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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 09:35, 28 जुलाई 2017 (UTC)उत्तर दें

शास्त्रार्थ(Debate) संपादित करें

किसी विषय के सम्बन्ध में सत्य और असत्य के निर्णय हेतु परोपकार के लिए जो वाद , विवाद होता है उसे शास्त्रार्थ कहते हैं , शास्त्रार्थ का शाब्दिक अर्थ तो शास्त्र का अर्थ है , वस्तुतः मूल ज्ञान का स्त्रोत शास्त्र ही होने से प्रत्येक विषय के लिए निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए शास्त्र का ही आश्रय लेना होता है अतः इस वाद-विवाद को शास्त्रार्थ कहते हैं जिसमे तर्क,प्रमाण और युक्तियों के आश्रय से सत्यासत्य निर्णय होता है | शास्त्रार्थ और debate में काफी फर्क है,शास्त्रार्थ विशेष नियमों के अंतर्गत होता है,अर्थात ऐसे नियम जिनसे सत्य और असत्य का निर्णय होने में आसानी हो सके इसके विपरीत डिबेट में ऐसे पूर्ण नियम नहीं होते | शास्त्रार्थ में महर्षि गौतम कृत न्यायदर्शन द्वारा प्रतिपादित विधि ही प्रामाणिक है |

शास्त्रार्थ के नियम संपादित करें

शास्त्रार्थ का इतिहास संपादित करें

शास्त्रतः का इतिहास लाखों वर्षो पुराना है , इतिहास कि दृष्टि से हम शास्त्रार्थ के इतिहास को तीन भागों में विभक्त कर सकते है |

वैदिक कालीन शास्त्रार्थ संपादित करें

वैदिक काल में एक से बढ़कर एक विद्वान ऋषि थे , उस काल में भी भी शास्त्रार्थ हुआ करता था , वैदिक काल में ज्ञान अपनी चरम सीमा पर था , उस काल में शास्त्रार्थ का प्रयोजन ज्ञान कि वृद्धि था क्यों कि उस काल कोई भ्रम नहीं था , ज्ञान के सूर्य ने धरती को प्रकाशित कर रखा था , उस काल शास्त्रार्थ प्रतियोगिताएं होती थी , न सिर्फ ऋषि अपितु ऋषिकाएँ भी एक से बढ़कर एक शास्त्रार्थ महारथी थी | वैदिक काल के शास्त्रार्थ -

गार्गी और याज्ञवल्क्य का शास्त्रार्थ

मध्यकालीन शास्त्रार्थ संपादित करें

जब महाभारत का युद्ध हुआ तो भारतवर्ष का सम्पूर्ण ज्ञान विज्ञानं नष्टप्रायः हो चला , इस तरह हजारों सालों तक यह सिलसिला चलता रहा , लोगों में भ्रम बढ़ते गए , कोई नास्तिक हो चला , कोई भोगवादी बन गया , इस तरह एक धर्म न रहकर असंख्य मजहब बनते चले गए , भारतवर्ष के बाहर के मजहब और अधिक अवैज्ञानिक बनते गए , इस तरह एक समय पूरे भारतवर्ष में जैन एवं बौद्ध मत का साम्राज्य फ़ैल गया , जैन और बौद्ध मत वेदों कि निंदा करते थे , ऐसे समय में दो महान शास्त्रार्थ महारथी भारतवर्ष में आये जिन्होंने अकेले बौद्ध और जैन मत को पुरे भारतवर्ष में परास्त कर दिया | यह दो महारथी थे आचार्य शंकर एवं आचार्य कुमारिल भट्ट

  • आचार्य शंकर
  • कुमारिल भट्ट

आधुनिक कालीन शास्त्रार्थ संपादित करें

इस तरह जब भारतवर्ष में बौद्ध और जैन मत का नाश हो गया किन्तु आचार्य शंकर को जैनियों ने मार दिया एवम कुमारिल भट्ट स्वयं का अग्निदाह कर चुके थे , धीरे धीरे भारतवर्ष में पुनः अज्ञान अन्धकार छाने लगा था , जैनियों के कारन भारतवर्ष में मूर्तिपूजा का प्रचलन हुआ हुए नास्तिकता पुनः फैली , इसी काल में कुछ वर्षों पश्चात पुराणों की रचना हुयी जिन्होंने अवैज्ञानिक बातों को अधिक फैलाया , हिन्दू धर्म को अवैज्ञानिक बना दिया तथा भारतवर्ष में मुगलों का राज होने से इश्लाम फैला , मुगलों के पश्चात यहाँ अंग्रेजों के राज में ईसाइयत ने अपने पैर ज़माने शुरू किये , भारतवर्ष में लगभग छोटे मोटे अनेकों मजहब फ़ैल चुके , साथ ही हिन्दू धर्मग्रंथों में मिलावट होने से हिन्दू धर्म भी दूषित हो गया , इस तरह भारतवर्ष में ज्ञान का सूर्य लगभग अस्त हो चूका था , ऐसे समय में इस भारतवर्ष की पुण्य धरा पर एक महान व्यक्ति का जन्म हुआ , यह थे महर्षि दयानन्द , छोटे मोटे कंकर पत्थर प्रचंड बहाव में बह जाते हैं किन्तु हिमालय सदृश पहाड़ प्रचंड धरा की दीधा को ही बदल कर रख देते हैं , ऋषि दयानन्द ने ५००० वर्षों से आ रही अज्ञान रूपी प्रचंड धरा के बहाव को बदलकर रख दिया | आचार्य शंकर और कुमारिल भट्ट का मुकाबला सिर्फ एक,एक मत से था किन्तु दयानन्द का मुकाबला इश्लाम , ईसाई , नास्तिक और स्वयं के ही धर्म में हुए धार्मिक प्रदूषण से हुआ , ऋषि दयानन्द ने अकेले इन सब मत वालों के होश उड़ा दिए , वेदों के सूर्य का पुनः उदय हुआ | ऋषि दयानन्द ने आर्य समाज की स्थापना की जिसका उद्देश्य रामायण , महाभारत कालीन सत्य सनातन वैदिक धर्म की पुनर्स्थापना था , ऋषि दयानन्द स्वयं एक शास्त्रार्थ महारथी थे , वहीँ ऋषि दयानन्द के कारण शास्त्रार्थ परंपरा पुनः जीवित हो गयी और साथ ही असंख्य शास्त्रार्थ महारथी आर्य समाज से निकले |

शास्त्रार्थ साहित्य संपादित करें

जहाँ शास्त्रार्थ मौखिक हुए हैं वहां लिखित शास्त्रार्थ भी हुए है , शास्त्रार्थ के अनेकों खंडन मंडन साहित्य उपलब्ध है | शंकर दिग्विजय दयानन्द शास्त्रार्थ संग्रह निर्णय के तट पर

2021 Wikimedia Foundation Board elections: Eligibility requirements for voters संपादित करें

Greetings,

The eligibility requirements for voters to participate in the 2021 Board of Trustees elections have been published. You can check the requirements on this page.

You can also verify your eligibility using the AccountEligiblity tool.

MediaWiki message delivery (वार्ता) 16:29, 30 जून 2021 (UTC)उत्तर दें

Note: You are receiving this message as part of outreach efforts to create awareness among the voters.