Kuldeep singh tanwar gomla
प्रस्तावना
Kuldeep singh tanwar gomla जी इस समय आप विकिमीडिया फाउण्डेशन की परियोजना हिन्दी विकिपीडिया पर हैं। हिन्दी विकिपीडिया एक मुक्त ज्ञानकोष है, जो ज्ञान को बाँटने एवं उसका प्रसार करने में विश्वास रखने वाले दुनिया भर के योगदानकर्ताओं द्वारा लिखा जाता है। इस समय इस परियोजना में 8,11,293 पंजीकृत सदस्य हैं। हमें खुशी है कि आप भी इनमें से एक हैं। विकिपीडिया से सम्बन्धित कई प्रश्नों के उत्तर आप को अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों में मिल जायेंगे। हमें आशा है आप इस परियोजना में नियमित रूप से शामिल होकर हिन्दी भाषा में ज्ञान को संरक्षित करने में सहायक होंगें। धन्यवाद।
विकिनीतियाँ, नियम एवं सावधानियाँ
विकिपीडिया के सारे नीति-नियमों का सार इसके पाँच स्तंभों में है। इसके अलावा कुछ मुख्य ध्यान रखने हेतु बिन्दु निम्नलिखित हैं:
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विकिपीडिया में कैसे योगदान करें?
विकिपीडिया में योगदान देने के कई तरीके हैं। आप किसी भी विषय पर लेख बनाना शुरू कर सकते हैं। यदि उस विषय पर पहले से लेख बना हुआ है, तो आप उस में कुछ और जानकारी जोड़ सकते हैं। आप पूर्व बने हुए लेखों की भाषा सुधार सकते हैं। आप उसके प्रस्तुतीकरण को अधिक स्पष्ट और ज्ञानकोश के अनुरूप बना सकते हैं। आप उसमें साँचे, संदर्भ, श्रेणियाँ, चित्र आदि जोड़ सकते हैं। योगदान से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण कड़ियाँ निम्नलिखित हैं:
अन्य रोचक कड़ियाँ
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(यदि आपको किसी भी तरह की सहायता चाहिए तो विकिपीडिया:चौपाल पर चर्चा करें। आशा है कि आपको विकिपीडिया पर आनंद आएगा और आप विकिपीडिया के सक्रिय सदस्य बने रहेंगे!) |
नारी गाथा संपादित करें
यह मेरी मौलिक व स्वरचित कविता है जो 'नारी पूज्या या भोग्या'(काव्य संग्रह) में नीलम प्रकाशन के द्वारा प्रकाशित हुई है। Kuldeep singh tanwar gomla (वार्ता) 09:33, 23 अप्रैल 2024 (UTC)
मैं नारी हूं। सागर से गहरी,गगन से ऊंची वायु का वेग,अग्नि का तेज शीतल हवा की शीतलता, जल की निर्मलता हूं। मैं नारी हूं।। मैं बचपन की बुलबुल , पिता की प्यारी, माता की दुलारी भाई के प्रेम की, स्नेहलता हूं, मां के आंगन की बगिया की, टूटी फूल की कली हूं। मैं नारी हूं।। मैं सावन की बहार, यौवन भरी महकार, जीवन में नवरंग भरकर, उत्साह भरी बादल की गगरी हूं। मैं नारी हूं।। मैं द्रोपदी सी अपमानित, सीता- सी सम्मानित, शबरी के विश्वास- सी, अहिल्या का ह्रदय- पाषाण हूं। मैं नारी हूं।। काव्य बोध में अलंकार -सी, राग के रूप रस -सी, शब्द शक्ति, मीरा के छंद में बसी भक्ति हूं। मैं नारी हूं।। सामाजिक ताने-बाने में, बेबस सी, लाचार -सी, टूटे सपनों के भंवर- सी, उदासीन चित्रपट पर, संघर्ष की गाथा हूं। मैं नारी हूं।। मैं जीवन दाता, पालन कर्ता, विनाश की मूरत, शिव- सी पूजा हूं, मोती की आब, स्वर्ण की आभा, मानव जीवन हितकारी हूं। मैं नारी हूं।।
स्वरचित रचना विधा - कविता कवि - कुलदीप 07 फरवरी 2024