Purushottamroy
प्रस्तावना
Purushottamroy जी इस समय आप विकिमीडिया फाउण्डेशन की परियोजना हिन्दी विकिपीडिया पर हैं। हिन्दी विकिपीडिया एक मुक्त ज्ञानकोष है, जो ज्ञान को बाँटने एवं उसका प्रसार करने में विश्वास रखने वाले दुनिया भर के योगदानकर्ताओं द्वारा लिखा जाता है। इस समय इस परियोजना में 8,13,552 पंजीकृत सदस्य हैं। हमें खुशी है कि आप भी इनमें से एक हैं। विकिपीडिया से सम्बन्धित कई प्रश्नों के उत्तर आप को अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों में मिल जायेंगे। हमें आशा है आप इस परियोजना में नियमित रूप से शामिल होकर हिन्दी भाषा में ज्ञान को संरक्षित करने में सहायक होंगें। धन्यवाद।
विकिनीतियाँ, नियम एवं सावधानियाँ
विकिपीडिया के सारे नीति-नियमों का सार इसके पाँच स्तंभों में है। इसके अलावा कुछ मुख्य ध्यान रखने हेतु बिन्दु निम्नलिखित हैं:
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विकिपीडिया में कैसे योगदान करें?
विकिपीडिया में योगदान देने के कई तरीके हैं। आप किसी भी विषय पर लेख बनाना शुरू कर सकते हैं। यदि उस विषय पर पहले से लेख बना हुआ है, तो आप उस में कुछ और जानकारी जोड़ सकते हैं। आप पूर्व बने हुए लेखों की भाषा सुधार सकते हैं। आप उसके प्रस्तुतीकरण को अधिक स्पष्ट और ज्ञानकोश के अनुरूप बना सकते हैं। आप उसमें साँचे, संदर्भ, श्रेणियाँ, चित्र आदि जोड़ सकते हैं। योगदान से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण कड़ियाँ निम्नलिखित हैं:
अन्य रोचक कड़ियाँ
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(यदि आपको किसी भी तरह की सहायता चाहिए तो विकिपीडिया:चौपाल पर चर्चा करें। आशा है कि आपको विकिपीडिया पर आनंद आएगा और आप विकिपीडिया के सक्रिय सदस्य बने रहेंगे!) |
पुरूषोतम कुमार राय संपादित करें
नाम पुरुषोत्तम कुमार राय पिता राम बिनोद राय माता किरण देवी ग्राम शंकर रोहार बिठौली बहेरी जिला दरभंगा राज्य बिहार में पुरुषोत्तम राय मेरा जन्म बिहार के दरभंगा जिला के बहेरी प्रखंड के बिठौली ग्राम में हुवा , मेरा पिता बहुत ही गरीब किसान था,मेरा दादा जी के गुजरने के बाद मेरा पिता जैदा पढाए नहीं कर पाए वो अपने नानी के यहाँ नवी ही पास किये, मेरे पिता 3 भाई थे राम बिनोद राय,उमेश कान्त राय रमेश कान्त राय जिसमें मेरे पिता बहुत ही गरीब थे माँ किरण देवी 8बि पास मेरे पापा माँ फिर भी मुझे अच्छा ही शिक्षा दिए मेरे पापा मुझे बचपन में ही मुझे अच्छे स्कूल में नाम लिखाव्ये मेरे पापा सोचते थे की मेरा बेटा अच्छे स्कूल में पढ़े उन्होंने मुझे चाचा के पास भेजा मगर चाचा ने नहीं रखे कारण यही था की उनका भी एक बेटा था जो सीबीएसई में पढ़ता था,चाचा ने मुझे घर भेज दिया की ये यहाँ बहुत ही बद मस्ती करता हे ये बता कर फिर पापा ने मुझे गावो के स्कूल में ही नाम लिखवा दिया में पढने में काफी कमजोर था कोई की में ७ साल में स्कूल में दाखिला लिया किसी व् तरह में गाव से 8 क्लास पास किया फिर में पापा से बोले मुझे कही और ही वेज दो तो उन्होंने आनंदपुर वेज दिया वहा मेरे गुरु लीला कान्त सर ने 10 क्लास 2009 64% से पास किया फिर हमने कुवर सिंह कॉलेज दरभंगा से 2011में 12 में साइंस से पास किया फिर पापा ने मुझे बी.टेक करवाया 2015 Modern Institute of Engineering and Technology Under of WBUT 68.6% से पास किया