धानका जाती जंगल मे अपना जीवन व्यापन करते थे और इनके लिए सिर्फ जंगल ही सब कुछ होता था क्योंकि जंगल से ही इनका जीवन चलता था धानका का उल्लेख मेवाड़ की रियासत में हुआ है जहाँ मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप सिंह जी की सहायता धानका भील समुदाय ने जी जान से दिया था धानका के समुदाय में एक राणा हुआ करते थे जिनका नाम राणा खैता ,राणा पुंजा जैसे महान धानका के राणा जिन्होंने अकबर को हराने के लिए अपने प्राण न्यौच्छावर कर दिए थे मेवाड़ के लिए धानका समुदाय में भी जो राजा हुआ करते थे उन्हें राणा से संबोधित किया जाता है और आज भी उनके वंश राणा संबोधित करते है धानका समुदाय एवं भील समुदाय धीरे धीरे राजस्थान के कई जिलों में फ़ैल गए । और आज धानका समाज , धनिक ,धानुक, एवं कई जगह तो धानका समुदाय को बर्घी राजपूत एवं धाकरे राजपूत के नाम से जाना जाता है। क्योंकि धानका समुदाय के राणा भी राजपूत ही कहलाय लेकिन आज राजपूत समाज धानका समाज अलग है लेकिन एक है

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