Vinay kumar nayak
प्रस्तावना
Vinay kumar nayak जी इस समय आप विकिमीडिया फाउण्डेशन की परियोजना हिन्दी विकिपीडिया पर हैं। हिन्दी विकिपीडिया एक मुक्त ज्ञानकोष है, जो ज्ञान को बाँटने एवं उसका प्रसार करने में विश्वास रखने वाले दुनिया भर के योगदानकर्ताओं द्वारा लिखा जाता है। इस समय इस परियोजना में 8,39,159 पंजीकृत सदस्य हैं। हमें खुशी है कि आप भी इनमें से एक हैं। विकिपीडिया से सम्बन्धित कई प्रश्नों के उत्तर आप को अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों में मिल जायेंगे। हमें आशा है आप इस परियोजना में नियमित रूप से शामिल होकर हिन्दी भाषा में ज्ञान को संरक्षित करने में सहायक होंगें। धन्यवाद।
विकिनीतियाँ, नियम एवं सावधानियाँ
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विकिपीडिया में कैसे योगदान करें?
विकिपीडिया में योगदान देने के कई तरीके हैं। आप किसी भी विषय पर लेख बनाना शुरू कर सकते हैं। यदि उस विषय पर पहले से लेख बना हुआ है, तो आप उस में कुछ और जानकारी जोड़ सकते हैं। आप पूर्व बने हुए लेखों की भाषा सुधार सकते हैं। आप उसके प्रस्तुतीकरण को अधिक स्पष्ट और ज्ञानकोश के अनुरूप बना सकते हैं। आप उसमें साँचे, संदर्भ, श्रेणियाँ, चित्र आदि जोड़ सकते हैं। योगदान से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण कड़ियाँ निम्नलिखित हैं:
अन्य रोचक कड़ियाँ
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(यदि आपको किसी भी तरह की सहायता चाहिए तो विकिपीडिया:चौपाल पर चर्चा करें। आशा है कि आपको विकिपीडिया पर आनंद आएगा और आप विकिपीडिया के सक्रिय सदस्य बने रहेंगे!) |
सदस्य:THE " NAYAK" LANDLORD OF EASTERN UTTAR PRADESH पृष्ठ को शीघ्र हटाने का नामांकन
संपादित करेंनमस्कार, आपके द्वारा बनाए पृष्ठ सदस्य:THE " NAYAK" LANDLORD OF EASTERN UTTAR PRADESH को विकिपीडिया पर पृष्ठ हटाने की नीति के मापदंड स2 के अंतर्गत शीघ्र हटाने के लिये नामांकित किया गया है।
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Vinay kumar nayak (वार्ता) 20:11, 19 अप्रैल 2020 (UTC)
सीताराम नायक
संपादित करेंदक्षिणांचल के गौरव,स्वतंत्रता सेनानी स्व० सीताराम नायक जी का जन्म गोरखपुर जनपद के गोला तहसील स्थिति ग्राम बरहज में एक जमींदार परिवार में हुआ था। इनके पिता विन्देश्वरी नायक एक उदारवादी,धर्मपरायण ज़मीदार थे। इनकी प्राथमिक शिक्षा गंगा सिंह पूर्व माध्यमिक विद्यालय मदरिया में हुई थी। बाल्यकाल से ही आप जमींदारी के माध्यम से अंग्रेजो के द्वारा देशवासियों के होने वाले शोषण से विरक्त हुए थे। गांधी जी के असहयोग आंदोलन से बाल्यकाल में ही प्रेरित होकर आप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सक्रिय सदस्य हो गए। शुरुआत में आप ब्लाक कांग्रेस कमेटी में सचिव के रूप में चिल्लूपार क्षेत्र में ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ स्वराज की आवाज को खोपापार विद्यालय से केंद्रित रहते हुए बुलन्द करते रहे। उसके उपरांत आप अपने ही परिवार से शुरू करते हुए दक्षिणाचल के अनेक गांवो में काश्तकारों द्वारा जमींदारों, राजाओ या बिर्टिश सरकार को कर न चुकाने का एवं असहयोग में शामिल होने हेतु बृहत जागरूकता अभियान चलाये जिसका प्रभाव अनेक ग्रामो में दिखा। उसके उपरांत 1935 में आजमगढ़ जनपद निर्माण आंदोलन एवं प्रांतीय विधानसभा चुनाव 1937 में कांग्रेस के अभियान को जन जन तक पहुचाने में तल्लीनता से लगे रहे। आपके क्रांतिकारी कार्यो से प्रभावित होकर तत्कालीन विधायक एवं नगर कांग्रेस गोरखपुर के तत्कालीन उपाध्यक्ष सिंहासन सिंह जी ने आपको 1940 ई० में जिला कांग्रेस कमेटी में शामिल कर लिया। इसके उपरांत 6 अप्रैल 1941 ई० में जिला कांग्रेस कमेटी की अनुमति लेकर पूर्व विधायक प० रामलखन शुक्ल के नेतृत्व में रामबचन त्रिपाठी जी के साथ आप तीनो ने दक्षिणाचल में क्रांति का बिगुल फूक दिया। जिसके कारण आप तीनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया एवं एक-एक वर्ष का सश्रम कारावास और 100 रुपए का जुर्माना सुनाया गया। गाँधी जी के अग्रेजो से हुए समझौते के बाद आप तीनो को रिहा कर दिया गया। भारत छोड़ो आंदोलन 8 अगस्त 1942 को आरम्भ हो गया गाँधी जी ने करो या मरो का नारा दिया,इसके उपरांत गोरखपुर जिला कांग्रेस ने भी विद्रोह का बिगुल फूक दिया औऱ आपने अपने शिक्षण ग्राम मदरिया के पास राम जानकी मार्ग पर स्थिति आवागमन के एक मात्र पुल को अपने मित्र स्वतंत्रता सेनानी रामअलख सिंह जी के साथ मदरिया गाँव के ग्रामीणों के सहयोग से तोड़ दिया जिससे अंग्रेजी शासन का आवागमन ठप्प हो गया था। उसके उपरांत खोपापार चेतना केंद्र से आप ने राम लखन शुक्ल जी के नेतृत्व में रामवचन त्रिपाठी जी के साथ ककरही से गोला तक के अग्रेजी शासन का टेलीफोन तार काट दिया उसके उपरांत गोला थाने का यूनियन जैक उतार थाने को आजाद कर तिरंगा फहराने हेतू थाने की तरफ बढ़ने लगे तभी तत्कालीन दरोगा नुरुल होंडा ने आप तीनो पर पिस्तौल तान दिया लेकिन जान की परवाह न करते हुए आप तीनो ने गोला थाने से यूनियन जैक उतार तिरंगा फहराकर पूरे जिले में क्रांति की ज्वाला भड़का दिया। उसके उपरांत आप तीनो लोगो को पुनः गिरफ्तार कर लिया गया,आप सहित तीनो क्रांतिवीरों का घर अंग्रेजो ने जला दिया एवं आपके परिवार जनो को अनेक यातनाएं दिया गया,आपके चचेरे भाई जमींदार जोखन प्रसाद नायक को अंग्रेजी पुलिस ने प्रताड़ित किया एवं तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर ने उनकी जमींदारी के अनेक अधिकार छीन लिए किंतु आप तनिक भी अपने मार्ग विचलित नही हुए अंत मे आप तीनो को 1944 ई० में रिहा कर दिया गया। इसके उपरांत महान सेनानी पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने स्वयं पधारकर मदरिया बाग में आयोजित सभा मे मदरिया ग्राम के लोगो को एवं आप तीनो वीर सपूतों को सम्मानित किया। आस पास के 5-6 गांवो में एक भी विद्यालय न होने के कारण शिक्षा के अभाव को दूर करने हेतु बरहज गांव में आपने अपनी भूमि पर 1947 में एक विद्यालय की स्थापना किये जो आगे चलकर राजकीय पाठशाला हो गया। स्वतंत्रता उपरांत आप अपने मित्र प० रामलखन शुक्ल एवं रामवचन त्रिपाठी जी के साथ दक्षिणाचल मे कांग्रेस के राष्ट्र निर्माण के महाआंदोलन में हाथ बटाने लगे आप तीनो ने गोपालपुर स्टेट के भारत संघ में विलय को लेकर जिला कांग्रेस कमेटी का महत्वपूर्ण सहयोग किया। प० गोविंद बल्लभ पंत की सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पेंशन योजना 1947 के अनुसार आप पेंशन प्राप्त करने लगे। उसके उपरांत आप निर्विरोध बरहज ग्राम के प्रधान चुने गए प्रधान के रूप में आपने अनेक वर्षों तक गांव की सेवा किया तत्पश्चात आपका निधन हो गया। 2409:4063:208C:D9A:0:0:12A0:8A0 (वार्ता) 17:42, 27 दिसम्बर 2021 (UTC)