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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 19:08, 12 जून 2018 (UTC)https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=999315583580282&id=259402904238224हसन क़ादरी का ताजमहल !उत्तर दें

शहंशाह शाहज़हां का बनाया ताजमहल तो सबने देखा होगा, लेकिन कम लोगों को पता है कि हमारे देश में आगरे के ताजमहल से भी ज्यादा खूबसूरत प्रेम का एक स्मारक बुलंदशहर के कसेर कलां में मौजूद है। ज्यादा खूबसूरत इसलिए क्योंकि इसे अपनी बेगम की याद में किसी शहंशाह ने प्रजा के पसीने के पैसों से नहीं, एक गरीब बूढ़े व्यक्ति फैजुल हसन कादरी ने अपनी कमाई के पैसों से तामीर करवाया है। क़ादरी 81 साल के एक रिटायर्ड पोस्टमास्टर हैं। अपनी बीवी तजम्मुल से उन्हें बेइंतिहा प्यार था। बेगम तजम्मुल का 2011 में देहांत हुआ। दुर्भाग्य से दोनों की कोई संतान नहीं थी। मरने के पहले संतान के अभाव से दुखी तजम्मुल ने कहा था कि उनके जाने के बाद कोई उन्हें याद करने वाला नहीं होगा। क़ादरी ने उस दिन उनसे वादा किया कि अपनी स्मृतियां जिन्दा रखने के लिए वे उनकी याद में वे उनकी मज़ार पर एक खूबसूरत स्मारक बनाएंगे और मरने के बाद वे खुद भी वहीं दफ़न होंगे। बेगम के मरने के बाद उन्होंने गहने और अपनी कुछ जमीन बेचकर तथा पेंशन के पैसों से पत्नी की याद में ताजमहल की शक्ल में एक स्मारक का निर्माण शुरू किया। यह निर्माण कार्य 2015 तक चला, लेकिन उसके बाद अर्थाभाव के चलते निर्माण कार्य रुक गया। लोगों द्वारा 'मिनी ताजमहल' कहे जाने वाले इस स्मारक का ढांचा बनकर तैयार है, लेकिन फिनिशिंग का काम बाकी है। बूढ़े क़ादरी दिन भर अपने घर की खिड़की पर बैठकर सूनी आंखों से इस स्मारक को ताकते रहते हैं। बीवी की मौत के बाद के अकेलेपन में उनके भीतर का कवि जागा और उन्होंने कविताएं भी लिखनी शुरू कर दी। बीवी केअधूरे स्मारक को देखकर वे जोर-जोर से अपनी कवियाएं सुनाते हैं। अब उन्हें अपनी मौत का इंतज़ार है जब उन्हें अपनी बेगम की मज़ार के बगल की खाली जगह में चैन की नींद सोने को मिलेगी। अधूरे स्मारक को पूरा करने के लिए कई लोगों ने उनकी मदद की कोशिश की, लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया। उनका मानना है कि अपने प्रेम का स्मारक उन्हें अपने पैसों से ही बनवाना चाहिए। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जब उनकी मदद की पेशकश की तो क़ादरी ने मदद स्वीकार करने के बजाय उन्हें अपनी जमीन देते हुए उनसे गांव में एक स्कूल के निर्माण का अनुरोध किया। उनका ताजमहल भले ही अधूरा है, लेकिन उसके बगल में स्कूल का निर्माण पूरा हो चुका है।

क़ादरी ने अभी भी हिम्मत नहीं छोड़ी है। उन्हें भरोसा है कि अपने छोटे-से पेंशन से थोड़े-थोड़े पैसे बचाकर वे अपने जीवनकाल में ही अपने सपनों के ताजमहल का निर्माण ज़रूर पूरा करेंगे। हम आम लोगों के इस शाहज़हां और उनके सपनों के ताजमहल के लिए दुआएं ही कर सकते हैं।