TEZAS INDIA
प्रस्तावना
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विकिनीतियाँ, नियम एवं सावधानियाँ
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अन्य रोचक कड़ियाँ
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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 02:19, 13 नवम्बर 2019 (UTC)
कृपाराम प्रजापति
जन्म 02 अक्टूबर 1996
भारत
मुहाना , जालौन , उत्तरप्रदेश
कृपाराम प्रजापति (जन्म : ०२ अक्टूबर १९९६ )
एक भारतीय हिंदी साहित्य के साथ साथ स्थानीय भाषा में कहानीकार और सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता हैं। वे भारतीय नवयुवा बुंदेलखंड के संस्थापक हैं। उनका मूल नाम कृपाराम प्रजापति है। वे युवाओं के अत्यन्त प्रिय हैं। बुंदेलखंड की हर धरोहर को पूरे भारत तक ले जाने का प्रयत्न कर रहे हैं।
* === रचना - मैं वही हुं जो कभी बूढ़ा नही होत ===
प्लेटफॉर्म की दूसरी ओर वो चुपचाप सहमी सी बैठी थी किसी गहन सोच में डूबी हुई ट्रेन अभी पंद्रह मिनेट देर से थी । देवी कुमारी का कानपुर आने का कारण भारतीय सेना की भर्ती में सामिल होना था। इससे पहले देवी ने अपनी पढ़ाई में बहुत मेहनत की थी। पर देवी के घर मे आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी उसके पिता मजदूर थे ।
जो दिन में लगभग दो सौ रुपये ही कमा पाते थे घर मे आठ साल का छोटा भाई था। उसके पिता बहुत मेहनत करते है इस बात से वो बखूबी वाकिफ थी।
अभी देवी को बारवीं पास किए और पढ़ाई छोड़े आठ महीने हुए थे , किसी प्रकार से देवी ने महिला सैनिक की परीक्षा दी थी, और उसी को लेकर वह परेशान थी।
तभी एक बूढ़ा सा व्यक्ति उम्र लगभग उनसठ साल होगी देवी के पास उसी ब्रेंच पर बैठ गया कुछ देर तक देवी को देखने के बाद वह व्यक्ति कुछ सोचने लगा जब काफी देर तक उसने देवी में उदासी महसूस की तो
उसने पूछा " बेटी क्या हुआ तुम उदास क्यो हो
देवी कुछ हिचकिचाती हुई बोली " कुछ नही और फिर से अपनी खामोशी में खो गई।
उस वृद्ध व्यक्ति की उत्सुकता मानो और बढ़ गई थी
उसने फिर से पूछा" बेटी कोई बात है अगर तुम मुझे बताना ठीक समझो तो बता सकती हो।
देवी ने अपनी और अपने परिवार की स्तिथि उस बूढ़े से आदमी को बताई।
देवी की सारी बात सुनने के बाद उस व्यक्ति ने देवी को दो माह इंतजार करने को कहा और कहा कि इसके बाद सब ठीक हो जाएगा।
इतना कहकर वह वहाँ से उठकर जाने लगा , देवी ने पूछा चाचा आप कौन हो ?
ठीक दो महीने बाद देवी का इंडियन आर्मी का ज्वाइनिंग लेटर उसके पास आया ।
देवी बहुत खुश थी पर वो मन ही मन उस आदमी के बारे में सोच रही थी, जिसने उसे दो महीने रुकने को कहा था। वो व्यक्ति उसी भारतीय सेना महिला सैनिक भर्ती पैनल का सदस्य था, जिस भर्ती को देखने के लिए देवी दो महीने पहले कानपुर गई थी।
और उस दिन देवी के पूछने पर उसका जवाब था-
मैं वही हुं जो कभी बूढ़ा नही होता --
( जवान )
इस मतलवी दुनिया का क्या है जो बड़ा है वही बढ़ा है
वक्त......
वक्त उन्ही का होता है जो उसके साथ चलते है, मात तो वो खाते है जो टाइम पास करते है।
=== कोई सेना बाजार में लता......... ===
कोई सेना बाजार में लाता, कोई मांगे प्रमान, अजब रे राजनीति की शान अजब रे राजनीति की शान.
कुर्सी के लालच में देखो कैसे शूल बोए है,
मानव हो के मानवता को भूल चुके है.
इनको तो बस प्यारा पावर भूल गए संबंधों को,
पैसों के पीछे है भागे भूल गए है अपनो को.
मुख से है जहर उगलते इनको नही लाज की भान,
अजब रे राजनीति की शान अजब रे राजनीति की शान.
=== मानवता को जीने वाला.......... ===
मानवता को जीने वाला निज जीवन पर भारी है कुत्तेपन में नही जिया जो वो जीवन बेकरी है बोलबाला है पाखंडी का धूर्त बने ज्ञानी बैठे सत्य कहे और सही चले बस एक वही अज्ञानी है। खेल खेलते भावनाओं से समझ रहे इनकी चतुराई पकड़ ले इनको आतुरता से एक वही बेमानी है
kraparam prajapati
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इस सदस्य पृष्ठ को वेब होस्ट के रूप में विकिपीडिया का स्पष्ट दुरुपयोग होने के कारण नहीं हटाया जाना चाहिये क्योंकि... (यहाँ अपना कारण बताएँ) --2405:204:A10B:FD8D:472E:4ECB:D59B:3942 (वार्ता) 16:40, 31 दिसम्बर 2019 (UTC) कोई दुर्पियोग नही किया गया इसलिए कृपया पेज को विकिपीडिया पर रहने दे