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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 12:43, 1 मई 2020 (UTC)उत्तर दें

आधुनिक राजनीति प्रणाली संपादित करें

वर्तमान की जो आधुनिक राजनीतिक प्रणाली है उसके प्रति लोगों में अपने सामाजिक दायित्व एवं अधिकारों के प्रति उदासीन रहते हैं और जिस देश या प्रांत की के नागरिक या मतदाता मैं राजनीतिक उदासीनता होती है वहां पर ना तो कोई विकास होता है और ना ही अच्छी शासन प्रणाली होती है और वहां पर भ्रष्टाचारी चलाक व्यक्ति के हाथों में शासन प्रणाली आ जाती है जिससे ना तो जनता का भला होता है और ना ही समाज का और राष्ट्र का इसके लिए देश के समस्त नागरिकों में राजनीति के प्रति उदासीन ना होकर जागरूक होना चाहिए जिससे देश समाज नागरिक इत्यादि का समुचित विकास होता है और देश एक अच्छे योग्य एवं कर्मठी व्यक्ति के हाथों शासन की जिम्मेदारी को सौंपना चाहिए यह जिम्मेदारी देश के समस्त नागरिकों की होती है हम सभी को इस जिम्मेदारी के प्रति उदासीन नहीं रह ना चाहिए/ बात आप सभी को अच्छी लगी हो तो एक दूसरे के के साथ जरूर शेयर करें/

           सौरभ त्रिपाठी( पॉलिटिकल विश्लेषक) Saurabh Tripathi (bholu) (वार्ता) 13:00, 1 मई 2020 (UTC)उत्तर दें

हमने वर्तमान आधुनिक राजनीति प्रणाली के बारे में प्रकाश डालते हुए लोगों में पॉलीटिकल उदासीनता के बारे में बताया है कि क्या अपने देश एवं समाज के प्रति क्या जिम्मेदारियां एवं कर्तव्य होती हैं Saurabh Tripathi (bholu) (वार्ता) 13:03, 1 मई 2020 (UTC)उत्तर दें

राज्य के कार्य मनु के अनुसार संपादित करें

प्राचीन काल में राजनीतिक विचार को में मनु का अपना एक विशेष स्थान है मनु द्वारा रचित मनु स्मृति में उनकी राजनीतिक विचार विशेष रुप से उल्लेखनीय है मनु स्मृति में 12 अध्याय हैं इसमें राजनीतिक एवं सामाजिक धार्मिक विचारों का भी वर्णन जिस तरीके से मिलता है किंतु इसमें राजनीतिक विचारों का विशेष रूप से वर्णन है मनुस्मृति के अनुसार राजा के गुणों के बारे में जैसे राजा के कर्तव्य कार्य राजव्यवस्था संगठन इत्यादि पर विस्तृत तरीके से प्रकाश डाला गया है मनु स्मृति के सातवें अध्याय में राजधर्म से जुड़ी बातें उल्लेखनीय है राजा की उत्पत्ति के दैवीय सिद्धांत का वर्णन किया गया है एवं राज्य एवं अर्थव्यवस्था के अभाव में व्यक्तियों के अंदर की असुरी शक्तियां एवं प्रवृत्ति खुलकर खेलने का अच्छा अवसर प्राप्त होता है मनुस्मृति के अनुसार प्रारंभिक अवस्था बहुत ही कठिन थी उस समय ना केवल राज्य था और ना कोई राजा तथा इसके अभाव में दंड व्यवस्था का कोई प्रश्न ही नहीं था Saurabh Tripathi (bholu) (वार्ता) 16:48, 1 मई 2020 (UTC)उत्तर दें