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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 18:00, 23 जून 2020 (UTC)उत्तर दें

Sanjay sheoran #wikipedia संपादित करें

Sanjay sheoran


Sanjay sheoran


जन्म New delhi व्यवसाय लेखक,businessman राष्ट्रीयता भारतीय उच्च शिक्षा 12+ विधा उपन्यास उल्लेखनीय कार्यs Business जीवनसाथी Single सन्तान 0 जालस्थल

संजय श्योराण जी श्री धन सिंह जी के यहां जन्मे है

उनकी माता जी का नाम विजेंद्ररी श्योराण है

उनका जन्म स्थान नई दिल्ली है

क्वालिफिकेशन 12th क्लास है

इनका कार्य निजी व्यवसाय है

संजय जी का कहना है कि उन्होंने 2012 के बाद लिखना सिखा है   

संजय जी की कई रचनाएं आ चुकी है और कई आने वाली है

जिसमें से एक है अनकही जो बहुत ही अच्छी और

सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाली उनकी किताब है

सोशल मीडिया पर उनका बहुत ही नाम है तथा व्यवहार भी बहुत ही अच्छा है

उनकी रचना की कुछ पंक्तियां

1 .  कोई तरसता रहा मोहब्बत के चंद लफ़्ज़ों को उम्र भर ,

      किसी को बेवफाई कर क्या ख़ूब करार आया...$$!!

2 .  नज़रअंदाज़ करने वाले हमें क्या दिखायेंगे ,

      अंदाज़ क्या होता है अब हम बतायेंगे...$$!!

3 .  तन्हाईयों का असर कुछ यूँ रहा है ,

      कि लोग जान दे देते हैं पर बता नही पाते...$$!!

4 .  दो लफ्ज़ प्यार के बोलने से कोई प्यारा नही होता ,

       इतनी जल्दी एतबार करने से कोई हमारा नही होता...  

     

5 .   हार नही माननी है जिंदगी से लड़ो डटकर ,

       चाहे समस्या कितनी भी क्यों ना हटकर...$$!!

6 .  याद नही अब उसे कोई भी किस्सा ,

      जो कभी होता था हमारे दिल का हिस्सा...$$!!

7 .  बाकी न रह गयी हो कोई फ़र्माइश ,

      तो बंद कर दे अब तो मेरी आज़माइश...$$!!

8 .  फ़ेर ली मुझसे तन्हाईयों ने भी नज़र ,

      कम हो गया है जबसे तेरी यादों का असर...$$!!

9 .  ए-ख़ुदा बना तो दिया तूने क़ाबिल ,

       फ़िर भी मैंने क्या कर लिया हांसिल...$$!!

10 . क्या कहते हो मोहब्बत में सब गवाया है ,

        अरे हमें तो हमारे वज़ूद ने भी ठुकराया है...$$!!

11 . तन्हाई भी क्या ख़ूब ज़ज़्बात दिखाती है ,

        ख्वाबों में भी सब खंडर कर जाती है...$$!!

12 . मोहब्बत कितनी भी सच्ची हो छोड़ जाती है ,

        किसी दूसरे के आने से मुह मोड़ जाती है...$$!!

13 . कहते रहो जो कहना है ,

        दिल को समझा लो तो माने...$$!!

14 . काटने वाले ने काटा है अकेलापन ,

        तुम क्या समझोगे किसी का अपनापन...$$!!

15 . मौसम की बरसती हुई बारिश और मेरी ये खुली बाँहे ,

       क़सम ख़ुदा की तुझे देखने को तरस गयी मेरी निगाहें.

16 . वो कहाँ मुझे रौशनी में भी पहचानती है ,

        रात की तन्हाई ही सिर्फ़ मुझे जानती है...$$!!

17 . तू साथ थी तो थे सब नज़राने ,

        अब कहाँ कोई भी मुझे पहचाने...$$!!

Sanjay sheoran contact num-8700252643 Yogesh Dalhotra (वार्ता) 20:57, 27 जून 2020 (UTC)उत्तर दें