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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 14:05, 17 जून 2024 (UTC)उत्तर दें

THE STORY OF THE JITHAKU MITHAKI(झिटकू-मिट्की की कहानी)

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प्राचीन समय में छत्तीसगढ़ के बस्तर आंचल में एक गांव हुआ। उस गांव का नाम पेंड्रावन है। वर्तमान में यह गांव कोंडागांव जिले के बड़े राजपुर तहसील के अंतर्गत आती है। लोक कथा के अनुसार पेंड्रावन गांव में मुखिया का परिवार रहा करता था। मुखिया के सात बेटे थे और उनकी बेटी थी। पिता ने बेटी का नाम बड़े प्यार से मिट्की रखा था। मिट्की अपने सभी भाइयों से छोटी थी। बहुत ही लाड प्यार से उसे पाला गया था। उसके भाइयों ने उसके लिए एक लड़का देखा। उसका नाम झिट्कू था। मिट्की के भाइयों ने उसे घर जमाई बनकर अपने घर में रखा क्योंकि वे लोग अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। मिट्की और झिट्कू एक दूसरे को बहुत अधिक प्रेम करते थे।

     एक बार की बात है। मिट्की के भाइयों  मछली आखेट करने के लिए गांव से दूर नदी में गए। साथ ही वे झिट्कू को भी अपने साथ मछली आखेट करने ले गए। नदी में जल अधिक होने के कारण उनके हाथों में मछली बहुत कम पकड़ में आई। तभी मिट्की के भाइयों को मन में विचार आया की क्यों ना झिट्कू की बलि देकर जल देवी को समर्पित कर दे। जिससे कि वे अधिक मात्रा में मछली आखेट कर सके। वे झिट्कू को बलि दे देते हैं। बहुत सा मछली पकड़ के सभी भाई शाम को घर वापस आ जाते हैं। मिट्की ने जब देखा कि भाइयों के साथ झिट्कू वापस नहीं आया। तो वे भाइयों को बार-बार झिट्कू के बारे में पूछने लगती है। रात होने लगी थी बारिश भी शुरू हो चुकी थी। मटकी को अपने हृदय में कुछ अनहोनी होने का डर सताने लगा था। की कुछ ना कुछ झिट्कू के साथ गलत हुआ है। वह अपने भाइयों की बातों से संतुष्ट न हो सकी। वह दौड़ी-दौड़ी उस नदी के किनारे पहुंची जहां सभी भाई मछली पकड़ने के लिए गए हुए थे। ‌‌ उसने देखा कि छिड़कू का शरीर नदी के किनारे मिट्टी से ढका हुआ है और हाथ बाहर की ओर निकाला था। वह प्रेम और विछोह की वेदना से विह्वल हो गई। मिट्की उसी नदी के गहरे जल में कूद कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर देती है। आज वन्य आंचल से लेकर पुरी दुनिया में झिट्कू और मिट्की सच्ची की प्रेम कहानी अमर हो गई। 
        आज वर्तमान में मिट्की को सती माता पेंड्रावंडिन के नाम से पुकारते हैं। वर्तमान में पेंड्रावन गांव के नदी किनारे सती माता का मंदिर विद्यमान है। आज भक्त दूर-दूर से सती माता पेंड्रावंडिन के दर्शन करने के लिए आते हैं। माता भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करती है।
      झिटकू-मिट्की की प्रेम कहानी डोकरा कला के अंतर्गत भी विश्व प्रसिद्ध है। डोकरा कला में इनके अमर प्रेम की भावना प्रदर्शित की जाती है।