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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 18:45, 26 अप्रैल 2024 (UTC)उत्तर दें

बोझल नजरें संपादित करें

Kanhaiyalal writer (वार्ता) 18:51, 26 अप्रैल 2024 (UTC)उत्तर दें

नजरे बोझल सी थी उसकी जिसका मुख विवर शांत ना रहा कभी आंखें बोल रही थी उसकी जो बिछड़ कर आज भी रूबरू आते हैं सामने दिल की उन गहराइयों को छूना चाहती है वही जो दिल से उतर गए हमारे नजरों में आने का प्रयास करती हैं वही वो दौर था मोहब्बत का हमारा जनाब आज के चेहरे नहीं थे वही