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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 11:46, 5 जुलाई 2018 (UTC)उत्तर दें


                "खिचड़ी"

खिचड़ी शब्द का अनुसरण करते ही , चेहरे पर पीला रंग चढ़ जाता है , कुछ बच्चों के नाक ,भाँव सिकुड़ने लगते है। (इनमे मै भी हु )(माफ् करना ,मैं अब अपने आप को बच्चों की श्रेणी में नही मानता) खिचड़ी को हमलोग एक सुपाच्य भोजन के रूप में ले सकते है , या फिर वृद्धप्रिये भी कह सकते है।

कहने को तो हम इसे निरोगी भोजन , जल्दी पकने वाला भोजन , पौष्टिक भोजन ,या फिर त्यौहारिक भोजन भी कह सकते है। खिचड़ी की शुरुआत सबसे पहले भारत मे हुई , नाम से भी लगता है( खिचड़ी) , ।। लोगो का कहना है भगवान शिव ने सबसे पहली बार मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाई थी , तब से यह पकवान की तरह भारतीये त्योहार में शामिल हो गया है ।


दूसरी तरफ से देखे तो खिचड़ी की शुरुआत राजा नाथ योगी के द्वारा की गई थी जब उनकी सेना अलाउद्दीन खिलजी से डट कर लोहा ले रही थी।। तब तो उनकी सेना के पास वक्त नही होता था खाना बनाने का जिससे उनकी सेना कमजोर हो गयी थी । नाथ योगी जी ने इस समस्या का हल निकाला उन्होंने दाल , चावल , सब्जी सब को मिलकर एक व्यंजन तैयार किया जो कि पौष्टिक ,स्वादिष्ट के साथ जल्दी पक भी जाता था । असली खिचड़ी का मजा तो ठंढ के मौसम में आता है , जब सारे सब्जी और मसाले डाल कर खिचड़ी बनाई जाती है।।

एक तरह से देखे तो खिचड़ी हमारे देश की सभ्यता, अखण्डता में एकता , विचार , और हमारे प्यार को दर्शाता है। जैसे खिचड़ी चावल ,दाल , सब्जी अन्य सारी चीजो को मिलाकर बनाया जाता है ठीक उसी प्रकार हिन्दू ,मुस्लिम , सिख ,ईसाई ,बौद्ध ,जैन इत्यादि को मिलाकर हमारा ये राष्ट्र भारत का निर्माण हुआ है। और शायद यही वह वजह है कि आज यह राष्ट्र इतना शक्तिशाली ,सुदृढ़ , और आत्मनिर्भर बना है । यह राष्ट्र खिचड़ी नही तो और क्या है , खिचड़ी में सभी भोज सामग्री का मिलना होता है और राष्ट्र निर्माण में सभी धर्मों का मिलना होता है।


खिचड़ी और राष्ट्र में एक फर्क भी है एक आग पर पकती है तो दूसरा प्यार पर ।।।

Thanku


    #sachin_sh_vats 
  1. खिचड़ी पर मैने इसलिए लिखा क्योंकि पहली दफा मैने खिचड़ी बनाई है(मैं खाने वाली खिचड़ी की बात कर रहा हु।)।।।।