Dr Vinod Gautam
प्रस्तावना
Dr Vinod Gautam जी इस समय आप विकिमीडिया फाउण्डेशन की परियोजना हिन्दी विकिपीडिया पर हैं। हिन्दी विकिपीडिया एक मुक्त ज्ञानकोष है, जो ज्ञान को बाँटने एवं उसका प्रसार करने में विश्वास रखने वाले दुनिया भर के योगदानकर्ताओं द्वारा लिखा जाता है। इस समय इस परियोजना में 8,11,490 पंजीकृत सदस्य हैं। हमें खुशी है कि आप भी इनमें से एक हैं। विकिपीडिया से सम्बन्धित कई प्रश्नों के उत्तर आप को अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों में मिल जायेंगे। हमें आशा है आप इस परियोजना में नियमित रूप से शामिल होकर हिन्दी भाषा में ज्ञान को संरक्षित करने में सहायक होंगें। धन्यवाद।
विकिनीतियाँ, नियम एवं सावधानियाँ
विकिपीडिया के सारे नीति-नियमों का सार इसके पाँच स्तंभों में है। इसके अलावा कुछ मुख्य ध्यान रखने हेतु बिन्दु निम्नलिखित हैं:
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विकिपीडिया में कैसे योगदान करें?
विकिपीडिया में योगदान देने के कई तरीके हैं। आप किसी भी विषय पर लेख बनाना शुरू कर सकते हैं। यदि उस विषय पर पहले से लेख बना हुआ है, तो आप उस में कुछ और जानकारी जोड़ सकते हैं। आप पूर्व बने हुए लेखों की भाषा सुधार सकते हैं। आप उसके प्रस्तुतीकरण को अधिक स्पष्ट और ज्ञानकोश के अनुरूप बना सकते हैं। आप उसमें साँचे, संदर्भ, श्रेणियाँ, चित्र आदि जोड़ सकते हैं। योगदान से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण कड़ियाँ निम्नलिखित हैं:
अन्य रोचक कड़ियाँ
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(यदि आपको किसी भी तरह की सहायता चाहिए तो विकिपीडिया:चौपाल पर चर्चा करें। आशा है कि आपको विकिपीडिया पर आनंद आएगा और आप विकिपीडिया के सक्रिय सदस्य बने रहेंगे!) |
मधुमेह (डाइबिटीज) और आयुर्वेद संपादित करें
आंकड़े दर्शा रहे है कि मधुमेह एक भयंकर रूप लेते जा रहा है, और उपलब्ध एलोपैथिक मेडिसिन्स से मधुमेह खत्म नही हो रहा बल्कि उनकी दवाओं की मात्रा बढ़ती जा रही है और यह रोग विकराल स्वरूप लेता जा रहा है। इस समय जरूरत है चिकित्सको व स्वास्थ्य संगठनों को विचार करने की, नित नई अंग्रेजी दवाएं खोजने से मधुमेह के रोगी कम नही होंगे, यहां आवश्यकता है कि इमरजेंसी की स्थितियों को छोड़कर माइल्ड से मोडरेट शुगर लेवल होने पर केवल आयुर्वेद औषध और लाइफस्टाइल परिवर्तन पर ध्यान दिया जाए तो वह शुगर कंट्रोल ही नही बल्कि डाइबीटिज रिवर्स भी हो सकता है। अनावश्यक एलोपेथी दवाओं पर लगाम लगाए, विशेषकर प्री डायबिटिक रोगी एवं प्रथम बार शुगर के रोगी को एलोपैथिक दवा शुरू न करें क्योंकि एक बार केमिकल स्वरूप दवाएं शुरू करने के बाद यह कम नही होंगी और न ही रोग सही होगा।। हमने कई रोगियों पर कार्य करके पूर्ण अनुभव से यह लेख बना रहे है।
लाइफस्टाइल में सुधार, अनावश्यक तनाव कम करके नियंत्रित भोजन व्यवस्था और साथ मे आयुर्वेद औषध सही समय थोड़ा लम्बी अवधि तक देने पर शुगर भी कण्ट्रोल होगा और रोग भी रिवर्स हो सकता है।
आयुर्वेद मे अनेको औषधियां वर्णित है और कई प्रकार की मॉडर्न रिसर्च के बाद वह इस रोग पर विजय पाने में सफल हुई है।
आवश्यकता है जनजागरूकता की जिससे आमजन यह समझे कि उनको प्रथम बार कहा अपना उपचार किस अवस्था मे कराना है।
मधुमेह मुक्त हमें बनाना है तो उसका रास्ता आयुर्वेद चिकित्सा के माध्यम से ही निकलेगा न कि एलोपैथिक दवाइयों से। एलोपैथिक दवाइयां का प्रयोग वहीं करना है जहां इमरजेंसी स्थिति हो, हर तरह उपाय के बाद भी एक निश्चित अवधि में भी कण्ट्रोल नही हो पा रहा हो। क़ई रोगी ऐसे आते है,, जिनको दो से तीन तीन एन्टी डायबिटीक दवाएं खाने के बाद भी शुगर बढ़ा हुआ आ रहा है फिर क्यों न हम या एलोपैथिक विद्वान और संघठन इसमे अपनी स्वयं की भारतीय चिकित्सा पद्धति को रोगी रेफर नही करते। जरूरत है इस रोग से लड़ने के लिए मिलकर कार्य करने की।
डॉ विनोद गौतम
BAMS, MD (Ayu. Medicine)
असि. प्रोफेसर, राज. आयुर्वेद चिकित्सा ममहाविद्यालय कोटा
संपर्क 7976798138 Dr Vinod Gautam (वार्ता) 01:51, 30 जून 2023 (UTC)