सरना धर्म

आदिवासी धर्म

सरना धर्म, भारतीय धर्म परम्परा का ही एक आदि धर्म और जीवनपद्धति है जिसका अनुसरण छोटा नागपुर के पठारी भागों के बहुत से आदिवासी करते हैं। इस धर्म के अनुयायी झारखण्ड, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, असम और महाराष्ट्र में पाए जाते हैं। भारत के अलावे नेपाल, भूटान, बांग्लादेश में भी पाए जाते हैं‍। परन्तु अलग-अलग राज्यों में इस धर्म को अलग-अलग नाम से जानते हैं। सरना धर्म में पेड़, पौधे, पहाड़ इत्यादि प्राकृतिक सम्पदा की पूजा की जाती है। [1]

सरना धरम का प्रतीक-चिह्न

जब आदिवासी आदिकाल में जंगलों में होते थे, उस समय प्रकृति के सारे गुण और सारे नियम को समझते थे और सब प्रकृति के नियम पर चलते थे। उस समय से आदिवासी में जो पूजा पद्धति व परम्परा विद्यमान थी वही आज भी विद्यमान है।

सरना धर्म का मूल आधार प्रकृति की पूजा है। सरना धर्म के अनुयायी प्रकृति में रहने वाले सभी प्राणियों को ईश्वर का रूप मानते हैं। वे सूर्य, चंद्रमा, तारे, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, पेड़-पौधे, जानवरों, और मनुष्यों को ईश्वर के रूप में पूजते हैं।[2]

सरना धर्म को 'आदि धर्म' भी कहा जाता रहा है। सरना धर्म आदिवासियों में कोल खोंड, मुण्डा, हो, संथाल, भूमिज, उराँव, गोंड, भील इत्यादि खास तौर पर इसको मानते हैं। जानकारी के अभाव में सरना धर्म को छोड़ कर बहुत से आदिवासी लोग हिन्दू धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम धर्म अपना रहे हैं। [3] सरना धर्म के लोग प्रकृति के पूजा करते हैं।

संस्थान संपादित करें

  • अखिल भारतीय सरना धरम
  • अखिल भारतीय सरना धरम मण्डोवा
  • केन्द्रीय सरना समिति

जनसांख्यिकी संपादित करें

 
जाहेरथान या जाहेरगढ़

यह भी देखें संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. National Council of Educational Research and Training. "Social and Political Life - III". Publication Department, NCERT, 2009, p.83.
  2. "सरना धर्म कोड की मांग को लेकर देशभर के आदिवासी संगठनों ने दिया धरना". प्रभात खबर. 13 नवंबर 2023. अभिगमन तिथि 5 दिसंबर 2023.
  3. "The Green Revolution in India"U.S. Library of Congress (released in public domain). Library of Congress Country Studies. Retrieved 2007-10-06.